“मम्मी, आज लंच के लिए मेरा एक फ्रेंड आ रहा है’. पिछले दो महीने से काम
के सिलसिले में बाहर गया हुआ था.” मोबाइल सुन कमल ने माँ से कहा.
‘अरे पहले से क्यों नहीं बताया. इतनी जल्दी क्या तैयारी करू?”. विभा
परेशान हो गई.
‘तैयारी क्या करनी है, वो कोई वी आई पी थोड़ी है. सबसे आसान है अपना यलो
पुलाव यानी तहरी बना लो. आलू-मटर और गोभी तो होगी ही.’ कमल ने समाधान दे
दिया.
‘तहरी भी भला मेहमान को खिलाई जाती है. तुझे पसंद है इसका मतलब ये नहीं, तेरा दोस्त भी चावल
की तहरी पसंद करे.’ विभा ने नाराज़गी दिखाई.
‘तुम बेकार में परेशान हो रही हो, मम्मी जयकुमार आधा हिन्दुस्तानी है. उसके
पापा भारतीय थे इसलिए जैकी अच्छी हिन्दी बोल और समझ लेता है. उसे मैं अच्छी तरह से
जानता हूँ. इन्डियन रेस्तरा में मेंरे साथ खाते हुए मेरी पसंद उसकी पसंद बन गई है.
एक बात और अपनी आदत के अनुसार उससे उसके माँ -बाप के बारे में पूछना मत शुरू कर
देना. ज़्यादा बात करने की तुम्हारी आदत है, इसीलिए कह रहा हूँ.
‘क्यों. किसी के माँ-बाप के बारे में. जानना गलत बात है? विभा की आवाज़
में तल्खी थी.
‘जिसके माँ-बाप ही न हों उससे उनके बारे में. पूछना क्या ठीक बात होगी.
अनाथ न होते हुए भी उसने अनाथ का जीवन जिया है. उसके पेरेंट्स काफी पहले ही अलग हो
गए. उन दोनों ने तो अपनी अलग दुनिया बसा ली, पर जैकी अकेला छोड़ दिया गया.
‘ओह, बेचारा लड़का, पर ये बता बिना माँ-बाप के वह कम्प्यूटर इंजीनियरिंग
कैसे कर रहा है? यहाँ तो पढाई बहुत महंगी है.”’विभा विस्मित थी.
‘अमरीका के लिए ये कोई अचरज की बात नहीं है. यहाँ स्कूल-कालेज की पढाई के
लिए अधिकतर स्टूडेंट खुद काम करके फीस जुटाते है. जैकी ज़हीन था, पढ़ने की इच्छा के
कारण दूसरों की कारें धोकर, घरों में अखबार देकर, ट्यूशन पढ़ा कर वह यहाँ तक पहुंचा
है. एम् एस में टॉप किया है. अब स्काळरशिप पाकर पीएच.डी कर रहा है. हेड का फेवरिट है.’
“तू तो अभी एम्.एस कर रहा है फिर वह तेरा दोस्त कैसे हुआ?
“मुझे टीचिंग असिस्टेटशिप मिली है. जैकी मेरा सीनियर है, कभी कोई कठिनाई
होने पर उसकी मदद लेता था. बस हम दोनों एक-दूसरे के पास आते हुए दोस्त बन गए. उसने
अपना दुखद अतीत मेरे साथ बांटा है, मम्मी ”
‘यहाँ की बातें सुनती हूँ तो आश्चर्य होता है. मुझे तो यहाँ. की ज़िंदगी
रास नहीं आती, ऎसी बातें जान-सुनकर लगता है यह ठीक ही कहा जाता है कि भारत महान
है.’
‘अभी तुम यहाँ दो ही महीनों से आई हो, ज़्यादा दिन रहोगी तो अमरीका ही
अच्छा लगने लगेगा.अब बाते ही करती रहीं तो तुम्हारी तहरी की जगह हमें लंच के लिए किसी
रेस्तरा में जाना होगा.” कमल ने परिहास किया.
किचेन में पहुँच विभा ने फ्रिज से गोभी- मटर निकाली तो चहरे पर मुस्कान आ
गई. सच ही तो कहता है कमल, छिली मटर, कटी सब्जी से खाना बनाना कितना सरल हो जाता
है. वैसे अपने देश में धूप में बैठ कर मटर
छीलते-खाते जाने का भी तो अलग ही मज़ा होता है. थोड़ी ही देर में किचेन से मसालों.
की सुगंध आने लगी. तहरी छौंक विभा ने रायता और सलाद भी आसानी से बना लिया. पापड़ तो
पहले ही तल कर रख रखे थे.
डोर-बेल पर दरवाज़ा कमल ने ही खोला था. जींस पर पहिनी जैकेट से झांकती
सफ़ेद टी-शर्ट पहिने जयकुमार के चहरे पर मीठी मुस्कान थी.
‘हाय जैकी. आओ. मम्मी जैकी आ गया.’ कमल ने विभा को आवाज़ दी.
विभा के पहुंचते ही कमल ने विभा का परिचय दिया.
‘जैकी मेरी मम्मी से मिलो और मम्मी यही है मेरा प्यारा दोस्त जयकुमार, हम
सब इसे जैकी ही पुकारते हैं.
“नमस्ते माँ, क्या मैं आपको माँ कह सकता हूँ?” हाथ जोड़ जैकी ने पूछा.
‘क्यों नहीं, मेरे लिए जैसा कमल
वैसा ही तू है. देखा कमल, जैकी ने मुझे नमस्ते की, माँ कहा और तू हिन्दुस्तानी हो कर भी हाय-हाय कहता है.’
विभा को अमरीकियों का हेलो की जगह हाय कहना कभी नहीं भाया.
“अरे मम्मी, यह बातें बना रहा है. कल ही इसने मुझसे पूछा था, माँ को विश
कैसे करूंगा जिससे वह मुझसे इम्प्रेस हो सके.”’ कमल ने जैकी की सच्चाई बताई.
“जो भी हो, उसने कम से कम तेरी संस्कृति के बारे में तो जानना चाहा, यही
क्या कम है.”
“ठीक है माँ, अब लंच मिलेगा या जैकी की तारीफ़ से ही पेट भरना होगा. जैकी
कौन सी ड्रिक लेगा.’ कमल ने बात का रुख बदला.
“तू तो जानता है, मेरे
लिए तो सादा पानी ही सबसे अच्छी ड्रिंक है, कमल.’
कमल ने फ्रिज से जूस निकाल कर दो ग्लासों में ढाल कर एक जैकी की और
बढाया.
“ये फ्रूट- जूस सेहत के लिए अच्छा है. टेबल पर तेरे लिए पानी भी रखा है.’
विभा को प्लेटें लाते देख जैकी सहायता के लिए खड़ा हो गया.
‘माँ, ये सब हम दोनों कर लेंगे. कमल तू माँ की हेल्प नहीं करता?”
‘अरे मेरी माँ बड़ी एफ़ीशिएन्स है. मुझे काम करने ही नहीं देती.” कमल ने
बात बनाई.
‘अरे सच्चाई क्यों. नहीं बता देता, तू कितना बड़ा आलसी है. घर में. सब पर
हुकुम ही तो चलाता था. कभी पानी का एक ग्लास भी अपने आप नहीं लिया.’ विभा ने
शिकायत की.
‘ठीक है माँ, पर अब तो यहाँ. आकर सब काम खुद ही तो करता हूँ. ये बात
दूसरी है जब से तुम आई हो, मुझे काम नहीं करने देतीं. इसमें गलती तुम्हारी ही है.’
‘अच्छा-अच्छा, अब बातें बनाना छोड़, जैकी को खाना परोस.’
जैकी माँ-बेटे की नोक-झोंक सुन कर
मुस्करा रहा था. प्लेट में परोसी तहरी ने उसे कोई भूली बात याद दिला दी. अनायास ही
कह बैठा-
‘पापा को ऎसी तहरी बहुत पसंद थी. कहते थे उनके लखनऊ वाले घर में छुट्टी वाले
दिन तहरी बनती थी. जिस दिन मम्मी घर में नही होती थी पापा तहरी बनाते थे, आपने साथ
में दही- पापड वगैरह जो बनाया है, पापा भी ऎसी ही कोशिश करते थे, जैकी भूली यादों
में खो सा गया. चहरे पर उदास छाया तैर गई.
“बस कर यार, तेरे
चेहरे पर उदासी अच्छी नहीं लगती. अरे तू बिंदास लड़का है, तेरे चेहरे पर हंसी ही
खिलती है.”कमल ने प्यार से कहा.
“क्या तुम्हारी मम्मी पापा की पसंद का खाना नही बनाती थीं? हमारे यहाँ तो
घर के पुरुष की पसंद को ही महत्व दिया जाता है. ये कमल भी रोज़ नई फरमाइश करता था
और मुझे इसकी फरमाइश पूरी करनी पड़ती थी..” विभा के चेहरे पर मीठी मुस्कान आगई.
“असल में मेरी मम्मी पक्की अमरीकन थी और पापा ठेठ हिन्दुस्तानी थे. दोनों
ने अपनी बेमेल मैरिज पता नही कैसे ग्यारह
साल तक खींची. मम्मी शादी के बाद पापा के साथ लखनऊ गई थी, पर वहां आधुनिक सुविधाओं
के सर्वथा अभाव ने मम्मी के मन में इंडिया के लिए ऎसी नफरत भर दी कि पापा तक के
लखनऊ जाने पर सख्त पावंदी लगा दी. पापा मन मार कर रह जाते. अमरीका की सुख-सुविधाओं
के होने पर भी पापा अपना लखनऊ कभी नहीं भुला सके.
‘वैसे ये बात तो सच है भारत के सब घरों में यहाँ जैसी सुविधाएं नहीं है.
यहाँ रहने वालों को इन सुविधाओं के बिना ऐडजस्ट कर पाना कठिन लगना स्वाभाविक ही
है. विभा ने कहा.`
“अगर ऐसा है तो पापा लखनऊ को भुला क्यों नहीं सके?”
“सच तो यह है, कहीं भी रहो, अपने
देश की माटी से लगाव नहीं टूट सकता.”
“बिलकुल यही बात हीरजी आंटी भी कहती थीं, वह भी अपने देश की याद करती
रहती थीं.”
“हीरजी आंटी कौन हैं, जैकी?”विभा उत्सुक हो उठी,
“आंटी अपने पति के साथ अमरीका आई थीं, उनके पति ने फ़ौज में नौकरी की थी. वियतनाम
के साथ लड़ाई में वह शहीद हो गए. हीरजी आंटी अकेली पड़ गईं. उनसे शादी करने को बहुत
लोगों ने प्रस्ताव दिए, पर आंटी ने प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए. मुझे अकेला जान कर उन्होंने
अपने घर के दरवाज़े खोल दिए. काम करके आंटी की सहायता करनी चाही, पर उन्होंने पैसे
स्वीकार नहीं किए. हमेशा कहतीं ये पैसे आगे पढाई के लिए काम आएँगे. आज उन्हीं की
वजह से यहाँ तक पहुँच सका हूँ. जैकी की आवाज़ भीग सी गई.”
“तेरी आंटी तो सचमुच महान हैं. मै उनसे मिलना चाहती हूँ.”विभा ने आदर से
कहा.
“काश आप उनसे मिल पातीं. मुझे यह जीवन दे कर वह इस संसार से विदा हो गईं. आज वह नहीं हैं, पर मेरी यादों
में वह हमेशा जीवित रहेंगी, अच्छा आज चलता हूँ.”अचानक जैकी उठ खडा हुआ. चहरे पर
उदासी स्पष्ट थी.
जैकी के चले जाने के बाद बहुत देर तक विभा उसके अकेलेपन पर तरस खाती रही.
‘कैसा दुर्भाग्य है, माँ-बाप के रहते भी लड़का अकेला छोड़ दिया गया. भला हो
उन आंटी का जिसने पराई हो कर भी लड़के को
घर की छत और सहारा दिया.”
“तुम बेकार परेशान हो रही हो, मम्मी. यहाँ ब्रोकेन फैमिलीज़ आम बात है. जी
उचाट हो जाने पर आपसी सहमति से माँ-बाप एक दूसरे से अलग होकर अपनी नई दुनिया बसा
लेते हैं. यहाँ के बच्चे इस बात को स्वाभाविक और सहज रूप में लेते हैं.” कमल ने
समझाया
.विभा से मिलने के बाद जैकी अक्सर कमल के साथ उसके घर आ जाता. विभा के
साथ बातें करना उसे अच्छा लगता. अब जैसे वह दूसरा ही जैकी होता जा रहा था. उसके
खुले स्वभाव से कमल भी विस्मित होता. अब उदासी की जगह उसमे जीवन्तता आती जा रही
थी. विभा के स्नेह ने उसे जैसे एक शरारती युवक बना दिया था. उसके मजाक विभा को भी
हंसा जाते. शायद अब वह विभा के साथ अपना बचपन जी रहा था. जैकी के आने से विभा का
खालीपंन काफी सीमा तक दूर हो जाता था. फिर
भी विभा संतुष्ट नहीं हो पाती. उसे भारत के रिश्तेदार और सखी सहेलियां याद आतीं.
कमल से कहती-
“पता नहीं ये कैसा देश है. मुझे तो यहाँ अपना अकेलापन खलता है. अगर तेरे
पापा हमें छोड़ कर इस दुनिया से न चले गए होते तो मै भला यहाँ हमेशा के लिए आती.”माँ
आंसू पोंछती.
“परेशान न हो माँ, जल्दी ही तुम्हार्रा परिचय यहाँ की इन्डियन कम्यूनिटी
से हो जाएगा तब तुम बोर नही होगी. तुम्हारा संगीत-ज्ञान तुम्हे बहुत पॉपुलर बना
देगा.चाहो तो म्यूजिक क्लास शुरू कर दो, यहाँ बहुत स्टूडेंट्स मिल जाएंगे.”
कमल की बात में सच्चाई थी. भारतीय परिवार वाले अपने बच्चों को भारतीय
संगीत की शिक्षा दिलाना चाहते थे. कम से कम इस तरह वे अपनी संस्कृति से कुछ सीमा
तक जुड़ सकेंगे. विभा को कमल का प्रस्ताव अच्छा तो लगा, पर अभी वह इतनी जल्दी कोई
निर्णय नहीं लेना चाहती थी. उसने संगीत की डिग्री प्रयाग संगीत समिति से ली थी.
भारत में वह संगीत की अध्यापिका थी. विभा के मन में कुछ उत्साह हो आया. शायद इस
तरह उसका अकेलापन भी दूर होगा. कुछ लोगों से मिल कर फैसला करना ठीक होगा.
एक सप्ताह बाद कमल ने अपने क्लास से वापस आकर खुशी से विभा से कहा--
“माँ लगता है भगवान् तुम पर मेहरबान हैं. तुम्हारा अकेलापन दूर करने के
लिए तुम्हारी बातूनी भतीजी, आभा को यहाँ की यूनीवर्सिटी में एडमीशन मिला है. आज
मामाजी ने फोन पर बताया. अब तो अपनी बक-बक से सारे घर की शान्ति भंग कर देगी.” कमल के शब्दों में
स्नेह था.
‘अरे वाह, ये तो बड़ी अच्छी खबर है. जब से तू अमरीका आया, आभा ने जिद पकड़
ली थी, वह भी अमरीका जाएगी. पढाई में तो तेज़ थी ही, आखिर भैया को उसकी जिद माननी
ही पड़ी. आभा बातें तो करती है, पर उसकी मीठी बोली कितनी प्यारी है, सुनते ही दुःख
दूर भाग जाएं.
“ठीक है तुम ही उसकी मीठी बातें सुनना, मुझे डर है वो अपनी बकबक से मुझे
परेशान न करे. वह हमारे साथ ही रहेगी इसी शर्त पर मामा उसे यहाँ भेज रहे हैं.”
‘तुम दोनों के बीच जितना प्यार है, जैसे मै जानती नहीं. विभा के चेहरे पर
हलकी मुस्कान थी.
आभा को एक हफ्ते बाद आना था, विभा
की खुशी का ठिकाना नही था. आभा की माँ की मृत्यु के बाद विभा ने ही उसे सम्हाला
था. विभा ने आभा की मनपसन्द ढेर सारी खाने की चीजें बना डालीं. एक-एक दिन गिन कर
आखिर वो दिन आ ही गया जिसकी सबको प्रतीक्षा थी. आभा को रिसीव करने जैकी भी आगया
था.
एयरपोर्ट पर फ्लाइट पहुँचने की सूचना आ चुकी थी. करीब आधे घंटे बाद कंधे
पर बैग लटकाए आती आभा दिखी थी. चहरे पर मुस्कान खिली थी. कमल के पास आई आभा को कमल
ने गले लगा लिया. दोनों के चेहरों पर खुशी जगमगा रही थी.
“ओह तो यही हैं आभा दी ग्रेट , जिनके लिए माँ ने हज़ारों पकवान बना रखे
हैं. वैसे इनके चेहरे पर तो कोई ख़ास आभा दिखाई नहीं देती. टिपिकल हिन्दुस्तानी
सामान्य लडकी की इतनी तारीफें, मै तो कोई हूर की परी एक्स्पेक्ट कर रहा था.’ जैकी
ने चिढाने के अंदाज़ में कहा.
“हेलो, आपकी तारीफ़? मेरे बारे में कुछ भी कहने का आपको किसने हक़ दिया?
आभा का सुन्दर गोरा चेहरा लाल हो उठा था.
“मेरी तारीफ़ सुन पाने के लिए आपको काफी लंबा समय लगेगा. फिलहाल इतना जान
लीजिए आपकी मदद के लिए यह बन्दा हमेशा हाज़िर रहेगा.” हंसते हुए जैकी ने कहा.
“थैंक्स , पर मुझे किसी की भी और कम से कम आपकी मदद तो कभी मंजूर नहीं
होगी, मै अपनी मदद खुद कर सकती हूँ, समझे मिस्टर आप जो भी हों - ----“
“अब बस भी कर यार, बहुत मज़ाक हो गई. मेरी बहिन का मूड मत खराब कर. आभा,
ये मेरा पक्का यार जैकी है. इसकी आदत ही मज़ाक करने की है. चल घर चलें माँ इंतज़ार
कर रही होंगी. जैकी, तू अपनी कार में सामान ले कर पहुँच.”
घर पहुंची आभा को सीने से चिपटाती विभा के आंसू बह निकले. उस समय भी जैकी
मज़ाक करने से नही चूका-
“कमाल है, आभा के आने का इतना दुःख मना रही हैं, माँ. कोई बात नहीं आपने
जो पकवान बना रखे हैं, वो तो मुझे खाने दीजिए. आभा जी तो फ्लाइट में खूब खाती हुई
आई हैं. पर मेरा भूख से दम निकला जा रहा है.”
“पागल कहीं का, अरे ये तो खुशी के आंसू हैं, इतने दिनों बाद किसी अपने को
देख रही हूँ.”आँचल से आंसू पोंछती विभा ने कहा.
“इसका मतलब मै आपका अपना नहीं हूँ. जब से आप मिली हैं मुझे महसूस होता
है, मेरा भी एक घर है जहां मेरा इंतज़ार किया जाता है, पर मै शायद गलत था.’जैकी
उदास सा दिखा.“
“अब माँ को इमोशनली ब्लैक मेल मत कर, यार. ये आभा ही तुझे ठीक करेगी. इसे
सीधी समझने की गलती मत करना. मेरे भी कान काट सकती है.”कमल हंस रहा था.
“सच, तब तो इनसे दूर रहना चाहिए, वैसे देखने से तो ये इतनी डरावनी नहीं
लगतीं.”
“चल आभा तू फ्रेश हो जा, इतनी दूर के सफ़र से आई है, थक गई होगी. मै खाना
लगाती हूँ. इस जैकी की बातों पर ध्यान मत दे, मै ने ही प्यार दे कर इसकी आदत बिगाड़
दी है.”
“इनकी ऎसी बात ही कौन सी है, बुआ जिस पर ध्यान दिया जाए.”अपनी बात खत्म
करती आभा तेज़ी से बाथरूम में फ्रेश होने चली गई.
“एक बात तो ज़रूर है, आभा की बदौलत मुझे भी इतना बढ़िया खाना मिल रहा है.
इस बात के लिए तो आपको शुक्रिया कहना ही पड़ेगा, आभा जी.’ खाने की मेज़ पर तरह-तरह
के व्यंजन देख कर जैकी खुश हो गया.
“अच्छा आप शुक्रिया भी देते हैं? मुझे तो लगा आप बस व्यंग्य करना ही
जानते हैं.”
“आप मेरे बारे में जब जानेंगी तब पता लगेगा मेरी क्वालिटीज़ की इतनी लंबी
लिस्ट है. क्यों कमल ठीक कह रहा हूँ न?”
“भला तू कभी गलत हो सकता है. हाँ कल आभा को इसके डिपार्टमेंट तुझे
पहुंचाना होगा, मेरी हेड के साथ मीटिंग है. इसे सब समझा देना. ऑफिस में पेपर्स जमा
करने होंगे.”
“कमल भैया, मै अकेली जा सकती हूँ, मुझे किसी का एहसान नहीं लेना है.”
“अरे यूनीवर्सिटी इतनी बड़ी है, तू खो जाएगी, ये इंडिया नहीं है. वैसे भी
इस जैकी पर मेरे बहुत एहसान हैं, इसी बहाने एक एहसान तो उतार सकेगा.” कमल ने
परिहास किया.
दूसरी सुबह आभा जाने की तैयार थी मन में उत्सुकता थी कैसा होगा उसका
डिपार्टमेंट. इंडिया में उसने ज्योग्राफी विषय में टॉप किया था. अब उसी विषय में
वह पीएच.डी करने आई है. पापा ने कितनी मुश्किल से उसे अमरीका आने की इजाज़त दी है.
ठीक समय पर जैकी हाज़िर था. बड़ी इज्ज़त से कार की अगली डोर खोल जैकी ने आभा
को बैठने को कहा था. “थैंक्स” कहती आभा बैठ गई.
हरी घास और पेड़ों से घिरी डिपार्टमेंट की भव्य इमारत ने आभा को मुग्ध कर
लिया. सामने नीला सागर दूर से दिख रहा था. भूगोल विषय के अनुरूप स्थान का चुनाव
सराहनीय था.
“वाह, सामने लहराता सागर, पर खाली टाइम में सागर की सैर मत करने चली
जाना. याद रखना यहाँ पढने आई हो. अमरीका में इंडिया जैसी आसान पढाई नहीं होगी.”
जैकी ने चिढाया.
“थैंक्स फॉर योर एडवाइस. मैने बिना पढ़े टॉप नहीं किया है, जनाब. अब आप जा
सकते हैं, घर मै खुद वापस पहुँच जाऊंगी. मेरे पास रोड- मैप है.”
“आर यू श्योर, खो जाओ तो काल कर लेना, यह अमरीका है, यहाँ. अच्छे-अच्छे
भटक जाते हैं.”
“भूलिए मत मत, मेरा विषय भूगोल है. अमरीका की रोड तक पढ़ रखी हैं. बाय.’
डिपार्टमेंट के ऑफिस में सारी फौर्मलिटीज़ पूरी कर के आभा अपने गाइड से
मिली थी. गाइड एक प्रौढ़ अमरीकी डाक्टर जोनाथन थे. आभा के विषय पर चर्चा करते समय
उन्होंने कई उपयोगी सुझाव दिए और पहले ही दिन आभा को लाइब्रेरी देखने की सलाह दी.
“यहाँ लाइब्रेरी में तुम्हे अपने विषय से संबंधित बहुत मैटीरिअल मिल जाएगा.
कम्प्यूटर की सुविधा सब विद्यार्थियों को है. सबसे पहले विषय पर डेज़रटेशन तैयार
करना होगा. उसके अप्रूवल के बाद रिसर्च-वर्क शुरू कर सकोगी. उम्मीद है तुम मेहनत
से सफलता पा सकोगी.”
“आपको निराश नहीं करूंगी,सर.”
‘सर नहीं मुझे सब जॉन कहते हैं, तुम भी इसी नाम से पुकारोगी.’ मुस्करा कर
जोनाथन बोले.
अपने गाइड से बातें कर के आभा संतुष्ट थी उसका अमरीका आने का निर्णय गलत
नहीं था. अब जल्दी ही वह अपना काम शुरू करेगी. घर वापसी के समय जैकी की चुनौती का
चैलेन्ज था. यूनीवर्सिटी के बस-स्टैंड पर लगे बोर्ड से आभा ने अपनी बस चुन ली. वह जनाब
जैकी को दिखा देगी, वह कितनी सक्षम है. थोड़ी कठिनाई के बाद घर पहुंची आभा बेहद
प्रसन्न थी. अब जैकी को पता लगेगा आभा क्या चीज़ है. आभा के मोबाइल पर जैकी था –
“कहिए , मिस आभा, कहाँ हैं आप? डरने या परेशान होने की ज़रुरत नहीं है, बताइए,
किस जगह पर हैं, लेने पहुंच जाऊंगा.”
“थैंक्स फॉर योर कंसर्न मिस्टर जयकुमार. बिना किसी परेशानी के घर आगई हूँ
और इस वक्त मजेदार पकौड़ों के साथ चाय पी रही हूँ.”
दस मिनट में जैकी हाज़िर था.
“ये तो बड़ी बेइंसाफी है, माँ, बेटी के आते ही इस बेटे को भुला दिया. यहाँ.
मै इनके रास्ता भटकने के डर से दिन भर लंच के बिना रहा और ये यहाँ पकौड़े उड़ा रही
हैं.”
“ऐसे क्यों कह रहा है, जैकी. आभा के आने के पहले तू ही तो मुझे हंसाता
रहा है. आ तू भी पकौड़े खा कर बता कैसे बने हैं.”विभा ने स्नेह से कहा.
“अब बताइए मै स्मार्ट हूँ या नहीं?’ शोखी से आभा ने कहा
‘मान गया, हज़ार बार मान गया. आप सुपर गर्ल हैं. अब मुझे पकौड़ों का मज़ा
लेने दो, तुम तो देर से खा रही हो, कुछ मेरे लिए भी तो छोड़ दो.’ जैकी ने पूरी
प्लेट अपने सामने खींच ली.
“ठीक है, मै भुक्कड़ नहीं हूँ. जो दिन भर भूखा रहा हो, उसे सारे पकौड़े खाने
देना पुन्य होगा.”
“थैंक्स, ये हुई ना इन्साफ की बात.’ आभा की तीखी बात से बेपरवाह जैकी
खाता रहा.
दिन बीतते जा रहे थे. आभा कड़ी मेहनत कर रही थी, अचानक इंडिया से कमल के
एकमात्र चाचा की सीरियस बीमारी की खबर मिलते ही कमल को इंडिया जाना पड़ा था. जैकी
ने आश्वस्त किया था कमल की अनुपस्थिति में वह माँ और आभा का ख्याल रखेगा. जैकी रोज़
आकर उनकी खोज-खबर ही नहीं लेता था बल्कि उनका मन भी बहलाता था. आभा को परेशान करने
में उसे ख़ास मज़ा आता. यहाँ तक कि लाइब्रेरी में काम कर रही आभा को बीच-बीच में आकर
उसके काम में बाधा डालना मानो उसका फ़र्ज़ होता. लाइब्रेरी के शांत वातावरण में भी उसे
चिढाने से बाज़ नहीं आता.
“इतनी मेंहनत किस लिए कर रही हो, आखिर तो शादी के बाद ये पढाई काम आने से
रही. इससे अच्छा अपनी बुआ से बढ़िया खाना पकाना सीख लो. पति का प्यार पेट के रास्ते
से ही जीता जा सकता है.” जैकी शरारत से हंसता.
“छि:, अमरीका में रह कर भी तुम्हारी सोच इतनी छोटी है. तुम्हारी अमरीकी
पत्नी तो बुआ जैसा खाना पकाने से रही.” आभा व्यंग्य करती.
“किसने कहां मेरी पत्नी अमरीकी लड़की होगी. मुझे तो ठेठ हिन्दुस्तानी
पत्नी चाहिए.” जैकी की गहरी नज़र
आभा को परेशान कर जाती.
“वैसे तुम्हारा ये फैसला तो ठीक ही
है. अमरीकी लड़की तुम्हारे दकयानूसी ख्यालों के साथ तो ऐडजस्ट करने से रही. किसी इन्डियन
शेफ़ की बेटी से शादी करना, वो खाने में रोज़ नई-नई डिशेज़ बना कर सर्व करेगी..”
“वैसे तुम्हारा अपने बारे में क्या ख्याल है? मै भी तो तुम्हारा एक
उम्मीद्वार हो सकता हूँ.”
“जैकी तुम्हारी शिकायत बुआ और कमल भैया से करनी होगी. क्या समझते हो अपने
को? पता नहीं मुझसे क्या दुश्मनी है, काम नहीं करने देते.” आभा झुंझलाती, इस पर भी
जैकी की शिकायत कमल या बुआ तक कभी नहीं पहुंची.
“सॉरी, माफ़ कर दो. मजाक कर रहा था. चलो तुम्हारा मूड ठीक करने को
आइसक्रीम खाने चलें.पास में एक नया आइसक्रीम-पार्लर खुला है. वहाँ दूर-दूर से लोग
आते हैं.”
“तुम्हें अपना नया पार्लर मुबारक हो, मुझे आइसक्रीम पसंद नहीं, अब जाओ मुझे
काम पूरा करना है. जानते हो न, लाइब्रेरी में बातें करना मना है.”
’अगर आइसक्रीम पसंद नहीं तब तो तुम्हारा पति बड़ा
खुशनसीब होगा, उसके पैसे जो बचेंगे. यहाँ. की लडकियां तो आइसक्रीम से ही पेट भरती
हैं.”जैकी चिढाता.
“मेरे पति या उसके पैसों की चिन्ता तुम्हे क्यों है, मिस्टर जयकुमार ?
वैसे भी आपकी जानकारी के लिए मेरा पति कंजूस नहीं, दिलदार होगा.”आभा नाराज़ होती.
“मुझसे उसका वास्ता जो है. खैर आज नहीं फिर कभी समझोगी.” आभा को विस्मित
छोड़ जैकी चला गया.
कुछ देर तक आभा जैकी की बातों का अर्थ समझने की कोशिश करती रही, उसकी जो
समझ में आरहा था, उससे वह अनजान नहीं थी. आभा को जैकी की बातें अच्छी लगतीं, अपने
को बहलाने के लिए वह सोचती, वैसी बातें दो मित्र भी तो करते हैं. वह घर से इतनी
दूर पढने आई है, पापा ने कितने विश्वास से उसे यहाँ भेजा है, उसके पास प्रेम करने
जैसी बकवास चीज़ के लिए समय नहीं है. जैकी से कहना होगा वह उसका समय बर्बाद न किया
करे. फिर भी अगर जैकी एक दिन भी घर नहीं आता तो विभा की तरह आभा भी उसे मिस करती.
कमल को चाचा की मृत्यु के कारण इंडिया में और रुकना पड़ रहा था. कमल की कमी जैकी की
वजह से उतनी नहीं खलती. कभी घर पहुँच कर विभा से स्पेशल खाने की फरमाइश करता, कभी
आभा को चिढाता.
एक शाम जैकी कुछ थका सा दिख रहा
था. विभा ने कारण जानना चाहा
“क्या बात है जैकी, तू थका सा लग
रहा है, तबियत तो ठीक है?”
“कुछ ख़ास नहीं, बस सर में दर्द है. आपकी चाय की खराब आदत जो डाल ली है¸कल
आ नही पाया, चाय नहीं मिली तो सर में दर्द हो गया. कल तो बहुत तेज़ दर्द था.”
“वाह जनाब,अगर जानते हैं कि चाय की आदत खराब है तो क्यों पीते हैं? अगर
आदत छोड़ दो तो पत्नी को चाय बनाने के काम से छुट्टी मिल जाएगी.” आभा के आइसक्रीम
पसंद न होने की बात पर जैकी ने कहा था पति के पैसे बचेंगे, आभा ने उसी बात का जैसे
जवाब दिया था.
“रहने दे आभा, तू तो उसका सर दर्द बढ़ा देगी. मै अभी अदरक की चाय लाती
हूँ, तेरा दर्द भाग जाएगा.” विभा उठ कर किचेन में चली गई.
“सच कहो, अगर चाय पीना छोड़ दूं तो तुम्हारा समय बचेगा?” जैकी की मुग्ध
दृष्टि आभा पर निबद्ध थी.
“मुझसे क्यों पूछ रहे हो, मैने तो तुम्हारी पत्नी के बारे में कहा था.”
“उसी से तो पूछ रहा हूँ.” गंभीर आवाज़ में जैकी ने कहा.
“जैकी हमें ऐसा मज़ाक पसंद नहीं है, समझे. अगर ऎसी बातें करोगे तो हम
तुमसे बात नहीं करेंगे.” आभा ने नाराजगी से कहा.
जैकी कुछ कहने ही वाला था कि विभा चाय के साथ आ गई.
“ये ले चाय और मठरी खा ,पता नहीं
कल कुछ खाया भी था या नहीं. कभी-कभी भूखे रहने पर भी सर दर्द हो जाता है.” विभा ने
ममता से कहा.
“काश आप जैसी मेरी मेरी माँ होतीं.” जैकी भावुक था.
“क्यों क्या मै तेरी माँ नही हूँ.” स्नेह से विभा बोली.
चाय का सिप लेते ही जैकी कराह उठा. हाथ में पकड़ा कप हाथ से छूट गया.
दोनों हाथों से सर थाम जैकी ने मेज़ पर सर टिका दिया. पीड़ा से चेहरा पीला पड़ गया.
विभा और आभा दोनों घबरा गईं.
“आभा, जल्दी से मेरे
कमरे से बाम ले आ और पास वाले डॉक्टर अंकल को बुला ला.’
थोड़ी देर माथे पर बाम लगाने से जैकी को आराम सा महसूस हुआ.
“अब ठीक लग रहा है, डॉक्टर बुलाने की कोई ज़रुरत नहीं है. कल एक प्रोजेक्ट
पर पूरी रात काम करता रहा, शायद इसीलिए सर में दर्द हो गया. सॉरी चाय गिर गई.”
‘चाय की परवाह करने की ज़रुरत नहीं है. आभा अभी दूसरी चाय बना लाएगी.’
“एक बात बता क्या कभी पहले भी ऐसा सर दर्द हुआ है? आज तो मै डर गई थी.”
“पिछले कुछ दिनों से ज़्यादा रात तक काम करने पर सर भारी हो जाता है, पर
आज कुछ ज़्यादा ही तेज़ दर्द था. आप परेशान न हों ,माँ. मै ठीक हूँ.”जैकी ने
मुस्कराने का असफल प्रयास किया,पर घेहरे पर दर्द की लकीरें स्पष्ट थीं.
कमल वापस आ गया था. उसके आने से घर में रौनक आ गई थी. विभा पूरे परिवार
का हाल-चाल पूछती रही. आभा के पापा ने आभा के लिए नए कपड़े और मिठाइयां भेजी थीं.
जैकी ने आते ही मिठाइयों पर अधिकार ज़माना शुरू कर दिया.
“वाह हिन्दुस्तान की मिठाइयों का जवाब नहीं. आभा अगर ये मिठाइयां खाएगी
तो मोटी हो जाएगी. ये तो मेरे और कमल के लिए हैं.”
“मै मोटी रहूँ या पतली, आपको क्या फर्क पड़ेगा, बस अब एक भी मिठाई का दाना
नहीं मिलेगा, समझे जनाब.’ आभा ने मिठाइयों की प्लेट जैकी से छीन ली
“तुम दोनों की नोक-झोंक चलती रहे, इस बीच सारी मिठाई मै ही खत्म कर
डाळूंगा, कमल ने हंसते हुए कहा.
दिन बीत रहे थे. इस बीच अचानक् जैकी अनमना सा रहने लगा. कमल के घर आना भी
बहुत कम हो गया. कमल ने बताया जैकी हेड की किसी बड़ी प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.
काम पूरा करने के लिए रात में ठीक से सोता भी नहीं. अक्सर सर- दर्द उसे परेशान
करता है. दर्द की गोलियां खा कर काम करता रहता है. एक दिन तो बेहोश सा गिर गया था.
पूछने पर बोला-
“रात में नींद पूरी न होने की वजह से कभी-कभी बैलेंस बिगड़ जाता है. कभी
पैर लड़खड़ा भी तो सकते हैं. तू बेकार परेशान है.” जैकी समझाता.
“मेरी समझ में नहीं आता काम
ज़्यादा ज़रूरी है या तेरी हेल्थ? शायद नोबल प्राइज़ तुझे ही मिलेगी. इस उम्र में पैर
लड़खडाना क्या ठीक बात है?”
“अरे ये तो ठीक बात नहीं है, उससे कह किसी डॉकटर को दिखाए.” सुन कर विभा
कंसर्न थी.
“किसी की सुनता कहाँ है, भूत की तरह काम में लगा हुआ है.” कमल बताता.
जैकी ने घर आना करीब बंद सा कर दिया था. उसका सर दर्द उसे परेशान कर रहा
था. कमल ने जब उससे घर न आने की वजह पूछी तो जैकी ने कहा था-
“शायद रातों में ठीक से सो नहीं पाता, अक्सर सवेरे वोमिटिंग हो जाती है.
कुछ खाने का मन नहीं करता. माँ से कहना, एक बार ये प्रोजेक्ट पूरी हो जाए तो जी भर
के माँ के हाथ का बना खाना खाऊंगा और आराम से खूब सोऊँगा.”
आभा को जैकी की शरारत भारी बातें याद आतीं सच तो यह था वह पुराने जैकी को
मिस करती थी. जैकी के बिना जैसे उसका मन उचाट रहता. लाइब्रेरी में काम करते हुए भी
वह जैकी की प्रतीक्षा करती. सोचती, क्यों वह कोई दूसरा जैकी होता जा रहा था.? कहीं
ऐसा तो नहीं उसे किसी और लड़की से लगाव हो गया हो. अपनी सोच को झटका दे, वह काम में
मन लगाने की कशिश करती. अपने से डरती कहीं उसे जैकी से प्यार तो नहीं हो गया था?
अचानक जैकी किसी को बिना कोई खबर दिए कहीं बाहर चला गया. कमल को भी उसने
कुछ नहीं बताया. सब परेशान थे. ऐसा क्या हुआ कि जैकी लापता था. विभा नाराज़ थी.
“क्या हुआ कमल, तुझे भी बिना बताए कहीं चला गया. कुछ कह कर भी नहीं गया.
माना कि उसे कोई ज़रूरी काम रहा होगा, पर कम से कम बता कर तो जाता.”
आभा बेचैन थी, पर अपनी बेचैनी किसी पर प्रकट कैसे करती. वह अपने आप से
डरने लगी थी, कहीं उसे जैकी से प्यार तो नहीं हो गया, वरना उसकी याद उसे क्यों इस
कदर बेचैन कर जाती. बेसब्री से आभा ही नहीं कमल और विभा भी जैकी का इंतज़ार कर रहे
थे. डिपारटमेंट के हेड तक को जैकी के कहीं जाने की वजह नहीं पता थी. उसका अता-पता
किसी के पास नहीं था. जाने के पहले उसने एक मत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूरी करके हेड की
प्रशंसा ज़रूर पा ली थी.
जैकी की प्रतीक्षा में डेढ़ महीने बीत गए. कमल ने जैकी के बारे में पता
करने की बहुत कोशिश की, पर कोई नतीजा नहीं निकला. जैकी जैसे एक पहेली बन गया था.
आभा को हर पल लगता वह अचानक आकर उसे चौंका देगा ‘
“कहिए, मिज़ इतना पढ़ कर किसे इम्प्रेस करने का इरादा है. हम तो पहली नज़र
में ही आप पर फ़िदा होगए थे.” फिर वही मोहक हंसी.
“अगर पता होता वह ऐसा निर्मोही निकलेगा तो उससे नेह ही क्यों बढाती.”विभा
कहती.
एक दिन आभा लाइब्रेरी से नोट्स ले कर घर वापिस ही आने वाली थी कि
लाइब्रेरी के चपरासी ने आभा के नाम का एक लिफाफा लाकर दिया. लिफ़ाफ़े पर बॉसटन का
स्टैम्प देख कर आभा खिल उठी. तो जनाब अब अपना नकाब उतार कर प्रकट हो रहे हैं. आने
दो अच्छी खबर लूंगी. धड़कते दिल से लिफाफा खोला था. पत्र में किसी डॉकटर का अंग्रेज़ी
में संक्षिप्त नोट था. नोट के साथ एक सीडी थी.
अभा जी,
आपको सूचित करते दुःख है कि मिस्टर जयकुमार अब इस दुनिया में नहीं रहे.
ब्रेन ट्यूमर की लास्ट स्टेज होने की वजह से उनका ऑपरेशन सफल नहीं हो सका. ऑपरेशन
के कुछ दिन पहले उनकी कुछ बातें रिकार्ड की थीं. आपको वही सीडी भेज रहा हूँ. शायद
आप उनके सबसे अधिक निकट थीं. सोचता हूँ, इस सीडी की आप ही अधिकारी हैं.
नीचे डॉकटर के हस्ताक्षर थे.
आभा स्तब्ध रह गई. आंखें भर आईं. यह अविश्वसनीय था. पर ऐसा क्या था सीडी
में कि डॉकटर ने आभा को जैकी के सबसे अधिक निकट का समझा. जैकी अब इस दुनिया में
नहीं रहा, पर आभा को तो उसकी प्रतीक्षा थी, क्यों सोचती थी कभी आकर वह ज़रूर कहेगा-
”मेरा इंतज़ार कर रही थीं ना, सच
कहना मेरे बिना मन जो नहीं लगता होगा. वैसे तुम्हारी याद तो मुझे भी आती थी, मिलने
के दिन गिन रहा था. अब और नहीं सताऊंगा. वादा रहा.’
घर में सबके सामने सीडी पर जैकी की बातें सुनना क्या ठीक होगा, डॉक्टर ने
क्यों लिखा है इस सीडी की वही सच्ची अधिकारिणी है? नहीं, अभी किसी एकांत कोने में
बैठ कर जैकी की अंतिम बातें, आभा अपने ळैप टॉप पर अकेले ही सुनेगी. कांपते हाथों
से आभा ने सीडी लगाई थी. डॉक्टर जैकी से पूछ रहे थे-
“ठीक हो कर सबसे पहले किस् से मिलना चाहोगे, जयकुमा?”
आभा से, डाक्टर, अपनी ज़िंदगी मैने उसी के नाम जो कर दी है.”
“बहुत प्यार करते हो आभा को?”
“प्यार किसे कहते हैं, आभा से मिलने पर ही जाना है. आभा मेरे दिल की धडकन
है, डाकटर. पहले दिन से ही उसकी और खिचता चला गया. सच कहूं तो अपनी ज़िन्दगी को कभी
अहमियत नहीं दी. पर अब ज़िंदगी का मज़ा आने लगा था. उसका साथ अच्छा लगता, उसे छेड़ने
में मज़ा आता. अपनी बीमारी के ये दिन बस उससे मिलने की चाह में बिता रहा हूँ.”
“उसे अपने ऑपरेशन की खबर दी है?’डॉक्टर
ने जानना चाहा.
नहीं, डॉकटर, ठीक होने पर जब सरप्राइज़ दूंगा, तब मज़ा आएगा.”
“अपने किसी परिचित, रिश्तेदार को भी यहाँ आने की खबर नहीं दी.?
‘नहीं डॉक्टर, ब्रेन ट्यूमर डायग्नोस करते ही मेरे डॉक्टर ने मुझे फ़ौरन
आपके नाम रेफरेन्स लेटर देकर बिलकुल इंतज़ार ना करने की सलाह दी थी. उनकी इस बात से
समझ गया था कोई गंभीर बात है, आभा या अपने दोस्त को डराना नहीं चाहता था.“
“आभा भी तुम्हें इतना ही प्यार करती है, जयकुमार?”
‘’मैने कभी जानने की ज़रुरत ही नहीं समझी, अपने प्यार पर विश्वास है, वह
कुछ ना भी कहे, पर मै जानता हूँ, वह भी मुझे चाहती है. मुझे जीना है, डॉकटर, मै
ठीक हो जाऊंगा न?’
“हम पूरी कोशिश करेंगे. यह चमत्कार ही है कि तुम्हारी स्मृति ठीक है वरना
इस हालत में अक्सर रोगी किसी को पहचानते तक नहीं. अब आराम करो.’
आभा के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे. जैकी को आभा के प्यार पर इतना विश्वास
गलत तो नहीं था. जब से जैकी का अता-पता नहीं था आभा किस कदर बेचैन रहती. विभा से
जैकी की बातें सुनती उदास हो जाती. शायद कोई भी दिन ऐसा नही गया जब उसने जैकी को
याद न किया हो. जैकी जैसे उसके जीवन में उजाला ले कर आया था, अब वो उजाला अन्धकार
में विलीन हो गया था. जिसे अपनों से भी प्यार नहीं मिला, उसे आभा के प्यार पर इतना
विश्वास था. आभा से ही उसने प्यार का अर्थ जाना था. काश आभा उसे बता सकती, वह जय
को चाहने लगी थी, शायद उसकी यह बात अंतिम समय में जय को इस दुनिया से विदा लेते
संतोष दे जाती.
बहुत देर हो चुकी थी. उजली धूप की जगह शाम के काले साए घिरते आरहे थे.
आंसू पोंछ आभा घर जाने को उठी थी. नहीं वह जैकी की आखिरी बाते. किसी के साथ शेयर
नहीं कर सकती, वह नितांत उसकी अपनी निधि हैं. कमल और विभा बुआ से इतना कहना ही
काफी होगा, उसके फोन पर किसी ने जैकी की मृत्यु की सूचना दी थी. आभा ने उस नंबर पर
फोन लगाने की कोशिश की, पर फोन किसी पब्लिक बूथ से किया गया था, शायद किसी ने मज़ाक
किया हो- अच्छा है वे इसी खुशफहमी में जीते रहें, उनका जैकी कभी वापस आएगा.
No comments:
Post a Comment