4/2/14

अकस्मात्


टैक्सी रोकने को उठे मीता के हाथ पर किर्र के साथ यलो कैब रुक गई. टैक्सी ड्राइवर एक सौम्य अमरीकी युवक था. थोड़ा सा टैक्सी का शीशा उतार शालीनता से अंग्रेज़ी में पूछा था-

“यस , मिस, आइए कहाँ जाना है?”

अपने कॉलेज का नाम बताती मीता कैब में बैठ गई थी. कॉलेज का पता बताने के प्रयास में चालक ने शान्ति से जवाब दिया था-

“डोंट वरी, मुझे पता मालूम है, बस अपने डिपार्टमेंट का नाम बता दीजिए,”

बीस मिनट में टैक्सी मीता के डिपार्टमेंट के सामने रुकी थी. टैक्सी से उतर मीता के लिए डोर खोलते  चालक ने पूछा था –

“आपका क्लास किस समय खत्म होगा, आपको वापिस ले जा सकता हूँ.”१

“नहीं उसकी ज़रुरत नहीं है, मै मैनेज कर लूंगी.”

“आपने जहां से कैब ली, उस तरफ शाम को कोई बस नहीं जाती. सड़क की मरम्मत की वजह से शाम को ब्रिज पर ट्रैफिक वन- वे हो जाता है. आपको मुश्किल हो सकती है. --”

“थैंक्स, मै मुश्किलों से नहीं डरती. उसकी बात अधूरी काट, मीता ने कहा.

“ऐनी वे, ये लीजिए मेरा कार्ड रख लीजिए, शायद कभी ज़रुरत में काम आ सकूं.’ पेमेंट करती मीता के हाथ पर उसने अपना कार्ड रख दिया. कार्ड देने के बाद तुरंत टैक्सी स्टार्ट कर के वह जा चुका था.

मीता के मन में आया कार्ड पर्स में न रखे, फिर कुछ सोच कर कार्ड पर सरसरी निगाह डाली थी. कार्ड पर रिचर्ड ब्राउन नाम के साथ टेलीफोन नंबर दिया हुआ था.
मीता को अमरीका आए अभी एक  सप्ताह ही हुआ था. बेटी को अमरीका भेजते पापा और मम्मी को यही संतोष था कि पापा के एक मित्र का पुत्र राजीव अपने परिवार के साथ इसी शहर में रहता था. चार-पांच दिन राजीव के घर रहती मीता को पूरे परिवार ने इस तरह से अपना लिया मानो वे उसे बहुत पहले से जानते थे. राजीव की पत्नी नीरा और पांच वर्ष की बेटी नेहा मीता के आने से बेहद खुश थीं. मीता के आग्रह पर राजीव ने अपने घर के पास ही मीता के लिए एक अपार्टमेन्ट अरेंज कर दिया था. राजीव के परिवार के पास अपार्टमेन्ट लेने से मीता नए शहर में अपने को अजनबी महसूस नहीं कर रही थी. एक बात तो मीता की समझ में आ गई, अमरीका में कार के बिना जीवन गति हींन है. जल्दी ही उसे ड्राइविंग- स्कूल ज्वाइन करना होगा.
आज उसने अपने आप कॉलेज जाने का निश्चय किया था. राजीव ने बताया था, नियत समय पर एक बस यूनीवर्सिटी के विद्यार्थियों को बस स्टैंड से ले जाती है. लौटने के लिए भी एक नियत समय पर वह वापिस आ सकती है. अगर बस मिस हो गई तो टैक्सी ली जा सकती है. आज अपार्टमेन्ट की चाभी खोजती मीता बस के लिए लेट हो चुकी थी, पर जल्दी ही टैक्सी मिल जाने से वह समय पर पहुँच गई
एम बी ए करने आई मीता को अपना डिपार्टमेंट बहुत अच्छा लगा था. प्रोफ़ेसर के लेक्चर उसे प्रभावित करने में पूर्ण सक्षम थे. मीता के साथ अमरीकी तथा कुछ बाहर के देशों के विद्यार्थी भी थे.. मीता का साथ की लड़कियों के साथ परिचय बढ़ने लगा. उसके साथियों ने उसे आसानी से अपना लिया. यह निश्चित था, अमरीका में जाति -धर्म का कोई भेदभाव नहीं था. मीता ने महसूस किया यहाँ. अधिकाँश विद्यार्थी पढाई के लिए बहुत सीरियस थे. क्लास डिस्कशान में  सबकी भागीदारी होती, आपस में भी सब सहज और खुले मन से बातें करते. मीता सोचती अमरीका आकर उसने गलती नहीं की.
आज प्रोफ़ेसर मौरिस ने अपने लेक्चर के बाद लाइब्रेरी में कुछ अच्छी रेफरेंस- बुक्स के नाम दिए थे. मीता उन किताबों को लेने लाइब्रेरी पहुंची, पर अभी उसका लाइब्रेरी-कार्ड नहीं बना था. किताब ले कर लाइब्रेरी के एक कोने में बैठ, मीता किताब पढने लगी. अपनी तल्लीनता में मीता को समय का अंदाज़ ही नहीं हुआ. बाहर आने पर अन्धेरा देख मीता समझ गई, उसकी बस नियत समय पर जा चुकी थी.
यूनीवर्सिटी के बस स्टैंड पर चार-पांच लड़के किसी बस की प्रतीक्षा कर रहे थे. मीता ने जब उनसे अपने अपार्टमेन्ट की और जाने वाली बस या टैक्सी के बारे में पूछा तो उन्होंने वही सूचना दी, जो सवेरे रिचर्ड ने दी थी. मीता के पास किसी और टैक्सी का नंबर भी नहीं था. अन्तत: रिचर्ड को कॉल किया-
”रिचर्ड, मै मीता बोल रही हूँ, सवेरे मुझे कॉलेज लाए थे, क्या मुझे वापिस ले जाने को आ सकते हो?”
“माई प्लेज़र, दस मिनट में पहुँच जाऊंगा. बस स्टैंड पर वेट कीजिएगा.”
यलो कैब आती देख मीता ने आश्वस्ति की सांस ली. यह सच था, उसका अपार्टमेन्ट शहर के बाहरी हिस्से में पड़ता था, पर राजीव का घर पास होने से उसे उनका बड़ा सहारा था.
“थैंक्स, आप इतनी जल्दी कैसे पहुँच गए?’कैब में बैठती मीता ने पूछा.
“मै कम्प्यूटर डिपार्टमेंट में काम कर रहा था. आपकी परेशानी का अंदाज़ था. फोन मिलते ही आ गया.”
“कम्प्यूटर डिपार्टमेंट में तुम क्या कर रहे थे?” मीता विस्मित थी.
“आजकल कम्प्यूटर के बिना काम नही चलता, अच्छी नौकरी की कोशिश में हूँ.”
“तुमने कहाँ तक पढाई की है?”मीता ने जानना चाहा.
“आप जितना लकी नहीं हूँ जिन्हें माँ-बाप का सहारा मिलता है.अपनी मेहनत से जितना पढ़ पा रहा हूँ पढ़ रहा हूँ.”उसकी आवाज़ में उदासी थी.
“अपनी हिम्मत से आगे बढ़ने की कोशिश कम लोग ही कर पाते हैं.” मीता ने तसल्ली दी.
 “शुक्रिया. आपकी बात से मुझे हौसला मिला है..”उसने हिन्दी में कहा.
“क्या तुम हिन्दी बोल सकते हो?”मीता का कौतूहल बढ़ता ही जा रहा था.
‘थोड़ी सीख रहा हूँ. अभी ज़्यादा नहीं सीख पाया हूँ, पर एक दिन अच्छी हिन्दी बोल सकूंगा.”
 “तुम हिन्दी क्यों पढ़ना चाहते हो?”
“मेरे बाबा हिन्दुस्तान में बहुत साल रहे थे. उनसे इंडिया की इतनी बातें सुनी हैं कि मुझे भी एक बार हिन्दुस्तान ज़रूर जाना है.”
“इंडिया में तो लोग अंग्रेज़ी भी जानते-बोलते हैं. तुम बिना हिन्दी सीखे भी तो जा सकते हो>”
“नहीं, मेरा सोचना है, जिस देश में जाओ वहां की भाषा ज़रूर आनी चाहिए. आप क्या अंग्रेज़ी के बिना इस देश में आकर सम्मान पा सकतीं?”
मीता अनुत्तरित रह गई. इतना ज़रूर समझ गई, इस रिचर्ड नाम के इंसान के अंतर में कुछ कर गुजरने की आग है. वह सामान्य से कुछ अधिक ज़रूर है.
 “नहीं मुझे खुशी है, तुम मेरे देश की भाषा सीखना चाहते हो.”
“अगर आप चाहें तो मै रोज़ आपको अपनी टैक्सी से कॉलेज ले जा सकता हूँ.”
“नहीं रिचर्ड, अभी रोज़ टैक्सी में आना-जाना अफोर्ड नहीं कर सकती. आज की तरह जब कभी ज़रुरत होगी तुम्हे ज़रूर बुलाऊंगी.’
“आप मुझे बस का ही पेमेंट करना, मै ने रामायण और गीता अंग्रेज़ी में पढी है, उन्हें हिन्दी में पढ़ना चाहता हूँ. आप हेल्प करेंगी न?”चेहरे पर उत्सुकता स्पष्ट थी.
मुझे खुशी है कि तुम्हें हिन्दी भाषा और हमारी पुस्तकों में रूचि है, पर अपनी भाषा सिखाने के लिए पैसे नही ले सकती ना ही तुम्हें बस का किराया दे कर तुम्हारा नुक्सान कर सकती हूँ.”
“बाबा ठीक कहते थे, हिन्दुस्तानी दिल से काम लेते हैं इसीलिए सेंटीमेंटल होते हैं. हम अमेरिकन प्रैक्टिकल होते हैं प्लीज़ मेरी शर्त मान लीजिए, मेरा कोई नुक्सान नहीं बल्कि फायदा ही होगा.”
मीता को सोच में डूबा देख रिचर्ड ने कहा-
“कल किस टाइम क्लास है, तैयार रहिएगा .कल से आपको डिपार्टमेंट पहुंचाने-–लाने की ज़िम्मेदारी मेरी है. अब आप मेरी रिक्वेस्ट मान लीजिए प्लीज.”
 “ठीक है कल आठ बजे जाना है. जल्दी पहुँच कर लाइब्रेरी में कुछ पढ़ सकती हूँ.”
“थैंक यू, ठीक वक्त पर पहुँच जाऊंगा.”
अपार्टमेन्ट पहुंची मीता सोच में पड़ गई, है? एक टैक्सी-ड्राइवर से पहले दिन ही इतनी बातें करना और उसकी शर्त मान लेना क्यों संभव हुआ. इंडिया में तो टैक्सी-ड्राइवर हमेशा संदेह के दायरे में रहते हैं. एक बात तो ज़रूर थी, वह काफी पढ़ा-लिखा और बुद्धिमान लगता है. कल राजीव और नीरा से बात करने की सोच कर मीता सो सकी थी.
दूसरी सुबह डोर-बेल सुन कर मीता ने दरवाज़ा खोला था.
“नमस्ते, मै नीचे वेट कर रहा हूँ.”रिचर्ड के चेहरे पर खिली मुस्कान थी.
“ठीक है आती हूँ. एक कप चाय पी लूं देर तो नहीं होगी?”
“आप अपना टाइम लीजिए, कोई जल्दी नहीं है.”इतना कह कर वह चला गया.
मीता के दिल में आया उसे भी चाय ऑफर कर दे, पर अपने सोच को झटक जल्दी से चाय खत्म कर बाहर आ गई. उसे देख, रिचर्ड टैक्सी से बाहर आ गया और मीता के लिए पीछे का दरवाज़ा खोल दिया.
. “आपके साथ हिन्दी में बात करने की कोशिश करूंगा मै जल्दी से जल्दी हिन्दी सीखना चाहता हूँ.”
‘इतनी जल्दी की कोई वजह है, रिचर्ड?”उसकी उतावली पर मीता ने जानना चाहा.
“मुझे इंडिया जा कर अपनी ग्रैंड माँ की कब्र पर बाबा की और से लाल गुलाब चढाने हैं. बाबा इंडिया नहीं जा सके थे, पर मुझसे अपनी विश बताई थी मुझे बाबा की लास्ट विश पूरी करनी है.”
.”मुझे खुशी है, अमरीकी होते हुए भी तुम अपने बाबा-दादी की इच्छा का सम्मान करते हो.”
“आपने ये कैसे समझ लिया अमरीकियों के सेंटीमेंट्स नहीं होते?”
“सौरी, मेरा ऐसा मतलब नहीं था..’मीता को अपनी गलती समझ में आ गई.
“शाम को जब फ्री हो जाएं कॉल कर लीजिएगा. शाम को मै इधर ही होता हूँ.”.
शाम को मीता राजीव के घर जा पहुंची. उसे देख कर नेहा मीता से लिपट गई. नीरा ने भी प्यार से कहा जब से मीता अपने अपार्टमेन्ट में शिफ्ट हो गई, घर खाली लगने लगा है.
“कहो मीता, कॉलेज कैसा चल रहा है, बस तो आसानी से मिल जाती है?’राजीव ने पूछा.
उत्तर में मीता ने रिचर्ड के बारे में बता कर कहा-
“रिचर्ड कोई सामान्य टैक्सी-ड्राइवर नहीं लगता, उसकी नॉलेज देख कर लगता है जैसे वह कोई और व्यक्ति है, सिर्फ टैक्सी-ड्राइवर नहीं है.”
“हो सकता है, यहाँ कॉलेज की पढाई बहुत महंगी होती है बहुत से स्टूडेंट्स पार्ट-टाइम जॉब कर के पढ़ते हैं. अक्सर एजुकेशन-लोंन के क़र्ज़ को उतारने के लिए भी उन्हें पढाई के साथ कोई काम करना होता है. वक्त मिलने पर इस रिचर्ड के बारे में पता करूंगा.”राजीव ने कहा.
. डिनर के बाद सबके साथ आइसक्रीम खा कर वापिस लौटी मीता खुश थी.
दूसरी सुबह मीता समय से पहले ही बाहर आ गई. अपार्टमेंट के सामने छोटा सा पार्क था, कुछ देर खुली हवा में घूमने से ताजगी मिलती है. अचानक् उसकी निगाह पार्क के कोने में एक बेंच पर बैठे रिचर्ड पर पड़ी थी. गोद में लैप- टॉप लिए रिचर्ड की उंगलियाँ तेज़ी से कुछ टाइप कर रही थीं. विस्मित मीता चुपके से रिचर्ड के पीछे जा खड़ी हुई. मीता ने पढ़ा रिचर्ड के नाम के साथ एम एस, कम्प्यूटर सांइंस लिखा हुआ था. वह कोई फाइनल रिपोर्ट सबमिट कर रहा था.
“अच्छा तो तुम ये रिचर्ड ब्राउन हो. मुझसे सच क्यों छिपाया, रिचर्ड? इतना तो समझ गई थी तुम कोई साधारण टैक्सी ड्राइवर नहीं हो, पर तुम कम्प्यूटर सांइंस में मास्टर्स कर चुके हो, ये नहीं पता था..”
“ओह, आप? सॉरी, सोचा था, जब इस रिपोर्ट का रिज़ल्ट आ जाएगा, तब अपने बारे में बता सकूंगा मेरे डिपार्टमेंट के हेड को विश्वास है मेरी यह प्रोजेक्ट मेरा सपना पूरा कर सकेगी.”
“मुझे यकीन है तुम्हारे हेड का कथन सच होगा. माफ़ करना, रिचर्ड, तुम्हें एक टैक्सी-ड्राइवर समझती रही. वैसे तुम्हारी बातें हमेशा विस्मित करती रहीं.”मीता ने सच्चाई से कहा.
“मुझसे माफी मांग कर शर्मिंदा न करें. अगर मंजूर है तो आज से मुझे अपना दोस्त स्वीकार कर लें.”
“ज़रूर, आज से हम दोस्त हुए. अब चलें, तुम्हे अपनी प्रोजेक्ट भी तो सबमिट करनी है. अब तुम मुझे मीता जी नही, सिर्फ मीता कहना. वैसे भी तुम कम्प्यूटर सांइंस में मास्टर्स पूरा कर चुके हो और मै अभी एम् बी ए कर रही हूँ तो तुम मुझसे सीनियर हुए न.”.
“अब जल्दी ही मुझे अपने लिए कार खरीदनी होगी, आप ने कहा था आप ड्राइविंग सीखना चाहती हैं. अपनी कार पर आपको ड्राइविंग  सिखाऊँगा..”रिचर्ड मुस्कुरा रहा था.
“सच, मुझे ड्राइविंग सिखाओगे.” मीता की आवाज़ में उत्सुकता थी
“अपनी दोस्त के लिए इतना करना तो मेरा फ़र्ज़ है. मीता.” रिचर्ड ने एक गहरी दृष्टि मीता पर डाळी थी.
एक सप्ताह बाद कॉलेज जाने के लिए बाहर आई मीता यलो कैब की जगह एक सफ़ेद कार देख कर सोच में पड़ गई तभी खुशी से उमगते रिचर्ड ने एक लाल गुलाब मीता को देते हुए कहा-
 “मेरा सपना सच हुआ, मीता. मुझे अपने डिपार्टमेंट में लेक्चरार का जॉब मिल गया. मेरी प्रोजेक्ट को इंटरनेश्नल सेमीनार में प्रेजेंट किया जाएगा. अभी तो बस ये पहला कदम है, मुझे बहुत आगे जाना है.”
“बधाई, रिचर्ड, तुम्हारी सफलता पर मुझे गर्व है.”गुलाब लेती मीता ने कहा.
“एक दिन आपने कहा था, मेहनत करने वाला आकाश छू सकता है, शायद वो बात मेरी इंस्पिरेशन बन गई. तभी इस प्रोजेक्ट को शुरू किया था. कब सोचा था, एक चर्च के ऑरफ़ेनेज में पला-बढ़ा एक दिन ये रिचर्ड, इतना कुछ पा सकेगा.”
“तुमने कभी अपने बारे में कुछ नहीं बताया, क्या तुम्हारे पेरेंट्स नहीं रहे, इसलिए चर्च के अनाथाळय में रहना पडा?” मीता सहानुभूतिपूर्ण थी.
“मै एक ब्रोकेन फैमिली की औलाद हूँ, मीता. ब्लैक पापा और अमरीकी मॉम की बेमेल शादी किसी तरह ग्यारह साल तक चली फिर एक दिन मुझे अकेला छोड़ कर दोनों ने अपनी अलग दुनिया बसा ली. चर्च के फादर ने ही मुझे सही राह दिखाई है.”
“मुझे तुम्हारे लिए दुःख है, रिचर्ड, पर खुशी है कि तुमने परिस्थितियों से हार नहीं मानी.”
दिन बीत रहे थे रिचर्ड और मीता साथ में अब काफी सहज महसूस करते थे. मीता की पढाई सुचारू रूप में चल रही थी और रिचर्ड अपने विद्यार्थियों के बीच बहुत पॉपुलर होता जा रहा था. अपने वादे  के अनुसार रिचर्ड ने मीता को ड्राइविंग सिखानी शुरू की थी. स्टीयरिंग व्हील को साधने के प्रयास में कार टेढ़ी- मेढी  हो जाती, पर रिचर्ड के सबल हाथ मीता को ठीक राह पर ले आते. रिचर्ड का स्पर्श मीता को रोमांचित कर जाता. देर तक मीता उस स्पर्श को महसूस करती रहती..
जिस दिन रिचर्ड को फर्स्ट सैलरी मिली, वह बहुत खुश था. कार मीता के घर की ओर न मोड़ एक शानदार रेस्तरा के सामने रोकी थी. मीता के लिए कार की डोर खोलते रिचर्ड से मीता ने सवाल किया-
“हम यहाँ क्यों रुके हैं, रिचर्ड, कहीं आज तुम्हारा बर्थ डे तो नहीं है?”मीता ने मज़ाक किया.
“मुझे जन्म देने वाले ही अनाथ बना कर छोड़ गए फिर कैसा बर्थ डे? आज तुम हो, मेरी खुशी साथ है.”
रेस्तरा में काफी युवक और युवतियां थीं. हळ्की रोशनी में म्यूजिक से रोमांटिक माहौल बन रहा था. रिचर्ड के साथ मीता का ऎसी जगह आने का पहला ही अवसर था.
“अब बताओ. हम आज यहाँ क्यों आए हैं?” मीता ने बैठते ही सवाल किया.
“आज मुझे फर्स्ट सैलरी मिली है, तुम्हारे अलावा मेरा कोई अपना नहीं, जिसके साथ अपनी खुशी बाँट सकूं.” रिचर्ड उदास था.
“नाओ  चीयर अप, रिचर्ड, सोचो तुम ज़िंदगी में सफल रहे, अपना सपना पूरा किया है.”
“ठीक कहती हो, मीता. बताओ डिनर में क्या लोगी?”
दोनों के पास वाली टेबिल पर दो हिन्दुस्तानी युवक जम कर ड्रिंक कर रहे थे. उनकी निगाहें मीता और रिचर्ड पर थीं. एक ने नशे में आवाज़ लगाई-
“ऐ यूं टैक्सी ड्राइवर यहाँ आने की तेरी हिम्मत कैसे हुई? जानता नहीं इस रेस्तरा में सूट- टाई वाले बड़े लोग आते हैं.”
 “ हे,मिस, ये इंसान आपके स्टेटस का नहीं है. आओ हमारे साथ एंज्वाय करो.”दूसरा मीता की तरफ बढ़ा था. दोनों की आवाजें लड़खड़ा रही थीं.
जैसे ही उस शराब में धुत्त युवक ने मीता का हाथ पकड़ना चाहा, रिचर्ड ने उसका हाथ झटक कर उसे मीता से दूर करना चाहा. यह देख दूसरा युवक आकर रिचर्ड पर मुक्के बरसाने लगा. रिचर्ड ने जवाब में उन्हें रोकने की कोशिश की, तभी पहले युवक ने खाली बोतल रिचर्ड के सर पर दे मारी. रिचर्ड के माथे से खून निकालने लगा. यह देख कर रेस्तरा में खलबली मच गई. कुछ लोगों ने दोनों को रोका और रिचर्ड को हॉस्पिटल पहुंचाया. घबराई मीता रिचर्ड के साथ बैठी उसके माथे से बहते खून को अपनी साड़ी के आँचल से पोंछ रही थी.
रिचर्ड का घाव साफ कर के बैंडेज कर दी गई. डॉक्टर की राय थी रिचर्ड को रात में हॉस्पिटल में ऑब्जरवेशन के लिए रखा जाएगा. रिचर्ड के लाख कहने पर भी मीता घर लौटने को तैयार नहीं हुई. उसी के कारण रिचर्ड घायल हुआ था, रिचर्ड की चोट से मीता की आँखें छलछला आईं.
.’सौरी, मीता. तुम्हारी आज की शाम बर्बाद हो गई., देखा मेरा लक, मुझे किसी के साथ खुशी बांटने का भी हक़ नहीं है. तुम तो ठीक हो न?” दुखी आवाज में रिचर्ड ने कहा.
“तुम बच गए, रिचर्ड, इससे ज्यादा मेरी और क्या खुशी हो सकती है. वो गुंडे कुछ भी कर सकते थे.”
पूरी रात रिचर्ड की बेड के पास बैठी मीता जागती रही. मीता का हाथ किसी अवलम्ब की तरह पकडे रिचर्ड सो गया. मीता का मन रिचर्ड के लिए करुणा और प्यार से भरा आ रहा था. कितना अकेला है, रिचर्ड. इस समय बस मीता ही जैसे उसकी सब कुछ थी.
हॉस्पिटल से वापिसी के समय मीता रिचर्ड को जिद करके अपने घर ले गई. वीकेंड के कारण दोनों का अवकाश था. मीता को पूरी लगन और प्यार से अपनी सेवा करते देखना, रिचर्ड के लिए एक अनुभव था.
“सोचता हूँ मै ऐसे ही चोट खाता रहूँ या बीमार हो जाऊं ताकि तुम हमेशा इसी तरह मेरे पास रहो.”
“अब अगर ऎसी बातें की तो अभी तुम्हें तुम्हारे घर भेज दूंगी. “मीता ने रोष दिखाया.
दोनों अब जैसे एक-दूसरे की ज़रुरत बन गए थे. एक-दूसरे का साथ उन्हें अच्छा लगता. मीता के हाथ का बना हिन्दुस्तानी खाना रिचर्ड को बहुत अच्छा लगता. रिचर्ड अब काफी हिन्दी समझने और बोलने लगा था. रिचर्ड के साथ मीता अपने को पूर्ण पाती और यही बात रिचर्ड के साथ भी सच थी.
राजीव सपरिवार एक माह के लिए इंडिया गया हुआ था. राजीव के परिवार की अनुपस्थिति में भी रिचर्ड के कारण अब मीता को अकेलापन नहीं खलता था. दोनों के बीच एक मीन प्रेम मुखर था. रिचर्ड की गहरी प्यार भरी दृष्टि मीता को अन्दर तक गुदगुदा जाती. रिचर्ड कहता-
“कभी नहीं सोच सका था, एक दिन कोई लड़की मेरे बेरंग जीवन में आ कर उसे खुशियों से रंग देगी.”
“सच कहो, रिचर्ड क्या तुम्हारा किसी लड़की के साथ अफेयर नहीं हुआ? यहाँ तो गर्ल-फ्रेंड मिलना बिलकुल मुश्किल नही है.’
“अपनी समस्याओं के बीच कभी और कुछ सोच ही नहीं सका और सच कहूं तो तुम्हे देख कर लगा तुम में सीता की सादगी और सच्चाई है. बस मेरा मन तुमने बाँध लिया.
“लेकिन मुझे तो तुम राम जैसे कतई नहीं लगे.”मीता ने परिहास किया.
“ठीक है, राम-सीता न सही रिचर्ड और मीता का साथ भी जमेगा.”दोनों हंस पड़े..
अचानक एक दिन रिचर्ड को मीता के डिपार्टमेंट से फोन आया था-
“मिस मीता अचानक बेहोश हो गई हैं, उन्हें क्वीन मेरी हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है. उनके मोबाइल पर आपके नंबर थे इसलिए आपको इन्फौर्म कर रहे हैं.”
बदहवास रिचर्ड तेज़ स्पीड में कार चला कर हॉस्पिटल पहुंचा था. मन में न जाने कितने ख्याल आ रहे थे. एलीवेटर की प्रतीक्षा न कर वह सीढियां फळांगता मीता की बेड के पास पहुंचा था. शायद उसके पांवों की आहट की ही मीता को प्रतीक्षा थी. आँखें खोलते ही रिचर्ड को देख मीता के ओंठों पर हलकी सी मुस्कान आ गई.  मीता के हाथ को उठा हथेली पर चुम्बन अंकित कर प्यार से पूछा था;
“कैसी हो मेरी मीत? मेरी तो जान ही निकल गई थी अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मै जी नहीं पाता”
“इस लड़की को इतना प्यार करते हो, लकी गर्ल.” पास खड़ी नर्स ने मुस्कुराते हुए कहा.
“यस नर्स, आज जान पाया, ये लड़की मेरी ज़िंदगी में क्या जगह रखती है, कोई सीरियस बात तो नहीं है?”शब्दों में रिचर्ड की चिंता स्पष्ट थी.
“परेशान मत हो, इसे कोई स्ट्रेस रहा होगा. एक्जाम पास आने पर अक्सर स्टूडेंट्स को ऐसा हो जाता है.”
मीता कभी सोच भी नही सकी थी अनजाने ही वह रिचर्ड पर कितना निर्भर हो गई थी. बेहोशी खुलते ही उसके मन में बस रिचर्ड का ही ख्याल आया था. रिचर्ड को सामने देख जैसे वह जी गई थी. उसके लिए रिचर्ड कुछ भी करने को तैयार रहता था. हमेशा कहता--
’तुम मेरी प्रेरणा हो. तुम्हारे साथ ने मुझे आकाश की ऊंचाइयां छूने की हिम्मत दी है. अब मै अकेला नहीं हूँ, तुम मेरे साथ हो. बचपन के उदासी भरे दिन भूल कर जैसे नई खुशियाँ मिल गई हैं..’
डॉक्टर ने मीता को आराम करने की सलाह दी थी रिचर्ड ने मीता को इस सावधानी से कार में बैठाया मानो वह कांच की गुडिया हो जो ज़रा सा हिलते ही टूट जाएगी. मीता के घर पहुँच मीता को बेड तक उसी सावधानी से सहारा दे कर ले गया. उसे परेशान देख मीता ने कहना चाहा-
“तुम बेकार परेशान हो रहे हो. अब मै बिलकुल ठीक हूँ,.”
“देखो मीता, अब तुम अपनी ज़िंदगी से इस तरह खिलवाड़ नहीं कर सकतीं. तुम्हारी ज़िंदगी पर मेरा भी अधिकार है. अब तुम बस आराम करो, मै तुम्हारे लिए गर्म कॉफी लाता हूँ.”
 “रिचर्ड, अब तुम घर जाओं, कल तुम्हे क्लास भी लेना है.”
“आज रात तुम्हें छोड़ कर नहीं जा सकता. मुझे जमीन पर सोने की आदत है, यहीं नीचे सो जाऊंगा.”बात खत्म करते रिचर्ड ने एक मैट्रेस ज़मीन पर बिछा ली और आराम से लेट गया.
“तुम ज़मीन पर सोओ, मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा है, प्लीज़ तुम घर जाओ.”मीता ने विनती सी की.
“बड़ी गहरी नींद आ रही है, डोंट डिस्टर्ब मी.”
 मीता की आँखों से नीद कोसों दूर थी. ये क्या हो रहा है, उसके दिल में ज़मीन पर सो रहे रिचर्ड के लिए ढेर सारा प्यार उमड़ रहा था. अपने घर-परिवार से हज़ारों मील दूर ये अजनबी कैसे उसका इतना अपना  हो गया था. उसे याद आ रहा था, पहले ही दिन मीता ने उसमे कुछ अनोखा देखा था. उसका बचपन कितना दुखद था, पर उसने अपने को टूटने नहीं दिया. बचपन के सुहाने मस्ती भरे दिनों में वह अपने को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहा था. आज वह एक सफल कम्प्यूटर-विशेषज्ञ है. सुगठित शरीर के साथ उसका सौम्य चेहरा कितना निष्पाप दिखता है. उसे पाकर कोई भी लड़की अपना भाग्य सराहेगी. अचानक मीता चौंक गई. क्या उसके पेरेंट्स रिचर्ड को अपना दामाद स्वीकार कर सकेंगे?
अचानक डोर-बेल बज उठी इतनी रात में कौन आ सकता है? डोर-बेल लगातार बज रही थी. रिचर्ड उठ कर बैठ गया. मीता भी उठ गई. उसकी आँखों में भय था.
“डरो मत, मीत, मै देखता हूँ.” दरवाज़ा खोलते ही एक पुरुष के साथ एक स्त्री खड़ी थी. साथ में एक सूटकेस भी था.
“आप कौन, इस समय यहाँ किसके पास आए हैं?”’
“मीता, ये मीता का ही घर है न?”पुरुष ने कड़ी आवाज़ मे पूछा.
“जी हाँ, आज उनकी तबियत खराब है. आप उन्हें कैसे जानते हैं?”रिचर्ड की बात का जवाब दिए बिना पुरुष और स्त्री तेज़ी से घर में प्रविष्ट हो गए.
“पापा-मम्मी आप यहाँ, अचानक, सब ठीक तो है?” मीता पूरी तरह  से जाग चुकी थी.
“सब ठीक क्या ख़ाक होगा?’हम तो समझते थे तू यहाँ पढाई कर रही है,पर तू तो यहाँ हमारे खानदान का नाम डुबो रही है. शर्म नहीं आती इस आवारा के साथ एक कमरे में रह रही है.”मीता के पापा दहाड़ै.
“आप गलत समझ रहे हैं, पापा. रिचर्ड आवारा नही, यूनीवर्सिटी में प्रोफ़ेसर है. आज मुझे हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था, रिचर्ड मेरी मदद के लिए यहाँ रुका है.’ मीता ने सफाई देनी चाही.
“बकवास बंद कर, तेरे लच्छन हमें इंडिया में ही पता लग गए थे. भला हो राजीव का उसने हमारी आँखे खोल दीं, कैसे तू यहाँ एक टैक्सी ड्राइवर के साथ प्रेम की पींगे बढ़ा रही है. हम तुझे वापिस ले जाने भागे आए हैं.”माँ की आँखें क्रोध से लाल हो उठीं थी
“अच्छा तो राजीव ने आधी-अधूरी जानकारी दे कर आपको भड़काया है. राजीव तो जानते थे रिचर्ड अब प्रोफ़ेसर है, उन्होंने ही मुझे समझाया था, पढाई का क़र्ज़ चुकाने के लिए यहाँ रिचर्ड की तरह बहुत से स्टूडेंट्स पार्ट-टाइम जॉब करते हैं.”
”प्लीज़ आप लोग शांत हो जाइए. हमने कोई गलत काम नहीं किया है. हम दोनों एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं” पूरी बात न समझ पाने पर भी रिचर्ड ने कहना चाहा
“शट- अप एंड गेट आउट..पापा ने तेज़ आवाज़ में धमकाया.
“रिचर्ड तुम चले जाओ. तुम्हारा अपमान और नहीं सह सकती.”
“पर मीता, मुझे एक्सप्लेन करने दो, मै यहाँ क्यों रुका था.”
“कोई फायदा नहीं होगा, ये लोग अभी कुछ सोचने-समझने की स्थिति में नही हैं. मुझे बात करनी होगी. मुझ पर यकीन रखना, रिचर्ड.”
“इसी शर्त पर जा सकता हूँ कि तुम इन लोगों द्वारा इमोशनली ब्ळैक मेल करने की कोशिश या धमकाने से मुझे छोड़ कर नहीं जाओगी. तुम्हें मेरे प्यार की सौगंध है, मीता. वादा करो, किसी भी हालत में कमज़ोर नहीं पडोगी, मै तुम्हारे साथ हूँ और हमेशा रहूँगा.”
.”वादा करती हूँ, रिचर्ड, मै तुम्हारी हूँ. तुम अपने को और अपमानित मत होने दो. प्लीज़ जाओ.”
मीता पर एक दृष्टि डाल, रिचर्ड बाहर चला गया. उसके चेहरे पर परेशानी साफ़ झलक रही थी.
उसके जाते ही पापा और माँ ने मीता पर अपशब्दों की बौछार कर दी.मीता के आंसुओं का उन पर कोई असर नहीं हुआ. उनकी उस मन::स्थिति में कुछ भी समझा पाना असंभव था.
“बहुत हो गया अपना सामान पैक कर और हमारे साथ चलने की तैयारी कर.”
“पापा मेरा एम बी ए कैसे कम्प्लीट होगा? प्लीज़ मेरी बात तो सुन लीजिए.”
‘मुझे कुछ नहीं सुनना है, बहुत पढाई कर ली.”पापा ने अपना निर्णय सुना दिया.
“मै ने सोचा नहीं था मेरी कोख से ऎसी कुलच्छनी जनम लेगी. एक टैक्सी-ड्राइवर के साथ प्यार कर बैठी है जिसके माँ-बाप तक का पता नहीं है.”.माँ कोस रही थी.
“मम्मी पहली बात तो यह है कि रिचर्ड टैक्सी ड्राइवर नहीं है, प्रोफ़ेसर है. दूसरी बात यहाँ टैक्सी-ड्राइवर को भी इज्ज़त की निगाह से देखा जाता है. ख़ास बात यह कि हम दोनों प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.”.मीता ने साहस के साथ अपनी बात सामने रख दी.
“क्या, तेरी यह हिम्मत. ऎसी बात करते शर्म नहीं आती? अपने समाज में हम मुंह दिखाने के भी लायक नहीं रहेंगे.”पापा चिल्लाए.
 “नहीं सच बात कहते मुझे शर्म नहीं आती. मै बालिग़ हूँ, आप मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे साथ ज़बरदस्ती नही कर सकते, रिचर्ड ने बहुत दुःख झेले हैं अब उसमे आत्मविश्वास आया है, अपनी वजह से उसे टूटने या बिखरने नहीं दे सकती.” दृढ स्वर में मीता ने कहा.
“तेरी यह मजाल, मेरे साथ जुबान लड़ाती है. इसी दिन के लिए पाल-पोस कर बड़ा किया था.”थप्पड़ मारने को पापा के उठे हाथ को मीता ने रोक दिया.
“अगर मै चाहूँ अभी 911 कॉल कर दूं, मुझे धमकाने या मारने की कोशिश में पुलिस आपको जेल भेज सकती है. ये अमरीका है, हिदुस्तान नही जहां लड़की की मर्जी का कोई मूल्य नही होता.”
“क्या तू अपने पापा को जेल भेजेगी? अमरीका आकर यही पढाई की है. दूसरों के सामने हम कैसे मुंह दिखाएंगे.”अब माँ विस्मित और क्षुब्ध थी, क्या ये उसकी कोख जाई बेटी है.
“किन दूसरों की बात कर रही हो माँ? वो जिनके अपने घर शीशे के होने के बावजूद दूसरों के घर पत्थर फेंकने की हिमाकत करते हैं. अपने जन्मदाता माता-पिता का अपमान करूं, ये अपराध नहीं कर सकती,  पर ये सच है यहाँ आ कर जाना है, एक बालिग लड़की को अपना जीवन- साथी चुनने का पूरा अधिकार है, उस पर दूसरों की मर्जी नहीं थोपी जा सकती.” शान्ति से मीता ने कहा..
“क्या माँ-बाप बेटी के दुश्मन होते हैं, वे भी तो बेटी का भला ही चाहते हैं.”माँ ने गुस्से से कहा.
“भूल गईं, चाचा जी की बेटी कला दीदी की ऊंचे खानदान में शादी की गई थी, पर दहेज़ के लालच में उन्हें जला कर खत्म कर दिया गया था.”
“माँ-पापा को मौन देख मीता ने अपना मोबाइल उठा कर रिचर्ड को फोन लगाया-
“रिचर्ड क्या तुम मेरे साथ शादी करने के लिए सीरियस हो? मुझे तुम्हारा पक्का जवाब सवेरे सात बजे तक मिल जाना चाहिए. पूरी तरह से सोच-समझ कर फैसला लेना.”
‘सवेरे सात बजे तक का इंतज़ार क्यों, मेरा पक्का जवाब अभी तैयार है. हाँ मै तुमसे सिर्फ तुमसे शादी करूंगा वरना ज़िंदगी भर अविवाहित रहूँगा. बोलो इसको सिद्ध करने के लिए मुझे क्या प्रमाण देना होगा?” दूसरी और से रिचर्ड कीं उत्साहित आवाज़ स्पष्ट सुनाई दी.
“तुम्हे प्रमाण देने की कोई ज़रुरत नहीं है, रिचर्ड. अगर तुम तैयार हो तो. हम कल ही चर्च में शादी करेंगे. उम्मीद है तुम्हारे चर्च के फादर हमारी शादी में मदद करेंगे तुम अपने और मेरे क्लास के साथियों को भी इन्फौर्म कर देना. मै ठीक वक्त पर पहुँच जाऊंगी.”
“पागल हो गई है, इस देश में रोज़ शादी और रोज तलाक होते हैं, रिचर्ड, जिसके माँ-बाप तक उसे छोड़ गए उसका क्या भरोसा?”माँ ने आँखों से आँचल लगा लिया.
“मुझे रिचर्ड पर पूरा विश्वास है, वह तकलीफों की आग और कड़ी धूप में तप कर खरा सोना बना है. उस पर आँख मूँद कर यकीन कर सकती हूँ.” अपने साहस पर शायद मीता खुद भी विस्मित थी..
पापा मौन थे, कुछ समय अमरीका में रहने के कारण  वह अमरीका और भारत के बीच का अंतर जानते  थे. परिस्थिति की गंभीरता वह समझ रहे थे. उन्हें अच्छी तरह से पता था एक बालिग़ लड़की से जबरन कुछ करवा पाना मुश्किल बात थी. मीता ने झूठ नहीं कहा था, 911 डायल करते ही घर में पुलिस आ जाएगी और फिर उनकी नहीं सुनी जाएगी. मीता का साथ देने को यहाँ की युवा पीढी सामने आ जाएगी. उनका साथ देने वाला यहाँ कौन है? अब जब लड़की ने ठान ही ली है तो उसकी बात मान लेने में ही भलाई है. शादी एक जुआ ही तो है,. कला के दुखद अंत को भुलाया नहीं जा सकता. शायद मीता ठीक कह रही है.
“मेरी आप दोनों से विनती है, अगर संभव हो शादी में सम्मिलित हो कर हमें आशीर्वाद दीजिए. आपके आशीर्वाद के बिना हमारी शादी अधूरी रहेगी मेरा विश्वास कीजिए, रिचर्ड बहुत अच्छा इंसान है. जाति  और धर्म से ज्यादा बड़ी चीज इंसानियत है.”पापा को सोच में पडा देख मीता ने कहा.
“तू कैसे कह सकती है, रिचर्ड तुझे धोखा नहीं देगा?”पापा ने आखिरी सवाल पूछा.
“रिचर्ड सेल्फ मेड इंसान है. पापा आपने भी तो जीवन में बहुत संघर्ष झेला है और ऐसे लोगों की आप इज्ज़त करते रहे हैं. मुझे रिचर्ड की ईमानदारी और अपने प्रति उसके प्यार पर पूरा भरोसा है. आपकी बेटी गलत निर्णय नहीं ले सकती.”पूरे विश्वास से मीता ने कहा.
“बचपन से तेरी जिद पूरी करता आया हूँ, अब ये आखिरी जिद भी माननी ही पड़ेगी.”पापा ने कहा.
.”थैंक यूं पापा.”खुशी से मीता पापा के गले से लिपट गई.
अकस्मात् लिए अपने फैसले पर मीता को विश्वास कर पाना कठिन लग रहा था, उसमें कहाँ से ये फैसला करने का साहस आ गया था. उसने तो इस हिम्मत की कल्पना भी नहीं की थी. नहीं शायद इस स्थिति का सामना करने के लिए वह मन ही मन अभ्यास करती रही है और आज अकस्मात् ही उसने अपना फैसला सुना डाळा था. उससे भी ज़्यादा पापा की स्वीकृति विस्मित कर रही थी. निश्चय ही जीवन में पहली बार ऐसा साहसी निर्णय वह रिचर्ड और अपने प्यार के कारण ही ले सकी थी रिचर्ड ने ठीक कहा था राम और सीता की न सही, रिचर्ड और मीता की जोडी तो जमेगी. ये बात याद करती मीता के ओंठों पर मीठी मुस्कान तिर आई.

अकस्मात् लिए अपने फैसले के बाद मीता को अब एक नई सुबह की उत्सुकता से प्रतीक्षा थी.

7 comments:

  1. एक बात यह की कहानी को पढ़ कर लगा वालिग लड़की को आपना हक़ जानना चाहियें

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  2. Ek Aachhi Kahanee, Aaj Ke Bhartiya Pariwaron Ki Kahanee Bhi Kuchcha Aisee hi ho gayee hai, Aur Jeevan Ke Soch Ki Disha Bhi Issiliye Badal Gayee Hai. True Love Story. Excellent

    Prakash Chandra Baranwal

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  3. Yash Yadav
    हिन्दी साहित्य को ऐसी जीवंत और पवित्र रचना से जिन्दा रखिए । फुहडता से बचें ।

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  4. aapki sari stories bhot behtreen hai.......actually mai story apni hindi ko achi krne ke liye pdta hu.....n jis trh se kahani likhi gyi hai....usse pdne wale ko maza aata hai....n isse meri kafi hindi achi hui hai.....mai aapse request krta hu ki.....kahi - kahi kuch word miss the....unhe clear kre.....tq 4 this....

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  5. aapki sari stories bhot behtreen hai.......actually mai story apni hindi ko achi krne ke liye pdta hu.....n jis trh se kahani likhi gyi hai....usse pdne wale ko maza aata hai....n isse meri kafi hindi achi hui hai.....mai aapse request krta hu ki.....kahi - kahi kuch word miss the....unhe clear kre.....tq 4 this....

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