11/22/17

प्रेम दीवानी

5 Tips On Living With Passion And Purpose In A Relationship - The ...
“मैडम, आपको कॉन्फ्रेंस में ले जाने के लिए कैब आ गई है.”
“ठीक है, मै आ रही हूँ.”मेज़ से अपना पर्स उठा नीता जी लिफ्ट से नीचे आ गई.
अमरीका के शिकागो नगर में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में सम्मिलित होने के लिए उसकी कम्पनी ने उन्हें  भेजा था. फाइनेंस डाइरेक्टर नीता अपनी मेधा और दक्षता के कारण कम्पनी के चेयरमैन की फेवरिट थी. उसके सुझाव बहुत महत्वपूर्ण माने जाते थे.
ड्राइविंग सीट से उतरी एक सुन्दर युवती ने तत्परता से नीता के लिए कैब की पीछे वाली डोर खोल कर मीठी आवाज़ में ‘नमस्ते” कह कर नीता को चौंका दिया. डोर बंद कर ड्राइविंग सीट पर बैठ कर युवती ने टैक्सी स्टार्ट की थी. सड़क पर दौड़ती टैक्सी में कुछ देर के मौन के बाद नीता का विस्मय पूछ बैठा-
“आपसे नमस्ते सुन कर बहुत अच्छा लगा. क्या आप हिन्दी के कुछ और शब्द जानती हैं.?”
“कुछ शब्द नहीं, अच्छी हिन्दी जानती हूँ. दो साल तक उसने हिन्दी लिखना, पढ़ना और बोलना सब सिखाया था. उसके फादर जिन्हें वह अक्का  कहता था, हिन्दी और संस्कृत के विद्वान हैं.  उनसे मिलाने के पहले मुझे हिन्दी आना ज़रूरी समझता था.”आवाज़ में कुछ गर्व और उदासी का मिश्रण था.
“आप किसकी बात कर रही हैं, क्या आपका कोई इन्डियन मित्र था?’
“विनायक मेरा पति, मेरा मित्र, मेरा सब कुछ था. मै उसे विनी पुकारती थी.
“मेरा डेस्टिनेशन बीस मील दूर है, समय बिताने के लिए अगर ठीक समझो तो जानना चाहती हूँ, आपका उसके साथ परिचय कैसे हुआ, प्रेम की पहल किसने की थी?”नीता जी की उत्सुकता जाग उठी.
 नीता जी ने सोचा, विदेश जाने वाले भारतीय युवकों की गोरी चमड़ी कमजोरी होती है, शायद इसीलिए इस युवती का किसी के साथ प्यार और विवाह हुआ होगा. क्या अब भी दोनों साथ हैं, पर उसके लिए वह “था” कह रही है शायद अब दोनों अलग हो गए हैं, वैसे इस देश के लिए ये तो सामान्य बात है.
“आप भारतीय हैं, आपके साथ अपनी कहानी शेयर करने में खुशी होगी. अभी पहुँचने में समय लगेगा, इस लिए अपनी कहानी बताती हूँ. “कुछ देर मौन के बाद उसने कहना शुरू किया-
“उन दिनों मै बॉब की फ़्ळॉरिस्ट शॉप में काम करती थी. रंग-बिरंगे फूलों का साथ वक्त बिताना अच्छा लगता था. मेरे साथ एक हंसमुख पाकिस्तानी लड़का अहमद भी काम करता था. वृद्ध बॉब हम दोनों पर पूरी ज़िम्मेदारी छोड़ कर निश्चिन्त रहते. अचानक उस दिन एक सफ़ेद कार से उतरा एक हैंडसम हिन्दुस्तानी युवक शॉप में आया था.”
“गुड मॉर्निंग सर, आपको क्या चाहिए?”हलकी मुस्कान के साथ उससे  पूछा था.
“अपने फ्रेंड की शादी में एक अच्छा बुके ले जाना चाहता हूँ.”मुझ पर गहरी नज़र डाल कर कहा था.
“आप सेलेक्ट कर लीजिए, हमारे पास आपके फ्रेंड के लिए बहुत खूबसूरत बुके हैं.”
“वो तो देख रहा हूँ. वैसे आपकी ड्रेस पर जो पिंक और परपल फूल बने हैं , मुझे इन्हीं दोनों रंगों के फूलों का बुके बना दीजिए, क्या ये पॉसिबिळ होगा?”चेहरे पर शरारती मुस्कान थी.
“मारिया ये तुझ पर लाइन मार रहा है.”अहमद ने धीमे से कहा.
“अगर आपका हमारे लिए ये चैलेन्ज है तो बस पांच मिनट का टाइम दीजिए.’
मारिया ने तत्परता से अधखिली गुलाबी गुलाब की कलियों के साथ जामुनी आर्किड्स मिला कर उन्हें हरी पत्तियों से सजा कर एक सुन्दर बुके तैयार कर दिया. बीच में रजनीगन्धा की दो-तीन अधखिली कलियों ने बुके का सौदर्य बढ़ा दिया.
“लीजिए, पांच मिनट में आपका बुके तैयार है., उम्मीद है ये आपके फ्रेंड को पसंद आएगा.”युवक को बुके देती मारिया ने हंस कर कहा.
“थैंक्स, आप सचमुच कलाकार हैं. अब तो आपको ऐसे ही चैलेन्ज देने में मज़ा आएगा.”
 “मारिया को चैलेन्ज में हराना आसान नहीं है, बशर्ते आप किसी ऐसे फूल का बुके चाहें जो हमारे पास ना हो. वैसे तो मारिया सिर्फ पत्तियों तक का बुके बना सकती है.” अहमद ने मारिया की तारीफ़ में कहा.
“अगर ये बात सच है तो दो दिन बाद मुझे सिर्फ पत्तियों से बना ऐसा बुके चाहिए जो खूबसूरती में फूलों वाले गुलदस्ते से कम ना हो. चैलेन्ज जीतने पर आपकी शॉप के सबसे महंगे बुके के पैसे दूंगा.”
“आपका नाम जान सकता हूँ, जनाब?”अहमद ने हिन्दी में पूछा.
“विनायक, ये नाम मेरे अक्का यानी मेरे पापा ने दिया है. तुम लोग भी मुझे सर या मिस्टर ना कह कर सिर्फ विनी पुकारो तो अच्छा लगेगा.”उसके चेहरे पर खुशी और हलके से अभिमान की झलक थी.
“दो दिन बाद आपका इंतज़ार रहेगा, विनी, चैलेन्ज भूल मत जाइएगा.”अहमद ने याद दिलाया.
“मुझे भी दो दिन याद रहेंगे. ओके बाय.”मुस्कुराता विनी बुके ले कर चला गया.
“अहमद,ये क्या पागलपन है, तारीफ़ में सच्चाई होनी चाहिए, भला पत्तियों से बुके बनाया जा सकता है?”
मारिया ने नाराज़गी जताई.
“मुझे पूरा यकीन है, हमारी मारिया चैलेन्ज जीतेगी. आजकल फ़ाल का सीज़न है, ज़रा चारों तरफ नज़र डालो, पेड़ों की पत्तियां इस मौसम में कितने रंग बदल रही हैं, पीली, लाल, नारंगी, कत्त्थई पत्तियाँ क्या खूबसूरती में फूलों से कम हैं?ये नज़ारा कितना ब्यूटीफुल है, मारिया.”अहमद ने सच कहा था. फ़ाल-सीजन में पेड़ों की पत्तियों के बदलते खूबसूरत रंग देखना एक दर्शनीय नज़ारा होता है.
“ये बात तो सच है, अब तुमने चैलेन्ज ले ही लिया है तो कोशिश ज़रूर करूंगी. सवेरे जल्दी उठ कर रंग-बिरंगी पत्तियां इकट्ठी करनी होंगी. तुम्हें भी हेल्प करनी होगी, अहमद.”
“श्योर, मारिया. आखिर पत्तियों के बुके का आइडिया मेरा ही था, जीतने पर आधे पैसे मै लूंगा.”अहमद ने मज़ाक किया.
दो दिन बाद एक टोकरी में ढेर सारी रंग-बिरंगी पत्तियों के साथ आई मारिया को देख कर अहमद खुश हो गया.
“मारिया, आज कस्टमर्स को मै देख लूंगा, तुम पीछे बैठ कर ये अनोखा गुलदस्ता बनाओ. वैसे ब्यूटीफुल मारिया को शॉप में ना देख काफी लोग मायूस होंगे.”अहमद ने हंस कर कहा.
“शटअप, ये फ़ुलिश चैलेन्ज तुमने ही लिया है. मुझे हार एक्सेप्ट करने को तैयार रहना चाहिए.”
शॉप के पीछे फूल रखने के लिए खाली जगह में मारिया पत्तियां बिखरा कर बैठ गई. मारिया ने एक से रंगों वाली और एक साइज़ वाली पत्तियां अलग कर लीं. कुछ देर सोचने के बाद उसके दिमाग में जैसे तस्वीर बन गई, कैंची से पत्तियों को अलग-अलग शेप में काट कर मारिया ने जैसे फूलों से गुलदस्ते बनाती थी वैसे ही पत्तियों के रंगों, आकार और शेप से एक नायाब गुलदस्ता बना डाला. लाल,पीली, नारंगी. सुनहरी और बीच-बीच हरी पत्तियों से सज्जित बुके दर्शनीय बन पडा था. इस नायाब  गुल्दास्ते को देख कर अहमद चहक उठा.
“विनी ने ठीक कहा था, तुम सचमुच एक कलाकार हो. अब हमारी जीत पक्की है.”काफी देर इंतज़ार के बाद भी विनी को ना आते देख कर वे निराश हो गए.
“लगता है, विनी ने सिर्फ मज़ाक किया था. तुमने बेकार इतनी मेहनत की.”अहमद कंसर्न था.
 अचानक विनी को शॉप में आता देख दोनों के चेहरों पर खुशी आ गई.
“गुड मॉर्निंग विनी, आज आपको आने में देर हो गई.”अहमद ने खुशी से स्वागत किया.
“सॉरी, कुछ काम आ गया था. मेरा चैलेन्ज तो रेडी है.”मारिया पर नज़र डाळते विनी ने कहा.
“ये रहा मारिया का कमाल, एक कस्टमर इसे लेना चाहता था, मुश्किल से मना किया.”
“अहमद, क्यों बेकार की बातें बना रहे हो, इसे तो किसी ने देखा ही नहीं है.”मारिया ने सच बताया.
“वाह: मारिया यकीन नहीं होता तुमने ये बुके फूलों से नहीं पत्तियों से बनाया है. इतने सुन्दर गुलदस्ते को तो मै अपने सब फ्रेंड्स को दिखाऊंगा. ये तो प्राइज़ विनिंग आइटम है. मै अपनी हार मानता हूँ. अहमद, बताओं तुम्हारा सबसे मंहंगा बुके कौन सा है, मुझे इसकी कीमत देनी है,”
“थैंक्स विनी, पर मुझे इसकी कीमत नहीं चाहिए. जिन पत्तियों को उनके जीवन साथी पेड़ों ने अपने से अलग कर दिया, जो ज़मीन पर उपेक्षित पड़ी थीं, आपकी वजह से मै ने उन्हें एक नया रूप दिया है. मेरा तो सबसे बड़ा यही पुरस्कार है.”गंभीरता से मारिया ने कहा.
“तुम सिर्फ कलाकार ही नही, एक दार्शनिक और कवयित्री भी हो, मारिया. तुमने तो मेरा सोच ही बदल दिया. ज़मीन पर पड़ी, पैरों से कुचली जाने वाली पत्तियों के दर्द को बस तुम ही सोच सकती हो. एक बात ज़रूर समझ गया हूँ, मारिया तुम कोई साधारण लड़की नहीं हो.”.विनी ने सच्चाई से कहा.
“ये बात तो सच है, बीस साल की हो जाने पर भी इसका कोई ब्वॉय फ्रेंड नहीं है. वैसे मारिया को कीमत तो नहीं चाहिए, पर आप अपनी हार कैसे मनाएंगे?”अहमद ने मज़ाक किया.
“मै तुम दोनों को ट्रीट तो दे सकता हूँ. आज शाम को जब तुम दोनों काम से फ्री हो जाओगे तो हम बाहर डिनर लेगे. मै तुम्हें पिकप कर लूंगा.”मारिया पर दृष्टि डालते विनी ने खुशी से कहा.
“वाह: ये तो सचमुच हमारा इनाम होगा. हम आपका वेट करेंगे.
“ठीक है, तैयार रहना.” बाय कह कर विनी चला गया.
“अहमद,, क्या विनी के साथ जाना ठीक होगा? तुम ऐसे ही बोल देते हो.”मारिया परेशान दिखी,
‘अब तो बोल चुका, वैसे भी कीमत ना ले कर तुमने मेरा नुक्सान ही किया है.”अहमद हंस रहा था.
शाम को विनी के आने पर अचानक अहमद के घर से फोन आ गया, उसे फ़ौरन घर पहुंचना था. विनी परेशान था, उसने रेस्टोरेंट में तीन जगह रिज़र्व करा रखी थीं. विनी के साथ अकेले रेस्टोरेंट जाने में मारिया संकुचित थी, पर अहमद ने समझाया-
“विनी के साथ जाने में कैसा डर? यह तो मेरी बदकिस्मती है, अपना चांस खो रहा हूँ, पर विनी आपसे बाद में डिनर ज़रूर लूंगा.”अहमद ने मायूसी से कहा.
“ओह, श्योर, हम तुम्हें मिस करेंगे. चलें, मारिया.”
विनी के साथ आगे की सीट पर बैठती मारिया बेहद कांशस थी. शायद घबराहट या संकोच से उसका सुन्दर चेहरा लाल हो रहा था. सामने लगे मिरर में मारिया के गुलाबी चेहरे को देख विनी मुस्कुरा उठा, निश्चय ही मारिया सुन्दर और टैलेंटेड युवती थी.
खाने में मारिया की पसंद की डिशेज पूछने पर मारिया मौन रह गई. उस आलीशान रेस्टोरेंट को वह विस्मित देख रही थी. उसके मौन ने विनी को उसकी मनोदशा स्पष्ट कर दी,
“चाइनीज़ पसंद है या इन्डियन फ़ूड पसंद करोगी?”
“आपको जो पसंद हो, मंगा लीजिए.”धीमे स्वर में मारिया बोली.
खाने का ऑर्डर दे कर विनी ने पूछा-
“तुम कहाँ रहती हो, तुम्हारी फैमिली में कौन –कौन हैं?”
“चर्च के एक छोटे से कमरे में अकेली रहती हूँ. अब वही मेरा घर है. पापा की डेथ के बाद मम्मी ने दूसरी शादी कर ली और अपने हसबैंड के साथ लन्दन चली गई.”मारिया के सुन्दर मुख पर अवसाद की घनी छाया थी.
“तुम्हारी मम्मी तुम्हें अपने साथ क्यों नहीं ले गईं?”विनी ने पूछा.
“तब मेरी उम्र बस नौ साल की थी, पर मम्मी ने अपने नए पति की आँखों में ना जाने क्या देखा, बस मुझसे कहा, तुझे ले जाने में खतरा है, मेरा नया पति तेरा पापा नहीं बन सकता. मम्मी के साथ जाने के लिए बहुत रोई, पर वह मुझे चर्च के फादर के पास छोड़ कर चली गई. कितनी रातें मम्मी की याद में रो-रो कर काटीं, फादर ने मुझे सहारा ज़रूर दिया, पर आज भी मम्मी की जगह खाली ही रही.’मारिया की पलकें भीग गई थीं
“मुझे तुम्हारे लिए दुःख है, पर तुम एक ब्रेव लड़की हो. देखो अब तुम अपने पैरों पर खडी हो.”
“इसके लिए चर्च के फादर की शुक्रगुज़ार हूँ. चर्च के काम करते हुए पढाई भी करती रही. हाई स्कूल के बाद मुझे महसूस हुआ अब मुझे फुल टाइम काम करना चाहिए.”
“तुम इस फ़्ळॉरिस्ट शॉप में कैसे आई?’विनी की उत्सुकता बढ़ रही थी.
 “चर्च में प्रेयर और दूसरे फंक्शन्स में सजाने के लिए मै फूलों के तरह-तरह के गुलदस्ते बनाया करती थी..बचपन से ही फूलों से मुझे बहुत प्यार था. हमारी फ़्ळॉरिस्ट शॉप का वृद्ध मालिक बॉब मेरे बनाए बुके बहुत पसंद करता था.उसने जब मुझे अपनी शॉप में जॉब का ऑफ़र दिया तो स्वीकार करने में देर नहीं की. अब तो बॉब ने मेरी ज़िम्मेदारी पर शॉप का काम देखना छोड़ ही दिया है. मुझे अपनी  बेटी की तरह प्यार करता है.’मारिया का चेहरा गर्व मिश्रित खुशी से जगमगा रहा था.
“अगर तुम्हें मारिया ना कह कर मीरा कहूं तो? जैसे तुम भी मुझे विनायक की जगह सिर्फ विनी कहती हो.’’अचानक विनी बोल बैठा.
“मीरा की क्या मीनिंग होती है, मीरा कौन थी?.” मीठी आवाज़ में मारिया ने जानना चाहा.
“मीरा हमारे कृष्ण भगवान् के लिए प्यार और भक्ति का नाम है. कृष्ण के प्रेम में मीरा ने सारे सुख, अपना महल. राजा पति सब छोड़ दिया. मन्दिर में कृष्ण के लिए गाती और नाचती थी. आजकल यहाँ “मीरा” फिल्म लगी है, तुम्हें फिल्म दिखाने ले चलूँगा. फिल्म में अंग्रेजी के सब टाइटिळ्स हैं तुम समझ सकोगी, मीरा की कहानी देख कर कर उसका सच्चा प्रेम समझ सकोगी.”
“क्या आप भी मीरा से प्यार करते हैं?”मारिया की दृष्टि विनी के चेहरे पर थी.
“जिस मीरा की बात कर रहा हूं, वो तो कृष्ण की दीवानी थी, पर हाँ मै ने भी मीरा नाम की एक लड़की से बहुत प्यार किया था उसके जाने के बाद जैसे मेरी ज़िंदगी ही खत्म हो गई थी.”विनी चुप हो गया.
“आपकी मीरा कहाँ चली गई, अब कहाँ है?”
“उसका नाम मीरा ज़रूर था, पर उसमें मीरा जैसी कोई बात नहीं थी. उसे मुझसे नहीं, पैसों से प्यार था, मुझे अकेला छोड़ कर मेरे एक अमीर दोस्त के साथ चली गई. मै पूरी तरह से टूट गया था, पर तुमसे जब से मिला हूँ, मुझे लगता है तुम में मीरा की सादगी है. शायद इसीलिए आज अचानक मेरे दिल ने तुम्हें मीरा पुकारा है, पर डरता हूँ कहीं ये नाम तुम्हें दूर ना ले जाए .”
उदास स्वर में विनी ने अपने दिल का दुःख सुनाया.
मारिया को उसके छोटे से कमरे में छोड़ कर जाने के बाद मारिया विनी के बारे में सोचती रही. विनी ने किसी को प्यार किया, पर उसे प्यार के बदले में धोखा मिला. कैसे उसने अपने को सम्हाला होगा.? कौन थी वो लड़की जिसने विनी जैसे अच्छे इंसान को धोखा दिया. विनी के मन को मुझ में मीरा दिखाई दी, क्या मै मीरा बन सकती हूँ? मेरे लिए वह कितना सोचता है, काश उसकी मदद कर पाती. अपने सोच को झटक मारिया सोने की कोशिश करती रही, पर विनी का उदास चेहरा बार-बार आँखों के सामने आ जाता. नहीं वह विनी को कभी धोखा नहीं दे सकती.
 अहमद के साथ विनीत मारिया को फिल्म दिखाने ले गया. मारिया तो कुछ दृश्यों में आंसू पोंछ रही थी. फिल्म से निकल कर अहमद ने मारिया की हँसी उडाई थी-
“मारिया अभी भी छोटी बच्ची है, फिल्म में भला कोई रोता है?”
“कृष्ण से मिले बिना भी मीरा कैसे उसे इतना प्यार कर सकी?”मारिया ने विनी से पूछा था.
“यही तो सच्चा प्यार होता है, इसी प्यार की वजह से मीरा सब प्यार करने वालों के दिल में बसती है. मेरे पास अंग्रेज़ी में मीरा की कहानी की किताब है. तुम उसे पढना, तब उसका प्रेम समझ सकोगी,” विनी ने गंभीरता से समझाया था.
उस दिन के बाद से मारिया के मन पर जैसे मीरा ने अधिकार कर लिया था. उसके मन-मानस पर मीरा छा गई थी. उसका प्यार, त्याग ही नहीं उसके भजन भी दोहराती. किताब पढ़ती सोचती, क्या वह भी किसी को मीरा की तरह से प्यार कर सकती है, जिसके लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दे? विनी के मुंह से अपने लिए मीरा पुकारना उसे बहुत अच्छा लगता.
अब विनी अक्सर मारिया से गुलदस्ते लेने पहुँच जाता था. अहमद उसे छेड़ता-
“गुलदस्ते ले जाने के लिए बार-बार आना तो मारिया से मिलने आने का बहाना है. अब विनी के दिल पर मारिया का साम्राज्य है. वैसे शायद मारिया तुम्हें भी विनी अच्छा लगता है.”
“बेकार की बातें मत बना, जैसे तुम नूरी से मिलने जाने के बहाने खोजते हो. विनी ऐसा नहीं है.” मारिया का मुख लाल हो जाता.
एक दिन जब विनी बुके लेने आया तो अहमद पूछ बैठा-
“एक बात बताओ, तुम रोज़ बुके किसके लिए ले जाते हो, विनी?”

“हॉस्पिटल में मेरा एक फ्रेंड एडमिट है, उसके कमरे में रोज़ ताज़े फूल रखने से उसे अच्छा लगता है,  मुरझाए फूल खुशी की जगह अवसाद दे सकते हैं, यही सोच कर उसके लिए बुके ले जाता हूँ.”
“ये तो बहुत अच्छी बात है, अब आगे से तुमसे गुलदस्तों के पैसे नहीं लेंगे.”मारिया ने कहा.
मारिया भी अब विनी के साथ सहज हो गई थी. कभी एक दिन विनी ने मारिया को अपने घर और माँ-बाप के विषय में भी बताया था. केरल में नारियल और केले की हरियाली से घिरा हुआ उसका घर है. विनी उनका एकलौता बेटा है, उसकी अम्मा सामान्य गृहिणी है, पर उसके् पापा हिन्दी और संस्कृत के ज्ञाता हैं विनी ने भी हिन्दी उन्हीं की प्रेरणा से सीखी है.
“तुम मुझे भी हिन्दी सिखाओगे, विनी?” अचानक मारिया पूछ बैठी.
“अगर तुम्हें सचमुच हिन्दी सीखनी है तो तुम्हारी मदद कर के मुझे बहुत खुशी होगी मीरा. मै चाहता हूँ, जब तुम मेरे पेरेंट्स से मिलो तो तुम उनके साथ आसानी से बात कर सको. मेरी अम्मा अंग्रेज़ी नहीं समझती, पर हिन्दी समझती है.”
“मै तुम्हारे पेरेंट्स से कैसे मिल सकूंगी, क्या वो अमरीका आ रहे हैं?”मारिया उत्सुक हो उठी.
“हो सकता है तुम उनसे मिलने मेरे साथ इंडिया चलो.”विनी के चेहरे पर शरारत थी.
“कैसे, क्या तुम मुझे इंडिया ले चलोगे?”मारिया विस्मित थी.
‘इंतज़ार करॉ, धैर्य का फल मीठा होता है.”विनी ने गंभीरता से कहा.
मारिया मनोयोग पूर्वक विनी से हिन्दी लिखना-पढ़ना सीख रही थी. उसकी मेहनत विनी को विस्मित करती. कुछ ही दिनों में वह काफी हिन्दी लिखने और विनी की बातें समझने लगी थी.
कुछ दिनों बाद विनी ने अचानक मारिया से कहा था-
“कुछ दिनों के लिए अपने घर केरल जा रहा हूँ, अम्मा बहुत याद करती है. मुझे मिस करोगी,मीरा?”
“कब जा रहे हो, कितने दिनों में लौटोगे?तुम्हें बहुत मिस करूंगी, विनी.”मारिया जैसे व्याकुल हो उठी.
“कुछ ज़रूरी काम है, हिन्दी पढती रहना, लौट कर टेस्ट लूंगा,किताबें छोड़े जा रहा हूँ.”
विनी के इंडिया चले जाने से जैसे मारिया की ज़िंदगी ही सूनी हो गई थी. हर रोज़ उसका इंतज़ार करती मारिया कहीं खो सी जाती. गुलदस्ते बनाती उँगलियों में असावधानी के कारण कांटे चुभ जाते.
“तुझे विनी से प्यार हो गया है, मारिया. अल्लाह से दुआ करूंगा, तुझे तेरा प्यार मिल जाए.”अहमद उसके लिए कंसर्न होता.
अचानक अहमद के अब्बा को हार्ट अटैक हो जाने की वजह से अहमद को अपने वतन जाना पडा. उसकी जगह एक लडकी ऐनी आ गई थी. विनी और अहमद के ना होने से मारिया को वक्त काटना मुश्किल लगता. आखिर बीस दिनों के लंबे इंतज़ार के बाद विनी को आते देख, मारिया का मुरझाया चेहरा खिल उठा.
“कैसी हो, मीरा? मुझे मिस किया या अपने काम में मुझे भुला दिया?”विनी मुस्कुरा रहा था.
“इतने दिन क्यों लगा दिए, बहुत याद करती थी.’भोलेपन से मारिया ने सच्चाई बयान कर दी.
“अम्मा-अक्का को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहा था, पर वो अपना घर छोड़ कर आने को तैयार नहीं हुए. जानती हो इंजीनियरिंग के बाद जब मै ने अपनी कम्पनी की तरफ से अमरीका में पोस्टिंग लेने की बात कही तो अम्मा मुझे आने ही नहीं देना चाहती थीं, पर मेरी इच्छा और मेरे भविष्य के बारे में सोच कर अक्का ने किसी तरह से अम्मा को मनाया था.”विनी के चेहरे पर यादों की छाया थी.
“तुम लकी हो, विनी, तुम्हारी अम्मा तुम्हें बहुत प्यार करती हैं.”आवाज़ उदास थी.
“आज शाम तुमसे मिलने तुम्हारे घर आऊँगा, इंतज़ार करना.”एक भी बुके लिए बिना विनी लौट गया.
मारिया को शाम का बेसब्री से इंतज़ार था. उसके कमरे में विनी आने वाला है, सोच कर मारिया समझ नहीं पा रही थी, वह क्या करे, कैसे विनी का स्वागत करेगी. वह घर क्यों आ रहा था? वजह पूछने का उसने मौक़ा ही कहाँ दिया था.
दरवाज़े की दस्तक सुनती मारिया के दिल की धड़कन तेज़ हो गई. आज पहली बार उसके छोटे से कमरे में कोई आ रहा था. दरवाज़े पर मुस्कुराता विनी खडा था. मारिया को हाथ में पकड़ा सुर्ख लाल गुलाब दे कर “हैप्पी बर्थ डे मीरा कह कर मारिया को चौंका दिया था.
“तुम्हें कैसे पता आज मेरा बर्थ- डे है?”मारिया विस्मित थी.
“जिसे प्यार किया जाए, उसके बारे में इतना तो पता होना ही चाहिए.”
“ये क्या कह रहे हो, विनी, तुम मुझसे--- नहीं ये सच नहीं है.”मारिया यकीन नहीं कर पा रही थी.
“यही सच है मीरा, तुमसे दूर जा कर इस सच्चाई को जान सका हूँ, क्या तुम मुझसे शादी करोगी, मीरा?
तुम्हारे साथ शादी के लिए अपने पेरेंट्स को राजी कर के आया हूँ. मुझे स्वीकार कर लो, मीरा.’
“समझ नहीं पारही हूँ, क्या ये सच हो सकता है?”मारिया सोच में पड़ गई.
“यही सच है, मै जानता हूँ तुम मुझे पसंद करती हो, एक दिन प्यार भी करोगी, इसका विश्वास है.”
चाह कर भी मारिया अपना दिल खोल कर नहीं कह सकी कि उसने सिर्फ और सिर्फ विनी को ही चाहा है, उसके इंतज़ार में उसने कैसे एक-एक दिन काटा है.
“अगर तुम मुझे स्वीकार करो तो ये साड़ी इंडिया से लाया हूँ. विवाह के समय यही ट्रेडीशनल साड़ी पहिनी जाती है.. तुम सोच कर फैसला करना. साड़ी तुम्हारे पास छोड़े जा  रहा हूँ.”दरवाज़ा खोल कर विनी चला गया.
अवाक मारिया कुछ भी ना कह सकी, ना उसे रोक सकी. विनी के लिए लाया केक वैसे ही रखा रह गया था. जो कुछ सोचा था, मन में ही रह गया. पूरी रात सोचने के बाद मारिया निर्णय कर चुकी थी.
प्यार से साड़ी को सीने से लगा, मारिया ने उसे सम्हाल कर अलमारी में रख दिया. हाँ वह विनी से प्यार करने लगी थी. हमेशा लड़कों से दूर रहने वाली मारिया विनी की मीरा बन गई थी.
दूसरे दिन मीरा की हाँ सुनते ही विनी चहक उठा.
“बस तुम्हारी हाँ का इंतज़ार था, हम अभी आज ही विवाह कर लेंगे. मुझसे इंतज़ार नहीं होगा.”
विवाह के लिए विनी के माता-पिता की अनुपस्थिति मीरा को खल रही थी. उसकी माँ तो नहीं थी, पर काश विनी के पेरेंट्स उन्हें आशीर्वाद देने आ जाते. मीरा की इच्छा थी उसका विवाह चर्च में हो जाता, पर विनी को ये मंजूर नहीं था. काश आज अहमद ही उनके साथ होता.
 “विवाह दो लोगों के बीच होता है, इसके लिए पंडित या प्रीस्ट की ज़रुरत मै नहीं मानता. हमने सच्चे दिल से एक-दूसरे को स्वीकार कर के विवाह किया है. माला बदलना काफी होता है. एक बात और याद रखना अब तुम सिर्फ मेरी मीरा हो, मारिया नाम हमेशा के लिए भुलाना होगा.” विनी ने कहा.
विनी और मारिया एक-दूसरे के गले में माला पहिना कर विवाह-बंधन में बंध गए, मारिया को विनी की कही हर बात मान्य थी. बॉब ने मारिया को सुन्दर नेकलेस दे कर प्यार से सीने से चिपटा लिया. मारिया अब पूरी तरह से विनी की मीरा बन गई थी, उसे अब अपना पुराना नाम भी याद नही था.
विवाह ने दोनों के जीवन में खुशियों के रंग भर दिए. एक-दूसरे को पा कर दोनों पूर्ण हो गए थे. विनी के प्यार में मीरा जैसे जागते हुए सपने जी रही थी. विनी उसके जीवन का केंद्र-बिंदु बन गया था. विनी भी मीरा- मय बन गया था.
“हम तुम्हारे पेरेंट्स से मिलने इंडिया कब जाएंगे, विनी?”मीरा उसके पेरेंट्स से मिलने को उत्सुक थी.
“जब तुम्हें साड़ी पहिनना आ जाएगा. वहां तुम्हारी अमरीकी ड्रेस नहीं चलेगी.’विनी ने मज़ाक किया.
“ठीक है, अब तो जल्दी ही अपनी इन्डियन फ्रेंड के पास जाना होगा.”मारिया गंभीर थी.
समय पंख लगा कर उड़ रहा था. मीरा ने सिर्फ साड़ी पहिनना ही नहीं सीखा इन्डियन डिशेज़ भी बनानी सीख ली थीं. अपने विनी की खुशी के लिए वह हर संभव प्रयास करती. विनी के ऑफिस से आने के पहले वह सब काम समाप्त कर के विनी की प्रतीक्षा करती. विनी आते ही उसे अपनी सबल बांहों में भर लेता. मीरा का रोम-रोम खुशी से नाच उठता.अब मीरा को ज़िंदगी से बेहद प्यार हो गया था..उसकी मीठी आवाज़ गीत गुनगुनाने लगी थी. घरके बाहर रंग-बिरंगे फूल मुस्कुराते. एक साल बीतने आ रहा था, पर विनी से बार-बार कहने पर भी वह इंडिया जाने को उत्सुक नहीं था. हमेशा काम का बोझ उस पर रहता.
जिस दिन मीरा को पता लगा वह माँ बनाने वाली है, उसकी खुशी की सीमा नहीं थी.
“”विनी, जानते हो हमारे घर एक नया मेहमान आने वाला है. हम दोनों मम्मी- पापा बनने वाले हैं.”
खुशी से पगी आवाज़ में सूचना देती मीरा के गालों पर गुलाब खिल आए थे.
“क्या ये कैसे हो गया? हम अभी बेबी को नहीं ला सकते. अम्मा को कैसे बताएंगे.”विनी परेशान था.
“क्यों क्या तुमने अभी तक मम्मी को हमारी शादी के बारे में नहीं बताया है.”मीरा विस्मित थी.
“मै ने अम्मा-अक्का को तुम्हारे बारे में बताया है, वे चाहते हैं हम दोनों इंडिया के मन्दिर में शादी करें. उन्हें ये नहीं बताया है कि हमने यहाँ शादी कर ली है. सोचा था, एक-दो महीने बाद हम दोनों इंडिया जाएंगे, पर अब तो उन्हें सच्चाई बताने मुझे पहले अकेले ही जाना होगा.”विनी ने गंभीरता से कहा.
“तुमने ऐसा क्यों किया, विनी. माँ पापा से इतनी बड़ी बात क्यों छिपाई?”मीरा ने दुःख से कहा.
“परेशान मत हो. मै अगले हफ्ते इंडिया जा कर उन्हें सब समझा दूंगा, फिर हम दोनों साथ में इंडिया चलेंगे.”प्यार से मीरा को सीने से लगा कर विनी ने कहा.
मीरा को आश्वस्त कर विनी इंडिया चला गया, जाते समय चितित मीरा उसका फोन नम्बर भी लेना भूल गई. जाते-जाते विनी ने वादा किया वह उसे इंडिया पहुँच कर फोन करता रहेगा. उसका घर केरल के एक विलेज में है, वहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है, इस लिए शायद फोन भी देरी से कर पाएगा. वैसे जल्दी ही विमी उसे अपने घर ले जाएगा. केरल की सुन्दरता देख कर मीरा अमरीका भूल जाएगी. मीरा के माथे पर चुम्बन अंकित कर विनी चला गया था.
दिन बीतने लगे, पर विनी का कोई फोन नहीं आया. मीरा बेचैन थी, पर विनी ने कहा था, शायद वहां से फोन लगाना कठिन होता होगा. अपने पेरेंट्स को समझाने में भी भी समय लगेगा.
अहमद वापिस आ गया था, मीरा की शादी की बात सुन कर नाराज़गी जताते हुए कहा-
“आने दो विनी को, ऎसी भी क्या जल्दी थी, मेरा भी इंतज़ार नहीं किया. उसके लौटने पर डबल पार्टी लूंगा.”अहमद को ऎसी जल्दी में विवाह का औचित्य समझ में नहीं आया, सोचा  शायद प्यार में ऎसी ही दीवानगी होती होगी.
अचानक एक दिन किसी अपरिचित के फोन ने मीरा को संज्ञाशून्य सा कर दिया.
“क्या आप मारिया विन्सेंट बोल रही हैं?”
“जी हाँ ,पर अब शादी के बाद से मीरा नाम से जानी जाती हूँ.”मीरा खुशी और उत्सुकता से बोली.
“आपको एक दुखद सूचना देनी है, एक एक्सीडेंट में विनायक की मौत हो गई है. अपने को सम्हालिएगा.” “क्या, कब कैसे?” मीरा कुछ पूछ पाती कि फोन कट चुका था.
खबर मिलते ही अहमद आ गया. जिस नंबर से फोन आया था, अहमद द्वारा उस नंबर पर फोन लगाने से पता लगा वो किसी पी सी ओ का नंबर था. मीरा बेहाल थी. विनी के साथ रहने पर भी उसने कभी ना तो विनी की अमरीकी कम्पनी का नाम पूछा ना उसके केरल के घर का पता उसके पास था. उसके लिए बस विनी का साथ ही उसका संसार था. यहाँ तक कि उसने विनायक का सरनेम भी कभी नहीं जानना चाहा. एक बार पूछने पर विनी ने हंस कर कहा था-
“क्यों सिर्फ विनी ही काफी नहीं है?”
 विनी ने ठीक ही तो कहा था, उसके लिए तो विनी में ही मीरा की पूरी दुनिया सिमटी हुई थी.
अहमद परेशान हो गया, मीरा से कहा-
“तू भोली है, ये बात तो जानता था, पर यह नहीं जानता था कि तुझमे इतनी भी अक्ल नही होगी कि जिसके साथ पूरी ज़िंदगी के बिताने के लिए शादी कर रही थी, उसका पूरा नाम, उसका इंडिया और उसकी कम्पनी का पता भी नही जानना चाहा. इतने बड़े देश में सिर्फ नाम से किसी को जानना आसान नही है.”
“उस स्थिति में मीरा ने फिर चर्च की शरण ली. निश्चित समय पर मीरा ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया. अहमद ने उसको “नायक” नाम दिया . विनायक का बेटा नायक कहलाएगा. वृद्धा सिस्टर मार्था ने माँ और बच्चे दोनों को सम्हाला था.
“बॉब के बहुत कहने पर भी फिर उस फ्लौरिस्ट शौप में काम के लिए जाना मंजूर नहीं किया जहां विनी से उसकी भेंट हुई थी. जीविका के लिए एक टैक्सी कम्पनी में काम करना शुरू किया था तब से  यही काम कर रही हूँ.” मीरा की आवाज़ में आवाज़ में उदासी थी.
“मीरा तुम अभी यंग हो, सुन्दर हो, तुमने ज़िंदगी में आगे बढ़ने की नहीं सोची? तुमसे शादी करने के लिए बहुत से अच्छे लड़के मिल जाएंगे.”नीता जी पूछ बैठी.
“आपने तो मीरा के बारे में सुना होगा, मै विनी की मीरा हूँ, अब उसके अलावा किसी दूसरे के बारे में सोच भी नहीं सकती. वह हमेशा मेरी यादों में मेरे साथ रहेगा.”इतना कह कर वह चुप हो गई.
नीता जी अवाक थीं, एक अमरीकी लड़की ने मीरा को किस तरह से आत्मसात कर लिया था. कुछ देर के मौन के बाद मीरा ने भीगे स्वर में नीता जी से अनुरोध किया –
“मैडम, क्या आप मेरे विनी का पता लगा सकती हैं? वो शायद दिल्ली की किसी कम्प्यूटर कम्पनी में काम करता था. मै उसके पेरेंट्स से मिलना चाहती हूँ, उन्हें अपना गैंड सन देख कर कितनी खुशी होगी. अपनी ज़िंदगी में ये काम पूरा कर के उन्हें खुशी देना चाहती हूँ.”
“मुझे तुम्हारी हेल्प कर के बहुत खुशी होती, पर सिर्फ नाम से किसी को खोज पाना सागर से मोती  निकालने जैसा कठिन काम है अगर विनायक का सरनेम जानतीं तो उसे लोकेट कर पाना आसान होता. तुम्हारे पास विनायक की कोई फोटो तो होगी, उसकी मदद से उसका पता लगाया जा सकता है.”
 “ नहीं, विनी हमेशा हम दोनों का वीडियो लिया करता था, कहता था, जब हम दोनों चौबीस घंटे साथ रहते हैं तो फोटो रखने की क्या ज़रूरत है. तुम्हारी तस्वीर तो मेरे दिल में है. हाँ, याद आया, एक बार उसने कहा था टेम्पल में जो आइडल यानी मूरत होती हैं वैसा ही कुछ उसका सरनेम है “ कुछ सोच कर मीरा ने कहा.
अचानक जैसे बिजली सी कौंध गई, नीता जी को याद आया अभी अमरीका आने के दो दिन पहले कम्प्यूटर सेक्शन से विनायक मूर्ती अपनी शादी की खुशी में उन्हें मिठाई देने आया था. नीता जी के साथी ने उससे परिहास किया था-
“जानते हो विनायक, नीता मैडम  शिकागो जा रही हैं, तुम भी तो वहां दो साल की पोस्टिंग पर गए थे. अगर वहां कोई गर्ल फ्रेंड बना ली हो तो उसे मेसेज भिजवा दो.”
“वैसे शायद तुम समय से पहले इंडिया लौट आए वरना अमरीका से कोई जल्दी नहीं लौटना चाहता क्या जल्दी लौटने की कोई खास वजह थी?’कमलेश कुमार ने भी कहा.
“ओह नो, ऐसा कुछ नहीं था, मुझे वहां की क्लाइमेट सूट नहीं कर रही थी, इसलिए इंडिया वापिसी की रिक्वेस्ट की थी.’ अचानक उसका चेहरा जैसे काला सा पड़ गया था.
ये कैसा संयोग था, आज नीता जी जिस टैक्सी में बैठी हैं उसकी ड्राइवर विनायक मूर्ती के धोखे की शिकार है. उस धोखेबाज़ के झूठे प्यार को सच्चा प्यार मान कर अपने दिल में उसे बसाए बैठी है. यहाँ तक कि उसके पेरेंट्स से उनके पोते को मिलाने के लिए बेचैन है. नहीं, विनायक तुम्हें इस धोखे की भरपाई करनी ही होगी. मीरा को उसका अधिकार दिलाना ही होगा, पर कैसे? कितनी चालाकी से उसने शादी का कोई गवाह या सबूत नहीं छोड़ा है. नीता जी ने पक्का निश्चय कर लिया. विनायक को सज़ा दिलाए बिना नहीं छोडेंगी. कुछ सोच कर शांत स्वर में उन्होंने कहा-
“मीरा उम्र और अनुभव दोनों में मै तुमसे बड़ी हूँ, अगर कोई सलाह दूं तो मानोगी?”
“ज़रूर, आप जो कहेंगी मेरी भलाई ले लिए होगी.”मीरा ने जवाब दिया,
“मुझे कहना है, जो तुम्हारी ज़िंदगी से चला गया, उसे भुला देने में ही समझदारी है. अब तुम्हें अपने बेटे के भविष्य की चिंता करनी चाहिए. उसे खूब पढ़ा-लिखा कर एक योग्य इंसान बनाना तुम्हारा फ़र्ज़ है. तुम्हारे सामने अभी बहुत लंबी ज़िंदगी है,अगर राह में कोई अच्छा जीवन साथी मिल जाए तो उसे स्वीकार कर लेना क्योंकि हो सकता है बड़ा होने पर तुम्हारे बेटे को पापा की कमी महसूस हो.”
“आप ठीक कहती हैं, पर विनी ने मुझे मीरा कहा है, अगर मै ने शादी कर ली तो क्या विनी को धोखा देना नहीं होगा?’ मीरा ने सवाल किया.
“नहीं, बिलकुल नहीं, तुम्हारी स्थिति अलग है. मीरा ने विवाह नहीं किया था, उस पर उसकी संतान की ज़िम्मेदारी नहीं थी, एक बड़ी बहिन की तरह तुम्हें सलाह दी है. तुम मेरी बात पर गंभीरता से सोचना. कोशिश करूंगी अगर विनायक का पता मिल सका तो उसके बेटे के लिए जो सहायता करा सकी ज़रूर करूंगी.”दृढ निश्चय के साथ नीता जी ने मन में निर्णय ले लिया था.
“धन्यवाद, मैडम. आपकी बातों से मुझे बहुत हिम्मत मिली है.”शायद उसका स्वर भीग आया था.
“अगर समय मिला तो तुम्हारे बेटे से मिलने ज़रूर आऊंगी.”प्यार से नीता जी ने कहा.
कॉन्फ्रेंस - हॉळ आ गया था. कैब रोक, मीरा ने तत्परता से नीता जी के लिए कार की डोर खोली थी.
कार से उतरती नीता जी ने अपने मोबाइल में मीरा का चित्र ले कर प्यार से उसे गले लगा लिया. नीता जी के गले लगी मीरा विस्मित थी. शायद दोनों की पलकों पर अनजाने ही जल- कण छलक आए थे.

1 comment:

  1. Aaj behtreen kahiniyon ki suchi me ek aur kahani jur gayi... Dhanyawad !

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