12/15/09

अनोखा रिश्ता

मोहन को अपने बाबा से बहुत प्यार है। घर में असके माता-पिता भी हैं, पर मोहन को अपने बाबा के साथ रहना अच्छा लगता है। बाबा मोहन को कहानियाँ सुनाते हैं, उसके साथ गाँव घूमने जाते हैं और कभी भूले से भी उसे डांटते नहीं।


आज बाबा अपने पोते मोहन के लिए टोकरा भर आम लाए हैं। आम देखते ही मोहन खुश हो गया। बाबा ने आम बाल्टी में डालकर धोए। उसके बाद दोनों ने जी भरकर मीठे-मीठे आम खाए।

मोहन ने बाबा से कहा, ”बाबा, अगर हमारे घर में एक आम का पेड़ होता तो कितना अच्छा होता! जब जी चाहता, आम तोड़कर खाते।“

”हाँ, मोहन बेटा, आम का पेड़ फल के अलावा और भी बहुत-सी चीजें हमें देता है।“

”आम का पेड़ और कौन-सी चीजें देता है, बाबा?“

”देखो बेटा, आम का पेड़ जब बड़ा हो जाता है तो ठंडी छाया देता है। आम की पत्तियों से बंदनवार बनाई जाती है।“

”रामू भैया की शादी में इसीलिए उनके घर में बंदनवार और पानी के कलश पर आम की पत्तियाँ लगाई गई थीं!“

”अरे तुम भूल गए, आम की पत्तियों से तुम पीपनी बनाकर बाजा भी तो बजाते हो।“ बाबा ने हॅंसते हुए कहा।

”आम का पेड़ सच में बहुत अच्छा होता है, बाबा। हम अपने घर के आँगन में आम का पेड़ ज़रूर लगाएंगे।“

”ठीक है। मैं कल ही तुम्हारे लिए आम का पौधा ले आऊंगा।“

अगले दिन बाबा सुबह-सुबह आम का पौधा ले आए। बाहर के दरवाजे से ही आवाज दी,

”मोहन, तुम्हारे लिए आम का पौधा ले आया हूँ। जब यह पौधा पेड़ बन जाएगा तो इस पर तोते, कोयल, मैना और न जाने कितने तरह के पक्षी आया करेंगे।“

”वाह! तब तो बड़ा मजा आएगा। कोयल की आवाज कितनी मीठी होती है!“

”हाँ, मोहन, पेड़ इंसान और पक्षियों के सबसे अच्छे दोस्त होते है। पंछी तो पेड़ों पर ही बसेरा करते हैं।“

”बाबा, पेड़ तो बात नहीं करते, फिर वे हमारे दोस्त कैसे बन सकते हैं?“

”देखो बेटा, जिस तरह दोस्त तुम्हारी मदद करते हैं, उसी तरह बिना तुमसे बात किए पेड़ भी तुम्हारी मदद करते हैं।“

”वह कैसे, बाबा?“

”यह बात ठीक से समझ लो। पेड़ वातावरण से जहरीली कार्बन डाईआक्साइड गैस लेते हैं और हमें साफ़ हवा यानी आक्सीजन देते हैं। आक्सीजन न हो तो हम सांस नहीं ले सकते, यानी जिंदा ही नहीं रह सकते।“

”तब तो पेड़ बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन एक बात समझ में नहीं आती। फिर भी लोग पेड़ों को काटते हैं, भला क्यों?“ मोहन ने भोलेपन से पूछा।

”पैसों के लालच में। वे नहीं जानते कि पेड़ों को काटने से हवा में जहरीली गैस बढ़ती जाती है।“

”मैं समझ गया, बाबा। पेड़ हमारे सबसे पक्के दोस्त हैं।“

”ये लो, लगा दिया आम का पोधा,“ बाबा ने इतना कहते हुए पौधे के आसपास थोड़ा पानी डाला।

”बाबा, मैं इस पौधे को रोज पानी दूंगा। जब इसमें आम लगेंगे तो हम दोनों जी भरकर खाएंगे।“

”मेरे बच्चे, हो सकता है, तेरा बाबा आम के फल न खा सके, पर तुझे जरूर मीठे आम मिलेंगे।“

”क्यों बाबा, आप आम क्यों नहीं खाएंगे?“

”अरे, तेरा बाबा बूढ़ा जो हो गया है, पर मेरी सौगात तुझे जरूर मिलती रहेगी।“

”नहीं, बाबा। आप आम जरूर खाएंगे।“ मोहन ने दृढता से कहा।

बाबा ने प्यार से मोहन का सिर सहलाकर उसे आशीर्वाद दिया, और कहा-

”भगवान तुझे खुश रखे। इस पेड़ को अपने बाबा की तरह ही प्यार करना, मोहन!“

समय बीतता गया। मोहन रोज आम के पौधे को पानी देता। पौधा धीरे-धीरे पेड़ का रूप लेकर बड़ा होने लगा। उसके हरे-हरे पत्ते सबको अच्छे लगते। कुछ समय बाद आम के पेड़ में बौर आ गया। कोयल आकर आम के पेड़ पर ‘कू-हू’ ‘कू-हू’ गीत गाने लगी। और भी कई प्रकार के पक्षियों का पेड़ पर जमघट लगा रहता। मोहन बहुत खुश था, पर तभी भगवान ने उसके बाबा को अपने पास बुला लिया।

बाबा की मौत पर मोहन बहुत रोया। तभी उसे याद आया, बाबा ने कहा था ‘आम के इस पेड़ को अपने बाबा की तरह ही प्यार करना!’

मोहन अब आम के पेड़ के नीचे बैठकर पाठ याद करता। उसे लगता यह आम का पेड़ नहीं, उसके सिर पर बाबा का साया है। मोहन जब भी बाबा के लगाए पेड़ के आम खाता, उसे बाबा बहुत याद आते। मोहन की माँ कहती, ”बाबा मोहन को आम खाते देखकर खुश होते होंगे।“

मोहन के पिता को एक परेशानी थी। आम में जब फल लगते, बाहर से बच्चे पत्थर मारकर आम तोड़ने की कोशिश करते। एक दिन घर की खिड़की का शीशा टूट गया। कुछ दिन बाद मोहन की माँ का माथा पत्थर लगने से फट गया। रोज-रोज की इन घटनाओं से तंग आकर मोहन के पिता ने आम का पेड़ कटवाने का निश्चय कर लिया।

माँ ने भी कहा, ”आम की लकड़ी से घर की कई चीजें बन जाएंगी।“

एक दिन पेड़ काटने वाले कुल्हाड़ी लेकर आ गए। मोहन ने पेड़ काटने से मना किया,

”मैं इस पेड़ को नहीं काटने दूंगा। इसे बाबा ने लगाया था।“

मोहन के पिता ने बहुत समझाया कि वह मोहन को बाजार से आम ला देंगे। पेड़ की वजह से खिड़की-दरवाजे के शीशे टूटते हैं। आम तोड़ने के लिए फेंके गए पत्थर से तुम्हारा सिर भी तो एक बार फट चुका है। भूल गए क्या? तुम्हारी माँ का माथा तो अभी उसी दिन फटा है।

मोहन भागकर पेड़ के तने से लिपट गया, और रोते हुए बोला, ”पिताजी, यह आम का पेड़ बाबा की तरह हमें प्यार करता है। इसे मत कटवाओ।“

पिता हॅंस पड़े। भला बेजान पेड़ मोहन के बाबा की तरह प्यार कैसे कर सकता है?

मोहन कहता गया,  ”जब पेड़ की डालियाँ हिलती हैं तो मुझे लगता है जैसे बाबा मेरा सिर सहला रहे हैं। पेड़ की चिड़ियाँ, बाबा की तरह मुझसे बातें करती हैं।“

माँ ने भी मोहन को समझाना चाहा,  ”देखो बेटा, ये बेकार की बातें हैं। तुम पेड़ से अलग हो जाओ।“

”नहीं, माँ। यह पेड़ हमारा दोस्त है। सारी जहरीली गैस लेकर यह हमें साफ़ हवा देता है। ठंडी छाया और मीठे फल देता है। बदले में हमसे कुछ भी नहीं लेता।“ मोहन ने पेड़ के तने को प्यार से सहलाया और राते-रोते हिचकियाँ लेने लगा।

माँ सोचने लगी - मोहन कहता तो ठीक है। ये पेड़ तो बस हमें देते ही हैं, लेते कुछ नहीं। ये दाता हैं।

फिर क्यों न मोहन की बात मान ली जाए?

तभी पड़ोस की गंगा ताई आई। उनकी बेटी की शादी में आम के पत्तों से बंदनवार बनानी थी। उन्हें आम के पत्ते चाहिए थे।

मोहन ने माँ से कहा, ”देखो माँ, आम के पेड़ की हर चीज काम आती है। लकड़ी से मेज-कुर्सी बनती है, पत्ते खुशी के मोकों पर सजाए जाते हैं। साफ हवा और ठंडी छाया भी हमें आम ही देता है।“

”तुम ठीक कहते हो, मोहन! अब मैं आम का पेड़ नहीं कटने दूंगी। साथ ही, हम अमरूद और लीची के पेड़ भी आँगन में लगवाएंगे।“

”हाँ, बेटा, हम गलती पर थे। पेड़ सचमुच हमारे दोस्त हैं। हमें पेड़ों से प्यार करना चाहिए।“ अब पिता ने भी मोहन की बात मान ली। आम का पेड़ कटवाने की बात सोचने पर उन्हें पछतावा भी हुआ। वैसे, पेड़ कटवाने की बात सोचकर उन्हें भी दुख हुआ था, पर रोज-रोज की घटनाओं से वह तंग आ गए थे।

”हमारी किताब में लिखा है कि पेड़ पानी बरसाने और बाढ़ रोकने में भी हमारी मदद करते हैं। पेड़ काटना ठीक नहीं है।“ माता-पिता को मानते देख मोहन बहुत खुश था।

”किताब में ठीक लिखा हुआ है, मोहन!  अब हम पेड़ काटने की ग़लती नहीं करेंगे। पेड़ों से प्यार का रिश्ता जोड़ना ही ठीक है।“

”तभी तो मैं आम के पेड़ को अपना बाबा मानता हूँ।“

”ठीक कहते हो, मोहन!  तुम्हारे बाबा तुम्हें यह पेड़ सौगात में देकर गए हैं। इसके मीठे फलों में जरूर तुम्हारे बाबा का प्यार छुपा है।“

”मेरी अच्छी माँ,  मेरे अच्छे पिताजी!“ मोहन ने अपनी माँ का हाथ चूमा और आंसू पोंछकर खेलने भाग गया। आम के पेड़ से कोयल ने भी खुशी का गीत गाया-कूहू..........कूहू....।

5 comments:

  1. आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी.

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  2. धन्यवाद अभिनव्। अन्य कहानियों पर भी आपके विचार प्रतीक्षित हैं।पुष्पा सक्सेना

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  3. Bhaut bhdiya kahani lekin shehar mein rehne ke liye jaghah nahi ghar mein tree koun lagata hai.

    Nice and inspirational story

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  4. Bhaut bhdiya kahani lekin shehar mein rehne ke liye jaghah nahi ghar mein tree koun lagata hai.

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