गाँव में करमा पर्व
की धूम थी.लाल पाद की सादी और बालों में जवा के फूल सजाए लडकियां, करमा वृक्ष के
चारों ओर घेरा बनाए नाच रही थीं. हाथों में करमा की झूलती टहनियां मानो उनकी खुशी
में साथ दे रही थीं. घेरे के बीच में सोमा ढोल पर ताल देता नाच रहा था.
अचानक सामने से आती
लड़ही को देख कर सब चौंक गए. क्या यह वही अगनी थी, जो पांच बरस पहले गाँव छोड़ अपने
मामा के साथ शहर चली गई थी. पांच बरस पहले की अगनी और आज की अगनी में कोई साम्य
नहीं था.
अगनी का जन्म अगहन
मॉस में हुआ था. दादी ने उसे अगहनी नाम दे डाला था. पुकारने की सुविधा से यही नाम
अगहनी से “अगनी” बन गया. सौम्य- सांवली अगनी में नाम के अनुरूप ना तो दपदपाता
उजाला रंग था , ना अंतर में कोई आग,पर आज तो अगनी जैसे सचमुच आग सी चमक रही
थी.पहनने-ओढने के सलीके में वह पूरी शहरी लड़की दिख रही थी.सोमा के ढोल पर थाप देते
हाथ रुक गए. लड़कियों के पाँव थिरकना भूल गए.आगे बढ़ कर महुआ ने पूछा-
“अगनी तू? आखिर गाँव
की याद तुझे आ ही गई.”
“गाँव क्या भूलने
वाली चीज़ है, महुआ? शहर में रहे ज़रूर,पर मन प्राण तो यहीं बसे रहे.”मुस्कुराती
अगनी ने हलकी सी दृष्टि सोमा पर डाली.
अगनी की उस दृष्टि
ने सोमा को संकुचित कर दिया. क्या अगनी को याद होगा, मेले में देवी पूजा की रात जब
वह जलाते अंगारों पर चला था तो अगनी ने ठंडे पानी से उसके पांवों के तलवे धोए
थे.घर से मलहम ला कर लगाया था.क्या आज की अगनी को वो सारी बातें याद होंगी?
लड़कियों ने अगनी को
चारों ओर से घेर लिया. चम्पा ने चहक कर कहा-
“अगनी सच कह, क्या
तुझे हमारी और गाँव के तीज-त्योहारों की याद आती थी या शहर जा कर सब भुला दिया?”
“अगर ऐसा होता तो आज
करमा के दिन सबके साथ नाचने क्यों आती?’अगनी ने हंस कर कहा.
“सच, तू हमारे साथ
नाचेगी?{“ कमली उत्साहित हो उठी.
:”क्यों नहीं,पर
लगता है, सोमा तो ढोल बजाना ही भूल गया है.बिना ढोल के क्या नाच जमेगा?”तिरछी
दृष्टि सोमा पर दाल अगनी हलके से मुस्कुरा दी.”ई सोमा, अगनी को देख सब भूल गयारे,
तेरे हाथ क्यों थम गए?चल अपने हाथ का कमाल दिखा दे.” चम्पा ने सोमा को चुनौती सी
दे डाली.
बस फिर क्या था,सोमा
के हाथों ने ढोल पर थाप दीऔर अगनी का हाथ पकडे लड़कियों के पाँव थिरक उठे.तारों
भारी रात उनके नृत्य से और ज़्यादा सुहानी हो उठी.
लड़कियां अगनी के
गाँव छोड़ जाने का कारण जानने को उत्सुक थीं.कमली ने सीधा सवाल पूछा-
“अगनी तू अचानक गाँव
क्यों छोड़ गई? हम सब तुझे कितना याद करते थे.”
“शहर में पढाई जो
करानीथी.हलके स्वर में अगनी ने जवाब दिया.
“यहाँ भी तो तू पढती
थी. मास्टरनी दीदी को तेरे चले जाने का बहुत दुःख हुआ था.कहती थीं, अगर अगनी होती
तो मेट्रिक में फर्स्ट आती.”
“सच कहें तो एक छोटी
सी बात ने हमारे दिल पर गहरी चोट कर डाली,चम्पा.”
“ऎसी कौन सी बात हो
गई, अगनी?” महुआ ने पूछा.
“याद है, शहर से
मामा की बीमारी की खबर आई थी. हम अम्मा के साथ शहर गए थे.””हाँ-हाँ, याद है उसके
बाद ही तो शहर जा कर बस गई.अपने गाँव को भुला दिया.”कमली ने कुछ नाराज़गी से कहा.
“शहर जाने के लिए
पहली बार रेलगाड़ी में बैठे थे. खिडकी के बाहर पेड़-पेढे दौड़ते से लग रहे थे.खिडकी
के पास एक शहरी फैशनेबल लड़की बैठी थी.हम भी उसके पास जाकर बैठ गए, पर उस लड़की को
हमारा उसके पास बैठना मंजूर नहीं था.
‘ऐ जंगली गंवार लड़की
कहीं और बैठ. उस अपमान की याद करती अगनी का चेहरा तमतमा आया.
“हाय राम, फिर तूने
क्या किया,अगनी ?”कमली शंकित दिखी.
“हमने कह दिया,
हमारे पास भी टिकट है, जहां जी चाहेगा, बैठेगे.”गर्व से अगनी ने बताया.
“वाह तूने बड़ा सही
जावाब दिया,अगनी.”चम्पा खुश दिखी.
“उस वक्त हमें लगा,
उस लड़की ने सिर्फ हमें नहीं ,हमारे पूरे गाँव को गाली दी थी.तभी हमने तय कर
लियाकर,हम भी पढ़-लिख कर उस लड़की को दिखा देंगे, गाँव की लडकियां किसी से कम नहीं
होतीं.”दृढ स्वर में अगनी ने कहा.
“सच तू तो एकदम शहरी
लड़की बन गई है.अब तो इस बरस तू हमारे साथ शिकार को भी नहीं चलेगी.”महुआ की आवाज़
में संदेह था.
“वाह, बारह बरस बाद
तो हम लड़कियों को शिकार का मौक़ा मिलता है. हम ज़रूर चलेंगे.अगनी ने खुशी से कहा.
“सच, तब तो बड़ा मज़ा
आएगा.”लडकियां खुश हो गईं.
सबसे बात करने के
बाद अगनी पेड़ के नीचे शांत खड़े सोमा के पास गई थी.
“कैसे हो,
सोमा?”अगनी की आवाज़ शहद सी मीठी थी.
“ठीक हूँ. तू तो
एकदम शहरी बन गई है,अगनी. पढाई पूरी कर ली?”संकोच से सोमा बोला.
“अभी बारहवीं की
परीक्षा दे कर आई हूँ, पर अभी आगे पढ़ना है. तू अपनी सूना, पढाई कर रहा है या सिर्फ
ढोल ही बजाता है?”मुस्कुराती अगनी ने पूछा.”
“मैट्रिक के बाद
पढाई छोडनी पड़ी बापू नहीं रहे,खेत-खलिहान देखने होते हैं.”उदास सोमा ने बताया.
“ओह, काका नहीं रहे,
अब तो तू अकेला पद गया,सोमा.”अगनी की आवाज़ में हमदर्दी थी.
“हाँ, अगनी अब तो
यही ज़िंदगी है.अब तू यहाँ रहेगी या वापिस शहर चली जाएगी?”सोमा ने गहरी सांस ली.
“वापिस तो जाना ही
होगा. तुझे भी शहर ले जाना है,सोमा.”गंभीरता से अगनी ने कहा.
“हम शहर कैसे जा
सकते हैं, अगनी?”विस्मित सोमा ने कहा.
“वो सब बाद में
बताएंगे.तुम जैसे कलाकार की शहर के नृत्य और नाटकों में बहुत ज़रुरत है,सोमा.”अगनी
ने सोमा पर प्रशंसा भारी दृष्टि दाल कर कहा.”सच?”सोमा के चेहरे पर खुशी खिल आई.
गाँव में बारह बरस
बाद स्त्रियाँ शिकार खेलने निकलती थीं. वह दिन उनके साहस के प्रतीक का दिन होता.
शिकार में जो भीपशु-पक्षी उनका शिकार बनाता वो स्त्रियों की उपलब्धि होती. उस दिन
भी लडकियां और स्त्रियाँ बड़े उत्साह के साथ तीर-कमान ले कर शिकार के लिए निकल
पडीं.
इतने वर्षों बाद ढाबेसुध
सी अगनी जंगल के अन्दर और अन्दर बढ़ती चली गई. ढाक और साखू के हरे पेड़ों वाले जंगल
की परिचित सुवासित हवा ने अगनी को जैसे पूरी तरह से मोह लिया. बेसुध सी अगनी जंगल
के अन्दर और अन्दर बढ़ती चली गई. हवा में झूमते पेड़ों की पत्तियां जैसे मीठे गीत गा
रही थीं.चह्चहाते पक्षी मानो अगनी का स्वागत कर रहे थे.यादों के सपनों में खोई
अगनी को अचानक पीछे से किसी ने जकड लिया. अगनी का सपना टूट गया.बाघ-भालू का ख्याल
आया ही था कि पुरुष के दो सबल हाथ देख , सच्चाई सामने आ गई. गाँव के मनचले लड़के
धूमा को पहिचानने में देर नहीं लगी.
“छोड़ दे धूमा, वरना-
- “अगनी चीखी.
“वरना क्या कर लेगी,
अगनी?अरी तू तो काली संगमरमर है, रानी बन कर शहर में राज करेगी.”धूमा धूर्तता से
हंसा.
अपने को छुडाने के
प्रयास में अगनी पर धूमा भारी पड़ रहा था. धूमा की ज़बरदस्ती बढ़ती जा रही
थी.उत्तेजना से मुंह लाल हो रहा था.अचानक कोहनी से वार कर , अगनी ने अपने को मुक्त
कर लिया कमर में खुँसी हंसिया निकाल, धूमा के आगे बढ़ते हाथ पर पूरी ताकत से अगनी
ने वार कर दिया. पीड़ा से धूमा” चीख पडा. हाथ के गहरे घाव से खून की धा रा बह
चली.लग रहा था , शायद हाथ कट ही गया था.
“हाय, मार डाला. तू
औरत नहीं राक्षसी है, री,” धूमा कोस रहा था
ठीक समझा, धूमा.
अपनी रक्षा के लिए औरत को दुर्गा बनाना ही पड़ता है.हाँ फिर किसी लड़की के साथ
ज्यादती करते वक्त आज की यह बात मत भूलना.”
धूमा को कराहता छोड़
,तेज़ कदम बढाती अगनी अपने गाँव की ओर चल दी.गाँव में स्त्रियाँ और लडकियां अपने-अपने
शिकार मुर्गी, बतख, और चिड़ियों के साथ इकट्ठी खडी थीं.अगनी को खाली हाथ आते देख,
महुआ ने परिहास किया-
“क्यों री अगनी, तू
शहर जा कर शिकार करना भूल गई?अरे एक मुर्गी का भी शिकार नहीं कर पाई?”
“तू गलत समझ रही है,
महुआ. शहर में रह कर हमने असली शिकार करना सीखा है.हमेशा से हम आदिवासी लड़कियों को
शिकार बनाया जाता रहा है,पर अब हम शिकारी का शिकार करसकते हैं.”अगनी के चेहरे पर
आक्रोश स्पष्ट था.
‘तू क्या कह रही
है,अगनी” तेरी बात हमारी समझ में नहीं आरही है.”चम्पा असमंजस में थी.
“आज हमने दो पैरों
वाले जानवर का शिकार किया है, चम्पा.”
“क्या मतलब? ज़रा
साफ़-साफ़ बता?’महुआ डर सी गई.
“उधर देख, हमारा
शिकार इधर ही आ रहा है.’मुस्कुराती अगनी ने कहा.
घायल धूमा को पुलिस
के सिपाही के साथ आता देख कर लडकियां डर गईं. कड़क आवाज़ में सिपाही ने पूछा-
“कहाँ है, अगनी?”
“हम यहाँ हैं, कहिए
क्या काम है?”बिना डरे आगे बढ़ कर अगनी ने कहा.
“काम की बात करती
है, धूमा का हाथ देख रही है?यह तेरी ही करतूत है.,न? चल थाने, अभी मज़ा चखाता हूँ.’
“क्या कह रहे हो,
सिपाही जी, अगनी ने क्या किया है? अरी अगनी तू कुछ बोलती क्यों नहीं? डरते हुए महुआ
ने पूछा
“परेशान मत हो,
महुआ.हम आज के अपने शिकार के बारे में थानेदार साहब के पास रिपोर्ट लिख कर दे आए
हैं.हमने कोई गलत काम नहीं किया है.”दृढ़ता से अगनीने कहा.
“अरे धूमा का हाथ
काट डाला और कहती है, हमने कुछ गलत नहीं किया. चल थाने अभी सही-गलत का पता चल
जाएगा. हमें थानेदार साहब का डर दिखाती है?”क्रोध से सिपाही की आँखें अंगारे बरसा
रही थीं.
“ठीक है, सिपाही जी.
हम थाने चलने को तैयार हैं,पर पहले हमारा वारंट तो दिखाओ. हमें थाना ले जाने के
लिए महिला कॉन्स्टेबल कहाँ हैं?”बड़ी सहजता और आत्मविश्वास के साथ अगनी ने कहा.
“अच्छा बड़ा क़ानून
बघार रही है, सीधे से चलती है या--”
“नहीं, हम इस तरह
गैर कानूनी ढंग से कहीं नहीं जाएंगे. हमने जो कहा है, वो बिलकुल सही बात है. एक
औरत के साथ गैर कानूनी ढंग से पेश आने की सज़ा जानते हैं , सिपाही जी या एस पी साहब
से कह कर आपको समझा दें” गर्व से उन्नत सर के साथ अगनी ने कहा.
“ठीक है, हम थानेदार
के पास जा कर तेरे खिलाफ रिपोर्ट लिखवाते हैं.”सिपाही जैसे डर सा गया था.
सिपाही को मुंह छिपा
जाते देख कर लडकियां खिलखिल हंस दीं.
“अरी अगनी तूने तो
कमाल कर दिया. सिपाही को भगा दिया.”महुआ का चेहरा चमक रहा था.
“सच, अगनी तेरे
अन्दर ये आग किसने जलाई? सिपाही को तो देखते ही हमारी बोलती बंद हो जाती है.”कमली
प्रशंसाभरी दृष्टि से अगनी को देख रही थी.
“यही तो हमारी गलती
है. पहले हम भी ऐसे ही ठेपर शहर के स्कूल में हमें स्त्रियों के अधिकारों की
जानकारी दी गई. अपनी रक्षा के लिए औरत को कानूनी जानकारी होना ज़रूरी है.” गंभीरता
से अगनी ने कहा.
“हाँ, यह तो तू ठीक
कह रही है. हम क़ानून नहीं जानते, इसलिए पुलिस वाले हमें जब-तब परेशान करते
हैं.”उदासी से चम्पा ने कहा.
“एक बात बता , क्या
तूने सचमुच थाने में रिपोर्ट लिखाई है,
अगनी?”महुआ ने जानना चाहा.
“हाँ, महुआ. सिर्फ
गाँव में ही नहीं, शहरों में भी भोलीभाली आदिवासी लड़कियों का यौन शोषण किया जाता है
.तुम्हें नहीं पता, कभी-कभी शहर में काम दिलाने के नाम पर इन लड़कियों को बेच दिया
जाता है. उनकी ज़िंदगी बर्बाद कर दी जाती
है. हमने इसी बात के लिए धूमा के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई है.”
“धूमा ने क्या ऐसा
कोई काम किया है,अगनी?”
“उसने हमें काला
संगमरमर कहा,तभी हम समझ गए, वह लड़कियों की दलाली करता है.”अगनी ने क्रोध से कहा.
“काला संगमरमर, इससे
तेरा क्या मतलब है, अगनी?”कमली विस्मित थी.
“शहर में काली
आदिवासी लड़की को काला संगमरमर का नाम दे कर ज़्यादा पैसे वसूले जाते हैं.हमने थाने
में धूमा के खिलाफ हमारे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश और लड़कियों की दलाली के इलज़ाम
की रिपोर्ट लिखाई है.”अगनी ने ओंठ भींच कर कहा.
“हाँ अभी दो महीने
पहले ही धूमा गाँव से सात-आठ लड़कियों को शहर ले गया था.”चम्पा ने बताया.
“तब तो उन लड़कियों
का पता लगवाना ज़रूरी है.इस बारे में एस पी साहब से बात करनी होगी.”
“तू तो शहर जा कर
बड़ी होशियार बन गई, अगनी.”महुआ अगनी को मुग्ध दृष्टि से देख रही थी
“काश हम भी तेरी तरह
ज्ञानी बन पाते.”कमली के चहरे पर हलकी सी निराशा थी.
“घबराओ नहीं, तुम
सबको भी हम शहर ले चलेंगे.”अगनी के चेहरे पर विश्वास था.
“ऐसा कैसे हो सकता
है, अगनी?”चम्पा उत्सुक हो उठी.
“शहर में नीला दीदी
की नाटकशाळा है. उनकी इस नाटकशाळा में हम आदिवासी नृत्य प्रस्तुत करेंगे..शहरों
में हमारी कला का बहुत सम्मान है ”गर्व से अगनी ने बताया.
“क्या तू सच कह रही
है? हम शहर देख सकेंगे. कितना मज़ा आएगा..”ताली बाजाती महुआ हंस रही थी.
“पर सोमा के ढोल के
बिना हम कैसे नाचेंगे, अगनी?’कमली सोच में पड़ गई.
“अरे क्या अगनी अपने सोमा को भुला सकती है? क्यों अगनी ठीक कहा न?” महुआ ने परिहास किया.
“अरे क्या अगनी अपने सोमा को भुला सकती है? क्यों अगनी ठीक कहा न?” महुआ ने परिहास किया.
“ठीक कहती है, महुआ,
हम सोमा को कभी नहीं भूल सकते.सो मा को एक् नई ज़िंदगी दिलाना हमारा संकल्प है..”अगनी गंभीर थी.
“हम जान गए, हमारी
अगनी कुछ नहीं भूली है फिर सोमा तो उसके बचपन का साथी है.”अगनी को प्यार भारी नज़र
से देखती चम्पा ने कहा.
“हाँ अगनी, हम दिखा
देंगे, हम काला संगमरमर कहलाने वाली लडकियां बहुत कीमती हैं. हमें खरीदने की औकात
किसी में नहीं है..”दृढ स्वर में महुआ ने कहा.
“वाह, तू तो बड़ी
जल्दी अपनी ताकत पहिचान गई.अब सारा आकाश हमारी मुट्ठी में ज़रूर आ जाएगा.”अगनी की
आँखों में आशा की चमक थी.
“ज़रूर अगनी, तूने जो
नई राह सुझाई है, उस पर चलने की हम शुरुआत ज़रूर करेंगे.”
””चलो इसी बात पर आज
एक नाच हो जाए.” अगनी उठ खडी हुई.
एक-दूसरे का हाथ
पकड़, घेरा बनाए लडकियों के गीत और नृत्य से दिशाएं गुंजरित हो उठीं.
Bahut hi sundar. Aage bhi likhiye na please. I am eagerly waiting for Agni Part 2.
ReplyDeletenice story, keep it up....
ReplyDeleteShare Real life stories online
Very nice, bhut achha pryas
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