प्यार की सज़ा
कई बार डोर- बेल की आवाज़ पर अलसाई रितु ने दरवाज़ा खोला था।
चेहरे पर नाराज़गी स्पष्ट थी। बाहर हाथ में ताज़े खिले लाल गुलाब लिए एक लंबा सौम्य युवक खड़ा देख, किसी तरह संयत हो
प्रश्न की तरह पूछा-
“यस”?
“हलो, मै अमन,
इंडिया से आया हूं।“
“वो तो साफ़ दिख रहा
है। नाम अमन है, पर मेरी तो शांति भंग कर दी। अमरीका में बिना
इन्फ़ॉर्म किए कोई किसी के घर नहीं जाता। वीकेंड में सुबह-सुबह जगा कर नींद नहीं
तोड़ता।“ नाराज़गी छिपाने की ज़रूरत रितु ने नहीं समझी।
“सुबह-सुबह, मिज़? इस
वक्त साढे दस बजे हैं। वैसे आपकी नींद तोड़ कर जो अक्षम्य अपराध कर डाला, उसके लिए
क्या माफ़ी के साथ एक कप गर्म कॉफ़ी मिल सकेगी? परिहास अमन के चेहरे पर स्पष्ट था।“
“वाह! जान ना पहचान
और जनाब की हिम्मत तो देखो, गर्म कॉफ़ी चाहिए। लगता है ख़ासे पहुंचे हुए शातिर इंसान हो। सोचा होगा अकेली लड़की
उस पर हिंदुस्तानी, उसे डराना आसान होगा, पर जनाब मुझे कमज़ोर समझने की ग़लती मत करना।“
“असल में अमरीका के
लिए बिल्कुल नया हूं। सोचा दो भारतीयों का कॉफ़ी के साथ आपस में परिचय भी हो जाएगा।“ अमन के चेहरेपर शरारती
मुस्कान थी।
‘’इसका मतलब इंडिया
से फ़्लाइट लेकर सीधे मेरे दरवाज़े पर कॉफ़ी के साथ परिचय करने आ पहुंचे। दिमाग तो ठीक है? अब सीधे-सीधे अपना
रास्ता नापो वर्ना सिक्योरिटी को बुलाते देर नहीं लगेगी।“ज़ोरदार आवाज़ में रितु ने
धमकाया।
अमन ने निश्चिंत भाव
से एक नोट्बुक निकाल कर कुछ देख कर कहा
“पता तो ठीक है, पर
लगता है इसमें रहने वाला इंसान कोई और है। जो बताया गया था उसमें और इस घर में
रहनेवाली के स्वभाव में ज़रा भी तो समानता नही है। कहां वह, मृदुभाषिनी, अतिथि को
देवता समझने वाली और कहां यहां एक कप कॉफ़ी के अनुरोध पर सिक्योरिटी बुलाने की धमकी
दी जा रही है।“अमन मुस्करा रहा था।
“ओह, अब समझी ज़रूर मम्मी
ने मेरी शादी के लिए उम्मीदवार के रूप में तुम्हें भेजा है। सच-सच बता दूं, यहां
यह स्थान पहले ही भर चुका है। सॉरी तुम्हारे लिए कोई चांस नहीं है।“ बात खत्म करती
रितु ने दरवाज़ा बन्द कर लिया।
“अजी मोहतरमा, ज़रा
मेरी बात तो सुनिए, आपको ग़लतफ़हमी हो रही है। मुझे आपको कुछ बताना है, समझाना है।
प्लीज़ दरवाज़ा खोल दीजिए।“अमन ने दरवाज़ा खुलवाना चाहा।
“ना मुझे कुछ सुनना
है, ना समझना है । हां तुम इतना समझ लो अगर थोड़ी देर और रुके तो तुम्हारी खैर
नहीं। 911 को फ़ोन करते ही सीधे जेल जाओगे।“
निराश अमन ने वापस
लौटने में ही भलाई समझी। इस तुनकमिजाज़ लड़की की उसकी भाभी ने कितनी तारीफ़ों के पुल
बांध दिए थे। जिस दिन अमन को अमरीका की सॉफ़्ट्वेयर कम्पनी में जॉब की खबर मिली उसकी
खुशी का ठिकाना न था। वैसे भी यह तो प्रत्याशित ही था। आई आई टी से कम्प्यूटर
इंजीनियरिंग में उसे प्रथम स्थान मिला था। भारत में भी अच्छे जॉब्स की कमी नहीं
थी, पर अमरीका में जॉब लेना उसका स्वप्न था। सात समुन्दर पार जाने की सुन कर माँ
चिंतित हो उठीं। सुषमा भाभी ने माँ की चिंता दूर करने के लिए खुशी से बताया था-
“अरे अम्मा जी, न्यूयॉर्क
में तो मेरी कज़िन रितु रहती है। वह वहां एम बी ए का कोर्स कर रही है। रितु बड़ी ही
मिलनसार, हंसमुख और सबकी केयर लेने वाली लड़की है। परदेश में शुरू-शुरू में जो
अकेलापन खलता है, उससे मिलने पर अमन को वह महसूस ही नही होगा।“
“वाह भाभी, आप तो
अपनी रितु का ऐसे बखान कर रही हैं मानो अमन भैया की शादी के लिए उसका प्रोपोज़ल दे
रही हैं।“छोटी बहिन नीतू ने चुटकी ली।
“अरे उसके लिए लड़कों
की क्या कमी है। उसके गुणों, मीठी बोली और सुंदरता पर कोई भी मर मिटे।‘ भाभी ने नाराज़गी से कहा।
“क्या अमरीका में
तुम्हारी बहिन अकेली रहती है? तुम्हारी मौसी तो बड़ी हिम्मत वाली हैं। जवान लड़की को
अकेले अमरीका भेज दिया।“अम्मा ने आश्चर्य प्रकट किया।
“अब ज़माना बदल गया
है, अम्मा जी। अब लड़कियां किसी से कम नहीं हैं। हमारी रितु पढाई में बहुत तेज़ है ।
अमरीका में उसे स्कॉलरशिप भी मिली है। “कुछ गर्व से भाभी ने बताया।
‘”ठीक है भाभी, तुम
मुझे अपनी रितु का ऐड्रेस ज़रूर दे देना। देखना है हमारी भाभी की कही बातों में
कितनी सच्चाई है। कुछ नहीं तो कभी-कभी रितु के यहां घर का बना खाना तो मिल ही
जाएगा।“अमन ने हंस कर कहा।
“हां-हां, रितु बहुत
अच्छा खाना बनाती है। वैसे भी मेहमाननवाज़ी में वह नम्बर वन है।‘’
रितु के यहां से
लौटता अमन अपने मन में सोच रहा था, यार अमन तू अपनी आदतों से बाज़ नहीं आने वाला। हंसमुख
स्वभाव वाला अमन अपनी मज़ाकिया हरकतों के लिए मशहूर था। सबको अचानक चौंका देने में उसे बड़ा मज़ा आता था।
आज भी उसी आदत की वजह से बिना अपना परिचय दिए रितु से कॉफ़ी की मांग कर बैठा। अमन के
चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। बाबा रे साढे दस बजे सोकर उठने वाली लड़की की भाभी ने
क्या तारीफ़ें की थीं। जो लड़का इससे शादी करेगा उसका तो भगवान ही मालिक है। हां
भाभी से वादा लेना होगा अपनी प्यारी रितु से अभी उसके बारे में कुछ ना कहें। परिचय
के बाद देखना है अमन की कैसी खातिर करती है। वैसे अब उसे भी अपने अपार्ट्मेंट में कुछ कुकिंग
का इंतज़ाम करना होगा। रोज़ होटल का खाना तो नहीं चलेगा।
कम्पनी की ओर से अमन
को वेल फ़र्निश्ड अपार्ट्मेंट दिया गया था। अभी उसका जेट्ळैग खत्म नहीं हुआ था। पास
की कॉफ़ी-शॉप से ब्रेकफ़ास्ट ले कर जैसे ही लौटा उसके साथ वाले अपार्ट्मेंट से बाहर
आ रही एक अमरीकी युवती ने मुस्करा कर अमन से कहा-
“इफ़ आई एम नोट रौंग
यू आर मिस्टर अमन कुमार?”
‘जी हां आपने ठीक
पहचाना। कल ही इंडिया से पहुंचा हूं। जेट्ळैग की वजह से दिन भर सोता रहा। आपका
परिचय?’
“मै, रोज़लीना, पर सब
मुझे रोज़ी ही पुकारते हैं। आप भी मुझे रोज़ी ही कहें तो खुशी होगी। वैसे आप की ही कम्पनी
में मैं फ़ाइनेन्स डिपार्ट्मेंट में हूं। अभी आप यहां के लिए नए हैं। अगर आप चाहें
तो मंडे को आप मेरे साथ ही ऑफ़िस चल सकते
हैं।“
“थैंक्स रोज़ी, पर
आपको तकलीफ़ होगी, मैं टैक्सी से चला जाऊंगा।“
“इसमें तकलीफ़ कैसी?
आपके साथ चलने से कार को कोई एक्स्ट्रा बोझ नहीं उठाना होगा। डोंट बी फ़ॉर्मल, अमन।
वैसे कार के बिना अमरीका में इंसान बिना पैरों वाला हो जाता है। आई होप इंडिया में
आप ड्राइविंग तो ज़रूर करते होंगे?”
“जी हां, मैं अपने
साथ इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस भी लाया हूं। जल्दी ही कार ले लूंगा।“
“दैट्स गुड्। आइए,
एक कप चाय में मेरा साथ
दीजिए।“
“थैंक्स रोज़ी, पर
अभी कॉफ़ी और ब्रेकफ़ास्ट लिया है। फिर कभी ज़रूर साथ दूंगा।‘’
अपने रूम में आकर
अमन ने सोचा, लोग बेकार ही विदेशियों से डरते हैं। यहां भी लोग स्नेह से मिलते
हैं। रोज़ी की बातों में कोई बनावट नहीं है। वैसे जल्दी ही उसे अपनी कार खरीदनी
होगी। घर से आते समय अम्मा ने उसके मना करने के बावजूद कुछ नमकीन और मीठा रख दिया
था। सौभाग्यवश कस्टम वाले पता नहीं लगा सके। साथ लाई मिठाई
और नमकीन खा कर अमन ने सोचा
कल उसे ग्रॉसरी करनी होगी, यहां अम्मा या भाभी खाना पकाने नहीं आएंगी। अब उसे खुद
ही कुछ बनाना सीखना होगा। सोच में डूबा अमन सो गया।
रोज़ी के साथ ऑफ़िस
पहुंचा अमन कम्पनी की भव्य इमारत देख विस्मित रह गया। अमरीकी बॉस ने हाथ मिला कर
स्वागत किया। अमन की क्वालीफ़िकेशन पर उसे पूरा भरोसा था।
“वेलकम, अमन। एक नई
प्रोजेक्ट के लिए हम तुम्हारा वेट कर रहे थे। आई एम श्योर तुम इस प्रोजेक्ट को
बहुत अच्छी तरह से हैंडल कर सकोगे।“
“मैं आपके विश्वास
को पूरा करने की पूरी कोशिश करूंगा। मुझमें यकीन रखने के लिए थैंक्स।“
दो-तीन दिन अमन अपना
काम समझने में व्यस्त रहा। एक-दो बार रितु की याद आई, पर उससे मिलने का मौका नहीं
निकाल सका। वैसे भी वह उसे किसी और तरीके से परेशान करने की योजना सोच
रहा था। भाभी से वादा ले लिया कि वह रितु को उसके
बारे में कुछ ना बताए, वह उसे सरप्राइज़ देना चाहता है।
“देख
अमन,
मेरी बहिन को परेशान मत करना। तेरी आदत जानती हूं, इसीलिए कह रही हूं।“
“मुझ पर भरोसा रखो भाभी, तुम्हारी
रितु को कतई परेशान नहीं करूंगा।“
चार दिन बाद रोज़ी ने
अमन
से कहा-
-
यहां की इंडो- अमेरिकन कम्यूनिटी नए साल की पूर्व संध्या कलचरल प्रोग्राम
आयोजित कर रही है। वहां जाने पर यहां के जीवन के बारे में बहुत कुछ पता लग सकेगा। अगर
तुम मेरे साथ चलोगे तो खुशी होगी। अमन ने
खुशी से जाने के लिए सहमति दे दी। इंडिया में भी नए साल का स्वागत वह अपने दोस्तों
के साथ जोर-शोर से करता था।
नए साल के स्वागत के
लिए एक बड़े से हॉल को खूब सजाया गया था। रंग-बिरंगे बल्बों की रोशनी से माहौल
रंगीन हो उठा था। हॉल में चारों ओर सोफ़े और कुर्सियां सजी हुई थीं। अमरीकी और भारतीय सभी के चेहरों पर उल्लास था। बैंड
की धुन ने समां बांध रखा था। कुछ जोड़े धुन पर नाच रहे थे। अमन और रोज़ी के प्रवेश
करते ही एक अमरीकी युवक ने अंग्रेज़ी में रोज़ी का स्वागत करते हुए कहा-
“हाय रोज़ी डार्लिंग,
इतनी देर से तुम्हारा वेट कर रहा था। इतनी देर क्यों की?’
“हेनरी, मीट माई
कलीग, अमन कुमार्। अभी इंडिया से आए हैं। अमन यह मेरा प्यारा दोस्त हेनरी। सॉरी,
हेनरी आज ट्रैफ़िक ज़्यादा था।“
“आओ, तुम्हारे बिना डांस-फ़्लोर सूनी है।“रोज़ी
पर प्यार भरी नज़र डाल हेनरी ने कहा।
“अमन, तुम भी कोई
पार्टनर ढूंढ लो, वर्ना बोर हो जाओगे। यहां संकोच की ज़रूरत नहीं है, किसी भी लड़की
को डांस के लिए इन्वाइट कर सकते हो। मेरे साथ यह हेनरी है वर्ना मैं ही तुम्हारी
पार्टनर बन जाती, क्यों, हेनरी?”रोज़ी ने मुस्करा कर परिहास किया।
“नो प्रॉबलेम, तुम
अभी भी सोच सकती हों।“ हेनरी ने हंस कर कहा।
“थैंक्स, रोज़ी, मुझे
डांस में कोई इंटरेस्ट नहीं है। तुम एन्ज्वॉय करो। मैं उस कोने में आराम से बैठ कर
इस शाम को एन्ज्वॉय करूंगा। लौटने के लिए मैं टैक्सी कॉल कर लूंगा। मेरा इंतज़ार मत करना।
“ओ के अमन, होप यू
विल् एन्ज्वॉय दिस ईवनिंग।“ हेनरी का हाथ पकड़े रोज़ी चली गई।
सॉफ़्ट ड्रिंक ले कर
अमन हॉल के कोने में पड़े सोफ़े पर बैठ कर संगीत की धुन के साथ थिरकते कदमों को देख
रहा था। अधिकांश लोग नए साल के स्वागत की खुशी में बेहिसाब ड्रिंक्स ले रहे थे, आज खुशी मनाने के
लिए जैसे खुली छूट थी। तभी हॉल में प्रविष्ट हो रही एक जोड़ी ने अमन को चौंका दिया।
एक अमरीकी युवक के साथ रितु प्रवेश कर रही थी। जिस तरह से युवक ने रितु की कमर में
हाथ डाल रखा था उससे दोनो की अंतरंगता स्पष्ट थी। अच्छा इसीलिए रितु ने कहा था
उसकी शादी के लिए किसी और उम्मीदवार के लिए जगह नहीं है। तो यह है हमारी भाभी की
सर्वगुण संपन्न कज़िन। काश भभी इनकी असलियत जान पातीं।
कुछ ही देर में रितु अपने साथी के साथ डांस- फ़्लोर पर थी। अमन यह देख कर हैरान था कि थोड़ी-थोड़ी देर
बाद उसका साथी एक साथ दो-तीन पेग पानी की तरह ले रहा था। ऐसा
लग रहा था कि रितु उसे रोकना चाहती थी, पर वह नहीं मान रहा था।
इस बीच कुछ बुज़ुर्ग अमन के पास आ बैठे। औपचारिक बातचीत के बाद सब कार्यक्रम का आनंद
लेने लगे। अचानक अमन ने देखा रितु का साथी पास पड़े सोफ़े पर निढाल सा गिर पड़ा। रितु
ने उसे उठाने का असफल प्रयास किया, पर वह नहीं उठा। अमन के पास
बने कॉफ़ी स्टॉल की ओर दौड़ती सी आरही रितु अचानक ज़ोरों से गिर पड़ी। शायद इसकी वजह उसका
बेहद ऊंची पेंसिल- हील का सैंडल था। एक हाथ से अपना पैर थामे दर्द से रितु कराह उठी।
अमन अपनी जगह से तेज़ी से उठ कर रितु के पास जा पहुंचा।
“क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं?”
“तुम यहां- -?” नज़र उठाते ही
रितु चीख सी पड़ी।
“पहचानने के लिए थैंक्स। आखिर सुबह साढे दस बजे नींद
तोड़ने वाले गुनहगार को क्या भुलाया जा सकता है?’ इस वक्त भी अमन
अपनी शरारत से बाज़ नहीं आया।
“मुझे चोट लगी है और तुम्हें मज़ाक सूझ रहा है। तुम
जैसे इंसान से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?”दर्द के
बावजूद तेज़ आवाज़ में रितु ने कहा।
“मदद की उम्मीद तो ज़रूर की जा सकती है। ज़रा अपना पांव
देखने दीजिए।”
“ख़बरदार जो मेरे पांव को टच भी किया।“
“मुझे आपका पांव छूने का कोई शौक नहीं है। यहां सब
अपने में मस्त हैं, आपको यूं बैठे देख यही समझा जाएगा आपने ज़्यादा
पी ली है। हां, आप तो किसी के साथ आई थीं, कहां हैं आपके साथी?
कहीं किसी और लड़की का साथ तो ज़्यादा पसंद नहीं आ गया?”अमन ने छेड़ा।
“अपनी बकवास बंद करो। अगर कुछ मदद नहीं कर सकते तो गो
टु हेल्।“
“वाह क्या बात है, लगता है आप
हरी मिर्च ज़्यादा खाती हैं। क्या तीखी ज़बान पाई है। चलिए देखता हूं क्या किया जा सकता
है। ज़रा खड़ी होने की कोशिश कीजिए।‘
खड़ी होने के प्रयास में दर्द से रितु चीख सी पड़ी और
फिर धम से बैठ गई।“
“ओह लगता है मोच आ गई है। अभी ठीक करता हूं।‘गले से मफ़लर उतारते अमन को देख कर विस्मित रितु ने पूछा-
“यह क्या कर रहे हो?”
“क्या करूं आप सलवार सूट में तो हैं नहीं,
वर्ना आपकी चुन्नी काम आती। अब मेरा मफ़लर ही सही। कभी- कभी लगता है, भारतीय परिधान केवल सुंदर ही नहीं बड़े काम
के होते हैं।“बात करते हुए अमन ने अपना मफ़लर रितु के पैर के चारो
ओर कस कर लपेटना शुरू कर दिया।
“इससे क्या होगा?” रितु समझ
नही पा रही थी।
“यहां क्रेप बैडेज तो मिलेगी नहीं, इसे बांधने से शायद थोड़ी तकलीफ़ के साथ चल तो पाएंगी। मेरा सहारा लेने में अगर
दर्द ज़्यादा ना बढ जाए तो सहारा लेने में ही समझदारी है। हां अब डांस तो कर नहीं पाएंगी,
क्या अपने साथी के होश में आने का इंतज़ार करेंगी?”
“नो वे। अब 911 को कॉल करना होगा। हे भगवान, मेरा मोबाइल तो जॉन की कार में छूट गया।“परेशान रितु ने कहा।
“कमाल कर रही हैं। मुझे तो बताया गया था, यहां
मोबाइल फ़ोन एक हथियार का काम देता
है, और आप अपना मोबाइल उस पियक्कड़ की कार में छोड़ आईं।“
“माइंड योर लैंग्वेज मिस्टर, अपने बेस्ट फ़्रेंड के
लिए ऐसी भाषा मैं नहीं सह सकती। आज खुशी में अगर दो-चर पेग ले लिए तो तो क्या
गुनाह होगया।“
“तो बुलाइए ना अपने प्यारे दोस्त को आपको उठा कर ले
जाए।“अमन का व्यंग्य स्पष्ट था।
“मैं चाहें जो करूं, तुम्हारी मदद नहीं चाहिए।“रितु
की बड़ी-बड़ी आँखों में आँसू आ गए।
“आई एम सॉरी। मेरा मतलब आपका दिल दुखाना नहीं
था।“अमन द्रवित हो उठा।
“ अगर मदद कर सकते हैं तो अपना फ़ोन दे दीजिए, किसी
को कॉल कर लूंगी।“
“आज सब अपने-अपने तरीके से मस्त होंगे क्यों उनकी
खुशी में बाधा डालेंगी।“
“फिर मैं क्या करूं?”दो भोले नयन अमन के चेहरे पर
निबद्ध थे।
“इस परेशानी में आप एक और बात भूल रही हैं कि आपका अपार्ट्मेंट
तीसरी मंज़िल पर है। अगर ऐतराज़ ना हो तो उतनी सीढियां चढने के लिए मैं आपका साथ दे सकता
हूं। यकीन कीजिए मैं एक सच्चा हिंदुस्तानी हूं। किसी को तकलीफ़ में मदद करने में मुझे
खुशी होगी“
“तुम क्या सचमुच मेरी मदद करना चाहते हो? उस स्थिति में यहां का प्रोग्राम मिस क्यों करना चाहते हो? आखिर यहां नया साल के स्वागत के लिए आए थे।“कुछ अविश्वास
से रितु ने अमन की ओर देखा।
“मुझे ऐसे कार्यक्रमों मे ज़्यादा रुचि नहीं है। वैसे
भी ना तो आपकी तरह से मुझे अच्छा डांस करना आता है, नाही यहां कोई मेरा पार्टनर है।
बताया था न कि मैं यहां अभी नया आया हूं।“
“ठीक है, आज एक भारतीय पर विश्वास करके देखती
हूं।“निरुपाय रितु ने हार मान ली।
“ओके। मैं टैक्सी कॉल करता हूं, तब तक एक कप कॉफ़ी
लेने से अच्छा महसूस करेंगी।“
बात खत्म करते हुए अमन ने टैक्सी बुलाने को फ़ोन कर
दिया।
रितु को सहारा देकर सोफ़े पर बैठाने के प्रयास में
दर्द से रितु कराह उठी। दो मग कॉफ़ी के साथ अमन रितु के पास वाली चेयर पर बैठ गया।
“थैंक्स। नए साल की शुरुआत ही ऐसी हुई है, पता नहीं
साल कैसा बीतेगा।“रितु उदास थी।
“नए साल में अपने सबसे अच्छे दोस्त की जगह एक अजनबी
का साथ अप्रिय तो ज़रूर होगा, पर मेरी माँ कहती हैं भगवान जो करता है अच्छे के लिए
ही करता है।“
“मुझे चोट लगी, मैं नए साल की पूर्व संध्या का आनंद
नहीं उठा पाई, भला इसमें कौन सी अच्छाई है?” रितु ने कुछ नाराज़गी से कहा।
“यह तो वक्त ही बताएगा मिज़, पर मैं इस बात पर ज़रूर
यकीन करता हूं। वैसे क्या आपका नाम जान सकता हूं?”
“रितु - - “
तभी टैक्सी ड्राइवर ने फ़ोन से पहुंचने की सूचना दी
थी। अमन का सहारा लेना रितु की मज़बूरी थी। टैक्सी वाले को रितु के घर का पता देते
अमन ने रितु से पूछा-
“आपके पास कोई पेन- किलर और मोच पर लगाने के लिए
कोई ओयाइंटमेंट तो होगा?””
“शायद नहीं, कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ी, पर सुबह किसी
से मंगा लूंगी।“
“ड्राइवर, रास्ते मे किसी स्टोर से मेडिसिन लेनी
हैं। आप कुछ देर को रुक सकते हैं?’अमन ने टैक्सी-ड्राइवर को निर्देश दिए।
टार्गेट स्टोर से पेन किलर और एक ट्यूब ले कर अमन आ
गया। किसी तरह से अमन के सहारे सीढियां चढ कर रितु ने पर्स से चाभी निकाल कर दरवाज़ा
खोला था। अंदर पहुंच चेयर पर बैठ रितु ने अमन से कहा-
“बहुत धन्यवाद, आपकी आज की शाम मेरी वजह से बर्बाद
हो गई। बहुत देर हो गई है अब आप जाइए और देर ना करें। मैं मैनेज कर लूंगी।“
“माफ़ करें, मैं ऐसी औपचारिकताओं में विश्वास नहीं
करता। आपका किचेन उधर है न?”
रितु के उत्तर के पहले अमन किचेन में जा चुका था।
थोड़ी देर में हल्दी वाले गर्म दूध का ग्लास लिए अमन ने आकर कहा-
“ये लीजिए गर्म हल्दी वाला दूध पीने से तकलीफ़ जल्दी
ठीक हो जाती है। मेरी माँ का यह अक्सीर नुस्खा है।‘ हल्की मुस्कान के साथ अमन ने
ग्लास रितु की ओर बढाया।
“नहीं- नहीं, मैं यह नहीं पियूंगी। आपकी इतनी
मेहरबानी काफ़ी है, अब प्लीज़ डक्टर बनने की कोशिश मत कीजिए।“रितु संशय की दृष्टि से
दूध को देख रही थी।
“ओह, शायद आपको डर है, इसमें बेहोशी की दवा मिलाई
है। वैसे ऐसी कोई चीज़ पॉकेट में रखना मेरा शौक नहीं है। आपने ठीक कहा इतनी
मेहरबानी काफ़ी है। हां, ये पेन-किलर खा लीजिएगा और इस ट्यूब का लेप कर लीजिएगा।
अगर सुबह तक आपके दोस्त को होश आ जाए और आपकी याद आ जाए तो उनके साथ हॉस्पिटल में
चेक-अप करा लीजिएग। ओके बाय्।“ निश्चय ही अमन रितु का संशय भांप गया था और अनायास
ही उसकी आवाज़ में कुछ तेज़ी आ गई थी। अमन के बाहर जाने के उपक्रम पर रितु बोली-
“थैंक्स फ़ॉर योर कसर्न, मेरा मतलब ऐसा कुछ नहीं था।
हां ये लीजिए, आपने टैक्सी के लिए पे किया मेडिसिन्स लाए। शायद इतना तो आपने खर्च
किया ही होगा।” पर्स से डालर्स निकाल कर रितु ने अमन की ओर बढाए थे।
“सुना था अमरीका के लोग भौतिकवादी होते हैं, आज एक
भारतीय लड़की को अमरीकी रंग में रंगा भी देख लिया। किसी की मदद को पैसों में तोलने
के लिए शुक्रिया। दुख है कि मुझ पर अभी अमरीकी रंग नहीं चढा है। अच्छा हो ये पैसे
किसी ज़रूरतमंद को दान में दे दीजिएगा।“बात खत्म करता अमन तेज़ी से दरवाज़ा खोल रितु
को विस्मित छोड़ गया।
वापस लौटते अमन के मन में आक्रोश था। क्या ज़रूरत थी
ऐसी लड़की की मदद करने की, कम से कम झूठ के लिए ही अपने पहले दिन वाले व्यवहार के
लिए सॉरी बोल देती। इतनी भी कर्टिसी नहीं थी कि मेरा परिचय ही पूछ लेती। पैसे दे
कर एहसान चुकाना चाह रही थी। अचानक अमन अपने सोच पर चौंक गया। उसे याद आया उसके
पापा कहते थे नेकी कर दरिया में डाल फिर आज वह क्यों अपनी मदद के बदले में कुछ चाह
रहा था। अपने सोच को झटक अमन ने आज की घटना भुलाने की कोशिश की। रात में चाह कर भी
रितु की आँसू भरी आँखें नहीं भुला पाया। कितनी निरीह लग रही थी, पर कलचरल
प्रोग्राम में उसे सोच-समझ कर किसी ठीक इंसान के साथ आना चाहिए था। ऊंह, क्यों वह
बेकार की बातों में उलझ रहा है। अंततः नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया।
अमन ने सोचा, बॉस को इम्प्रेस करने के लिए नए साल
में काम जल्दी पूरा करना होगा। अमन जी जान से काम में जुट गया। वीकेंड आते-आते अमन
पूरी तरह से थक चुका था। शनीवार को पूरी तरह आराम करने की सोच कर नींद टूटने पर भी
अमन आराम कर रहा था। फ़ोन की घंटी ने उसे चैतन्य कर दिया। दूसरी ओर से एक लड़की की
आवाज़ थी-
“कैन आई टाक टु मिस्टर ए कुमार?”
“ए कुमार नाम से आप किसके साथ बात करना चाहती हैं?
पूरा नाम बताइए, सिर्फ़ ए कुमार से तो बहुत से नाम हो सकते हैं।‘’ अमन का शरारती
स्वभाव फिर मज़ाक कर बैठा।
“मैं जानती हूं, मैं आपसे यानी अमन कुमार से बात कर
रही हूं। आपके अपार्ट्मेंट के नीचे खड़ी हूं। आप भारतीय हैं, इसलिए उम्मीद है, बिना
अप्वाइंट्मेंट लिए आने के लिए माइंड तो नहीं करेंगे। मैं ऊपर आ रही हूं।“
“ओह गॉड! ये कहां की आफ़त आगई।“ अमन ने जल्दी-जल्दी
जीन्स पर टी शर्ट पहन ली।
दरवाज़े पर प्याज़ी सलवार सूट में रितु खड़ी थी। आँखों
से काला चश्मा उतार, मुस्करा कर अमन को देखा। उसकी मोहक मुस्कान और आकर्षक रूप
किसी का भी मन जीत सकता था।
“हलो, अमन जी, पहचाना?”
“आपको भूलने की ज़ुर्रत कैसे कर सकता हूं, पर मेरा
ऐड्रेस कहां से मिला?’’
“वैसे ही जैसे आपको मेरा पता मिल गया था।‘’
“मैं समझा नहीं, आपने तो कभी मेरा नाम-पता जानने की
ज़रूरत नहीं समझी।“ अमन को वो रात याद हो आई जब वह रितु को घर पहुंचाने गया था।
“नाम-पता उसका जानने की ज़रूरत होती है जो अपरिचित
हो।‘
‘मैं तो आपके लिए अपरिचित ही था। यदि नहीं तो क्या
आपका वैसा अजनबी जैसा व्यवहार होता। काफ़ी की बात तो छोड़िए, मेरे फूल तक स्वीकार
नहीं किए थे। सिक्योरिटी बुलाने की धमकी भूल गईं।‘’
‘”आपने जैसे एंट्री की थी, उसके लिए वह धमकी ठीक ही
थी। हां वो गुलाब बहुत सुंदर थे।‘’
“यानी कि मेरे गुलाब मंज़ूर किए और मुझे बिना कॉफ़ी के
लौटा दिया। कमाल की मेहमाननवाज़ हैं। जानती हैं कितनी दूर से बड़ी उम्मीद के साथ गया
था।‘
“वाह जनाब, एक ओर भारतीयता का दंभ भरते हैं और
दूसरी ओर बिना अपना परिचय दिए किसी अनजान लड़की के घर कॉफ़ी की फ़र्माइश ले कर पहुंच
जाते हैं।“
“पर आप मेरे लिए अनजान कहां थीं? आपने तो मेरा
परिचय सुने बिना दरवाज़ा बंद कर लिया। प्लीज़ बताइए आप यहां कैसे और क्यों आई हैं?
कहीं अपने उस दोस्त से कोई प्रॉबलेम तो नहीं हो गई, वैसे वह कब होश में आया?’’
“आप उसे ग़लत समझ रहे हैं। जॉन अच्छा दोस्त है। जब
मैं अमरीका आई थी, उसने मेरी बहुत मदद की थी। उस दिन उसकी गर्ल-फ़्रेंड नहीं आई थी इसलिए
वह अपसेट था।‘’
“क्यों क्या आपका साथ काफ़ी नहीं था। जिस अंदाज़ में
आप उसके साथ आई थीं कोई भी आपको उसकी गर्ल-फ़्रेंड समझ लेता।“अमन की आवाज़ में
व्यंग्य था।
“कुछ दिन और यहां रहेंगे तो समझ लेंगे गर्ल-फ़्रेंड
और दोस्त में क्या फ़र्क होता है। सुषमा दीदी ने जैसा बताया था आप उतने बड़े दिल के तो
कतई नहीं लगते।“रितु मुस्कुरा रही थी।
“सुषमा दीदी यानी मेरी भाभी, उन्होंने मेरे बारे
में कब बताया? इसका मतलब भाभी ने अपना वादा तोड़ दिया। आज ही उनसे बात करनी होगी।“
“इसमें सुषमा दीदी की ग़लती नहीं है। आपके जाने के
बाद माँ को फ़ोन किया था, उन्होंने बताया सुषमा का देवर अमन न्यूयार्क में जॉब कर
रहा है। तुमसे मिलने आ सकता है। उसके बाद सुषमा दीदी से पूरी बात पता लगी थी। उन्होंने
बताया था, ऐसे मज़ाक करना आपका शौक है। आप क्या समझते हैं, अगर हम आपको नहीं जानते
होते तो उस रात क्या किसी अनजान युवक के साथ टैक्सी में जा सकते थे?’’
“वाह अभी तक मैं अपने ऐक्टिंग की दाद देता था आप तो
मेरी भी गुरु निकलीं। ज़रा सा भी आभास नहीं होने दिया कि मुझे जानती हैं।‘’
“अच्छा अब फ़ॉर्मैलिटी छोड़िए, बिना ब्रेकफ़ास्ट लिए
आई हूं। जल्दी से कुछ बना दीजिए।‘’
“देखिए मोहतरमा, यह दादागिरी नहीं चलेगी। एक नारी
के होते हुए पुरुष किचेन में जाए यह सरासर अन्याय है। आज आपके हाथों का कमाल देख
लूं। भाभी आपकी पाक- कला की बड़ी तारीफ़ें करती हैं, आज परीक्षा हो जाए।“
“आपको परीक्षा देने का क्या फ़ायदा? हां जिस दिन
मेरी मैरिज के लिए कोई सूटेबल उम्मीदवार आएगा, उसे अपने हाथों का कमाल
दिखाऊंगी।“निःसंकोच रितु ने स्पष्ट कर दिया।
“यानी कि मेरा कोई चांस नहीं है। यार अमन तू कोई
उम्मीद मत रख।“ अमन हंस रहा था।
“अच्छा चलिए, कुछ बनाना ट्राई करते हैं, पर आपको
मदद करनी होगी। बताइए आपके पास क्या सामान है?”
“बंदे का काम तो ब्रेड और अंडे से चल जाता है। मुझे
क्या पता था कोई बिन बुलाए मेहमान आ रहा है। कहो तो बाहर चलते हैं।“
“ब्रेड और अंडे से तो कई चीज़ें बनाई जा सकती हैं।
बताइए, क्या खाना पसंद करेंगे जैसे फ़्रेंच टोस्ट, ब्रेड का हलवा, उपमा, शाही टोस्ट
और- -“
“बस- बस। अब जो चीज़ आपको सबसे ज़्यादा पसंद हो वही
चलेगी। आखिर मेहमान ठहरीं।“
“तब तो बस ब्रेड और बटर चलेगा, कहिए है मंज़ूर?’’
“कमाल है इतने नाम गिनवा कर ब्रेड और बटर ही
मिलेगा। इतना तो मैं भी कर सकता हूं।“
“मायूस ना हों मिस्टर अमन कुमार, हम आपके लिए
ब्रेकफ़ास्ट ले कर आए हैं। सुषमा दीदी ने बताया था आपको मटर की कचौड़ी और गाजर का
हलवा पसंद है। हम वही लाए हैं।“
“वाह ये हुई ना बात्। थैंक्स भाभी, आपने आज का दिन
सार्थक कर दिया।“
“ये अच्छी कही, सुबह जल्दी उठ कर दो घंटे में ये सब
हम बना कर लाए हैं और थैंक्स भाभी को दिया जा रहा है।“रितु ने नाराज़गी से कहा।
“ओह, ग़लती हो गई। मेरे लिए इतनी तकलीफ़ करने के लिए
बहुत शुक्रिया, मिस रितु जी। चलिए कॉफ़ी मैं बनाता हूं।“
सचमुच रितु की तारीफ़ ग़लत नहीं थी। अपना मनपसंद हलवा
और कचौड़ी खा कर अमन कुछ देर के लिए भूल गया वह अपने घर में नहीं, परदेश में था।
“थैंक्स रितु जी, पर मुझे डर है आप मेरी आदत न
बिगाड़ दें। अब अक्सर आपको तकलीफ़ दूंगा।“अमन ने परिहास किया।
“इस धोखे में मत रहिएगा, जनाब्। असल में आज आपको एक
तरह से रिश्वत दी है?’’
“रिश्वत, मतलब, मैं समझा नहीं।“ अमन विस्मित था।
“जी हां हमारे कॉलेज में एक चैरिटी शो किया जा रहा
है। हमे तीस टिकट बेचने हैं। अब हम इतने टिकट कैसे बेच पाएंगे तो आपकी याद आई। ये
पद्रह टिकट आपको बेचने हैं।“
“भला मैं इतने टिकट कैसे बेच सकता हूं। अभी तो यहां
आए हुए ही पंद्रह दिन हुए हैं।“
‘अपने को अंडरेस्टिमेट कर रहे हैं। अरे इतनी बड़ी
कम्पनी में काम करते हैं तो क्या पंद्रह लोगों को भी टिकट नहीं बेच सकते। अब ये तो
आपकी ज़िम्मेदारी है।“
“ठीक है अगर ये मेरी ही ज़िम्मेदारी है तो ये सारे टिकट
मै ही खरीद लेता हूं। समझ लूंगा आज किसी फ़ाइव स्टार होटल में ब्रेकफ़ास्ट लिया
हैं।“
“ये हुई ना बात्। वैसे मेरा बनाया ब्रेकफ़ास्ट किसी
फ़ाइव स्टार होटल से ज़्यादा अच्छा था न?”
“मानना ही पड़ेगा। हां इस शो में आप भी कुछ काम कर
रही हैं?”
“मेरे बिना क्या कोई शो हो सकता है। एक बात अब हम
लोग दोस्त हैं तो एक दूसरे को आप ना कह कर तुम कहें तो चलेगा?”
“आपकी- - मेरा मतलब तुम्हारी आज्ञा सिर-आंखों।“ अमन
के चेहरे पर हंसी खिल आई।
“ तो मेरी आज्ञा है, आज अच्छा मौसम है, चलो
स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी चलते हैं। लंच बाहर ही लेंगे। जल्दी से तैयार हो जाओ।“रितु ने
आदेश दे डाला।
“ओह ग़ॉड, तुम तो पूरी डिक्टेटर हो, तुम्हारा पति
बेचारा न जाने क्या करेगा। मुझे तो सोच कर ही उस पर तरस आ रहा है।“अमन ने मज़ाक
किया।
“डोंट वरी, यह हमारा पर्सनल मामला है, हम पर छोड़ दो। हमारे बारे में तुम जानते ही कितना हो। हम नीचे कार में वेट
कर रहे हैं। इंतज़ार करना हमे पसंद नहीं है।“ अमन को कुछ कहने का मौका दिए बिना
रितु चली गई।
पूरे दिन रितु अमन को दर्शनीय स्थान दिखाती रही। उसकी बातों पर विराम लगा पाना
अमन के लिए असंभव था। वैसे यह सच था उसकी मज़ेदार बातों में अमन को आनंद आ रहा था।
“आज का दिन मेरे लिए वेस्ट करने के लिए थैंक्स्।“अमन ने औपचारिकता निभाई।
“दिन वेस्ट करने की वजह याद रखना। मेरे टिकट जो बेचने
हैं। कल हमारा रिहर्सल है वर्ना लंच या डिनर पर आ सकते थे। ओके बाय”। तेज़ी से एक्सेलेटर दबा कर रितु ने कार चला दी।
अमन ने भाभी को फ़ोन लगाया था-
“भाभी, तुम्हारी कज़िन तो गज़ब
की लड़की है। वह बिंदास लड़की तो अच्छे-अच्छों को बना ले।“
“आखिर बहिन किसकी है, पर जनाब
आप भी तो बुद्धू बन गए? रितु बेहद शरारती पर दिल की बहुत अच्छी
लड़की है। तुम्हें जानते हुए भी अनजान बनी रही। मानते हो न वह अच्छी ऐक्ट्रेस है?
वैसे चोट लगने पर हल्दी वाला दूध हमे तो कभी औफ़र नहीं किया।‘’सुषमा हंस रही थी।
“अब भाभी तुम हमे बनाने लगीं। वो तो मेरे संस्कार
थे, तकलीफ़ में मदद करनी ही थी।‘
“बात सिर्फ़ मदद की है या और कुछ बात है। कहीं उसको
इम्प्रेस तो नहीं कर रहे थे?”
“तुम्हारी तेज़-तर्रार बहिन से
भगवान बचाए पति पर एकछत्र शासन करेगी। दया का पात्र होगा बेचारा। पहली बार मिलते ही
मेरे सिर टिकट बेचने की ज़िम्मेदारी थोप गई है।“
“गनीमत है, उसकी दी गई कोई ज़िम्मेदारी तो उठा रहे
हो। सम्हल के रहना कहीं उसकी पूरी ज़िम्मेदारी ही ना उठानी पड़ जाए।“सुषमा ने छेड़ा।
“अब तुम भी मज़ाक कर रही हो। पूरे दिन उसने थका मारा।
अब आराम करने जा रहा हूं।“
बिस्तर पर लेटते अमन को हंसी आ गई। अपने को बेहद स्मार्ट
समझने वाले अमन को कितने आराम से बुद्धू बनाया है। सच तो यह है अगर वह सेर तो रितु
सवा सेर निकली। अजीब लड़की है। हां, उसकी बातों से यह तो साफ़ ज़ाहिर था कि वह इंटलिजेंट
और मस्त लड़की है। उसकी कम्पनी में कोई बोर नहीं हो सकता, पर उससे शादी के लिए हिम्मत चाहिए। कल ऑफ़िस में टिकट बेचने के लिए रोज़ी की
मदद लेनी होगी। अगले सैटरडे को रितु के कॉलेज का चैरिटी शो है। रोज़ी को भी ले जाएगा।
कल रोज़ी के साथ कार खरीदने भी जाना है। इस बीच रितु फ़ोन से अमन को टिकट बेचने की बात
बार-बार याद दिलाती रही।
“याद रखना, तुम्हें सारे टिकट बेचने हैं वर्ना फिर
कभी कोई उम्मीद मत रखना।‘
“ठीक है बाबा, अगर टिकट नहीं बेच सका तो सब पैसे
मैं भर दूंगा। अब चैन से सोने तो दो।“
चैरिटी शो के लिए अमन रोज़ी को साथ ले गया था। रोज़ी
की मदद से सारे टिकट आसानी से बिक गए थे। कार्यक्रम की थीम रोमांस थी। पुरानी
कहानियों में रितु की टीम ने रोमियो जूलिएट को चुना था। जूलिएट बनी रितु की सुंदरता
में उसके गुलाबी परिधान ने चार चांद लगा दिए थे। अमन विस्मय –विमुग्ध उसे देखता रह
गया। उसके स्वाभाविक ऐक्टिग के लिए तालियों की गड़गड़ाहट देर तक गूंजती रही।
कार्यक्रम के बाद गेस्ट के लिए डिनर का आयोजन था।
मुस्कुराती रितु जब अमन को लेने आई तो अमन उसे बधाई देना ही भूल गया।
“तुम्हारी गर्ल-फ़्रेंड कहां है, अमन?”रोज़ी को न देख
रितु ने पूछा।
“रोज़ी मेरी गर्ल-फ़्रेंड नहीं है। वह अपने ब्वॉय
फ़्रेंड के साथ डिनर के लिए गई है।“
“चलो अच्छा है, तुम बच गए। अमरीकी लड़कियां इंडियन
लड़कों से शादी करना चाहती हैं क्योंकि वह जानती हैं, वह उनके साथ जीवन भर रहेगा।
यहां तो रोज़ तलाक होते हैं। अगर तुम किसी अमरीकी लड़की से शादी कर लो तो सोचो
तुम्हारी मम्मी को कितना बड़ा शॉक लगेगा।“
“थैंक्स फ़ॉर योर एडवाइस। फ़िलहाल अभी मैरिज का मेरा
कोई इरादा नहीं है।“
डिनर खाते हुए रितु नाटक के दौरान हुए मज़ेदार
किस्से सुनाती रही। कैसे नाटक मे रोमियो बना युवक उसका दीवाना होगया था। उसे
प्रोपोज़ तक कर दिया।
“और कितनों ने तुम्हें प्रोपोज़ किया है?’ अमन ने
मज़ाक में पूछा।
“अरे पहले एक- दो ने प्रोपोज़ किया, पर अब एक डक्टर
साहब तो जान देने पर तुले हैं।“
“ यहां डाक्टर तो पैसा भी खूब कमाते हैं और उनकी
इज़्ज़त भी होती है। तुम्हें क्या एतराज़ है?”
“सर्जन है वह, चीरफाड़ करने वाले के पास दिल भी
पत्थर का होगा। मुझे पसंद नहीं।“
देर रात को घर लौटता अमन सोच रहा था, यह सच है रितु
के साथ वक्त पंख लगा कर उड़ जाता है, पर पता नहीं, पत्नी के रूप में उसमें गंभीरता
और ठहराव भी है या नहीं । फिर भी यह सच है कि न जाने क्यों उसका साथ अच्छा लगता
है। बार-बार मिलने का जी चाहता है।
उस दिन के बाद रितु और अमन की अक्सर मुलाकातें होती
रहीं। वीकेंड में कभी रितु खुद खाना बना कर खिलाती कभी दोनो बाहर चले जाते। रितु
की मज़ेदार बाते, अमन को खूब हंसातीं। अमन अपने कॉलेज के किस्से सुनता तो रितु उसकी
गर्ल फ़्रेड्स के बारे में तहकीकात करती। एक-दूसरे के साथ दोनो बहुत सहज महसूस
करते, पर उसमें उन्हें प्यार जैसी कोई बात नहीं लगती। रितु के फ़ाइनल एक्ज़ाम्स शुरू
हो गए। उसके बिना अमन खाली ज़रूर महसूस करता, पर यह तो स्वाभाविक बात थी। कभी अमन
का जी चाहता रितु से फ़ोन पर बात करे, पर उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं था। अमन को
ताज्जुब था वह क्यों रितु के एक्ज़ाम्स खत्म होने के दिन गिन रहा था। शायद उसे रितु
की आदत हो गई थी।
रितु अपना आखिरी पेपर दे कर लौटी थी कि रोज़ी का फ़ोन
मिला-
“रितु, तुम सिटी मेडिकल हॉस्पिटल पहुंच सकती हो?
अमन एडमिट है, तेज़ बुखार के साथ डेलीरियम में तुम्हारा नाम ले रहा था। यहां उसका
कोई और रिलेटिव भी नहीं है।”
तेज़ गति से कार दौड़ाती रितु हॉस्पिटल पहुंची थी। मन
चिंताकुल था। बेहोशी में उसे बस उसका नाम याद रहा। न जाने कैसा होगा अमन्।
हॉस्पिटल- बेड पर शान्त-क्लान्त अमन को देख रितु का मन भर आया। हमेशा का हंसमुख-वाचाल
अमन कितना निरीह लग रहा था। नर्स ने टेम्परेचर देख कर कहा- -
“ओह ग़ॉड, डॉक्टर को इन्फ़ॉर्म करना होगा।“
“क्या हुआ नर्स, अमन ठीक तो है?’
“इतना हाई फ़ीवर ब्रेन डैमेज कर सकता है।“बात खत्म
करती नर्स तेज़ी से चली गई।
रितु स्तब्ध अमन को ताकती रह गई, भगवान न करे कुछ
ऐसा वैसा हो। उसका मन रोने-रोने का हो रहा था। उस अनजान देश में अमन सिर्फ़ रितु को
ही तो जानता है। कैसा ये रिश्ता है, उसने अपनी माँ- भाई को याद न करके सिर्फ़ रितु
को याद किया। क्यों?
डॉक्टर ने नर्स को आइस- वा्टर से स्पंज करने को कह
कर एक इंजेक्शन देने के निर्देश दे दिए। नर्स ने रितु को बाहर जाने को कह कर स्पंज
की तैयारी शुरू कर दी।
बाहर बैठी रितु को एक-एक पल भारी पड़ रहा था। भगवान
से अमन की सलामती की प्रार्थना करती वह भूल गई सुबह एक्ज़ाम की हड़बड़ी में उसने बस
चाय भर पी थी। शाम को रोज़ी को देख वह अपना संयम खो रो पड़ी।
“ये क्या, इतना डरने से काम कैसे चलेगा। अमन जल्दी
ही ठीक हो जाएगा। किसी वजह से तेज़ बुखार हो गया है। यहां के डॉक्टर कितने एक्सपर्ट
होते हैं, जानती हो न? आसानी से डॉयगनोस कर लेंगे। बताओ तुमने कुछ खाया है या
नहीं।?”प्यार से रोज़ी ने समझाया।
रितु का सूखा चेहरा सच्चाई बयान कर गया। रितु को
जबरन कैफ़ेटेरिया ले जा कर रोज़ी ने कॉफ़ी और बिस्किट खिलाए थे। रोज़ी के बहुत समझाने
पर भी रितु घर लौटने को राज़ी नहीं हुई। पता नहीं अमन को कब किस चीज़ की ज़रूरत पड़
जाए। अमन के कमरे के बाहर चेयर पर बैठी रितु डक्टर को देखते ही खड़ी हो गई।
“डॉक्टर, अब अमन कैसे हैं?”
“ही इज़ डूइंग फ़ाइन। अब फ़ीवर कन्ट्रोल में है। सवेरे
तक वह अच्छा महसूस करेगा।‘
“थैंक्यू डॉक्टर, क्या मैं अमन के कमरे में बैठ
सकती हूं। प्लीज़ डॉक्टर?
“वैसे तो पेशेंट के रूम में किसी को रहने कि इजाज़त
नहीं होती, पर आप अगर उसे डिस्टर्ब ना करें तो बैठने की परमीशन दे सकता हूं। पूरी
रात बैठ सकेंगी?”
“यस, डॉक्टर। एक्ज़ाम्स के दिनो में पूरी-पूरी रात
जागने की आदत है।‘
हॉस्पिटल के कमरे के धीमे प्रकाश में अमन का चेहरा
कितना पीला दिख रहा था। जी चाहा उसका माथा
सहला कर पूछ ले अब उसे कैसा महसूस हो रहा है। जिस रितु को उसने याद किया ,वह उसके
पास बैठी है। डॉक्टर ने उसे डिस्टर्ब न करने को कहा है। न जाने कब रितु की आँख लग
गई थी। भोर की उजास कमरे में सुनहला प्रकाश भर रही थी। रितु के चेहरे पर जैसे
सूर्य की आभा प्रतिबिम्बित थी। आँखे खोले अमन उस
चेहरे को मुग्ध निहार रहा था। अचानक नर्स के आने से रितु की नींद टूट गई।
टेम्प्रेचर ले कर नर्स ने मुस्करा कर कहा-
“लीजिए मिस, आपके आने से आपका मरीज़ ठीक हो गया।
मिस्टर अमन, ये आपके लिए इतनी परेशान थी इसलिए इसे यहां रहने दिया गया। वैसे आप भी
बेहोशी में यही कह रहे थे मुझे छोड़ कर मत जाना, रितु। लगता है ये आपकी गर्ल फ़्रेंड
है, कहीं कोई झगड़ा तो नहीं हुआ है?”
“तुम क्या सच में मेरे लिए परेशान थीं, रितु? अगर
मुझे कुछ हो जाता तो - -?”
अमन के मुंह पर अपनी हथेली रख कर, रितु ने अमन को
वाक्य पूरा नहीं करने दिया।
“अगर ऐसी बात करोगे तो मैं अभी चली जाऊंगी।“ रितु
ने रोष दिखाया।
“जानती हो, होश रहते बस जो चेहरा याद आया, वह किसका
था?”
“मैं कोई अंतर्यामी तो हूं नहीं, वैसे हमे तो
बीमारी में सबसे पहले माँ की याद आती है, वह इतना प्यार जो देती है।“
“मेरे साथ भी हमेशा ऐसा होता था, पर इस बार जिसका
चेहरा याद आया वो तुम्हारा था, रितु। ऐसा क्यों हुआ जानती हो?”
“हमे पहेलियां बूझने का शौक नहीं है, अमन कुमार जी।
आप ही पहेली सुलझा दीजिए।“
“वो इसलिए क्योंकि यू आर इन लव विद रितु।“ अचानक
रूम में प्रवेश करती रोज़ी ने मुस्कुराते
हुए कहा।
“ओह नो, ये कैसे हो सकता है? आई डोंट बिलीव इन लव।“
रितु जैसे डर सी गई।
“प्यार कब और कैसे हो जाता है, रितु, कोई नहीं
जानता। जल्दी ही जान जाओगी। मैने तुम्हारी आँखों में पूरी कहानी पढ ली है, रितु।
तुम्हारी बेचैनी उसकी गवाह है।“रोज़ी ने यकीन से कहा।
“रोज़ी तुम आज ऑफ़िस नहीं गईं?’बात बदलने के लिए अमन
ने पूछा।
“बीमारी में दिन कैसे गिन पाते? आज सैटरडे है जनाब।
अच्छा हुआ मैंने रितु को उसके एक्ज़ाम्स खत्म होने के बाद तुम्हारी बीमारी की खबर
दी वर्ना ये एक्ज़ाम छोड़ कर भागी आती। क्यों ठीक कह रही हूं न, रितु? किस बदहवासी
में भूखी-प्यासी भागती आई थीं।‘
“इसका मतलब, अमन कई दिनो से बीमार है? मुझे बताना
तो चाहिए था।“रितु नाराज़ दिखी।
“वैसे अगर पता होता कि तुम्हारी प्रेज़ेंस का जादुई
असर होगा तो ज़रूर इन्फ़ॉर्म करती।“अच्छा अब मैं चलती हूं। तुम अपनी चाहत के साथ हो
अमन।“मुस्कुराती रोज़ी चली गई।
“शायद आज-कल में डाक्टर तुम्हें डिस्चार्ज कर
देंगे। मुझे अपने घर जा कर तुम्हारे लिए रूम ठीक करना है। बीमारी के बाद तुम्हारी
देखभाल की ज़रूरत है। अब ये मुझे ही करनी होगी।“
“सिर्फ़ एक बीमार की तरह ही देखोगी या और कोई बात
हैं।“अमन के चेहरे पर शरारत थी।
“और क्या बात हो सकती है।“ना जाने क्यों उस सवाल पर
रितु संकुचित हो उठी
“ जानती हो, रितु, मैं अनजाने ही तुम्हें चाहने लगा
हूं। यह सत्य इस बीमारी ने बताया है। जी चाह रहा था तुम्हारी गोद में सिर रख कर सो
जाऊं। बस कैसे भी तुम आ जाओ।“
“हमे ऐसी बातें अच्छी नहीं लगतीं, अमन। हम दोनो
दोस्त ही ठीक हैं।“
“अगर ऐसा है तो भूखी-प्यासी बैठी मेरे लिए
प्रार्थना क्यों कर रही थीं, रितु?”
“वो तो तुम्हारी जगह कोई भी होता उसके लिए हम ऐसा
ही करते।“
“सच नहीं कह रही हो, रितु। अगर सच स्वीकार करो तो
तुम भी मुझे चाहती हो।“दो मुग्ध नयन रितु के सुंदर चेहरे पर निबद्ध थे।
“नहीं, प्लीज़ अब मुझे जाना होगा।“रितु का चेहरा लाल
हो उठा।
“मेरे पास से जाना चाहती हो, क्योंकि मुझे प्यार
करती हो ये मानने को तैयार नहीं हो।“अमन मुस्कुराया।
“तुम बेकार के सपने देख रहे हो। मैं प्यार नहीं
करती – ‘’
“अगर तुम सच कह रही हो, तब मुझे माँ की बात मान
लेनी चाहिए। मेरे अपार्ट्मेंट की टेबल पर एक लड़की की फ़ोटो रखी है। उसका प्रोपोज़ल
आया है। फ़ोटो देख कर तुम भी अपनी राय दे दो। घर में सबको पसंद है।“अमन ने गंभीरता
से कहा।
“तुम एक अनजान लड़की से शादी कर लोगे, अमन?’रितु के
चेहरा उदास था।
“और उपाय भी क्या है, परिचित लड़की तो मुझे स्वीकार
करने को तैयार नहीं है।‘
“तुमने क्या कभी उस परिचित लड़की को ठीक से प्रोपोज़
किया है, अमन?”
“हां ये तो गलती हो गई, जरा फ़्लावर- वाज़ से लाल
गुलाब तो देना। मुझे प्रोपोज़ करना है।“
“वाह फूल भी मैं ही दूं। ये नहीं चलेगा।‘’
“तो मिस रितु, अब आपकी स्टाइल मे प्रोपोज़ करता हूं,
क्या आप इस बंदे को जिंदगी भर झेलने को तैयार हैं?” अमन ने नाटकीय अंदाज़ में कहा।
“रहने दो इतने अनरोमांटिक तरीके से उस डॉक्टर ने भी
प्रोपोज़ नहीं किया था। बेचारा पूरा चाकलेट का डिब्बा लाया था।‘”बिंदास रितु ने
शरारत से कहा।
“ज़रूर तुम पूरा खा गई होगी। मुझे ठीक होने दो तब
देखना किस अंदाज़ में प्रस्ताव रखूंगा।“
“”तुम्हारा अंदाज़ तो पहले दिन ही देख चुकी हूं। एक
और सच कहूं तुमने उस रात मेरी जो मदद की थी, उसी रात तुमने मेरा मन जीत लिया था।
इतना कंसर्न कोई सच्चा प्यार करने वाला इंसान ही कर सकता है। तुम मेरी परीक्षा में
सफल रहे हो, अमन।‘’रितु ने सच्चाई से कहा।
‘अच्छा और उस रात मेरे साथ जिस रुखाई का बर्ताव
किया कि मैं नाराज़ हो गया था। सचमुच तुम कमाल की ऐक्ट्रेस हो।‘’
‘तुम्हारे जाने के बाद मुझे अपने ऊपर गुस्सा आया
था। वादा करती हूं, अब ऐसी गलती नहीं होगी। चाहो तो हमे सज़ा दे दो।‘’भोलेपन से
रितु ने कहा।
‘जो सज़ा दूंगा उसे मंज़ूर करना होगा। बाद में बहाना
नहीं चलेगा।“’
‘’सौ बार मंज़ूर करती हूं, पर तुम्हें भी एक वादा
करना होगा।‘’
“कैसा वादा। देखो कोई कड़ी शर्त मत रखना कि मैं
तुम्हारे अलावा किसी और
लड़की से बात भी ना करूं।‘’हंसते हुए अमन ने कहा।
“उसका मुझे डर नहीं है, मेरे रहते तुम्हारी क्या
मज़ाल जो किसी और की तरफ़ नज़र भी उठा कर देख सको। हां, वैलेंटाइंस डे पर तुम मुझे
वैसे ही गुलाब दोगे, जैसे पहले दिन मेरे घर ले कर आए थे।“कुछ शोखी से रितु ने कहा।
“वाह, क्या मांगा है, मैं तुम्हारे लिए फूलों की
पूरी दूकान ला दूंगा। आखिर मेरी प्रियतमा हो तुम। तुम्हारे लिए तो जान भी हाज़िर
है, रितु।‘’
‘‘पूरी दूकान के फूल रखने के लिए तो मेरा घर छोटा
है। हां मेरे दिल में बहुत जगह है। आज तक मेरा दिल किसी की प्रतीक्षा कर रहा था,
अब उसमें बस तुम हो, अमन्। ये सच्चाई मैं भी तुम्हारी बीमारी में ही जान सकी। रोज़ी
ने ठीक कहा, कब किसे, किससे प्यार हो जाए कोई नहीं जान सकता। मैं खुद इस प्यार से
अनजान थी। तुमने किसी और के साथ शादी करने की बात कह कर मुझे अपने मन के सच से
परिचित करा दिया। न जाने कब और कैसे तुम्हें चाह बैठी।‘’
’इसका मतलब मेरी अर्ज़ी मंज़ूर हो गई। अब मेरी भी सज़ा
सुन लो’
‘देखो कोई कड़ी सज़ा मत देना।“’चेहरे पर डर ला कर
रितु ने कहा।
“मेरी सज़ा ये है कि तुम्हें जीवन भर मेरी साथिन बन
कर मेरे साथ रहना होगा। आज ही भाभी को फ़ोन करता हूं, अपनी शादी के लिए मुझे मेरी
मनपसंद लड़की मिल गई’ है। अब जल्दी ही उसका नाम- पता भेजूंगा।“ अमन ने प्यार भरी
दृष्टि रितु पर डाल कर कहा।
रितु के रक्तिम चेहरे पर खुशी की आभा बिखर गई।
pls continue the good work nice story
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