फाइनल एक्जाम्स खत्म होने के बाद इंजीनियरिंग
कॉलेज के विद्यार्थी पार्टी के लिए हॉल में जमा थे .पूरा हॉल विद्युत् लड़ियों से
सजाया गया था. म्यूजिक के साथ ड्रिंक्स और तरह-तरह के व्यंजन माहौल को खुशनुमा बना
रहे थे. अब इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद सबके अलग-अलग इरादे थे, कुछ आगे मास्टर्स करने की सोच रहे थे तो कुछ
कहीं नौकरी खोजने वाले थे.
रंगीन कपड़ों में सज्जित लडकियां लड़कों के
आकर्षण का ख़ास कारण थीं. उन सबमें नेहा सबसे अलग चमक रही थी. सुन्दरता के साथ उसकी
अदाएं भी बेहद मोहक होतीं. उसकी हर बात पर लड़के मुग्ध रह जाते. सच तो यह है जिस
दिन उसने मुम्बई से आकर उनके साथ चतुर्थ वर्ष में प्रवेश लिया था तो लड़कों की जैसे
दुनिया ही सुनहरी हो उठी थी. उसे ले कर सब सपने देखते. एक बस राम ही था जो उनकी
बातों से निर्लिप्त अपने में सिमटा रहता. उसका ना कोई दोस्त था ना कोई दुश्मन, हाँ हर परीक्षा में प्रथम स्थान उसके नाम ही
होता.
अब पार्टी जोरों पर आ गई थी. गीतों की धुन पर
डांस होना स्वाभाविक ही था. नीरज ने आकर नेहा से अपने साथ डांस का प्रस्ताव रख, उसके साथ
डांस शुरू किया तो शैलेश जल गया-
“ये नीरज बड़ा घाघ है, मौक़ा मिलते ही नेहा पर चांस मारता है.”
“तू क्यों पीछे रह गया, तू भी तो कम
नहीं है. अब अपनी पार्टनर चुन ले वरना अकेला रह जाएगा. वैसे तेरी
कविता शायद तेरा ही इंतज़ार कर रही है ” शरद ने रिमार्क दिया.
“अरे अपने राम मास्टर कहाँ रह गए, कम से कम आज के दिन तो एंज्वाय कर लेता.’ यशपाल
ने राम को पार्टी में न देख कर अपने मित्र महीप से पूछा.
‘अरे उस जीनियस को पढाई के अलावा और कुछ सूझता
ही कहाँ है. आज कह रहा था, जनाब
आई एस की तैयारी शुरू करने वाले हैं.”महीप ने मुस्कुरा कर कहा.
“वैसे वो जीनियस तो है, सेलेक्ट तो ज़रूर हो जाएगा,पर बेचारा इंटरव्यू में मार खा जाएगा. उसे तो
कपडे भी ढंग से पहिनने नहीं आते. महाशय एक दिन नंबर लगी शर्ट पहिन कर आगए थे “नरेश
हंस रहा था.
“कुछ भी कह, मेरे मन में तो राम के लिए बहुत आदर है. हमेशा
सब की मदद करता है, बदले में
किसी से कुछ एक्स्पेक्ट नहीं करता.”महीप ने सच्चाई से कहा.
“एक बात समझ में नहीं आती, ये नेहा उसके साथ काफी घुलमिल के बातें क्यों
करती है. दोनों के बीच ज़मीन आसमान का फर्क है. एक ओर बड़े बाप की इकलौती सुन्दर
बेटी नेहा, जो किसी के साथ सीधे मुंह बात नहीं करती और दूसरी तरफ
मायूसी को साकार करता राम, ”नरेश
ने अपनी शंका व्यक्त की.
‘अरे उस सीधे-साधे जीनियस राम को उल्लू बना कर
अपना काम निकलवाती होगी वरना कहाँ नेहा और कहाँ वो राम? मैने इस नेहा जैसी बहुत सी लडकियां देखी हैं, अपना मतलब सीधा करने को गधे को भी बाप बना
लें.” मोहनीश ने कडवाहट से कहा.
“माइंड योर लैंग्वेज यार, ये बात तू इस लिए कह रहा है क्योंकि नेहा ने
तुझे लिफ्ट नही दी. वैसे मुझे भी पता है, पिछले महीने सेमिनार में उसने राम से अपना पेपर
लिखवा कर सबकी तारीफ़ पाई थी. अब नेहा-राम पुराण यहीं छोड़ कर मै तो चला, वरना कविता
को कोई और अपना पार्टनर बना लेगा.”.अपनी बात कहता शैलेश सामने खडी कविता के साथ
डांस करने के लिए चला गया.
“वैसे मोहनीश तेरी बात में कुछ सच्चाई तो ज़रूर
है. मुझे याद है, जब ये नेहा
अपनी पुरानी सहेली शशि के साथ पहले दिन कॉलेज आई थी तो जैसे कॉलेज में हलचल मच गई
थी. सब उससे बात करने-मिलने को दीवाने थे, पर राम ने उस पर नज़र भी नहीं डाली थी, पर अब नेहा अपनी प्रोजेक्ट वगैरह में उसी राम
की खूब मदद लेती है.”नरेश भी मोहनीश से सहमत था.
“असल में
नेहा के पापा ब्यूरोक्रेट हैं, उनकी
ऊंची पहुँच के कारण ही नेहा को इंजीनियरिंग के फोर्थ इयर में एडमीशन मिला था. इसी
बात का उसे घमंड है. अपने काम निकलवाने के लिए वह राम के साथ दोस्ती का व्यवहार
करती होगी. वैसे हमारा राम है ही ऐसा, बिना किसी अपेक्षा के सबकी मदद करता है. अब चल
यार, हम भी आज की
रात का आनंद लें.”मोहनीश ने बातों का रुख मोड़ दिया.
जोड़े बन गए थे, लड़के और लडकियां संगीत पर नृत्य कर रहे थे.
बीच-बीच में हँसी मज़ाक और खाना-पीना चल रहा था. आज सब पूरी रात जश्न मनाने के मूड
में थे, इसके बाद कब
कौन कहाँ जाएगा या इसी शहर में रहेगा. माहौल रंगीन हो उठा था. सब जैसे सपनों को जी
रहे थे. ये शाम दोबारा कब आने वाली थी.
.”स्टॉप -.स्टॉप, बंद करो---“ अचानक अमरेन्द्र बाहर से बदहवास
चिल्लाता हुआ हॉळ में घुसा था. उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. उसकी आवाज़ पर सब
चौंक गए.
उस आवाज़ पर सन्नाटा छा गया. कुछेक पलों के बाद
नीरज ने आगे बढ़ कर पूछा था-
“क्या हुआ, अमरेन्द्र, सब ठीक तो है?”
“वो
राम - - राम ने फोर्थ फ्लोर से कूद कर सुसाइड कर लिया.”अमरेन्द्र की आवाज़ कांप रही
थी.
“पागल हो गई है, अपने पर कंट्रोल कर, हम हॉस्टेल जा रहे हैं.”शशि ने कडाई से नेहा का हाथ पकड़ पीछे खींच लिया.
“वैसे एक नए साथी पर नज़र डाले बिना उसे पहिचानेंगे कैसे?”नेहा हार नहीं मानने वाली थी.
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“पागल हो गई है, अपने पर कंट्रोल कर, हम हॉस्टेल जा रहे हैं.”शशि ने कडाई से नेहा का हाथ पकड़ पीछे खींच लिया.
“वैसे एक नए साथी पर नज़र डाले बिना उसे पहिचानेंगे कैसे?”नेहा हार नहीं मानने वाली थी.
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“क्या आ
- ये नहीं हो सकता.”सब के मन में यही बात थी.
“क्यों—कैसे.-- कब?’जैसे सवालों ने सबको स्तब्ध कर दिया. नेहा को
लडखडाते देख उसकी रूम- मेट और सहेली शशि
ने उसे कंधे से पकड़ कर सहारा दिया था.
म्यूजिक बंद हो चुका था, सारे लड़के और लडकियां उस दुखद घटना-स्थल की ओर
चल दिए. कुछ देर पहले की जगमगाती रात अब बेहद अंधेरी और भयानक लग रही थी. कॉलेज की
बिल्डिंग के नीचे राम का रक्त-रंजित शरीर निर्जीव पडा था. जीवन का कोई भी अंश शेष
नहीं दिख रहा था प्रिंसिपल के साथ आए
कॉलेज के डॉक्टर ने निराशा जनक संकेत दे कर स्थिति स्पष्ट कर दी थी. प्रोफ़ेसर कुछ
भी कहने की स्थिति में नहीं थे.
“’हमारे डिपार्टमेंट ने एक हीरा खो दिया. मुझे
राम से बहुत उम्मीदें थीं” कम्प्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष ने रूमाल से अपनी
आँखें पोंछते हुए कहा.
‘इतने ब्रिलिएंट लड़के के ऎसे दुखद अंत का क्या
कारण हो सकता है. अपनी माँ का यही एकमात्र सहारा था. अपनी योग्यता
के बल पर स्कॉलरशिप पर पढाई करता रहा.”प्रोफ़ेसर वर्मा ने दुखी स्वर में कहा.
“ठीक कहते हैं, उसका भविष्य तो बहुत उज्ज्वळ था, काश उसने ऐसा कदम ना उठाया होता. अब उसकी माँ
को हमें सम्हालना है. मैने प्रोफ़ेसर माधवी से राम की माँ को अपने साथ हॉस्पिटळ
लाने को कहा है.”प्रिंसिपल गुप्ता ने सबको सूचित किया.
पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही थी. अब सबको
एम्बुलेंस की प्रतीक्षा थी. कॉलेज शहर से दूर होने की वजह से अस्पताल भी दूरी पर
था. आवश्यक कार्रवाई के लिए राम के नश्वर शरीर को हॉस्पिटळ ले जाया जाना अनिवार्य
था.
“सर, इस उमर में अक्सर प्यार के चक्कर में
लड़के-लडकियां आत्महत्या कर लेते हैं, कहीं राम का भी तो किसी के साथ - -
-“इन्स्पेक्टर ने प्रिंसिपल से जानना चाहा.
“नहीं सर, हम सब जानते हैं, राम बहुत ही गंभीर किस्म का लड़का था. पढाई के
अलावा उसका किसी और बात में इंटरेस्ट नहीं था. कल ही हमारी
उसके साथ बात हुई थी, बिलकुल
सामान्य और खुश दिख रहा था..” इन्स्पेक्टर के अधूरे सवाल के जवाब में महीप ने आगे
बढ़ कर जवाब दिया.
“ये स्लिप राम की शर्ट की जेब में थी. इस पर
लिखा है ‘सपने जगाने और निर्ममता से तोड़ने के निमित्त—-“ इन्स्पेक्टर ने उस स्लिप
पर लिखी इबारत को जोर से पढ़ कर कहा-
“अब तो मुझे साफ़-साफ़ यह प्यार में दिल टूटने का
केस लग रहा है. स्लिप पर लिखी इबारत का कोई तो मतलब ज़रूर है. हमारी खोज में राम के
साथी ही मदद कर सकते हैं.”इन्स्पेक्टर ने अपना फैसला सुना दिया.
महीप सोच में पड़ गया, क्या इंस्पेक्टर की बात सच हो सकती है. क्या
राम किसी लड़की से प्यार करता था, कौन
है वह? नेहा उसके
साथ बातें ज़रूर करती थी, पर
हम सब जानते थे, वह राम से
मदद ले कर अपना फ़ायदा उठाती थी. उसे याद आया, कुछ घंटों पूर्व एक्जामिनेशन हॉळ से बाहर
निकलते राम से कुछेक साथियों के साथ महीप ने परिहास किया था-
“राम, तुझे तो अपना रिजल्ट पहले ही पता है. सबसे ऊपर
तेरा ही नाम होगा. डर तो हमें है, ना
जाने किस नंबर पर आएँगे.” महीप ने हंस कर कहा था.
“वैसे इंजीनियरिंग के बाद मास्टर्स तो करेगा ही
या नौकरी की सोच रहा है?”यशपाल ने जानना चाहा.
“सोचता हूँ, आई ए एस यानी प्रशासनिक सेवा की तैयारी करूं.”कुछ
संकोच से राम ने कहा था.
“कमाल है यार, तू तो कम्प्यूटर का जीनियस है, तुझे तो उसी में मास्टर्स करना चाहिए.” महीप ने
कहा.
“शुक्रिया, पर मुझे किसी ने प्रशासनिक सेवा के लाभ बताए
हैं.”हलकी मुस्कान के साथ राम बोला.
“चल तेरा सपना पूरा हो, अब कल शाम की पार्टी में मिलते हैं.”सबने हंसते
हुए राम से विदा ली.
कॉलेज
के सिक्यूरिटी गार्ड ने बताया
“राम भैया जब ऊपर जाने लगे तो मै ने पूछा था-
“भैया जी, पार्टी तो सामने हॉळ में हो रही है, आप ऊपर क्यों जा रहे हैं?’
“एक किताब छूट गई है, लेने जा रहा हूँ”
“ऊपर से कुछ गिरने की आवाज़ सुनी तो तुरंत मदद
के लिए भागा, पर वह तो जा
चुके थे. बहुत अच्छे थे राम भैया. ना जाने कौन सा दुःख ऐसे ले गया. अपनी बूढ़ी माँ
का भी ध्यान नहीं रहा.” गार्ड का कंठ भर आया था.
“उसे मार दिया.” नेहा जैसे अपने आपसे बोल रही
थी.
“क्या कह रही है, नेहा, किसने उसे मारा?”पास खडी आशा ने पूछा.
“कुछ नहीं, नेहा नर्वस हो रही है, अपने को सम्हाल नेहा. उसे किसी ने नहीं मारा, उसने खुद सुसाइड किया है.”शशि ने नेहा का हाथ
दबा कर चुप रहने का संकेत दिया.
मृत राम को हॉस्पिटळ ले जाने के लिए एम्बुलेंस
आ गई थी, उसके साथियों
द्वारा यही उसकी अंतिम विदाई थी. सबकी आँखें नम थीं. राम के साथ जाने के लिए महीप
और यशपाल के साथ कुछ और साथी एम्बुलेंस में चढ़ने लगे. प्रिंसिपल और प्रोफ़ेसर्स
कॉलेज-वैन में जारहे थे.
“मै भी राम के साथ जाऊंगी.” नेहा ने एम्बुलेंस
की तरफ कदम बढाए.
“मुझे जाने दे, शशि..”नेहा जैसे अपने से बात कर रही थी.
“अब यहाँ कुछ शेष नहीं है, हमें चलना चाहिए.”नेहा का हाथ पकड़ शशि उसे जबरन
खींचती ले गई.
अपने कमरे में पहुंची नेहा जैसे विक्षिप्त सी
बोलती गई.
“आज उससे ना जाने क्या कुछ नहीं कह डाला. वह
निर्वाक- विस्मित ताकता रह गया. राख- पुते चहरे के साथ उसे खडा छोड़ आई थी. मै अपराधिन
हूँ.”बात कहती नेहा की आँखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ आया.
“अभी तू होश में नहीं है, तूने ऐसा कुछ नहीं किया, नेहा. भला अपने साथी की कही गई कोई बात किसी को
सुसाइड करने को विवश कर सकती है? साथियों
के बीच नोक-झोंक तो चलती ही रहती है. राम के साथ कुछ और बात रही होगी, जिसकी वजह से वह सुसाइड करने को विवश था. कुछ
देर सो ले, हम बाद में
बातें करेंगे. चल मै तेरा माथा सहलाती हूँ, नींद आ जाएगी.”शशि ने नेहा को समझाना चाहा था.
“आज जो हमेशा के लिए सो गया, उसके बाद क्या मै सो सकूंगी. जानती है शशि, अभी वह जिस ब्लू जींस और सफ़ेद टी शर्ट में गया
है, वो उसे मै ने
उसकी बर्थ डै पर गिफ्ट की थी. उसने कहा था वह उसे किसी स्पेशल अवसर पर पहिनेगा. आज
वो स्पेशल दिन था.”आंसू लगातार बह रहे थे.
“क्या राम के साथ तेरा कोई अफेयर चल रहा था? मुझे पूरी बात बता तेरा मन हल्का हो जाएगा. अब
एक बात सच-सच बता, तूने ऐसा
क्यों कहा था कि तूने उसे मार डाला? अगर उस समय कुछ और कह डालती या तुझे एम्बुलेंस
में जाने से मैने रोका ना होता तो अभी तू थाने में पुलिस वालों के सवालों का जवाब
दे रही होती, अंजाम तो समझ
ही सकती है.”शशि ने गंभीरता से कहा.
“मेरे लिए
वही दंड ठीक होता. उसे हराने की जिद थी, पर आज वो जीत कर चला गया मै हार गई. मुझे मरना
है, मै मर
जाऊंगी.” पागल सी नेहा बोले जा रही थी.
“तेरी बातें समझ में नहीं आरही हैं, जानती हूँ, तेरे पीछे लड़के दीवाने रहते हैं,पर उन्हें मूर्ख बनाने में ही तू मजा लेती रही
है, आज राम के
सुसाइड करने पर तू क्यों ऎसी बहकी-बहकी बातें कर रही है. ये क्या स्लीपिंग पिल्स
क्यों लेना चाह रही है, कुछ
देर आँखें मूँद कर लेटी रह, नीद
आ जाएगी.
नेहा के हाथ में स्लीपिंग पिल्स की बोतल देख, शशि ने बोतल नेहा के हाथ से छीन ली.
“नहीं मुझे नींद नहीं आएगी, प्लीज मुझे लेने दे.”
“पागल हो गई है, ले एक गोली खा ले तेरी नींद के लिए इतनी डोज़ ही
काफी है. अभी तू राम की आत्मह्त्या के कारण परेशान है, कल सवेरे बात करेंगे.”पानी के साथ शशि ने नेहा
को पिल खिला कर कडाई से कहा.
नेहा को जबरन बेड पर लिटा कर शशि भी लेट गई, पर उस शाम के हादसे को भुला पाना उसे भी आसान
नहीं था. सबकी मदद करने वाला राम, सबके
स्नेह का पात्र था, उसे भुलाना
शशि को ही नहीं किसी को भी आसान नहीं होगा. राम की शर्ट की जेब से निकली उस इबारत
का क्या अर्थ था, क्या राम किसी
लड़की को चाहता था? नेहा जो कह
रही है, क्या उसमें
कुछ सच्चाई हो सकती है, क्या
नेहा वो लड़की हो सकती है? नहीं, नेहा जैसी अभिमानी लड़की के सपने तो आकाश छूते
हैं. वैसे भी उसकी शादी की बात तो लन्दन में पोस्टेड आई एफ़ एस संजय के साथ हो रही
है. राम उसके सपनों में कैसे आ सकता है. इसी उधेड़बुन में उलझी शशि न जाने कब सो
गई.
तकिए में
मुंह गडाए नेहा की आँखों से बह रहे आंसुओं से तकिया भीग रहा था. कॉलेज के पहले दिन
से लेकर आज तक की बातें एक-एक कर के चलचित्र की तरह से मानस में उभरती आ रही थीं.
क्यों ऐसा पागलपन सवार था उस पर, कैसे
उन बातों को भुला पाएगी. चुन्नी मुंह में दबाए नेहा अपनी सिसकियों को इस डर से दबा रही थी, कहीं शशि ना जाग जाए. काश वह भी आज हमेशा के
लिए सो सकती. उसे राम से प्यार हो गया था, पर हमेशा अपने को झुठलाती रही, नहीं ऐसा नहीं हो सकता. नेहा की बातों से अब तो
राम को भी अपने प्रति उसके प्यार का विश्वास हो गया था. काश हंसी-हंसी में आज राम
से मज़ाक न कर उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता, उससे अपने मन की सच बात कह दी होती, राम को अपने और उसके बीच प्यार पर पूरा यकीन था
इसीलिए तो उसने उसे रोज़ गार्डेन में बुलाया था. नेहा समझ गई थी,थी आज वह अपने मौन प्यार को शब्द देने वाला था, पर नेहा तू ये कैसी भूल कर बैठी.
वो कॉलेज का पहला दिन था. इस कॉलेज में आते ही
शशि को यहाँ देख कर वह खुश हो गई थी. वो दोनो इंटरमीडिट के बाद अलग होगई थीं. शशि
भले ही अभिन्न सहेली नहीं रही थी, पर
नए कॉलेज में पुरानी परिचिता मिल जाना अच्छा लगा था. बड़े स्नेह के साथ शशि नेहा को
डिपार्टमेंट के साथियों से मिलाने ले गई थी. शशि, के साथ नेहा को आते देख कर सारे लड़के उसका
परिचय जानने को नेहा के चारों ओर घिर आए
थे, पर सफ़ेद
कमीज़-पैन्ट वाला वह लड़का सारे शोरगुल से उदासीन कम्प्यूटर में आँखें गडाए बैठा
था.शुरू से नेहा ने अपनी सुन्दरता पर लड़कों को आहें भरते देखा था. कोई नेहा की
उपस्थिति को यूं नकार दे, उसके
लिए यह नया अनुभव था. उसकी उदासीनता नेहा को अपना अपमान लगा था.”नेहा की सिसकी से
शशि ने करवट बदल कर पूछा-
“क्या अभी तक सोई नहीं, नेहा? तेरा सिर सहला दूं, नींद आ जाएगी.”
“नहीं, मै ठीक हूँ, तू सो जा.” अपने की भरसक संयत कर नेहा ने धीमे
से कहा..
कुछ ही देर में शशि सो गई और नेहा की विचार-
श्रंखळा फिर आगे की तस्वीरें देखने लगी. उस युवक के पास जा कर पूछा था- “ क्या आपको मेरा परिचय
नहीं चाहिए?”
“जितना सुना, काफी है.”लैप टॉप से नज़र उठाए बिना उसका जवाब
मिला था.
“आपके यहाँ अगर कोई नया मेहमान आए तो क्या उसका
ऐसे ही स्वागत करते हैं?”
“यह तो मेहमान पर निर्भर करता है. क्लास में
नए-पुराने सब साथी होते हैं, मेहमान
नहीं.”
“अपरिचय से मेरी मित्रता है. परिचय बढ़ाने की
चाह नहीं, प्लीज़ नुझे
डिस्टर्ब मत कीजिए, मुझे कुछ
ज़रूरी काम पूरा करना है” कुछेक पलों को नेहा पर नज़र डाल फिर उसने कम्प्यूटर में
सिर गड़ा लिया.
“कमाल है, आपकी नई साथिन हूँ, क्या मेरे लिए एक मिनट का समय भी नहीं दे सकते?” उसके रूखे व्यवहार से चिढ कर नेहा जिद पर उतर
आई थी. अपमान से पागल हो गई थी.
“आपसे कहा ना, एक ज़रूरी काम कर रहा हूं, इस काम को पूरा करना, आपसे परिचय करने से ज़्यादा महत्वपूर्ण बात है.
वैसे भी बाहर बहुत से साथी आपका इंतज़ार कर रहे हैं, प्लीज़ अब आप मुझे अपना काम करने दीजिए, यहाँ खडी हो कर मुझे डिस्टर्ब मत कीजिए और यहाँ
से चली जाइए.”राम ने कड़ी आवाज़ में कहा था.”
अपने उस अपमान –अवज्ञा ने नेहा को तिलमिला
दिया. मुख्य मंत्री के चीफ सेक्रेटरी की इकलौती सुन्दर बेटी से उसके माँ-पापा तक
ने कभी ऊंची आवाज़ में बात नही की है, क्या समझता है ये अपने को, एक दिन इसका गर्व चूर-चूर ना किया तो मेरा नाम
नेहा नहीं. मन ही मन में प्रतिज्ञा कर डाली थी. उसके जिद्दी स्वभाव को घर-बाहर सब
जानते थे, हमेशा जो
निश्चय किया पूरा कर के ही चैन लिया. राम को घमंडी कहने पर शशि ने समझाया भी था-
“नेहा, राम घमंडी नहीं बल्कि उसकी परिस्थितियों ने
उसे गंभीर बना दिया है. वह ज़रूर हेड का कोई कोई महत्वपूर्ण काम कर रहा होगा, सारे प्रोफ़ेसर और सब साथी उसे प्यार करते हैं, वह सबका साथी है, पर किसी का भी घनिष्ठ मित्र नहीं. कभी किसी
लड़की को लड़की की तरह देखा ही नहीं, उसके उदार और विशाल ह्रदय में हम सब उसके साथी
हैं, वह ना किसी
का दोस्त है ना ही किसी का दुश्मन”
“अरे तू इन लड़कों को नहीं जानती. अपने को सबसे
अलग दिखा कर हीरो बनना चाहते हैं. मैने न जाने कितने राम जैसे लड़कों को अपने पैरों
पर झुकाया है, एक दिन इसे
अपने पीछे पागल ना बनाया तो मेरा नाम नेहा नहीं.”क्रोध में नेहा ने प्रतिज्ञा कर
डाली.
“तू हार जाएगी, नेहा. मेरी बात मान, राम एक सच्चा, मेधावी, सरल ह्रदय वाला स्नेही युवक है. सबकी सहायता
करने में वह प्रसन्नता का अनुभव करता है, बदले में कोई चाह नहीं रखता. वह दूसरों से बहुत
अलग है, इसीलिए सब
उसे प्यार करते हैं. तू खुद देख लेगी, हेड उस पर कितना विश्वास रखते हैं,. प्लीज राम को हराने की जिद मत कर वरना
पछताएगी.”
काश शशि की बात समझ पाती, पर नेहा पर तो अपने अपमान का बदला लेने का
जुनून सवार था. कोई उसका ऐसे अपमान कर सकता था, इस बारे में तो सपने में भी नहीं सोच सकती थी.
दो-तीन दिन बाद फिर राम के पास गई थी, क्लास में वह हमेशा अकेला ही बैठता था,. उसके पास खाली जगह देख कर पूछा था,
“आपके पास बैठ सकती हूँ?”
“अगर कहीं और जगह नहीं है तो बैठ जाइए.” इतना
कह कर, अपना लैप टॉप
उठा कर वह दूसरी बेंच पर चला गया.
“अरे वाह, मेनका का जादू भी हमारे विश्वामित्र पर नहीं
चला.”मोहनीश के रिमार्क पर पूरा क्लास हंस पडा .अपमान से नेहा का गोरा रंग लाल हो
गया.
लड़कों की धीमी हँसी से तिलमिला उठी थी, ऐसा अपमान कैसे सह सकूंगी. नहीं उसे इस अपमान
का बदला चुकाना ही होगा. उसे नीचा दिखाने की उसी दिन दूसरी बार फिर प्रतिज्ञा कर
डाली. इस विश्वामित्र को अपने पैरों पर ना झुकाया तो मेरा नाम नेहा नहीं. क्या
उसके लिए मेरी वो नफरत थी या प्यार की पहल? उसके पहले किसी ने उसकी ऐसी अवहेलना नहीं की
थी. तुमने ऐसा क्यों किया, राम? नेहा की सिसकियाँ फिर तेज़ हो गईं.
“अगर तुझे एक और स्लीपिंग पिल लेनी है तो देती
हूँ, पर इतना रोने
की वजह ज़रूर बतानी होगी.’
शशि उठ कर बैठ गई.
“माफ़ कर दे, शशि. कुछ देर को बाहर खुली हवा में जा रही हूँ, यहाँ घबराहट हो रही है.”
“आर यूं
श्योर, अकेली बाहर
जा सकेगी ? तू कहे तो मै
भी तेरे साथ चलती हूँ”शशि ने कहा.
“डोंट वरी, मै ठीक हूँ. तू सो जा, सॉरी, तेरी नींद खराब कर दी.”धीमे से कह कर वह बाहर
चली गई.
कमरे से बाहर आई नेहा जैसे खुली आँखों से सारी
तस्वीरें देखने लगी. वह अपने पूर्व अनुभव से जानती थी, राम को अपने पैरों पर झुकाने के लिए उसके अहं
को बढ़ावा देकर, उसके अन्दर
के सोए पुरुष को जगाना आवश्यक था. उसे याद हैं, राम को आकृष्ट करने के उपाय उसने किस तरह से
शुरू किए थे. पहले भोलेपन से उससे क्षमा मागी थी-
“माफ़ कीजिएगा, आपको अनजाने ही डिस्टर्ब करती रही. असल में मै
आपकी तरह कम्प्यूटर की प्रोजेक्ट और प्रेजेंटेशन में अच्छी नहीं हूँ सोचा आपकी
हेल्प से काम जल्दी कर सकूंगी, आप
जीनियस जो ठहरे,”
“मै कोई जीनियस नहीं आपका साथी हूँ, आपको जब भी मेरी हेल्प चाहिए ज़रूर करूंगा, साथी होने की वजह से ये तो मेरा फ़र्ज़ है.”
गंभीरता से राम ने कहा था.
नेहा की बातों पर विश्वास कर, उदार राम नेहा को हिम्मत रखने और मेहनत करने को
उत्साहित करता. नेहा जानती थी, उसकी
कमजोरी से राम को सहानुभूति होती, उसका
पुरुषोचित अहं नेहा की मदद कर के संतुष्ट होता था. नेहा जानती थी, किसी लड़की द्वारा की गई प्रशंसा पुरुष के अहं
को तुष्ट करती है. इसीलिए उसकी हर बात को मुग्ध भाव से सराहती.
“जानते हो, राम, मुझे सफ़ेद रंग पसंद नहीं था, पर अब मुझे सफ़ेद रंग से प्यार हो गया है.
तुम्हारे व्यक्तित्व से इन सफ़ेद कपड़ों का मूल्य बढ़ जाता है.”
ये तो
बाद में शशि से पता चला था, पिता
की आकस्मिक मृत्यु के बाद उसकी माँ ने बड़ी कठिनाइयों से उसे पाला है. उसके पास बस
दो या तीन जोडी सफ़ेद कपडे ही थे, जिनसे
उसके कपड़ों की गिनती नहीं हो सकती है. एक पल को नेहा के सामने सफ़ेद परिधान में
तेजस्वी राम जैसे साकार हो आया.
“मुझे माफ़ कर दो, राम.” नेहा रो रही थी.
नेहा को याद आया, सेमेस्टर के बाद कॉलेज पिकनिक पर वह नहीं गई
थी. उसे पता था, राम ऐसे
कार्यक्रमों में नहीं जाता था. उस दिन उसके अंकल उससे मिलने आने वाले थे, पर लाइब्रेरी में बैठे राम से यही कहा था,
“सब साथी पिकनिक के लिए गए हैं, पर मुझे पिकनिक में जाने वालों के साथ जाना
पसंद नहीं था, अगर तुम जाते
तो ज़रूर जाती “उस दिन पहली बार राम ने गंभीरता से कहा था-
“मै तुम्हारी
मित्रता के योग्य नहीं हूँ, तुम्हारे
साथ मित्रता के लिए दूसरे बहुत से योग्य लड़के उत्सुक हैं.”
ये बात
क्या नेहा से छिपी थी, पर
राम से यही कहा था,
“जिन लड़कों से मेरी मित्रता की बात तुम कर रहे
हो, उनके लिए
लड़की से मित्रता और उससे लाभ उठाना बस खेल होता है. कोई भी समझदार लड़की एक ऐसा
जीवन साथी चाहती है, जो सच्चा और
गंभीर हो, अपनी मेधा के
बल पर आकाशीय ऊंचाइयां छू सके. जिसके पास धन ना हो, पर प्यार की अगाध संपत्ति हो.” हाय, इतना बड़ा झूठ कैसे आसानी से बोल गई थी.सिसकियाँ
तेज़ हो गई थीं.
“ऎसी बातें सिर्फ किताबों में या फिल्मों में
होती हैं, वास्तविक
जीवन में लडकियां ऊंचे पद वाला धनी जीवन साथी ही चाहती हैं.”राम ने अपने अनुभव से
कहा.
“शायद तुम्हारा किसी ऎसी लड़की के साथ इस तरह का
अनुभव रहा हो, पर मेरी सोच
दूसरी है. एक बात कहना चाह रही हूँ, जब से तुमसे मिली हूँ मुझे ऐसा लगता है, तुम जैसा ही कोई मेरा स्वप्न-पुरुष हो सकता है.
तुम सबसे कितने अलग हो.”
काश उससे
ऐसा कहते समझ पाती कि उसका वो झूठ एक दिन सच बन जाएगा. उस दिन के बाद से राम की
नज़रें कुछ बोलने लगी थीं, राम
नेहा के साथ सहज हो चला था. नेहा भी राम के सानिध्य में अपने को बहुत सुरक्षित
महसूस करती थी. अभी तक उसे अपने आसपास मंडराने वाले युवकों का ही अनुभव था जो उसके
सौन्दर्य के दीवाने होते. उसे खुश करने के तरीके अपनाते, पर राम उन सबसे कितना अलग था. नेहा की मदद करते
समय उसकी मेधा नेहा को मुग्ध कर जाती, कितनी आसानी से वह बड़ी से बड़ी समस्या का कुछ
क्षणों में समाधान कर जाता.सच्चे दिल से वह नेहा की सहायता करता.नेहा को एक सफल
विद्यार्थी के रूप में आगे बढ़ने को उत्साहित करता.
नेहा राम के साथ बैठने लगी थी. साथियों के
व्यंग्य उन्हें परेशान नहीं करते. कोई भी समस्या आने पर राम की मदद से नेहा आसानी
से समस्या का समाधान कर लेती. राम नेहा की सहायता करके साथी होने का फ़र्ज़ सच्चे
दिल से निभाता था. राम के साथ समय व्यतीत करना नेहा को अच्छा लगने लगा था. भविष्य
के सपने देखने की जगह यथार्थ की कठोर भूमि पर जीते हुए, आत्मविश्वास से चमकता उसका चेहरा नेहा को मुग्ध
कर जाता उसकी मेधा नेहा को विस्मित करती.वह भूल गई इसी राम ने कभी उसकी अवज्ञा की
थी, और नेहा ने
उस अपमान का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी.
राम का साथ नेहा को प्रिय लगता. वह जानती थी
साथ के बहुत से युवक उसके साथ मित्रता करने के कई तरह के तरीके आजमाते,पर अब नेहा को जैसे किसी की ज़रुरत ही नहीं रह
गई थी. राम के निश्छल स्वभाव के पारस ने जैसे नेहा को बदल दिया था. नेहा स्वयं
अपने इस परिवर्तन को लक्ष्य कहाँ कर सकी थी? खाली समय में दोनों अपने अनुभव शेयर करते. कभी-
कभी अपने बचपन की शैतानियाँ सुनाता राम जैसे बच्चा बन जाता. उसकी बातें नेहा को
हंसा जातीं. राम का दुखद अतीत सुनती नेहा की आँखें भर आतीं. राम की वृद्धा माँ
गाँव में अपने भाई के साथ रहती थी. अपनी माँ को सुखी बनाना राम का संकल्प था. नेहा
सोचती, उतने कष्टों
में राम कैसे इतना मेधावी बन सका.
“राम अगर
तुम्हारी जगह मै होती तो परिस्थितियों के आगे हार मान जाती और कुछ नहीं कर पाती.”
“नहीं ऐसा कभी नहीं होता वरना हम दोनों कैसे
मिल पाते?”राम ने पहली
बार मज़ाक किया.
“अच्छा
तो जनाब मज़ाक भी कर सकते हैं.”नेहा हंस रही थी.
अब दोनों जैसे एक- दूसरे के पूरक जैसे बन गए
थे. कॉलेज खत्म होने के बाद अक्सर पास के पार्क में कुछ देर के लिए रुक जाते. नेहा
के आग्रह के बावजूद राम ने कभी रेस्तरा में जाने की उसकी कोई बात स्वीकार नहीं की.
अपनी वास्तविकता से वह परिचित था. ट्यूशन और स्कॉलरशिप के पैसे वह ऐसे शौक पर खर्च
नहीं कर सकता था.
एक दिन अचानक पार्क से बाहर आते हुए नेहा का
पैर एक पत्थर पर पड़ गया. नेहा का पैर मुड़ गया
दर्द से नेहा की आँखों से आंसू बह निकले. राम व्याकुल हो उठा. नेहा को खडा कर पाना
कठिन था बिना कुछ सोचे राम नेहा को गोद में उठा पास की डिस्पेंसरी में भागता सा ले
गया..
नेहा के पैर को एक्जामिन कर डॉक्टर ने एक पेन
किलर टैबलेट और मरहम दे कर क्रेप बैंडेज पैर पर लपेट कर कहा-
“घबराने की कोई बात नहीं है, मामूली मोच है, दो दिन में ठीक हो जाएगी. आप अपनी पत्नी को
बहुत प्यार करते हैं इसीलिए डर गए. आप लकी हैं, मैडम.”
“ओह ,नहीं डॉक्टर आप गलत समझ रहे हैं –“राम ने
सच्चाई बताने की कोशिश की.
“इट्स ओ. के.मै समझता हूँ. हैव अ नाइस टाइम.”
डॉक्टर चले गए’
दूसरे दिन कॉलेज में नेहा की अनुपस्थिति का समय
काट पाना राम को कठिन लग रहा था वह समझ
नहीं पारहा था उसे क्यों ऎसी बेचैनी हो रही थी. बहुत सोचने के बाद जो समझ सका वह
असंभव ही था.
वापिस आई नेहा को देख राम खिल उठा, अपनी सोच का जवाब उसे नेहा से ही लेना होगा.
“कैसी हो नेहा, अब दर्द तो नहीं है?”राम की आवाज़ में कंसर्न था.
“थैंक्स राम, तुम्हारी कृपा से लंगडी होने से बच गई वरना
मेरी शादी भी नहीं हो पाती,”
“ऐसा क्यों
कहती हो, अगर तुम्हें
कोई सच्चा प्यार करने वाला इंसान मिले जिस के पास सिर्फ मेधा और योग्यता जिसे
तुम्हारे अलावा हो और कुछ नहीं चाहिए तो?”राम ने सवाल किया.
”तो उसे ही अपना जीवन साथी बनाना चाहूंगी.
“उसकी बात अधूरी काट कर जवाब दिया था.
“ठीक है, तुम्हारी इच्छा पूरी होने में कोई बाधा कहाँ है, जो चाहोगी मिलेगा.”राम मुस्कुराया था..
राम कम्प्यूटर
विभाग से एम् एस कर के प्रोफ़ेसर बनना चाहता था. हेड उसे कम्प्यूटर का जीनियस कहते
थे, पर नेहा ने उसे प्रशासनिक सेवा में जाने की सलाह दी थी.
उससे कहा था,
“असल में राम
तुम जैसे इंटेलिजेंट और ईमानदार इंसान प्रशासनिक सेवा में जा कर समाज में सुधार ला
सकते हैं,”अपने मन की
बात नेहा ने कही थी.
“तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो, नेहा? सच कहूं तो अब भी यकीन नहीं होता तुम जैसी लड़की
मुझ जैसे साधारण इंसान को इतना महान बना सकती है. डरता हूँ कहीं ये सपना टूट ना
जाए. अपनी ज़िन्दगी की सच्चाई जानता हू.”राम गंभीर था.
“तुम्हें नहीं पता तुम क्या हो, तुम किसी भी लड़की का सपना हो सकते हो.” अपनी
कही इस बात को याद करती नेहा की आँखों से बहते आंसुओं की बाढ़ ने पूरी चुन्नी भिगो
दी
“मुझ पर इतना भरोसा है, नेहा. सच अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं होता.
तुम्हारा सपना पूरा करना ही अब मेरे जीवन का लक्ष्य है.कभी मेरा साथ तो नहीं
छोडोगी, नेहा?”प्यार भारी नज़र से राम ने पूछा.
“कभी नहीं, तुम्हारे साथ अपने को पहिचान सकी हूँ, राम.” नेहा ने दृढ़ता से कहा.
एक्जामिनेशन हॉल से बाहर आ कर राम ने कहा था-
“कल ग्रैंड पार्टी की शाम है, वैसे तो मै ऎसी पार्टीज़ में नहीं जाता, पर कल स्पेशल दिन है, पार्टी में ज़रूर आऊँगा. पार्टी के पहले क्या कल
शाम चार बजे हम रोज़ गार्डेन में मिल सकते हैं, नेहा?”
“क्यों क्या कोई ख़ास बात है, पार्टी में तो मिलेंगे ही.”नेहा ने बन कर कहा.
“हाँ एक सरप्राइज़ देना है, आओगी ना?”विश्वास से राम ने पूछा.
“तब तो आना ही पडेगा, तुम्हारा सरप्राइज़ जो लेना है.”मुस्कुरा कर
उससे विदा ली थी.
.पिछले कुछ दिनों से राम उससे कुछ कहना चाहता
था. वैसे दोनों ही संकेतों में आजीवन साथ निभाने की बातें करते थे. नेहा समझ गई आज
राम उसे प्रोपोज करने वाला था. यही उसका सरप्राइज होगा.नेहा को याद नहीं जिस राम
को अपमानित करने का उसने निश्चय किया था, कब अनजाने ही उस राम की तीव्र मेधा, सादगी और सच्चाई के मोहपाश में बंध चुकी थी. अब
वह जान चुकी थी कि उसे राम से प्यार होगया था. राम जैसा मेधावी और सच्चा
प्यार करने वाला जीवन साथी मिलना सौभाग्य ही था.
अचानक मुस्कुराती नेहा के दिमाग में एक मजाकिया
ख्याल आगया. जनाब ने कॉलेज के शुरू के दिनों में नेहा को बहुत सताया है, आज उसे परेशान करने का मौक़ा है. उससे कहूंगी मै
उसे प्यार नहीं करती. उसे धोखा हुआ है. शाम की पार्टी में उसे सच्चाई बताऊंगी कि
गार्डेन में उससे जो बातें कहीं वो सब झूठी
बातें थीं. वो तो मेरा मज़ाक था. सच्चाई तो कुछ और है, तुम मेरा प्यार हो, राम. मेरी सच्चाई जान कर राम का चेहरा खिल
उठेगा. अपने मज़ाक की कल्पना से नेहा के चेहरे पर शरारती मुस्कान आगई.
काश वह राम के बुलाने पर ना गई होती. उसे बता
सकती उसका वो मज़ाक एक झूठ था.राम कितनी उत्सुकता से उसका इंतज़ार कर रहा था.”नेहा
सुबक रही थी.
गार्डेन में राम नेहा का इंतज़ार कर रहा था.
नेहा की गिफ्ट की गई जींस और टी शर्ट में
उसका व्यक्तित्व सचमुच निखर आया था. हाथ में सुर्ख लाल गुलाब के साथ उसके
चेहरे पर खुशी की चमक थी.
“तुम्हारे इंतज़ार में एक-एक पल भारी लग रहा था, नेहा. ये गुलाब इसका साक्षी है.”राम ने कहा था.
“अब बताओ, मेरे लिए क्या सरप्राइज़ है, कहीं तुम्हारा ये नया परिधान ही तो मेरे लिए
सरप्राइज़ नहीं है?” नेहा ने
परिहास किया.
“आज तक
मेरे दिल में जो बात कैद थी, तुमसे कहना चाह रहा हूँ, आज का यही सरप्राइज़ है” राम की आवाज़ में खुशी
थी.
“ऎसी कौन सी बात है, जिसे इतने दिनों तक बोझ की तरह ढोते रहे?”
“बोझ नहीं अपनी अनमोल निधि की तरह छिपाए रखा
है. एक वादा करना होगा, मै
जो मांगूं उसका जवाब हाँ में दोगी.”वह मुस्कुरा रहा था.
“बिना बात जाने वादा करना मेरी आदत नहीं है.
तुम बात बताओ, उसके बाद
जवाब दूंगी.” कैसा जवाब दिया था नेहा ने, जो उसे मौत की तरफ ले गया.
“अपने हाथ का गुलाब नेहा को पकड़ा कर मुस्कुराते
राम ने कहा था-
”नेहा, हम दोनों एक-दूसरे के इतने करीब आ चुके हैं कि
अब हमें विवाह का फैसला कर लेना चाहिए. मेरा वादा है, जब तक प्रशासनिक सेवा में सफल नहीं हो जाता
हमारा विवाह स्थगित रहेगा. इस बार एक्जाम दे रहा हूँ, मुझे विश्वास है मै सफल रहूँगा. तुम मुझे इसी
रूप में तो देखना चाहती थीं ना?.”
बहुत प्यार और विश्वास से राम ने कहा था.
“क्या, कह रहे हो, मेरे साथ विवाह के बारे में तुम सोच भी कैसे
सकते हो. तुमसे दो मीठे शब्द क्या बोल दिए तुम तो सचमुच आकाश का चाँद पाने की सोच
बैठे.”नेहा ने अभिमान से कहा.
“ये क्या
कह रही हो, नेहा? क्या तुमने मुझे अपने स्वप्न-पुरुष और जीवन
साथी के रूप में नहीं देखा. हमेशा कहा तुम्हे मुझ जैसा मेधावी, प्यार करने वाला जीवन साथी चाहिए. तुम्हें पद
या धन की चाह नहीं है. क्या वो बातें झूठ थीं या तुम्हारा धोखा था?”राम का स्वर बेहद आहत था.
“कैसा धोखा? धोखे में तो तुम हो. तुम जैसा स्वप्न-पुरुष या
जीवन साथी कहने भर का मतलब तुमने अपने लिए कैसे समझ लिया? क्या कभी भूल कर भी तुमसे कहा कि तुम ही मेरे
स्वप्न पुरुष हो, तुम्हे अपना
जीवन साथी मानती हूँ?तुम
इतने बड़े धोखे के शिकार कैसे हो गए” राम के उतरे चहरे का मज़ा लेती नेहा ने कहा था.
‘
“नेहा, मुझे तुम्हारी हर बात में अपने लिए प्यार
दीखता था.क्या तुमने ये नहीं कहा मै किसी भी लड़की का सपना हो सकता हूँ. तुम्हें धन
या पद की चाह नहीं- - -“राम ने दुखी स्वर में सच्चाई दोहराई.
“अक्सर सुनती आई हूँ लड़के किसी अमीर लड़की को
अपने प्यार के जाल में फंसा रातों रात अमीर बनना चाहते हैं, कहीं तुमने भी तो यही नहीं सोचा था?”
“ये क्या कह रही हो, तुमने क्या मुझे इतना ही जाना है? क्या धन के लोभ से तुम्हें चाहा है. धन तो मेरे
लिए कोई महत्व् ही नहीं रखता, नेहा.
मैने तुम्हें अपने से ज़्यादा प्यार किया है ,क्या इस सत्य को तुम नहीं पहिचान सकीं?”राम की आवाज़ जैसे किसी गहरे कुंए से आ रही थी.
“बस अब बहुत हो गया. एक बात और तुम्हें अपना
दोस्त माना था, ये मेरे जीवन
की सबसे बड़ी भूल थी. अब इस दोस्ती के नाम पर मेरे बारे में कोई स्कैडल मत फैलाना.
वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, आज
की पार्टी में मेरे आस-पास भी मत दिखाई देना.” हाथ में पकड़ा गुलाब ज़मीन पर फ़ेंक नेहा
गर्व से मुस्कुराती वापिस चल दी.
राम के विस्मित स्तब्ध चेहरे को नेहा जान गई
राम उसे कितना प्यार करता है. उसकी झूठी बातों को सच मान वह किस कदर दुखी हो गया
था. राम को अपने मज़ाक से उतना दुखी होता देख खुशी से वापिस आई थी.अपनी बातों का
मज़ा लेती नेहा सोच रही थी शायद वह कुछ ज़्यादा ही बोल गई. वैसे उसे यकीन है पार्टी
नें वह राम को सच्चाई बता कर मना लेगी.वह राम को प्यार करती है ये बात सुन कर राम
कितना खुश हो जाएगा.रोती नेहा की हिचकियाँ सुन शशि बाहर आगई.
“क्या बात है, नेहा इतनी देर से तेरा रोना सुन रही हूँ. सच-सच
बता आखिर बात क्या है. कहीं उसके साथ सच में तेरा अफेयर तो नहीं था? सबको ये देख कर ताज्जुब ज़रूर होता था कि राम जो
किसी लड़की से बात भी नहीं करता था तेरे साथ काफी सहज होगया था.”
“मै अपराधिन हूँ. मैने उसे मार दिया.”नेहा फिर
रो पड़ी
“ये क्या कह रही है, तू उसे कैसे मार सकती है. देख नेहा, मै तेरी सहेली हूँ, कोई गलती करने पर रोने से कोई लाभ नहीं होता.
मुझे सच बात बता, तेरा मन
हल्का हो जाएगा” प्यार से शशि ने नेहा से कहा’
“पार्टी
वाले दिन राम ने पार्टी के पहले मुझे रोज़
गार्डेन में बुलाया था.क्यों गई वहां?अगर ना जाती तो वह इंतज़ार ही करता, दुनिया से तो ना जाता.”नेहा रो पड़ी.
“क्या कह रही है, क्या हुआ था गार्डेन में?”शशि जानने को व्याकुल हो उठी.
आंसू पोंछ टूटे फूटे शब्दों में रुक-रुक कर
नेहा कहती गई. बीच-बीच में आंसुओं का सैलाब .उमड़ आता.
“इसका साफ़
मतलब है तू अपनी आदत के अनुसार उसे धोखा दे रही थी. जानती हूँ, इस तरह के खेल तो तू काफी पहले से खेलती आई है. याद आया, तूने राम को अपने पैरों पर झुकाने उसे हराने की
प्रतिज्ञा की थी. आज तेरी प्रतिज्ञा पूरी हो गई. अब अपनी जीत की खुशी मना.तुझे
समझाया था पर भला तू कब किसी की सुनने वाली है.”शशि ने कडाई से कहा.
“नहीं. मैने उसे धोखा नही दिया. मैने राम को
सच्चा प्यार किया था, जान
गई थी, राम के बिना
जीवन संभव नहीं था. राम ने मुझसे सच्चा प्यार किया था और मैने मज़ाक-मज़ाक
में उसके सपने तोड़ दिए. कभी उसे हराने की जिद थी ,पर में खुद हार बैठी.”नेहा ने आंसुओं से भीगी
चुन्नी से बहते आंसूं पोंछे.
“तेरी बनावटी और झूठी बातों के बहकावे में मै
नहीं आने वाली हूँ. तुझ जैसी अभिमानी लड़कों को उँगलियों पर नचाने वाली लड़की, उस सीधे सादे राम से प्यार कर ही नहीं सकती, तूने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के निमित्त उसकी
जान ले ली. तू अपराधिन नहीं,पापिन
है.”शशि के शब्दों में घृणा थी.
“ये सच नहीं है, मुझे नहीं पता था, वह मेरी मज़ाक में कही बातें सच मान लेगा. क्या
उसे मेरे प्यार पर इतना ही विश्वास था, कितनी बड़ी गलती कर बैठी, आज समझ रही हूँ, मैने अपना प्यार अपनी ज़िंदगी खो दी .“नेहा की
आँखों से आंसू बाँध तोड़ बह रहे थे.
“बस अब तेरा एक शब्द भी सहन नहीं कर सकती. तू
लड़की के नाम पर कलंक है. तेरे बारे में पहले से जानी- सुनी बातें जानती हूँ, तूने न जाने कितनी बार ऐसे खेल खेले हैं.
कितनों का दिल तोड़ा है. लड़कों को मूर्ख बनाना तेरी हॉबी रही है. राम कितने कोमल
दिल का सीधा- सच्चा इंसान था, तेरी
बातों ने उसे पूरी तरह से तोड़ दिया. तू हत्यारिन है.” नफरत भरे शब्दों में शशि चीख
सी पड़ी,
“नहीं, राम के साथ मैने कोई खेल नहीं खेला, मेरा विश्वास कर शशि, राम को सच्चे मन से चाहा था,”
“मै तेरी झूठी बातों में नहीं आने वाली हूँ.
तूने एक सच्चे इंसान राम की ही नहीं, सच्चे प्यार की भी ह्त्या की है. भगवान् करे तू
पूरी ज़िंदगी प्यार के लिए तरसे, तुझे
किसी का प्यार ना मिले. समझ नहीं पा रही हूँ, तेरा क्या हश्र कर डालूं, पुलिस के हवाले करने से तेरे पापा तुझे छुडा ले
जाएंगे. अपने अक्षम्य पाप पर तू ज़िंदगी भर तिळ-तिळ कर जलती रहे, मरती रहे, यही तेरी सज़ा होगी.” शशि चिल्ला रही थी आँखों
से चिंगारियां निकल रही थीं.
“मुझे माफ़ कर दे शशि, राम मेरा प्यार था, अपने पागलपन में उसे खो बैठी “ हाथ जोड़ नेहा
बोली थी.
“नहीं, राम ने भले ही तुझे माफ़ कर दिया हो, क्योंकि वह ऐसा ही था. जाते-जाते भी उसने तुझ
पर और अपने सच्चे प्यार पर आंच भी नहीं
आने दी, पर अब स्लिप
पर लिखी इबारत का अर्थ साफ़-साफ़ समझ में आ रहा है, तूने उसे झूठे सपने दिखाए और निर्ममता से तोड़
दिए. तू उसकी आत्महत्या की निमित्त बनी है, नेहा. आज अपने से नफ़रत हो रही है, इतने दिनों तक तेरे साथ क्यों रही? भगवान् करे आज के बाद कभी तेरा चेहरा भी ना
देखना पड़े.” फटाक से खुले कमरे का दरवाज़ा बंद कर, नेहा को बाहर ही छोड़, शशि कमरे में चली गई.
“नहीं-नहीं ये सच नहीं है, ये खेल नहीं था.”
अपनी दोनों हथेलियों में चेहरा ढापें सिसकियाँ
लेती नेहा खाली ज़मीन पर ढेर हो गई.
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