12/20/20

पोट्रेट की कीमत

‘हेलो समीर, कहाँ हो? अच्छा जनाब अभी तक सो रहे हैं, अंकल-आंटी मन्दिर चले गए तो पूरे दिन सोने की आजादी मिल गई.” समीर को रूम में सोता देख सीमा नाराज़ हो उठी.

“ऐ सीमा की बच्ची, क्यों सवेरे-सवेरे शोर मचा रही है? संडे को भी चैन से नहीं सोने देती. आज कौन सी आफ़त आ गई?” आँखें खोलता समीर झुंझला रहा था.

“अच्छा ज़रा घड़ी तो देखो साढे दस बजे हैं. हम ही मूर्ख हैं जो सबसे पहला कार्ड देने तुम्हें भागे आए.”

‘क्या तेरी शादी का कार्ड है जो भागी आई है.”समीर ने परिहास किया.

“वाह क्या बात कही है. अरे हमारी शादी के कार्ड बांटने की ज़िम्मेदारी तो तुम्हारी होगी. जैसे भी हो, पर भाई का फ़र्ज़ तो निभाना ही होगा. हम तो तुम्हें अपने हिंदी डिपार्टमेंट के वार्षिकोत्सव यानी अन्युएल फ़ंक्शन का कार्ड देने आए थे. सीमा ने जवाब दिया.

“तब तो सचमुच तूने अपना और मेरा भी समय बर्बाद किया है. भला तेरे हिंदी- साहित्य के वही  पौराणिक या पुराने जमाने के नाटक देखने देखने क्यों जाऊंगा.”

“देखो समीर हमारे हिंदी-साहित्य के विषय में कुछ मत बोलना. तुम जानते ही कितना हो, विज्ञान के विद्यार्थी तो कठोर सत्य में जीते हैं, उन्हें राग- अनुराग के बारे में ज्ञान कैसे होगा. वैसे भी इस बार का नाटक और दूसरे कार्यक्रम देख कर लोग दंग रह जाएंगे.”

‘क्यों क्या इस बार बॉलीवुड से कैथरीना कैफ आरही है?” समीर ने चिढाया.

“अरे कैथरीना कैफ तो उसके अभिनय के सामने पानी भरेगी. अगर विश्वास न हो तो चलो शर्त रही, अगर तुम्हें प्रोग्राम पसंद नहीं आया तो हम तुम्हें ट्रीट देंगे और अगर पसंद आया तो तुम हमें ट्रीट  दोगे वो भी किसी अच्छे होटल में.”सीमा ने यकीन से कहा,

“ठीक है, अगर तुम हारने को तैयार हो तो मुझे शर्त मंजूर है.”

“ये लो कार्ड इसे सम्हाल के रखना वरना बिना कार्ड के एंट्री नहीं मिलेगी. एक और ख़ास बात ठीक समय पर पहुंच जाना वरना बैठने की जगह नहीं मिलेगी.”

“वाह इसका मतलब तुम लड़कियों ने अपने प्रोग्राम का अच्छा प्रचार किया है, देखें, कितनी सच्चाई है.’

“वो तो देख ही लोगे, और हमारी जीत के लिए तैयार रहना. अब जा रही हूँ और बहुत से काम हैं. अंकल आंटी को नमस्ते कह देना.”समीर को कार्ड थमा सीमा चली गई.

समीर और सीमा चचेरे –तयेरे भाई बहिन थे,पर दोनों के बीच भाई -बहिन से ज्यादा दोस्ती का रिश्ता था.दोनों एक-दूसरे के साथ दिल खोल कर बातें किया करते. समीर के एस पी पिता अपने एकमात्र मेधावी बेटे को आई ए एस बना देखना चाहते थे,पर समीर ने एम एस सी फ़िज़िक्स में टॉप करके यूनीवर्सिटी में टीचिंग जॉब ही पसंद किया. सीमा भी इस वर्ष हिंदी विषय में एम ए फाइनल कर रही थी. समीर की माँ अपने बेटे की नौकरी लगी देख उसके लिए एक सुन्दर अच्छी बहू लाने के सपने देख रही थी, पर समीर अभी विवाह के लिए तैयार नहीं था.

नियत दिन फिर सीमा ने फोन करके समीर को प्रोग्राम में ठीक समय पहुँचने की याद दिला दी थी. समीर ने ठीक समय में जाने में ही भलाई समझी वरना सीमा उसे आसानी से नहीं छोड़ेगी. हिंदी विभाग दूर से ही चमक रहा था. कार्यक्रम के लिए बड़ा सा हॉल विद्युत लड़ियों और रंगीन फूलों से सजाया गया था. वार्षिक कार्यक्रम में नगर के सभी गणमान्य व्यक्ति आमंत्रित थे. द्वार पर दो लडकियां अतिथियों को गुलाब के फूल देकर स्वागत कर रही थीं. धन्यवाद कहते हुए मुस्कुरा के समीर ने फूल लिए थे. हॉल के भीतर जाने पर समीर को सीमा की कथन की सत्यता ज्ञात होगई. लोगों की उपस्थिति से हॉल लगभग भर चुका था. सौभाग्यवश एक अच्छी जगह पर समीर को बैठने के लिए एक चेयर  मिल गई.

ठीक समय पर दीप प्रज्ज्वलन के बाद सरस्वती वन्दना के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ था.एक के बाद एक कार्यक्रम समय पर शुरू होरहे थे, व्यर्थ की प्रतीक्षा की आवश्यकता नहीं थी. समूह नृत्य और गीत सभी मनभावन थे. कार्यक्रमों की गुणवत्ता से यह स्पष्ट था, प्रतिभागियों ने बहुत मेहनत की थी. बीच-बीच में संचालिका मनोरंजक बातें करके खुशियाँ बिखेर रही थी. हंसी की फुलाझड़ियों के रूप में हास्य कविताओं ने भी दर्शकों का अच्छा मनोरंजन किया.

अब अंतिम कार्यक्रम की उद्घोषणा की जा रही थी. आचार्य चतुरसेन की लेखनी से निखरी अपने युग की  प्रसिद्ध “वैशाली की नगर वधू” की नायिका आम्रपाली स्टेज पर नूपुर की मधुर ध्वनि के साथ हलके कदमों से स्टेज पर आरही थी. जैसे-जैसे मंच का हल्का प्रकाश आम्रपाली के मंच पर आने के साथ तेज़ होता गया लोग उस प्रकाश में आम्रपाली के सौन्दर्य से अभिभूत होते गए. मंच पर बनाए गए दरबार में आम्रपाली के नृत्यों ने ही नहीं उसके अभिनय ने भी सबको विस्मित कर दिया. इतने सुन्दर और स्वाभाविक अभिनय और मनोहारी नृत्य ने मानो उस युग को साकार कर दिया था. समीर ने याद किया उस लड़की का नाम पूजा ही अनाउंस किया गया था. सीमा से उसके बारे में पूछना होगा.

दूसरे दिन समीर ने अपनी हार मानते हुए सीमा से कहा-

‘यह तो उस लड़की पूजा का कमाल था जो तू शर्त जीत गई. तुझे ट्रीट तो दूंगा, पर मेरी भी शर्त है कि तुझे अपने साथ पूजा को भी ट्रीट के लिए ले चलना होगा.”

“क्यों क्या पूजा का जादू चल गया है, आंटी को बता दूं, वह तेरा प्रोपोज़ल भिजवा देंगी.”सीमा ने कहा

“खबरदार जो ऐसा किया, मै तो उसकी परफ़ॉरमेंस पर उसे  बधाई देना चाहूंगा.”

”उसमें क्या मुश्किल है, पूजा मेरी फ्रेंड है, कल ही उसके घर चलते हैं, वहीं बधाई दे देना. पूजा तो हमारे विभाग की शान है. हमेशा  टॉप करती है. तुम्हारी सांइंस  फैकल्टी के लड़के भी उसे देखने आते हैं.”

“नो वे, उसके घर जाकर बधाई नहीं देनी है, कहीं बाहर जैसे अचानक मिल कर बधाई देना चाहूंगा.”

“अगर ऐसा है तो पूजा हर संडे सवेरे योगा के लिए रवीन्द्र पार्क जाती है. तुम क्या सवेरे जल्दी उठ सकोगे? तुम तो संडे को छुट्टी मनाते हो.”सीमा ने बात बनाई.

“अरे एक दिन जल्दी उठना इतना मुश्किल तो नहीं है. तो पक्का रहा हम साथ चलेंगे.”

“समझ गई तीर निशाने पर लगा  है. मुझे तो बस अपनी ट्रीट चाहिए,”

“संडे को योग क्लास समाप्त कर के आती पूजा पार्क में सीमा को देख कर चौंक गई.आश्चर्य से बोली-

“अरे सीमा तू यहाँ, क्या तू भी योगा क्लास ज्वाइन करेगी?”

“हम तो नहीं, पर यह मेरा कजिन समीर सोच रहा है. टॉपर है, अभी यूनीवर्सिटी में लेक्चारारशिप ली है. मेरे चाचा जी तो इसे ऐडमिनिस्ट्रेटिव जॉब में भेजना चाहते थे, पर इसने टीचिंग लाइन पसंद की है.”

“पता नहीं क्यों हमारे पापा भी यही चाहते हैं कि एम् ए कम्प्लीट कर के कम्पटीशन में ट्राय करें, पर हमें तो टीचिंग लाइन ज़्यादा पसंद है.”

“यह जान कर खुशी हुई आप भी ऐसा ही सोचती हैं वरना ज़्यादातर लडकियां  प्रशासनिक सेवा को प्रिफ़र करती हैं.” समीर के चेहरे पर खुशी थी.”

“समीर तुम पूजा को बधाई देना चाहते थे, पर उससे मिल कर भूल ही गए.”

“सॉरी, पूजा जी, आपको बहुत –बहुत बधाई. आपका अभिनय बहुत अच्छा था. आपकी वजह से मै सीमा से शर्त हार गया, अब आपके साथ इसे भी ट्रीट देनी है.”

“मेरी वजह से आप शर्त क्यों हार गए?” पूजा विस्मित थी.

“समीर को विश्वास नहीं था, हमारे विभाग का कार्यक्रम ख़ास तौर पर तेरा अभिनय इतने कमाल का होगा. बस हमने शर्त लगाई थी अगर इसे प्रोग्राम पसंद आया तो सबसे अच्छी प्रस्तुति देने वाले के साथ हम दोनों होटल में पार्टी करेंगे. हम जीत गए अब हम दोनों को समीर होटल में डिनर देगा.”

“नहीं यह तो अन्याय है, कार्यक्रम की सफलता में सभी कलाकारों का हाथ है, तब तो सबको पार्टी के लिए ले जाना होगा.”पूजा ने न्यायोचित बात कही.

“सच्चाई यह है कि समीर ने पहले ही कह दिया था, जो बेस्ट परफ़ॉरमेंस देगा बस उसी को पार्टी दी जाएगी. देख पूजा तू मेरा चांस मिस नहीं करा सकती. तुझे तो मेरे लिए चलना ही होगा.”

“हमें माँ से पूछना होगा, पता नहीं वह परमीशन देंगी या नहीं.“ पूजा शंकित थी.

“तुझे सोचने की ज़रुरत नहीं है, हम आंटी से परमीशन ले लेंगे.”सीमा ने यकीन से कहा.

“तो तय रहा शर्त हारने के उपलक्ष्य में इस शनीवार की शाम को सात बजे डिनर के लिए आपको इनवाइट कर रहा हूँ. पूजा जी आपको हम पिक-अप कर लेंगे.” खुशी से समीर ने कहा.

समीर को शनीवार का बेसब्री से इंतज़ार था. सीमा से पहले ही पता कर चुका था कि उसने पूजा की माँ से डिनर में जाने की इजाज़त ले ली है. पहली बार समीर  अपने कपड़ों के लिए कंसर्न था. अंतत: अपनी फेवरिट ब्लू शर्ट उसने चुनी थी. उसे स्वयं आश्चर्य था क्यों वह पूजा के प्रति इतना आकृष्ट था.

शनीवार को सीमा के साथ पूजा को पिक- अप करके वे शहर के नामी होटल पारिजात पहुंचे थे .”

“कमाल है समीर, आज बड़े दरियादिल बन रहे हो. .हमें तो तुम  कॉफी हाउस से आगे कहीं ले ही नहीं गए. ये समीर महा कंजूस है, पूजा. आज तुझे इम्प्रेस करने के लिए इस होटल में लाया है.”

“जो जिस लायक होगा उसे वही तो मिलेगा. आज तो एंज्वाय कर. फिर कभी चांस मिल्रे या नहीं.’

सबके बैठ जाने पर वेटर ने मेनू- कार्ड थमाया था. समीर ने पूजा से कहा-

“आज आप चीफ गेस्ट है, आप ही आर्डर कीजिए.”

“माफ़ कीजिए, हम पहले कभी इस होटल में नहीं आए हैं, हमें यहाँ की स्पेशैलिटीज़ के बारे में कुछ पता नहीं है, आप ही आर्डर कर दीजिए.” पूजा ने सच्चाई की सादगी से कहा,

“अगर आप नॉनवेज पसंद करती हों तो यहाँ का चिकन- - - -“

“नहीं- नहीं हम तो वेजीटेरियन हैं , पर आप अपनी पसंद का नॉनवेज आर्डर कर दीजिए, हमारे पापा भी नॉनवेज पसंद करते हैं.हमें कोई ऑब्जेक्शन नहीं होगा.’”

समीर को वेजीटेरियन डिनर का आर्डर करते देख पूजा संकुचित थी, पर समीर ने कहा-

‘आप परेशान न हों, घर में माँ के साथ वेजीटेरियन खाना ही पसंद करता हूँ.” डिनर समाप्त हो जाने के बाद समीर ने पूजा से पूछा-

“आपको यहाँ का खाना कैसा लगा, कहीं ऊंची दूकान और फीके पकवान वाली बात तो नही थी?”

“जी नहीं डिनर बहुत अच्छा था, पर यहाँ के सुन्दर फूलों की सजावट ने मुझे मुग्ध किया है. फूलों के इतने रंग और वैरायटी पहले कभी नहीं देखी. काश इन फूलों को इनकी शाखों पर हवा में झूलता  देख पाती.” पूजा की सपनीली आँखें फूलों पर निबद्ध थीं.

“आपने ठीक कहा, कई लोग विशेषकर पर्यटक इस होटल में इन फूलों की सजावट देखने आते हैं.”

“लगता है, पूजा की आज की कविता में ये फूल ज़रूर आ जाएंगे. फूलों से इसे बेहद प्यार है. जानते हो, समीर हमारी पूजा कवयित्री है. यूनीवर्सिटी में अक्सर इसका कविता पाठ होता है..”

“अगर आप फूलों को इनकी शाखों पर झूलते देखना चाहती हैं तब तो आपको नूरी बाग़ चलना होगा. कार से दो-ढाई घंटों में पहुंच जाएंगे. वहां रंग-बिरंगे नायाब फूलों का मेला देखने कितने ही लोग जाते हैं.”

“सच यह तो अपूर्व अनुभव होगा, इतने सारे फूल एक साथ, एक जगह.”पूजा जैसे सपना देख रही थी.

“ग्रेट, मुझे एक मैगजीन के लिए फूलों पर एक लेख देना है. पूजा फूलों का मेला देखेगी और हम अपना लेख पूरा कर लेंगे. चलेगी न ,पूजा?”सीमा ने पूजा से पूछा.

अंतत:इतवार की प्रात: नूरी बाग़ जाने का प्रोग्राम तय कर लिया गया.

“इतवार की सवेरे नूरी बाग़ जाने के लिए सीमा और पूजा को पिकअप करके समीर ने कार में गीत लगा दिया.

“आपको म्यूजिक से कोई परेशानी तो नहीं है?”पूजा से समीर ने पूछा.

“जी नहीं, संगीत मुझे बहुत प्रिय है. सोते समय भी गीत सुनना मेरी हॉबी है.”

सौभाग्य से मौसम बेहद खुशगवार होगया था. बदली के साथ हलकी हवा अच्छी लग रही थी. दूर से ही नूरी बाग़ के रंग-बिरंगे फूलों को हवा में झूलते देख पूजा विस्मय से कह उठी-

“ऐसा लग रहा है रंगीन धागों से बुना गया किसी का रेशमी आँचल हवा में लहरा रहा है.”

“आपकी कल्पना भी आपकी तरह से ही सुन्दर है, पूजा जी.”अचानक समीर कह गया.

पार्किंग में कार खडी कर के समीर के साथ सब बाग़ में पहुंच गए.

“ हम तो बाग़ के मुख्य अधिकारी के पास बाग़ की जानकारी लेने जा रहे है, वैसे भी हम तो समीर के साथ कई बार इन फूलों से मिल चुके हैं. तुम दोनों फूलों की दुनिया देखो. वैसे समीर तुम्हारे लिए इस बार नया अनुभव होगा. ठीक कहा न समीर?” समीर को देख मुस्कुराती सीमा चली गई.

“चलिए पूजा जी, हम बाग़ के इस भाग से फूलों का सौन्दर्य देखते हैं.”

“सबसे पहली बात प्लीज़ हमें आप सिर्फ पूजा कहें, हम आपसे छोटे हैं. पूजा जी और अपने लिए आप, सुन कर लगता है, हम उम्र में बहुत बड़े हैं.”

“ठीक है, अगर आपकी मेरा मतलब, सॉरी, अगर आपकी इसी में खुशी है तो आज से नहीं अभी से सिर्फ पूजा कहूंगा?” समीर हंस पडा.

“थैंक्स, समीर जी.”

फूलों को देखती पूजा जैसे दूसरी ही दुनिया में पहुंच गई थी.अपने कैमरे में फूलों को कैद करती वह अपने को भूल गई थी. कहीं कोई फूलों वाला कोई हिस्सा छूट न जाए. उसे पता नहीं था, उसकी बेध्यानी में समीर उसके कितने ही चित्र खींचता जा रहा था. शाम दस्तक दे रही थी. समीर ने पूजा से कहा-

“काफी देर होगई है ,चलिए कुछ स्नैक और कोल्ड ड्रिंक ले लें.”

“माफ़ कीजिए, हम तो सब कुछ भूल ही गए थे.”पूजा संकुचित थी.

“वो तो देख ही रहा था.सामने ही छोटा सा स्नैक बार है, चलें?“

कुछ स्नैक और कोल्ड ड्रिंक ले कर दोनों ताज़गी महसूस कर रहे थे. एक कार्नर में एक आदमी फूलों के सुन्दर गुलदस्ते बेच रहा था. एक छोटा लड़का फूलों की डंडी काट कर गुलदस्ते बनाने के लिए तैयार कर रहा था. पूजा अब उन तरह-तरह के फूलों वाले गुलदस्तों के चित्र खींच रही थी. समीर ने चुपचाप उस लड़के से एक बहुत सुन्दर सुर्ख गुलाब खरीद लिया.

पूजा को गुलाब थमा कर समीर सहास्य बोला-

“फूलों की प्रेमिका के लिए सप्रेम यह गुलाबी राजा, भेट स्वीकार करें.”समीर ने परिहास किया.

“ओह, यह गुलाब कितना सुन्दर है, काश इसे इसकी शाख पर खिला देख पाती. शाख पर यह गुलाब कितने गर्व से मुस्कुराता.”पूजा मायूस दिखी.

“सौरी , मुझे पता नहीं, किसने इसे इसकी शाख से अलग किया. इस गुलाब ने अगर आपका दिल दुखाया है तो गलती के लिए माफ़ी चाहूंगा.”

“अरे नहीं यह तो हमारी गलती है जो ऎसी उलटी-सीधी बात कह दी. इस सुन्दर गुलाब को तो हम हमेशा अपने पास रखेंगे. सूख जाने पर भी इसे अपनी कविता की किताब में हमेशा रखेंगे.”पूजा भावुक हो उठी.

थैंक्स, यह मेरी खुशकिस्मती है.”समीर ने गंभीरता से कहा”.

घर लौटने का समय आ पहुंचा था. सीमा भी अपने लेख की जानकारी ले कर वापिस आ गई थी.

“उम्मीद करती हूँ तुम दोनों ने साथ में खूब एंज्वाय किया होगा. हमारा भी काम पूरा हो गया.”

“यहाँ से लौटने का तो मन नही है, पर हर अच्छी चीज़ हमेशा स्थायी तो नहीं हो सकती.”सीमा ने कहा.

“ऐसा क्यों सोचती हो, जब फिर आना चाहोगी समीर तुम्हें इस फूलों की दुनिया में ले आएगा, ठीक कह रही हूँ न समीर?”सीमा शरारत से मुस्कुराई.

“नहीं एक बार ही क्या इनका इतना समय व्यर्थ नहीं किया है? फिर परेशान करना उचित नहीं होगा.”

थैंक्स दे कर पूजा अपने घर उतर गई. उसके जाने के बाद समीर ने सीमा से कहा-

“तेरी फ्रेंड पूजा तो बहुत भावुक और कोमल दिल वाली है, उसे फूल को तोड़े जाने पर भी दुःख होता है.”

“सच कहो समीर तुम्हें सीमा पसंद है न? कहो तो आंटी को तुम्हारी पसंद बता दूं? वैसे इतना तो विश्वास दिला सकती हूँ, पूजा बहुत अच्छी लड़की है. वह सिर्फ मेधाविनी ही नहीं है वरन बहुत सच्ची- स्नेही, उदार और बड़ों के आदर-सम्मान में विश्वास रखने वाली लड़की है. उसका पति बहुत लकी होगा.”

 “मेरी पसंद से ही तो बात नहीं बनेगी, उसकी भी तो पसंद-नापसंद होनी चाहिए.”समीर ने कहा.

समीर को पूजा अच्छी ज़रूर लगी थी, पर पूजा का मन जाने बिना वह कोई निर्णय नहीं लेना चाहता था. वह लड़कियों की आजादी में पूरा यकीन रखता था.

“क्यों क्या मेरे भाई समीर में कोई कमी है? समीर हैडसम है, बुद्धिमान है, टॉपर है, अच्छी नौकरी में लगा हुआ है, शिक्षित संपन्न परिवार का एकमात्र बेटा है. सबसे बड़ी बात सच्चा और चरित्रवान है. जो लड़की उसकी पत्नी बनेगी वह भाग्यवान होगी.”सीमा दृढ़ता से सीमा बोली.

“ आज पता लगा मेरी बहिन  मुझे  इतना प्यार करती है. वरना तो हमेशा मुझ पर रोब ही जमाती है.”समीर ने प्यार से कहा.

दिन बीत रहे थे. समीर अपनी क्लासेज़ में व्यस्त था, पर जब भी समय मिलता अपने कम्प्यूटर पर सेव की गई पूजा की फोटो अवश्य देख लेता. उसे यही दुःख था फंक्शन के दिन मोबाइल से आम्रपाली के सुन्दर रूप में पूजा की फोटो क्यों नहीं खीच ली थी. अचनाक फ़ोन पर सीमा की चहकती आवाज़ सुन कर समीर चौंक गया.

“समीर, एक खुशखबरी है, कुछ देने का वादा कर तो बताऊँ?”

“देख सीमा अपनी सौदेबाजी की आदत छोड़ दे, बताना है तो बता वरना आगे भी कभी कुछ नहीं दूंगा.”

“कोई बात नहीं नुक्सान तुम्हारा ही होगा,बाद में मत पछताना. फ़ोन रखती हूँ.”’
“ओके ठीक है बता, कौन सी खबर है जिसके लिए कुछ देना पड़ेगा.” समीर ने सौदा मान लिया.

“सुनेगा तो खुशी से पागल हो जाएगा. कल शाम पूजा ने हम दोनों को उसके साथ न्यू भारत रेस्टोरेंट में इनवाइट किया है. ”

“क्यों क्या कोई ख़ास बात है? कहीं पूजा की सगाई तो नहीं हो गई है?”

“वाह क्या सोच है? अपनी सगाई में तुम्हें क्यों बुलाएगी, तुम उसके उम्मीदवार का मरडर नहीं कर दोगे?” सीमा ने मज़ाक में कहा.

“हो सकता है उसका जन्मदिन हो. उस स्थिति में कोई अच्छी गिफ्ट तो ले जानी चाहिए.”

“उसे फूल बहुत पसंद हैं एक अच्छा सा बुके ले चलेंगे.”सीमा ने सलाह दी.

“बिलकुल नहीं, उसे फूलों को तोड़ा जाना पसंद नहीं है.”समीर को उसे अपना दिया गुलाब याद हो आया.

“वाह, कुछ ही समय में तुम उसके बारे में इतना जान गए. फिर तुम ही सोचो.”

“ठीक है, कुछ सोचता हूँ, तू परेशान मत हो.”कुछ देर सोचने के बाद समीर के ओंठों पर मुस्कान आ गई.

हाँ यही गिफ्ट ठीक होगी.

एक गोल्डन कलर की फुल साइज़ सुन्दर डायरी के पृष्ठों के कोनों में अपने खीचे हुए पूजा के फोटो लगाने से डायरी खिल उठी. खाली पृष्ठों पर पूजा अपनी कवितायेँ लिख सकेगी.

दूसरी शाम सीमा को साथ ले कर समीर रेस्टोरेंट पहुंचा था. उसे कोई गिफ्ट न लाते देख सीमा नाराज़ हो उठी.

“हम खाली हाथ जाएंगे, कम से कम जो कहा था एक बुके ही ले लेते, मेरी बदनामी कराओगे.”

आसमानी परिधान में सज्जित पूजा ने उनका खुशी से स्वागत किया.

“वाह आज तो तू आसमानी परी दिख रही है.बता आज क्या बात है जो हमें बुलाया है?”सीमा ने पूछा.

“अपनों के साथ खुशी शेयर करने के लिए क्या कोई ख़ास अवसर होना चाहिए?”पूजा ने कहा.

“चलिए, आपने हमें अपना तो माना. हम तो गेस कर रहे थे शायद आपका जन्म दिन है.”समीर बोला.

“जी नहीं, आपने नूरी बाग़ दिखा कर हमारा अनगिनत रंगों वाले सुन्दर फूलों से परिचय कराया, उसके लिए केवल धन्यवाद शब्द तो बहुत कम है. उस रात हमने दो कवितायेँ लिखीं, एक लाल गुलाब पर दूसरी नूरी बाग़ पर. यही खुशी आपके साथ शेयर करना चाहते थे.”हलकी मुस्कान के साथ पूजा ने रहस्य खोला.

“वाह तब तो आपका नूरी बाग़ जाना सफल हो गया, आपकी लाल गुलाब कविता में तो दर्द होगा, बेचारे को उसकी शाख से अलग जो कर दिया.”

“जी नहीं, वो तो किसी की भेंट है, बहुत सम्हाल कर रखा है.”पूजा अचानक कह गई.

“किसकी भेंट है, पूजा? यह तो कोई प्रेम प्रसंग लग रहा है.”सीमा उत्सुक हो उठी.

‘अरे नहीं, हमें तो बस फूलों से प्यार होगया था. जी चाह रहा था,सारे फूल वैसे ही शाखों पर खिले मुस्कुराते रहें. समीर जी हमारी उसी कही बात की हंसी बना रहे हैं,”पूजा ने बात बनाई.

खाना खाते हुए हास-परिहास चलता रहा. वापिसी के पहले समीर ने कहा-

“मेरा एक ज़रूरी सामान कार में छूट गया है, अभी ले कर आता हूँ.”

समीर ने पूजा के हाथों में सुनहरे कागज़ में लाल रिबन से बांधी गई डायरी जब पूजा को दी तो वह चौंक गई

“यह क्या है, आपने व्यर्थ तकल्लुफ किया.“पूजा संकुचित थी.

“खोल कर तो देखो, आपके काम की चीज़ है.”समीर ने कहा .

डायरी के पृष्ठ खोलते ही पूजा खुशी से कह उठी-

“ये सुन्दर डायरी तो नूर बाग़ के फूलों की मेरी यादों को अमर कर देगी, पर आपने मेरी फोटो कब लीं?” डायरी में लगी फूलों के साथ  अपनी फ़ोटोज़ देख कर पूजा विस्मित थी.

“जब आप फूलों से दोस्ती करने में मुझे भूल गई थीं.”समीर ने मज़ाक में कहा.

“बहुत थैंक्स, इस पर अपनी कवितायेँ लिखूंगी.”खुशी से पूजा का  सुन्दर चेहरा और भी कमनीय हो उठा.

“तब तो आपसे एक वादा चाहिए, जब डायरी के सारे पृष्ठों पर कविताएं होंगी तब हम आपकी कविताएं सुन कर वो दिन सेलीब्रेट करेंगे।“ कहिए मंजूर है?”समीर ने अपनी मुग्ध दृष्टि पूजा पर निबद्ध की थी।

“ठीक है, कोशिश करूंगी वादा पूरा कर सकूँ।“ हल्की मुस्कान के साथ पूजा न कहा। “

 “वाह समीर भाई, तुम तो छिपे रुस्तम निकले. उसके दिल में जगह बनाने के लिए क्या नायाब गिफ्ट दी है.”लौटते हुए सीमा ने समीर को छेड़ा.

“मानती है न मेरे दिमाग को, तेरा बुके दो दिन में सूख जाता, पर मेरी गिफ्ट हमेशा उसके पास रहेगी, मुझे ऐसे याद नहीं करती, पर मेरी गिफ्ट उसे हमेशा मेरी याद दिलाती रहेगी.”गंभीरता से समीर बोला.

“तुम्हारे दिमाग को तो पढ़ लिया अब जल्दी ही कुछ करना होगा.”सीमा ने मन में तय कर लिया.

सीमा ने फिर देर नहीं की थी, समीर की माँ की खुशी का ठिकाना नहीं था. उनका सपना पूरा होने वाला था. सीमा ने पूजा की तारीफों के पुल बाँध दिए थे. इतना ही नहीं खुद जाकर पूजा की माँ से समीर के बारे में सारी जानकारी दे कर पूजा और समीर के विवाह की बात भी कर ली थी. अंतत: इस संबंध में सीमा के दो लाभ थे. एक तो समीर से बड़ी गिफ्ट मिलने वाली थी, दूसरी उसकी सहेली पूजा उसकी भाभी बनने वाली थी. पूजा के पेरेंट्स भी उसके विवाह के लिए कोई अच्छा संबंध ढूंढ रहे थे. सीमा ने समीर की जो जानकारी दी, वो पूजा के पेरेंट्स के मनोनुकूल थी.

दोनों परिवार आपस में मिल लिए कहीं कोई कमी नहीं थी. सगाई का दिन निश्चित कर लिया गया.सब कुछ इतनी जल्दी तय हो गया. खुशी की बात यह थी कि पूजा ने समीर के साथ अपने विवाह के लिए आपत्ति नहीं की,  निश्चित था उसे भी समीर पसंद था और समीर  के दिल में तो पूजा ने पहले दिन से ही जगह बना ली थी.

धूमधाम से सगाई की रस्म पूरी हुई थी. लाल साड़ी में पूजा का सौन्दर्य और अधिक खिल उठा था. सिल्वर कलर की शेरवानी में समीर भी किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा था. हीरे की अंगूठी पहिनाते समीर की निगाह पूजा से हट ही नहीं रही थी. सीमा ने चिढाया - -

“समीर भाई अभी शादी के लिए इंतज़ार करना होगा. पूजा की शर्त है शादी उसकी एम ए फाइनल की परीक्षा के बाद ही होगी. इंतज़ार तो कर सकोगे?”

”पूजा के लिए तो पूरी ज़िंदगी इंतज़ार कर सकता हूँ, इन कुछ दिनों की क्या बात है.?”

दोनों परिवार आधुनिक विचारधारा के पोषक थे अत: सगाई के बाद पूजा और समीर को मिलने की आजादी मिल गई थी. साथ में पिक्चर जाना, रेस्ट्राज़ में डिनर लेने के अलावा समीर पूजा को दर्शनीय स्थानों की सैर कराने भी ले जाता. उनके साथ कभी- कभी सीमा भी होती, पर अक्सर वह साथ जाना टाल जाती. दिन खुशी के साथ बीत रहे थे. इन सबके बीच पूजा अपनी पढाई के लिए भी कंसर्न थी, उसे टॉप जो करना था.

दिल्ली में पूजा की मौसी के बेटे रोहित  की शादी में पूजा के परिवार को ख़ास इनवीटेशन था. पूजा की माँ की बस यही एक बहिन थी. मौसी की बड़ी बेटी की शादी दो साल पहले हुई थी. रोहित और पूजा में खूब बनती थी. एक साल पहले रोहित लन्दन में में पीएच डी करने चला गया था. रोहित ने पूजा के साथ समीर को ख़ास निमंत्रण दिया था. पूजा को लिखा था-

“तेरी पसंद के हीरो समीर से ख़ास मिलना है. देखना है, मेरी बहिन की टक्कर का है या नहीं? मेरी पूजा तो बहुत ख़ास है, अपने साथ समीर को ज़रूर लाना. दोनों से मिलने का इंतज़ार है.”

“समीर तुम्हें भी हमारे साथ दिल्ली चलना होगा वरना रोहित नाराज़ हो जाएगा.”पूजा  ने खुशी से कहा.

“मुझे रोहित से मिल कर बहुत खुशी होती,पर उसकी शादी के समय मेरे डिपार्टमेंट में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस है, मुझे कई जिम्मेदारियां दी गई हैं. मेरी तरफ से रोहित से माफ़ी मांग लेना, अब रिश्ता हो रहा है तो भविष्य में तो ज़रूर मिलेंगे.”अंतत: उदास मन से पूजा दिल्ली गई थी.

पूजा के बिना समीर को दिन काटने कठिन लग रहे थे. फोन पर बातें कर के मन नहीं भरता था. शादी की धूमधाम में पूजा खुश थी, पर समीर की याद आनी स्वाभाविक थी. सात-आठ दिनों का समय बीत गया था. वापिसी के पहले पूजा का फोन आया था, आवाज़ में खुशी थी-

“हम वापिस आरहे हैं. तुम्हारे लिए एक ख़ास भेंट ला रहे हैं, देख कर विश्वास नहीं कर पाओगे.”

“कहीं दिल्ली से कोई नया ब्वाय फ्रेंड तो नहीं ला रही हो?” समीर ने मज़ाक किया.

“क्या करूं, तुमने उसके लिए कोई जगह ही कहाँ छोड़ी है वरना कई दीवाने हैं.”सीमा ने जवाब दिया.

दोनों हंस पड़े. अब बस दोनों को मिलने का इन्तज़ार था.

पूरे आठ दिनों बाद पूजा अपने पेरेंट्स के साथ वापिस आई थी. समीर उन्हें रिसीव करने स्टेशन गया था.. कुली के हाथ में एक बड़े से  चौकोर फ्रेम में कागज़ में पैक किया गया किसी पेंटिंग या चित्र जैसा सामान देख कर समीर ने कहा-

“लगता है दिल्ली से कोई कलात्मक पेंटिंग लाई हो.”समीर जानता था पूजा की फूलों में ही नहीं सुन्दर पेंटिंग्स में भी बहुत रूचि थी. उसके कमरे में प्रसिद्ध कलाकारों की पेंटिंग्स सजी हुई थीं.

घर मे पेंटिंग के ऊपर पैक किए गए कागज़ को हटाते ही पूजा का एक बेहद सुन्दर पोट्रेट देख कर समीर विस्मित रह गया. पोट्रेट में मुस्कुराती पूजा इतनी सजीव लग रही थी मानो अभी कुछ बोल उठेगी.

“देखा चौंक गए न? शादी में लन्दन से रोहित भैया का एक आर्टिस्ट फ्रेंड साइमन आया था. असल में शादी के बहाने वह दिल्ली घूमने आया था. मुझे देखते ही उसके अन्दर का  आर्टिस्ट जाग गया.रोहित भैया से मेरा पोट्रेट बनाने की ज़ोरदार तरीके से परमीशन मांगी थी.

 “इतनी ब्यूटीफुल इन्डियन लड़की का पोट्रेट नहीं बनाया तो मेरा आर्ट बेकार है. रोहित, प्लीज़ पूजा का पोट्रेट बनाने की परमीशन दे दे.”

रोहित भैया को तो ऐतराज़ नहीं था, पर बात समय की थी. शादी के घर में अपना चित्र बनवाना कैसे संभव हो? साइमन रोहित के घर के सामने वाले होटल में ठहरा था.साइमन ने तरीका निकाल लिया.

“दिन भर तो दिल्ली की रोमांटिक गलियाँ छानूंगा, होटल में सवेरे सात बजे से दो-ढाई घंटे पोट्रेट बना सकता हूँ. ज़्यादा टाइम नहीं लूँगा,पूजा को कैनवास पर उतारना बहुत आसान होगा, दिमाग में तो तस्वीर उतर गई है.?अगर पूजा दो घंटों का समय दे दें तो वादा करता हूँ तीन-चार दिनों में पोट्रेट बना लूंगा.”

‘तू मेरी शादी अटेंड करने आया है या बस दिल्ली घूमेगा और पोट्रेट बनाएगा?”रोहित भैया ने पूछा.

तेरे और तेरी पत्नी के साथ तो ज़िंदगी भर लन्दन में रहना है, पर ये तेरी दिल वालों की दिल्ली और एक इन्डियन ब्यूटी दोबारा कहाँ मिलेगी. हाँ तुझे मुझ पर यकीन तो है, पोट्रेट बनवाने के लिए पूजा को होटल आने में कोई बाधा तो नहीं होगी?’”

“बिलकुल नहीं, तुझ पर अपने से ज़्यादा यकीन है.“रोहित भैया ने विश्वास से कहा.

सवेरे का समय देने की बात पूछने पर पोट्रेट बनवाने की खुशी में पूजा ने खुशी से स्वीकृति दी थी.

 “क्या यह पोट्रेट सिर्फ तीन-चार दिनों में बनाया गया है?” समीर विस्मित था.

“हाँ तय हुआ था ज़्यादा से ज़्यादा चार दिनों तक दो घंटों का समय पोट्रेट बनाने के लिए दिया जा सकता है. सवेरे सात बजे का समय साइमन को दे देते थे और देखो उसका कितना अच्छा परिणाम आया है. साइमन इस पोट्रेट का फोटो ले गया है,कहता था लन्दन में इसे कैनवास पर उतारेगा.”

‘”सच में बहुत सुन्दर चित्र है, पर मेरी पूजा इससे बहुत ज़्यादा सुन्दर है. गनीमत है साइमन तुम्हें अपने साथ नहीं ले गया,वरना मै बेमौत मारा जाता. वैसे पोट्रेट में तुमने कमाल का कलात्मक पोज़ दिया है.”

“उसमें मेरी कोई तारीफ़ नहीं है, साइमन अपने हाथों से मेरा पोज़ ठीक करता था.”

“इसी बहाने उसने मजे लिए, ये गोरे सीधे नहीं होते.”समीर जैसे ईर्षा कर रहा था.

“बेकार जल रहे हो, बेचारा मुझे सिस्टर कहता था, कभी कोई लाभ उठाने की कोशिश भी नहीं की.

बातों के बीच अचानक अपने घर से आए फोन से समीर घबरा गया.

“पापा को हास्पिटल ले जाया गया है, मुझे जाना होगा.”तेज़ कार चला कर समीर हॉस्पिटल पहुंचा था.

हॉस्पिटल में समीर के पापा सुरेन्द्र प्रताप जी को आई सी यूं में रखा गया था. डाक्टर ने बताया उन्हें मैसिव हार्ट अटैक पड़ा है. बहुत परवाह की ज़रुरत है. माँ को रोते देख समीर ने सांत्वना दी थी-

“घबराने की कोई बात नहीं है,पापा ठीक हो जाएंगे.डाक्टर नाथ बहुत बड़े हार्ट स्पेशलिस्ट हैं.”

पूजा के फोन पर समीर ने उसे हास्पिटल आने को मना कर दिया था.

“तुम अभी दिल्ली से लौटी हो, आराम करो. यहाँ का हाल बताता रहूँगा. डाक्टर ने लोगों को आई सी यू में न आने के सख्त आदेश दिए हैं.”

दो –तीन दिन बीत गए सुरेन्द्र प्रताप जी की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई थी. समीर पूरे समय हॉस्पिटल में ही रहता था.इस बीच पूजा के पेरेंट्स हॉस्पिटल में समीर से मिलने आए थे. उन्होंने बताया पूजा को खांसी-ज़ुकाम हो गया है. समीर को परेशान देख पूजा की माँ ने कहा-

“परेशान होने की बात नहीं है, दिल्ली में नवम्बर के आखिरी हफ्ते में काफी सर्दी थी, लड़कियों का फैशन तो जानते हो, ऊनी कपड़े  नहीं पहने, ठंडक लग गई. दो चार दिनों में ठीक हो जाएगी.हॉस्पिटल आने की जिद कर रही थी, मुश्किल से रोका है.”

‘आपने ठीक किया, हॉस्पिटल में तरह-तरह के मरीज़ होते हैं, उसे ठीक होने तक घर में ही रहने दीजिए. पापा की स्थिति बेहतर होने पर मै खुद ही मिलने आ जाऊंगा. अभी फोन पर बात करना ही ठीक है.”

पूजा रोहित से मिलने को बेचैन थी, पर शहर में चीन से आई महामारी कोरोना के मरीजों की संख्या भारत मे बढ्ने लगी थी। उस दिन फोन पर बात करते हुए समीर को खाँसते हुए सुन कर पूजा चिंतित हो उठी थी। समीर ने भी मज़ाक मे पूजा से कहा था-

“लगता है। मुझे कोरोना होगया है। अगर मैं ना रहूं तो किसी सुपात्र से विवाह ज़रूर कर लेना वरना मेरी आत्मा को दुख  होगा”। समीर की फिर बनावटी खांसी सुन कर पूजा व्याकुल हो उठी,

“भगवान के लिए ऐसा मत कहो, समीर, हम मर जाएंगे। हम अभी तुम्हारे पास आ रहे हैं।“

पूजा की व्याकुलता पर समीर हंस पड़ा।

“ माफ करना, तुम्हें डरा दिया? जिस पूजा का अपनी ज़िंदगी में फूलों से सजी डोली में आने का बेसबरी से इंतज़ार कर रहा हूँ, भला उसे अकेली छोड़ कर इस दुनिया से जा सकता हूं क्या?”

“अब फिर कभी ऐसा मज़ाक करोगे तो तुमसे बात नहीं करूंगी।“ पूजा ने मान भरे  स्वर में कहा।

“क्या बात है, आज तुम्हारी आवाज़ कुछ भारी सी लग रही  है, ठीक तो हो? क्या तुम्हारा खांसी-जुकाम अभी ठीक नहीं हुआ है?समीर की आवाज़ मे कंसर्न था।

 “कुछ खास नहीं, बस सर्दी जुकाम के साथ हल्का बुखार होगया है। डाक्टर अंकल ने कहा यह फ़्लू का मौसम है। दवा ले रही हूँ। बुखार उतरते ही तुमसे मिलने और अंकल को देखने आऊँगी।“

अचानक समीर के पास  दिल्ली से पूजा के कजिन रोहित का फोन आया था।  

“समीर, ध्यान से मेरी बात सुनो, पूजा ने बताया होगा, मेरे आर्टिस्ट फ्रेंड साइमन ने मेरी परमीशन ले कर पूजा का पोट्रेट बनाया है. साइमन एक सप्ताह बाद लन्दन लौट गया था. जब तक वह इंडिया में था, सामान्य दिखता रहा, पर लन्दन पहुंचने के कुछ दिनो बाद उसमें दिखने वाले सिम्पटम के टेस्ट्स में उसे कोरोना पॉजिटिव पाया गया. पूजा कुछ समय तक उसके संपर्क में रही है, अच्छा हो तुम उसका कोरोना टेस्ट करा लो. मौसी को बताने से वह डर जाएंगी. मै अभी इंडिया में हूँ, भगवान् से प्रार्थना है, पूजा का टेस्ट नेगेटिव निकले, पूजा का रिज़ल्ट फ़ोन से बताना.”

समीर संज्ञाशून्य सा हो रहा था, नहीं उसकी पूजा को कोरोना नहीं हो सकता. पिछले कुछ दिनों से कोरोना के चीन के अलावा दूसरे देशों में फैलने की खबरें आ रही थीं. भारत में तो अभी तक कुछेक केसेज छोड़ कर सब सामान्य सा चल रहा था. समीर समझ नहीं पा रहा था कैसे वह पूजा के पापा से बेटी का कोरोना का टेस्ट कराने को कहे.

अभी वह अपने पापा के लिए चिंतित था, अब पूजा के लिए परेशान हो गया. नहीं पूजा को कुछ नहीं होगा, पूजा की माँ ने बताया है, ज़ुकाम की वजह से पूजा के गले में हलकी खराश थी, हॉस्पिटल  मे गंभीर हालत मे पापा और मां को अकेले छोड़ कर जाना मुश्किल था। अंतत: समीर ने पूजा के पापा से बेटी को अस्पताल ले जाने पर ज़ोर दिया था।

कुछ ही दिनो मे पूजा का खांसी ज़ुकाम ठीक होने की जगह बिगड़ने लगा, उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी. अंतत: उसके पापा ने पूजा को अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया था. मामूली सर्दी ज़ुकाम और बुखार अब सामान्य कष्ट जैसा नहीं रह गया था.पूजा के चेहरे पर दर्द दिखने लगा था. बोलने में कष्ट होता. हॉस्पिटल ले जाने की बात सुन कर पूजा चैतन्य सी होगई. 

‘हॉस्पिटल नहीं- - समीर .’ कठिनाई से पूजा कह सकी.

“हाँ बेटी समीर आता होगा. तुम परेशान मत हो.”पापा ने तसल्ली दी.

“लाल - -गुलाब --डायरी - - -वादा -  

पूजा क्या कह रही थी, पूरी तरह समझ पाना कठिन था. कैसा लाल गुलाब, कौन सी डायरी?”

 हॉस्पिटल ले जाने पर जिस सत्य का सामना करना पड़ा,वो बेहद भयावह था पूजा के सिम्पटम देख कर डाक्टरों को कोराना संक्रमण का संदेह हुआ था. यह वह समय था जब भारत में कोरोना के अधिक मरीज़ नही थे.पूजा का टेस्ट करने के लिए पूजा के माँ-बाप को दूसरे कमरे में भेज दिया गया था. टेस्ट से भय सत्य में बदल गया.पूजा उस हॉस्पिटल की पहली कोरोना पॉज़िटिव युवती थी.पूजा के माता-पिता तो जड़ हो गए. टेस्ट में पूजा अंतिम स्टेज में कोरोना पॉज़िटिव निकली थी.

“हमें दुःख है, आपने मरीज़ को लाने में बहुत देर कर दी यकीन रखिए, हम पूरी कोशिश करेंगे, इतनी यंग लड़की कोरोना से हार नही मान सकती. आप लोग प्रार्थना कीजिए.”डाक्टर्स पूजा की चिकित्सा में जुट गए थे.

पूजा के माँ-बाप को अलग कमरे में रहने को विवश कर दिया गया था. जब तक उनके टेस्ट नहीं हो जाते वे अलग ही रहने को मजबूर थे. माँ अपनी बेटी को छोड़ कर जाने को तैयार नहीं थी, पर कोई दूसरा विकल्प नहीं था.

डाक्टरों की हर कोशिशों के बावजूद बंद होती आँखों में लाल गुलाब और सुनहरी डायरी के साथ समीर का सपना देखती पूजा ने हॉस्पिटल में दूसरे ही दिन आधी रात में हमेशा के लिए आँखें मूँद लीं. 

माँ पछाड़ खा कर गिर पड़ी. पिता सूनी आँखों से शून्य में निहारते रह गए. रात का अन्धेरा उनके जीवन में हमेशा के लिए गहरा अन्धकार कर गया था.

रात के दो बजे अचानक समीर बेहद बेचैन हो उठा.नर्स से कुछ देर के लिए बाहर जाने की अनुमति ले कर कार पूजा के हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा दी थी. हॉस्पिटल में सन्नाटा पसरा हुआ था. पूजा के पेरेंट्स का पता नहीं था. नाइट ड्यूटी के डॉक्टर से जो सूचना मिली उसने समीर को बेजान सा कर दिया.उसकी पूजा उसे छोड़ कर कैसे जा सकती है. आँखों के आगे अन्धेरा छा गया था.बहुत विनती करने पर डाक्टर ने समीर को पूजा के पेरेंट्स से दूर से बात करने की इजाज़त दी थी.

“हमारी पूजा हमें छोड़ कर चली गई.जाते-जाते तुम्हें याद कर रही थी.”आंसू पोंछते पूजा के पापा ने कहा.

“पूजा के बिना हमे नहीं जीना है, हम कैसे जिएँ?”माँ का करूंण क्रंदन दिल चीर गया.

“नहीं आंटी, पूजा कहीं नहीं गई है.अपने पोट्रेट में वह हमेशा अपने घर में आपके साथ रहेंगी.” बात कहते समीर की आवाज़ रुंध गई.

“पूजा तुम्हारे नाम के साथ किसी लाल गुलाब और डायरी के बारे में कुछ कहना चाहती थी; डायरी मे कुछ  लिख कर कोई वादा पूरा करना चाहती थी। क्या तुम जानते हो पूजा कौन सा वादा पूरा करना चाहती थी।“ कुछ शांत होकर पूजा के पापा ने पूछा.

“मै जानता हूँ, उसका लाल गुलाब और डायरी मुझे जीने का संबल देगी. काश उसकी पुकार सुन पाता. विश्वास रखिए, वह हमेशा मेरे साथ रहेगी.” नम आँखों के साथ समीर ने जैसे अपने से वादा कियi. नहीं,

एक पोट्रेट की कीमत पूजा की जान से नहीं चुकाई जा सकती। यह अन्याय है। समीर  स्तब्ध था।

सवेरे पूजा की हौस्पिटल से अंतिम विदाई नियत की गई थी। कोरोना से मृत शरीर  को अधिक देर नहीं रखा जा सकता था।

 “डाक्टर पूजा की अंतिम यात्रा में मुझे साथ जाने की इजाज़त दे दीजिए, वह मेरी होने वाली पत्नी थी.”डॉक्टर से अनुरोध करते समीर का कंठ भर आया.

“ठीक है, पर उसके लिए आपको हर सावधानी बरतनी होगी और दूर से ही पूजा को विदा करना होगा.”

“ मुझे मंजूर है.”

कब सोचा था, समीर के सपनों की राजकुमारी पूजा की अंतिम विदाई एम्बुलेंस में होगी? उसे तो नूरी बाग़ के फूलों से सजी डोली में विदा होना था. बेरंग फूलों से पूजा को अंतिम विदाई देकर समीर ने आंसू हथेली से पोंछ लिए.


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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