7/17/13
फ़ॉल के बाद
फ़ॉल के बाद
स्कूल बस से उतरते ही नेहल की नजर आस.पास के पेड़ों पर पड़ गई। पतझड़ का मौसम आ चुका है। पत्तों के बिना पेड़ कितने उदास और अकेले लगते हैं। ठीक वैसे ही जैसे मम्मी के मरने के बाद नई जूलियन मॉम, पापा और छोटी बहन स्नेहा के होने के बावजूद, घर बेहद सूना और उदास लगता है।
जूलियन मॉम के आते ही आठ वर्ष के नेहल, अचानक बड़ी बना दी गई। हर बात में उसे जताया जाता कि वह बड़ी हो गई है। शी इज नो मोर ए बेबी। चार साल की स्नेहा की तो वह माँ ही बन गई है। पहली बार स्नेहा को शावर देती नेहल के आँसू शावर के पानी के साथ बह रहे थे। मम्मी जब दोनों बहनों को टब में बबल बाथ देती थीं तो कितना मजा आता था। पूरी तरह से भीगी नेहल को देख, जूलियन मॉम ने डाँट लगाई थी ,
‘‘सिली गर्ल, इतनी बड़ी हो गई, छोटी बहन को ढंग से शावर भी नहीं दे सकती। तुम्हारी मम्मी ने तुम्हें कुछ नहीं सिखाया है। इन्फैक्ट, स्नेहा को भी खुद बाथ लेना चाहिए।’’
मम्मी के नाम पर नेहल की आँखें फिर बरसने लगीं।
‘‘डोन्ट बिहेव लाइक ए चाइल्ड। गो टु योर रूम ऐन्ड क्राई देयर,’’ जूलियन मॉम ने झिड़का था।
नियमानुसार बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को घर में अकेले नहीं छोड़ा जा सकता। जूलियन मॉम से उनकी बार की नौकरी छोड़ने के लिए पापा ने रिक्वेस्ट की थी। पापा को अच्छा वेतन मिलता था। नौकरी छोड़कर जूलियन ने पापा पर एहसान किया था। फ्रेन्ड्स के साथ दिन बिताकर घर जरूर आ जातीं, पर नेहल के स्कूल से लौटने का वक्त, उनके आराम का होता। उनके आराम में खलल न पड़े, इसलिए नेहल को घर की चाबी थमा दी गई। उसे सख्त हिदायत थी कि वह बिना शोर किए घर में आए और जूलियन मॉम को परेशान न करे।
अक्सर नेहल को रोता देखकर स्नेहा भी रो पड़ती थी। अचानक नेहल चैतन्य हो जाती...सोचती, प्यार करनेवाली मम्मी अब नहीं हैं तो क्या हुआ, वह तो स्नेहा को माँ जैसा प्यार दे सकती है। आँसू पोंछ नेहल जबरन हँस देती।
घर का बन्द दरवाजा खोलती नेहल को याद आता, मम्मी उसे लेने बस स्टैन्ड आती थीं। कई कोशिशों के बावजूद मम्मी कार ड्राइव नहीं कर पाईं। मजबूरी में नेहल को स्कूल- बस से आना पड़ता। मम्मी अपनी इस कमी के लिए दुःखी होतीं। काश, वह अपनी बेटियों को खुद कार से ला पातीं, ड्राइविंग के प्रति उनके मन का भय कभी नहीं छूट पाया।
स्कूल से लौटी नेहल को मम्मी हमेशा उसका मनपसन्द स्नैक कितने प्यार से खिलाती थीं। स्नेहा तो उनकी गोद में बैठकर ही खाना खाती। पनीली आँखों से ब्रेड और जैम गले से उतारती नेहल को याद आया कि आज स्नेहा की छुट्टी जल्दी होती है। अधखाई ब्रेड किचन-ट्रैश में डाल, नेहल बस स्टैन्ड तक दौड़ती गई। अगर वह वक्त पर नहीं पहुँची तो बस से उतरी स्नेहा कितनी डर जाएगी। मम्मी कहा करती थीं, ‘यह अजनबी देश है। यहाँ कभी भी कोई हादसा हो सकता है। बस स्टैन्ड से घर के सूने रास्ते में भी कोई दुर्घटना हो सकती है।’
पहली बार अकेले घर तक आने.जाने में नेहल को सचमुच डर लगा था, पर छोटी बहन को बस स्टैन्ड तक पहुँचाने और लाने के दायित्व ने उसका डर दूर कर दिया।
पापा के साथ भारत से आते समय मम्मी कितनी उत्साहित थीं। नए घर को सजाती, गुनगुनाती मम्मी के साथ घर में खुशी का संगीत बिखर जाता। नन्हे.नन्हे हाथों से मम्मी की मदद करती चार वर्ष की नेहल का मुँह चूमते वह थकती नहीं थीं। एक दिन पापा ने मम्मी को समझाया,
‘कभी भी कोई जरूरत हो, खतरा हो, फोन पर 911 डायल कर देना। तुरन्त पुलिस मदद के लिए आ जाएगी।’
पापा.मम्मी के साथ नेहल और स्नेहा डिजनीलैन्ड गई थीं। डिजनीलैन्ड की सैर करतीं राजकुमारियों के परिधान में सजीं नेहल और स्नेहा की सिन्डरेला, एरियल और बेल के नाम की राजकुमारियों के साथ पापा ने ढेर सारी फोटो ली थीं। उन चित्रों में नेहल और स्नेहा राजकुमारी जैसी दिखतीं। मम्मी गर्व से कहतीं,
‘मेरी दोनों बेटियाँ सच में राजकुमारी ही लगती हैं। इनके लिए राजकुमार खोजने होंगे।’
‘अरे, देखना, हमारी राजकुमारियों को लेने खुद राजकुमार दौड़े आएँगे।’
सबकुछ कितना अच्छा था, पर अब तो वह सब सपना ही लगता है।
पापा के प्रमोशन के साथ ऑफिस की पार्टियाँ बढ़ गई थीं। कभी.कभी पापा बार भी जाने लगे थे। मम्मी देर रात तक उनके इन्तजार में जागती रहतीं। इसके बाद ही मम्मी बेहद उदास रहने लगी थीं। माँ को रोते देख, नेहल माँ से चिपट जाती-
‘मम्मी, तुम रो क्यों रही हो?’
‘कुछ नहीं, आँखों में कुछ चला गया था, बेटी।’
‘तुम्हारी आँखों में हमेशा कुछ क्यों चला जाता है, मम्मी?’
‘अब नहीं जाएगा। आदत पड़ जाएगी।’
माँ के इस जवाब से सन्तुष्ट नेहल, उनके आँसू पोंछ देती।
अब पापा के पास घर के लिए जैसे समय ही नहीं था। नेहल और स्नेहा घर के बाहर जाने को तरस जातीं। अक्सर रात में मम्मी.पापा की बातें नेहल को जगा देतीं। ऐसी ही एक रात नेहल ने मम्मी को कहते सुना था-
‘मेरा नहीं तो इन बच्चियों का तो ख्याल कीजिए। नेहल बड़ी हो रही है। अगर उसे सच्चाई का पता लगा तो सोचिए, उसपर क्या बीतेगी?’
‘वह आसानी से सच्चाई स्वीकार कर लेगी। यह अमेरिका है। यहाँ तलाक बहुत आम बात है। उसके कई साथियों की सौतेली माँ या पिता होंगे।’
‘पर हम तो अमरीकी नहीं हैं। जरा सोचो, तुम इतने ऊँचे ओहदे पर हो, एक बार में काम करनेवाली औरत के साथ संबंध जोड़ना क्या ठीक है?’
‘जूलियन बहुत अच्छी है। हालात की वजह से उसे बार में काम करना पड़ रहा है। उसका पति उसे पैसा कमाने के लिए मजबूर करता है। उसने वादा किया है कि शादी के बाद वह काम छोड़ देगी।
‘उसका वादा आपको याद है, पर अपना वादा आप भूल गए? हमेशा मेरा साथ निभाने का वादा किया था। इन्हीं बच्चियों पर आप जान देते थे।’ मम्मी का गला रुँध गया।
‘तुम जो चाहो, करने को आजाद हो। मैं अब और साथ नहीं निभा सकता,’ रुखाई से पापा ने कहा।
‘तुम्हारे विश्वास पर ही मैं अपने पापा से रिश्ता तोड़कर तुम्हारे साथ आई थी। माँ तो पहले ही नहीं थीं। अब पापा भी साथ नहीं देंगे,’ बात पूरी करती.करती मम्मी रो पड़ी थीं।
‘अपना रोना.धोना छोड़ो। तुम्हें हर महीने तुम्हारे खर्च के पैसे मिलते रहेंगे। जूलियन के बिना मैं नहीं जी सकता। उसे अपने पति से तलाक लेने में कुछ समय लगेगा। इस बीच तुम्हारे लिए अपार्टमेन्ट का इन्तजाम कर दूँगा।’
‘नहीं.नहीं, आप ऐसा मत कहिए। इन छोटी बच्चियों के साथ अकेली इस अनजाने देश में जिन्दगी कैसे काटूँगी।’
‘वक्त पड़ने पर इन्सान और उसकी आदतें बदल जाती हैं। तुम भी हालात से एडजस्ट कर लोगी। मुझे और परेशान मत करो। अगर ज्यादा परेशान किया तो कल से होटल में शिफ्ट कर जाऊँगा। मुझे नीन्द आ रही है।’
उसके बाद मम्मी की सिसकियाँ धीमी पड़ गई थीं।
सुबह मम्मी का उदास चेहरा देख, नेहल जैसे सब जान गई कि मम्मी की आँखों में अक्सर कुछ क्यों पड़ जाता है। शंका मिटाने के लिए पूछ बैठी-
‘मम्मी, जूलियन कौन है?’
‘तुझे जूलियन का नाम किसने बताया, नेहल?’
‘रात को सुना था...’
‘देख नेहल, अगर कभी तेरी मम्मी न रहे तो स्नेहा के साथ अपने नाना के पास भारत चली जाना।’
‘तुम क्यों नहीं रहोगी, मम्मी? हमने तो नाना को कभी देखा भी नहीं है। हम तुम्हारे साथ रहेंगे,’ नेहल डर गई थी।
‘डर मत, बेटी। मैं कहीं नहीं जाऊँगी।’ डरी हुई नेहल को माँ ने सीने से चिपटा लिया।
मम्मी अब अक्सर बीमार रहने लगीं। असल में उनके अन्दर जीने की इच्छा ही खत्म हो गई थी। डाक्टर को कहते सुना था कि बीमारी से लड़ने के लिए विल पॉवर का मजबूत होना जरूरी है। आपकी पत्नी कोऑपरेट नहीं करतीं। उन्होंने तो पहले ही हार मान ली है।
बीमारी की वजह से मम्मी और बच्चियों की मदद के लिए जरीना को बुलाया गया था। विधवा जरीना पाकिस्तान से अपने इकलौते बेटे और बहू के पास हमेशा के लिए रहने आई थीं। बहू को सास का हमेशा के लिए आना कतई बरदाश्त नहीं था। बहू की हर बेजा बात जरीना सह जातीं। बहू के साथ बेटा भी पराया हो चुका था, यह बात जल्दी ही उनकी समझ में आ गई थी। एक दिन बहू ने साफ.साफ कहा,
‘इस देश में कोई मुफ्त की रोटियाँ नहीं तोड़ता। आप दिन.भर बेकार बैठी रहती हैं। किसी के घर खाना पकाने का काम शुरू कर दें तो दिल लग जाएगा। हाथ में चार पैसे भी आ जाएँगे।’
‘क्या मैं मिसरानी का काम करूँ? तुम्हारी इज्जत को बट्टा नहीं लग जाएगा?’
‘ अमरीका में किसी भी काम को नीची नजर से नहीं देखा जाता। आपके बेटे के बॉस की बीवी बीमार हैं। घर में दो छोटी लड़कियाँ हैं। आप उनकी मदद कर देंगी तो उनपर हमारा एहसान होगा। शायद आपके बेटे को जल्दी प्रमोशन भी मिल जाए।’
जरीना बहू को फटी.फटी आँखों से देखती रह गईं। इंजीनियर बेटे की माँ दूसरे के घर खाना पकाने का काम करेगी! माँ के आँसुओं को नकार, एक सुबह बेटा उन्हें नेहल के घर पहुँचा आया।
संकुचित जरीना को मम्मी ने अपने प्यार और आदत से ऐसा अपनाया कि जरीना को मम्मी के रूप में एक बेहद प्यार करनेवाली बेटी मिल गई। मम्मी उन्हें ‘अम्माँ’ पुकारतीं और बेटियों से उनका परिचय ‘नानी’ कहकर कराया था। जरीना नानी का प्यार पाकर नेहल और स्नेहा खुश रहने लगीं। अच्छी.अच्छी कहानियाँ सुनाकर नानी उनका मन बहलातीं। उनकी हर फरमाइश पूरी करतीं, मम्मी कहतीं,
‘आप इन्हें बिगाड़ रही हैं, अम्माँ। आनेवाले समय में जाने इन्हें क्या दिन देखने पड़ें।’
‘ऐसा क्यों कहती हो, बेटी, यह तो मेरी खुशकिस्मती है, जो इनकी फरमाइशें पूरी कर पाती हूँ। अपने पोते के लिए तो मैं...’ गहरी साँस लेती नानी आँचल से आँसू पोंछ लेतीं।
शायद मम्मी की बीमारी की वजह से पापा ने जूलियन का नाम लेना बन्द कर दिया था। नेहल सोचती, अगर मम्मी बीमार ही रहें तो शायद पापा जूलियन को भूल जाएँ। मम्मी का उदास चेहरा देख, उसे अपने सोच पर गुस्सा आता। काश, मम्मी अच्छी हो जातीं!
अचानक एक रात पापा ने उसे यह कहते हुए उठाया था,
‘तुम्हारी मम्मी को अस्पताल ले जाना है। स्नेहा को भी उठा दो।’
‘क्या हुआ मम्मी को?’ अचानक नीन्द से जगाई गई नेहल भौंचक थी।
एम्बुलेन्स में मम्मी को अस्पताल ले जाया गया था। मम्मी की आँखें बन्द थीं। चेहरे पर तकलीफ साफ झलक रही थी। नेहल डर से काँप रही थी। अगर मम्मी को कुछ हो गया तो कहाँ जाएगी नेहल! अस्पताल पहुँचने के पहले ही मम्मी उसे अकेला छोड़कर हमेशा के लिए जा चुकी थीं। डॉक्टर ने बताया था कि मम्मी को मैसिव हार्ट अटैक पड़ा था।
नेहल रोते.रोते बेहाल थी। नेहल से चिपकी स्नेहा, बहन के आँसू पोंछने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसी रात नेहल ने जूलियन नाम की औरत को देखा था। दोनों बेटियों को जूलियन के हवाले कर पापा अस्पताल की औपचारिकताएँ पूरी कर रहे थे। जूलियन ने दोनों बच्चियों को समझाया था-
‘जो इस दुनिया में आता है, उसे एक दिन जाना ही होता है। मम्मी के लिए रोने से उन्हें तकलीफ होगी। रोना बन्द करो और सो जाओ।’
मम्मी को तकलीफ न पहुँचे, इसलिए नेहल ने जबरन आँसू पोंछ डाले, पर मन में आँधी चल रही थी, अब उनका क्या होगा? मम्मी ने शायद इसी दिन के लिए कहा था कि नाना के पास चली जाना। कहाँ हैं उसके नाना?
जरीना नानी के आँसू नहीं रुक रहे थे। उनकी तो बेटी ही चली गई। दोनों बच्चियों को सीने से चिपका तसल्ली दी थी,
‘रोते नहीं, तेरी नानी अभी जिन्दा है।’
पापा की मदद के लिए जूलियन उनकी नई मॉम बनकर आ गई। पापा ने उन्हें समझाया था,
‘यह तुम्हारी जूलियन मॉम हैं। तुम्हें इनसे बहुत कुछ सीखना है। इनकी गाइडेन्स में तुम होशियार और वेल मैनर्ड लड़कियाँ बन सकोगी।’
आते ही जूलियन मॉम ने घर की फिजुलखर्ची पर पाबन्दी लगा दी। जरीना नानी की अब कोई जरूरत नहीं रह गई थी। रोती बच्चियों को चिपटाकर नानी खूब रोई थीं। पापा से विनती की थी,
‘हमें कुछ नहीं चाहिए। बस, इन बच्चियों से अलग मत कीजिए।’
‘अब ये बच्चियाँ नहीं हैं। कुछ ही महीनों में नेहल दस बरस की हो जाएगी। अमेरिका में इस उम्र की लड़कियाँ इन्डिपेन्डेन्ट हो जाती हैं। आप परेशान न हों। उनकी देख.रेख के लिए मैं हूँ,’ रुखाई से अपनी बात कहकर, जूलियन मॉम ने नानी के लिए दरवाजे बन्द कर दिए
नेहल ने अपने साथियों से ‘दूसरी माँ’ के बारे में सुना था। वह खराब नहीं होती, पर जूलियन मॉम उनसे अलग थी। नेहल की ट्रेनिंग कड़ाई से शुरू कर दी गई। स्नेहा की पूरी जिम्मेदारी अब नेहल पर थी। उसे बस स्टैन्ड पहुँचाने लाने के अलावा अपने दोनों के लिए लन्च बनाना और पैक करना नेहल का दायित्व था। अपनी भारी बेड शीट्स बदलना, कपड़े वाशर में धोना और सुखाना भी नेहल का ही काम था। स्नेहा से मदद सम्भव नहीं थी। स्कूल में पहले नम्बर पर आनेवाली नेहल को इतने काम निबटाने के बाद होमवर्क के लिए टाइम नहीं बचता था।
जूलियन मॉम कहती,
‘‘अमेरिका में रहना है तो यहाँ के तौर.तरीके अपनाने होंगे। तुम्हारी माँ ने तुम्हें बच्ची बनाकर रखा है। चलो, आज से डिशेज लगाओ।’’
एक दिन नेहल ने पापा से डरते.डरते कहा,
‘‘पापा, हम नाना के पास जाएँगे।’’
‘‘यह नाना कहाँ से आ गए?’’ पापा दहाड़े।
‘‘मम्मी ने कहा था, हम उनके पास जा सकते हैं।’’
‘‘अच्छा, जाते.जाते यह सीख दे गई है। तुम्हारे नाना मर चुके हैं। खबरदार जो फिर कभी नाना का नाम भी लिया। यहाँ तुम्हें क्या तकलीफ है। अच्छा खाती हो, अच्छे स्कूल में पढ़ती हो। जूलियन तुम्हारी जितनी केयर करती है, तुम्हारी माँ भी नहीं कर पाई।’’
‘‘नहीं, हमारी मम्मी बहुत अच्छी थीं,’‘अपनी बात कहकर नेहल पापा के सामने से हट गई। उससे डेढ़ साल बड़ा जॉन स्कूल में नेहल का साथी था। पहले की खिली.खिली नेहल का मुरझाया चेहरा जॉन से छिपा नहीं रहा।
बहुत प्यार से बार.बार पूछने पर नेहल फूट पड़ी थी। जॉन को नेहल से बहुत हमदर्दी थी।
‘‘तुम 911 को फोन क्यों नहीं करतीं,’’ जॉन ने कहा था,
‘‘घर के इतने सारे काम करने के लिए तुम्हें पैसे नहीं दिए जाते। तुम्हें मेन्टल टॉर्चर किया जाता है। ऐसे माँ.बाप के साथ रहने से तो स्टेट कस्टडी में रहना ज्यादा अच्छा होगा।’’
‘‘नहीं, जॉन। हम ऐसा नहीं कर सकते। स्नेहा अभी बहुत छोटी है। उसे छोड़कर हम कहीं नहीं जा सकते,’’ नेहल ने अपनी विवशता स्पष्ट कर दी।
उस दिन डिशेज लगाते वक्त नेहल के हाथ से एक कीमती काँच का डोंगा टूट गया। डोंगा टूटने की आवाज सुन कहीं बाहर से लौटी जूलियन मॉम चीख पड़ी,
‘‘यू इडियट, क्या पैसा मुफ्त का आता है? इतना कीमती डोंगा तोड़ डाला। इसका हर्जाना तुम्हें भरना होगा।’’
हर्जाना भरने की बात ने नेहल को डरा दिया। उसके पास उतने पैसे कहाँ से आएँगे? पापा से बात करना तो बेकार ही था। बच्चों की ओर से मुँह मोड़कर, वह जूलियन के साथ मौज.मस्ती मना रहे थे। घर में नई मॉम और पराए हो गए पापा के असहनीय व्यवहार के बावजूद, नेहल घर छोड़ने का साहस नहीं कर पाती।
पिछले कुछ माह से हर वीकेन्ड पर पार्टी के शोरगुल से घर में देर रात तक चहल.पहल रहती। शराब के दौर चलते। जूलियन के ढेर सारे फ्रेन्ड्स आते। सब मिलकर डान्स करते। नेहल और स्नेहा अपने कमरे में बैठी आवाजें सुनतीं। उन्हें बाहर न आने की सख्त हिदायत दी जाती। उस तेज म्यूजिक के शोर में नीन्द आना भी मुश्किल होता।
एक रात जूलियन का फ्रेन्ड एड्रियन शराब में धुत्त उनके कमरे में आ गया। पलंग पर लेटी नेहल को एड्रियन ने अपने से सटाकर उसपर चुम्बनों की बौछार कर दी। डर से जड़ नेहल, किसी तरह अपने को छुड़ाकर कमरे से बाहर भाग आई। थरथर काँपती नेहल पापा के सामने जा खड़ी हुई।
‘‘पापा...’’ आगे कुछ न कह नेहल रो पड़ी।
‘‘क्या हुआ? तुम यहाँ क्यों आई?’’ पापा नाराज थे।
‘‘शायद कोई डरावना सपना देखा होगा,’’ पीछे से आए एड्रियन ने पुचकारा।
‘‘सिली गर्ल, इतनी बड़ी हो गई, अब भी डरती है। नाउ गो टु योर रूम,’’ जूलियन ने डाँट लगाई।
झिड़की सुनकर नेहल कमरे में चली गई। पलंग पर सो रही स्नेहा को कसकर चिपटा लिया। अब वही तो उसकी एकमात्र अवलम्ब थी।
दूसरी सुबह ऑफिस जाने को तैयार हो रहे पापा से डरते.डरते नेहल ने कहा,
‘पापा, वह एड्रियन अंकल रात में हमारे कमरे में आए थे। हमें किस कर रहे थे।’
‘‘क्या? जूलियन, एक बार अच्छी तरह से समझ लो। एड्रियन की यह गन्दी हरकत मुझे बरदाश्त नहीं। आगे से उसे घर में आने की इजाजत नहीं होगी।’’
‘‘शटअप, इस घर पर मेरा भी उतना ही हक है, जितना तुम्हारा है। इस लड़की का दिमाग गन्दा है। छोटी बच्ची समझकर अगर किस कर लिया तो कौन.सा तूफान आ गया। एड्रियन जरूर आएगा। वह मेरा बेस्ट फ्रेन्ड है।’’
किसी तरह मामला तूल पकड़ते.पकड़ते रह गया। पापा ऑफिस चले गए और जूलियन अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गई।
‘‘नेहल अपने स्कूल पहुँची। आज वह उदास थी। उसे उदास.गुमसुम देख जॉन ने पूछा,
‘नेहल, क्या बात है, जो आज तुम इतनी उदास हो?’’
नेहल ने उसे बीती रात की घटना कह सुनाई।
पूरी बात सुनकर जॉन ने नेहल को समझाया।
‘‘अब तुम उस घर में सेफ नहीं हो। जल्दी.से.जल्दी घर छोड़ने में ही तुम्हारी भलाई है, वरना पछताओगी।’’
‘‘हम क्या करें, जॉन, कहाँ जाएँ?’’
‘‘मेरे एक अंकल हैं। वह तुम्हारे जैसे बेसहारा बच्चों की हेल्प करते हैं। अगर तुम चाहो तो स्नेहा को भी अपने साथ ले जा सकती हो।’’
‘‘क्या वह हमें प्यार से रखेंगे, जॉन? तुम वहाँ हमसे मिलने तो आते रहोगे?’’
‘‘जरूर, नेहल, मैं अंकल से बात करके सब तय कर लूँगा। सब तय हो जाने पर तुम्हें उनके पास ले चलूँगा। बस, कुछ दिन इन्तजार करना होगा। अंकल तीन सप्ताह के लिए यूरोप गए हुए हैं।’’
जॉन की बात सुनकर नेहल ने जैसे आश्वस्ति की साँस ली। वैसे भी पिछले कुछ दिनों से घर में तनाव चल रहा था। जूलियन पिछले दो वीकेन्ड्स पर एड्रियन के साथ बाहर रही थीं। पता नहीं, उन्होंने पापा से क्या कहा, पर वे उनकी एबसेन्स में खूब शराब पीते रहे। नेहल और स्नेहा सहमी.सहमी रहीं। पापा से तो अब बातचीत शायद ही कभी हो पाती। उन दोनों की पूरी जिम्मेदारी जूलियन पर छोड़, पापा निश्चित थे। नेहल सोचती, जब मम्मी थीं, तब पापा को घर में शराब पीते उसने कभी नहीं देखा था। पता नहीं, जूलियन मॉम को कौन.से काम आ जाते हैं, वह पापा को छोड़कर शहर से बाहर चली जाती हैं।
तभी एक दिन पापा और जूलियन की तेज आवाजों से नेहल की नीन्द खुल गई। पापा चिल्ला रहे थे,
‘जानता हूँ, कौन.से जरूरी काम से एड्रियन के साथ तुम गई थीं। उसके साथ रातें बितानी थीं तो मुझसे शादी क्यों की? मेरे साथ यह सब नहीं चलेगा, समझी।’
‘‘बकवास बन्द करो। मुझे अपनी जिन्दगी अपनी तरह से जीने की पूरी आजादी है। अच्छी तरह से सुन लो, मैं तुम्हारी इन्डियन वाइफ की तरह गुलामी नहीं सहूँगी,’’ जूलियन मॉम चीखी।
‘‘खबरदार, जो मेरी पत्नी का नाम लिया। तुम उसकी क्या बराबरी करोगी। तुम जैसी बाजारू औरत तो किसी की भी पत्नी बनने लायक नहीं है। आज एड्रियन, कल जेम्स...’’
‘‘तुमने मुझे बाजारू औरत कहा। मैं अभी तुम्हें छोड़कर जा रही हूँ। रहो अपनी इन दो बच्चियों के साथ। आई कान्ट स्टैन्ड देम।’’
तड़ाक से पापा के चाँटे की आवाज सुनाई पड़ी थी। साथ ही जूलियन ने फोन डायल किया था। नेहल जान गई, 911 कॉल करके जूलियन मॉ म कॉप को बुला रही थीं।
‘‘पुलिस स्टेशन?’’
‘‘यस,’’ दूसरी ओर से जवाब मिला।
‘‘प्लीज कम टु 1560, मेपल स्ट्रीट इमीडिएटली।’’
‘‘यह क्या कर रही हो? आई एम सॉरी, जूलियन। प्लीज,’’ पापा की डरी हुई आवाज सुनाई दी थी।
‘‘मुझपर हाथ उठाने की तुमने हिम्मत कैसे की? अब सड़ना जेल में।’’
डोर बेल बजते ही नेहल पलंग से उठ गई। अगर पापा जेल चले गए तो? कॉप (पुलिस मैन) के भारी बूटों की आवाज सुनते ही नेहल डर से काँपने लगी।
जूलियन ने कॉप से पापा की शिकायत कर दी। पत्नी पर हाथ उठाना भारी अपराध था। पापा गिड़गिड़ा रहे थे। पुलिस वाले उनकी बात सुनकर नेहल के कमरे में आए थे।
‘‘सॉरी, तुम्हारे पापा को पुलिस कस्टडी में ले जाना है।’’
‘‘नहीं...नहीं, पापा को छोड़ दीजिए, प्लीज। हम किसके साथ रहेंगे?’’ नेहल रो पड़ी।
‘‘डरो मत। तुम्हारे पास तुम्हारी मॉम तो हैं।’’
‘‘यह हमारी मॉम नहीं हैं, सर। यह तो हमें टॉर्चर करती हैं। हमें प्यार नहीं करतीं। हमें ‘बिच’ कहती हैं,’’ हिम्मत करके नेहल ने अपनी बात कह दी।
‘‘शटअप, क्या बक रही है। अपने पापा को सेव करने के लिए झूठ बोल रही है,’’ जूलियन ने आँखें तरेरीं।
‘‘नहीं, हम सच कह रहे हैं। यह हमारे साथ बुरा बरताव करती हैं। हमें घर का बहुत काम करना पड़ता है। हम होमवर्क भी नहीं कर पाते,’’ बड़े.बड़े आँसू नेहल की आँखों से गिर रहे थे। जॉन की सीख ने हिम्मत दे डाली।
‘‘प्लीज, सर, मेरी बच्चियों पर दया कीजिए। अब कभी ऐसी गलती नहीं होगी,’’ पापा दयनीय हो आए थे।
‘‘अगर आप पापा को ले जाएँ तो हमें जॉन के अंकल के पास पहुँचा दीजिए। वह हमें प्यार से रखेंगे।’’
‘‘यह जॉन कौन है?’’ कौप ने गम्भीरता से पूछा।
‘‘होगा कोई इसका ब्वॉय फ्रेन्ड,’’ कड़वाहट से जूलियन ने कहा।
‘‘जॉन मेरे साथ पढ़ता है। उसके साथ मैं अपनी तकलीफें शेयर करती हूँ। उसने ही अंकल के बारे में मुझे बताया है।’’
‘‘हूँ। जाॅन के अंकल के बारे में जानकारी लेनी होगी,’’ कौप गम्भीर थे।
कुछ देर सोचने के बाद कॉप ने जूलियन से कहा,
’‘मैडम, इस लड़की ने आपकी भी शिकायत की है। इसकी शिकायत पर आप भी मुश्किल में आ जाएँगी। आज आप दोनों को वार्निंग देकर छोड़ रहा हूँ, पर अगर दूसरी बार कुछ ऐसा हुआ तो आप दोनों में से एक को जेल जाना होगा।...हाँ, नेहल, हमें अपने फ्रेन्ड जॉन से मिलाओगी?’’
‘‘यस, सर, थैंक्यू वेरी मच,’’ नेहल की आँखों में खुशी जगमगा उठी।
सुबह होते ही जूलियन अपना सामान पैक करके हमेशा के लिए घर छोड़ गई। बहुत दिनों बाद पापा ने प्यार से कहा, ‘आई एम सॉरी, मेरी गलती की वजह से तुम दोनों को बहुत सफर करना पड़ा। अब मैं अपनी बच्चियों की पूरी केयर करूँगा।’’
‘‘पापा...! कहती नेहल और स्नेहा अपने पिता से चिपट गईं।’’
कुछ दिनों बाद इन्स्पेक्टर आए थे। पापा से बोले,
‘‘मिस्टर नाथ, आपका समय अच्छा था सो आपकी बेटी बच गई।’’
‘‘क्यों, क्या हुआ, इन्स्पेक्टर?’’ पापा घबरा गए।
‘‘जॉन का मुँहबोला अंकल एक क्रिमिनल है। वह लड़कियों को अवैध कामों में लगाता है। नेहल की वजह से हम एक क्रिमिनल को पकड़ सके। नेहल ने जब जॉन के अंकल के पास जाने की बात कही, तभी मुझे शक हो गया था। अगर आपकी बेटियाँ उसके हाथ आ जातीं तो न जाने क्या हाल होता। अब केयरफुल रहिएगा।’
‘‘थैंक्स, इन्स्पेक्टर। मेरी भूल की वजह से मेरी बच्चियाँ न जाने किस नरक में पहुँच जातीं। मैं जूलियन के झूठ में अन्धा हो गया था।’’
आज स्कूल से लौटी नेहल को पापा ने रिसीव किया था।
‘‘पापा, आप घर में हैं?’’
‘‘हाँ, बेटी, आज मैंने छुट्टी ली है। तुम्हें सरप्राइज जो देना है।’’
‘‘सच, पापा। आप हमें सरप्राइज देंगे?’’ नेहल को याद आया, जब मम्मी थीं तो पापा और मम्मी उन्हें अक्सर सरप्राइज गिफ्ट्स दिया करते थे। आज बहुत दिनों बाद पापा उसे सरप्राइज देनेवाले थे।
घर में प्रवेश करते ही सामने सोफे पर बैठी जरीना नानी पर नजर पड़ी। स्नेहा उनकी गोद में बैठी कुछ खा रही थी।
‘‘जरीना, नानी...!’’ कहती नेहल उनसे लिपट गई। आँसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जरीना नानी भी रो रही थीं।
‘‘जरीना नानी, रोइए नहीं,’’ नन्ही स्नेहा बोली।
‘‘ये तो खुशी के आँसू हैं मेरी बच्ची।’’
‘‘अब आप हमें छोड़कर तो नहीं जाएँगी?’’
‘‘नहीं, नेहल। अब तुम्हारी नानी तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाएँगी। जरीना आन्टी, आज से इन दोनों बच्चियों की पूरी जिम्मेदारी आपकी है।’’ पूरे अधिकार से पापा ने कहा।
‘‘यह तो मेरी खुशकिस्मती होगी,’’ दुपट्टे के छोर से अपने आँसू पोंछती नानी बोलीं, ‘‘मुझे मेरी बेटियाँ वापस मिल गईं।’’
महीनों बाद नेहल बालकनी में खड़ी देख रही थी, पेड़ों पर हरी.हरी पत्तियाँ झूम रही थीं। अब फ़ॉल सीजन खत्म हो चुका था। ख्यालों से वापस निकली तो दौड़कर नीचे गई और जरीना नानी से चिपटकर हँस पड़ी।
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Kya story hai.. wah wah. Aap NRI logo k jeevan ka chitran bahut hi achche se kar leti hain.
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