डोर-बेल पर निकिता ने दरवाज़ा खोला था.शाम के
धुंधलाते प्रकाश में उस लंबे व्यक्ति को पहिचान पाना कठिन था. एक स्नेहिल आवाज़ से
निकिता के सर्वांग झनझना उठे.
“कैसी हो निक्की? पहिचाना
मुझे, मै रॉबिन.”हलकी सी खुशी आवाज़ में स्पष्ट थी.
“सॉरी, यहाँ कोई
निक्की नहीं रहती.’ भरसक स्वर संयत करके निकिता ने जवाब दिया.
“कमाल है, मेरे सामने
मेरी वही परिचित निक्की खड़ी है, भला उसे
पहिचानने में भूल कर सकता हूँ?”
“शायद तुम्हें पता नहीं, वो निक्की आज से सात वर्ष पूर्व मर चुकी है.”गंभीर आवाज़ में निकिता ने कहा.
“शायद तुम्हें पता नहीं, वो निक्की आज से सात वर्ष पूर्व मर चुकी है.”गंभीर आवाज़ में निकिता ने कहा.
“उन्हीं सात वर्षों पहले की अपनी भूल के लिए
माफ़ी मांगने आया हूँ, निक्की. माफ़
नहीं करोगी?”
“मै नहीं जानती, आप
कौन हैं. प्लीज़ यहाँ से चले जाइए. रात होने वाली है, इस
तरह एक अपरिचित के साथ बात करके अपना समय नष्ट नहीं कर सकती.”कुछ कड़े शब्दों में
निकिता बोली.
“अमरीका में पिछले सात वर्षों में भी तुम्हें
नहीं भुला सका. व्यस्तता के बीच अक्सर तुम्हारा मासूम चेहरा आँखों के सामने कौंध
जाता था. तुम्हारा अपराधी हूँ, जो सज़ा दो, मंजूर है, पर ना
पहिचाने जाने का दंड सहन नहीं कर सकता.”स्वर आहत था.
“मैने कहा न, निक्की
अब नहीं है. आपकी बातें मेरी समझ से बाहर हैं.”
निकिता के दरवाज़ा बंद करने के प्रयास में रॉबिन
जैसे बेचैन हो उठा. दरवाज़ा बंद न कर देने की कोशिश में उसने दरवाज़े के कपाट बंद
होने से रोक लिए.
“बड़ी मुश्किल से तुम्हारे पेरेंट्स से तुम्हारा
पता मिला है, अब द्वार बंद करके मुझे खाली हाथ वापिस मत
लौटाओ, निक्की. मुझे अपने घर के किसी कोने में जगह दे
दो. तुम्हे अपनी कहानी सुनानी है.”
“आपसे कहा ना, मै
निक्की नहीं, निकिता हूँ, मुझे परेशान
मत कीजिए. मेरे घर में अजनबियों के लिए कोई जगह नहीं है. देर रात में आपको अपना
ठिकाना खोज पाना भी कठिन होगा, मिस्टर
रॉबिन.”
जोर लगा कर निकिता ने बाहर खड़े रॉबिन के मुंह
पर दरवाज़ा बंद कर दिया. यह भी जानने की कोशिश नहीं की रॉबिन कितनी देर तक उस बंद
दरवाज़े के बाहर खड़ा रहा या शायद वह बंद द्वार खुलने
की प्रतीक्षा कर रहा हो.
अपने कमरे में पहुच निकिता की आँखों से आंसुओं
का सैलाब उमड़ आया. तकिए में मुंह गड़ाए आंसुओं से तकिया भिगोती रही. पिछले सात वर्ष
पूर्व की घटनाएं चलचित्र की तरह एक-एक करके आँखों के सामने आती रहीं. क्या उन
दिनों को वह कभी भूल सकी थी?
बाबा की मृत्यु पर लन्दन में बसे मम्मी-पापा
अपने तीनों बच्चों निकिता, नेहा और मनोज
के साथ इंडिया आए थे. पापा दादी को अपने साथ लन्दन ले जाना चाहते थे, पर दादी ने कहा था-
“बूढ़े वृक्ष को नई धरती पर रोपने से वह जी नहीं
सकेगा. मेरी देख-रेख के लिए तेरे पिता के विश्वस्त मुनीम रामदास और उसकी पत्नी
राधा है. अगर संभव है तो निकिता को मेरे पास छोड़ जा.”
मम्मी ने राहत की साँस ली थी. दादी
को साथ रखने में उन्हें कितनी असुविधाएँ झेलनी पड़तीं ! एक बार निकिता को छोड़ते
मन हिचका था, पर पति ने समझाया था, –
”वहाँ तुम्हारा इतना बिज़ी प्रोग्राम रहता है, तीन
बच्चों में से एक यहाँ रह जाए तो कुछ बर्डेन कम होगा। माँ निक्की को अच्छी तरह देख
सकती हैं। आखिर मैं भी तो उन्हीं की देखरेख में पला-बड़ा हुआ हूँ।“
पति की बातों में सच्चाई थी। वैसे भी
अपने बच्चों में निकिता का सामान्य रंग-रूप, गौरी
को अपने गोर-चिट्टे रंग का मज़ाक-सा उड़ाता लगता था। दूसरे दोनों बच्चे मनोज और
नेहा, उन्हीं पर गए थे। दो-तीन वर्षों बाद
भारत आने का वादा कर मम्मी-पापा निकिता को दादी के संरक्षण में छोड़ लन्दन चले गए
थे. दादी ने निकिता को प्यार से अपने सीने से चिपटा लिया था.
सांवली-सलोनी निकिता अपने मम्मी-पापा से दूर
अपनी दादी की स्नेहिल छाया में निर्द्वंद जी रही थी. दादी
के संरक्षण में वह अपने को कितना सुरक्षित पाती थी।! बॅंधी-बॅंधाई दिनचर्या, रोज
सुबह मंदिर में पूजा के बाद काँलेज जाना, शाम
को दादी को रामायण पढ़कर सुनाना और रात में दादी से सटकर लेटी निकिता, गहरी
नींद में डूब जाती।
तीन वर्षों का लंबा समय बीत गया.
लन्दन से निकिता के मम्मी पापा भारत आए थे. उनके आने से निकिता के शांत स्थिर जीवन
में व्यवधान पड़ गया था. गौरी ने महसूस किया, निकिता
की साँवली काया खिल आई थी। शायद यह उसकी उम्र का तकाजा था। सोलह साल की उम्र में
तो हर लड़की मोहक दिखती है, पर उसके तौर-तरीकों ने गौरी को परेशान कर डाला था। लम्बे
बालों को कसकर दो चोटियों में गूंथ, सुन्दर
बालों का सौन्दर्य ही समाप्त हो जाता था. हाथ से दाल-भात खाने वाली और सुबह-शाम
पूजा-पाठ करने वाली लड़की से यू.के. का कौन लड़का शादी करेगा?
अपने भाई बहिनों और मम्मी के साथ
निकिता अपने को अजनबी पाती. भाई-बहिन उसे कौतुक से देखते, क्या वह उनकी
अपनी बहिन है. उसकी हर बात पर माँ के निर्देश उसे आतंकित करते.
रात में गौरी ने पति से कहा था, ”सुनो
जी,
इस बार निक्की को साथ ले जाना है, यहाँ
रहकर यह निरी गॅंवार बन गई है।“
निखिल जान गए थे, माँ
और निक्की किस तरह एक-दूसरे से जुड़ गई थीं, उन्हें
अलग करना, उनके प्रति अन्याय होगा। निकिता अब क्या लंदन के जीवन से
साम्य बिठा सकेगी?
पति को सोच में डूबा देख गौरी
झुझॅंला उठी थी, ”क्या सोच रहे हो! लड़की की जिन्दगी
यूं खराब नहीं की जा सकती, कुछ तो करना ही होगा।“
”वही सोच रहा हूँ। ऐसा करते हैं, हम सब किसी
हिल स्टेशन पर चलते हैं, देखते हैं निक्की हमारे साथ रह सकेगी या नहीं, इस तरह हम सब
साथ में एंज्वाय भी कर लेंगे.“
अंतत: परिवार के साथ अजनबी बनी
निरुत्साहित सी निकिता भी उस पहाड़ी हिल- रिसोर्ट में गई थी. पहाड़ी क्षेत्र का वह
हाँलीडे रिसोर्ट न केवल देशी बल्कि विदेशी पर्यटकों के भी आर्कषण का केन्द्र था।
शहर से दूर एकान्त में स्थित उस हालीडे रिसोर्ट मे पर्यट्कों के लिए सारी
सुख.सुविधाएं उपलब्ध थीं।
रिसोर्ट में आने वाली युवा पीढी रोज़ ही कोई ना
कोई मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित करती थी. उस दिन की बात याद करती निकिता के आंसू फिर
बह निकले.
दो दिनों बाद बारिश रुकी थी. साफ़
मौसम में हाँलीडे रिसोर्ट के बाहर युवा पीढ़ी कुछ रंग जमाने के मूड में थी। पिछले
दो दिनों की लगातार बारिश ने सबको अपने कमरों में कैद रहने को बाध्य कर दिया था।
आज शाम आसमान खुलते ही लड़कों ने सूखी लकड़ियाँ जमा करनी शुरू कर दी थीं। आज रात
जम कर कैम्प- फ़ायर चलेगा। उनके उत्साह से साथ आए प्रौढ़ भी उत्साहित हो चले थे।
पहाड़ी मौसम का क्या ठिकाना, जब आकाश खुले मौज मना लो वर्ना फिर
वही डिप्रेसिंग वेदर उन पर हावी हो जाएगा।
कैम्प- फ़ायर की तैयारियाँ पूरी हो चुकी थीं। स्मार्ट युवा राँबिन ने जोरों से आवाज़ लगाई थी,
”हे, आँल आँफ़ यू कम आउट। लेट्स हैव म्यूजिक एण्ड डांस।“
रोहन ने म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया था। लड़के-लड़कियों और बच्चों ने संगीत पर झूम-झूमकर नाचना-गाना शुरू कर दिया । अचानक वो उदास शाम बहुत रंगीन हो उठी । बारिश से धुली प्रकृति बेहद खूबसूरत लगने लगी थी।
राँबिन जैसे सबका चहेता हीरो बन गया था। राँबिन ने जब जलती आग को पार किया तो बुजुर्गो ने डर से साँस रोक ली और युवा पीढ़ी ने जोरों से तालियाँ बजा, उसका अभिनंदन किया था। राँबिन को डांस करते देखना, सचमुच एक अनुभव था। आकर्षक व्यक्तित्व के साथ उसकी नृत्य मुद्राओं ने सबको विस्मय-विमुग्ध कर दिया था।
”अगर लड़के को फ़िल्म वाले देख लें तो तुरन्त ब्रेक मिल जाए। इसे तो फ़िल्म्स में ट्राई करना चाहिए।“ मिस्टर आजमानी ने राय दी थी।
”आप ठीक कह रहे हैं, मुझे तो डर है कहीं ये हमारी लड़कियों का मन न मोह ले। मुश्किल में पड़ जाएँगें सारे पापा लोग..........।“ रामदास जी की बात पर सब जोरों से हॅंस पड़े थे।
युवा पीढ़ी ने सचमुच रंग जमा लिया था।
”हे लिसिन एवरीबडी! डू यू नो हाऊ टु प्ले पिंक पाजामा?“
”नही.....ई ........“ समवेत स्वर गूंजा था।
राँबिन की पुकार पर सब गोल घेरे में सिमट आये थे। तभी राँबिन की दृष्टि कोने में सिमटी अकेली खडी निकिता पर पड़ी थी। सबके उस सर्कल में चले जाने पर अकेली छूट गई निकिता जैसे घबरा-सी रही थी। तेजी से निकिता के पास पहुँचे राँबिन ने उसका हाथ पकड़, घेरे में खींचना चाहा था। निकिता के प्रतिरोध पर राँबिन हॅंस पड़ा था-
”कम आँन बेबी, लेट्स एन्ज्वाँय। अपने सारे ग़म भूल जाओ...............“
निकिता को सर्कल में शामिल कर राँबिन ने गेम समझाना शुरू किया था-
”हाँ तो ये गेम ऐसे है, आपको अपने नेक्स्ट साथी के कान में किसी फ़िल्म का नाम देना है, वह व्यक्ति अपने अगले साथी को किसी दूसरी फ़िल्म का नाम देगा। फिल्म के नाम के साथ ‘इन पिंक पाजामा’ जोड़ना है. बस ऐसे ही करते जाना है, समझ गए?“
”यस....।“ उत्साहपूर्ण स्वर उभरे थे।
”एक-दूसरे के कान में पिक्चर का नाम फुसफुसाते सर्कल पूरा हो गया था।
”दिल देके देखो इन पिंक पाजामा.......... हॅंसी का दौर पड़ गया था।
”हम आपके हैं कौन, इन पिंक पाजामा...........“
अजीब समाँ बॅंध गया था, कुछ अजीबोगरीब नामों के साथ जुड़कर पिंक पाजामा बेहद सेक्सी बन गया था। निकिता की बारी आते ही मौन छा गया था। राँबिन उसके पास आया -
”हाय निकिता बेबी, बोलती क्यों नहीं?“ निकिता जैसे और सिमट गई थी।
”हे! व्हाँट इज राँग? तुम खेल समझ गई न?“
निकिता ने ‘हाँ’ में सिर हिलाया था।
”फिर बोलती क्यों नहीं?“
निकिता फिर चुप रही।
निकिता के मौन पर सबको नाराज़गी थी। मम्मी की तो नाक ही कट गई। इस लड़की की वजह से उन्हें कितनी शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है! निकिता के कंधे जोर से दबा उन्होंने अपना गुस्सा उतारा था-
”यू सिली गर्ल, अगर दिमाग नहीं है तो गेम मे शामिल क्यों हुई? अब बोल भी दे..........“
फुसफसाहट में कहे गए मां के शब्द निकिता को आतंकित कर गए, घर पर रोज उनके निर्देश-डाँट सुनती निकिता, अब क्या चुप रह सकती थी।
”सैक्सी गर्ल इन पिंक पाजामा“
हॅंसी के फौव्वारे छूट गए थे। सबकी दृष्टि निकिता की पिंक सलवार पर पड़ गई थी। व्हाँट ए कोइंसीडेंस! डनकी हॅंसी पर हथेलियों में मुँह छिपा, निकिता अपने काँटेज की ओर दौड़ गई थी। दूर तक लोगों की हॅंसी उसका पीछा करती रही थी।
कमरे के पलंग पर औंधी पड़ी निकिता रोती जा रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी,
”मे आई कम इन..........“
निकिता घबरा उठी थी। जल्दी से आँसू पोंछ दरवाजा खोला था, सामने राँबिन खड़ा था।
”हे बेबी! व्हाँट इस दिस? आँसुओं में डूबी राजकुमारी, तुम्हें क्या तकलीफ़ है? क्या हुआ?“ राँबिन सचमुच कंसर्न दिख रहा था।
राँबिन की सहानुभूति पर निकिता के आँसू फिर बह चले थे। आश्चर्य से राँबिन ने उसकी ठोढ़ी उठा कर फिर पूछा था,
”कम आँन! क्या हुआ, निककी बेबी?“
”कुछ नहीं..........“
”फिर रोती क्यों हो?“
”हमें ये सब गंदी बातें अच्छी नहीं लगतीं।“
राँबिन ठठाकर हॅंस पड़ा था।
”ओह गाँड! तुम खेल को सीरियसली लेती हो?“
”खेल में क्या ऐसी बातें कही जाती हैं, हमारे बारे में सब क्या सोचते होंगे?“
”पागल......... सिम्पली मैड। अरे ये खेल है, कोई इन बातों को सीरियसली नहीं लेता। सच तो ये हैं तुम्हारी वहाँ से एबसेंस का भी किसी ने नोटिस नहीं लिया।“
”फिर तुम यहाँ कैसे आए?“
”क्योंकि मैंने तुम्हारी एबसेंस फील की थी, निक्की बेबी! तुम सबसे अलग लड़की जो हो.“ अपनी बात खत्म करते राँबिन ने प्यार से निक्की के माथे पर झूल आई लट संवार दी । निकिता सिहर उठी ।
”आर यू फ़ीलिंग कोल्ड?........“
निकिता ने नहीं में सिर हिलाया था।
”अच्छा तो आज से हम दोनों दोस्त हुए, बोलो मंजूर है?“ राँबिन ने अपनी हथेली खोल आगे बढ़ा दी थी। निकिता उस खुले हाथ पर अपना हाथ देती हिचक रही थी। राँबिन ने उसका हाथ पकड़, अपनी हथेली पर जोर से दबाया था।
”अब हम दोस्त हैं, नाउ नो मोर क्राइंग। चलो एक कप काँफ़ी हो जाए।“
”हम काँफ़ी नहीं पीते।“
”फिर क्या दूध पीती हो?“ राँबिन शरारत में मुस्करा रहा था।
”हाँ।“ कहते निकिता को शर्म आई थी।
”चलो आज मैं काँफ़ी बनाता हूँ, टेस्ट करके देखोगी तो दूसरे के हाथ की काँफ़ी कभी नही पियोगी।“
निकिता असमंजस में पड़ गई थी। राँबिन उसको लगभग खींचता-सा अपनी काँटेज में ले गया था। निकिता को एक कुर्सी पर बैठा उसने दो कप काँफ़ी तैयार की थी। विस्मित निकिता उसे देखती रह गई थी। काँफ़ी का मग निकिता को थमा, उसने म्यूजिक सिस्टम आँन किया था। पहला-पहला प्यार है........ निकिता रोमांचित हो उठी थी। जैसे वह सपनों में जाग रही थी।
”तुम्हें डांस आता है?“
”नहीं.........।“
”सीखोगी?“
”नहीं, हमें शर्म आती है.......“
”सिली गर्ल! किसी भी आर्ट को सीखने में शर्म क्यों? मैं डांस करता अच्छा नहीं लगता?“
निकिता चुप रह गई थी। रुबिन को डांस करते देख सब मुग्ध रह जाते थे. जिस दिन उसने जलती आग को डांस करते हुए पार किया था, सब विस्मय विमुग्ध रह गए थे.
“अच्छे लगते हो.”संकोच से निकिता कह सकी.
कैम्प- फ़ायर की तैयारियाँ पूरी हो चुकी थीं। स्मार्ट युवा राँबिन ने जोरों से आवाज़ लगाई थी,
”हे, आँल आँफ़ यू कम आउट। लेट्स हैव म्यूजिक एण्ड डांस।“
रोहन ने म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया था। लड़के-लड़कियों और बच्चों ने संगीत पर झूम-झूमकर नाचना-गाना शुरू कर दिया । अचानक वो उदास शाम बहुत रंगीन हो उठी । बारिश से धुली प्रकृति बेहद खूबसूरत लगने लगी थी।
राँबिन जैसे सबका चहेता हीरो बन गया था। राँबिन ने जब जलती आग को पार किया तो बुजुर्गो ने डर से साँस रोक ली और युवा पीढ़ी ने जोरों से तालियाँ बजा, उसका अभिनंदन किया था। राँबिन को डांस करते देखना, सचमुच एक अनुभव था। आकर्षक व्यक्तित्व के साथ उसकी नृत्य मुद्राओं ने सबको विस्मय-विमुग्ध कर दिया था।
”अगर लड़के को फ़िल्म वाले देख लें तो तुरन्त ब्रेक मिल जाए। इसे तो फ़िल्म्स में ट्राई करना चाहिए।“ मिस्टर आजमानी ने राय दी थी।
”आप ठीक कह रहे हैं, मुझे तो डर है कहीं ये हमारी लड़कियों का मन न मोह ले। मुश्किल में पड़ जाएँगें सारे पापा लोग..........।“ रामदास जी की बात पर सब जोरों से हॅंस पड़े थे।
युवा पीढ़ी ने सचमुच रंग जमा लिया था।
”हे लिसिन एवरीबडी! डू यू नो हाऊ टु प्ले पिंक पाजामा?“
”नही.....ई ........“ समवेत स्वर गूंजा था।
राँबिन की पुकार पर सब गोल घेरे में सिमट आये थे। तभी राँबिन की दृष्टि कोने में सिमटी अकेली खडी निकिता पर पड़ी थी। सबके उस सर्कल में चले जाने पर अकेली छूट गई निकिता जैसे घबरा-सी रही थी। तेजी से निकिता के पास पहुँचे राँबिन ने उसका हाथ पकड़, घेरे में खींचना चाहा था। निकिता के प्रतिरोध पर राँबिन हॅंस पड़ा था-
”कम आँन बेबी, लेट्स एन्ज्वाँय। अपने सारे ग़म भूल जाओ...............“
निकिता को सर्कल में शामिल कर राँबिन ने गेम समझाना शुरू किया था-
”हाँ तो ये गेम ऐसे है, आपको अपने नेक्स्ट साथी के कान में किसी फ़िल्म का नाम देना है, वह व्यक्ति अपने अगले साथी को किसी दूसरी फ़िल्म का नाम देगा। फिल्म के नाम के साथ ‘इन पिंक पाजामा’ जोड़ना है. बस ऐसे ही करते जाना है, समझ गए?“
”यस....।“ उत्साहपूर्ण स्वर उभरे थे।
”एक-दूसरे के कान में पिक्चर का नाम फुसफुसाते सर्कल पूरा हो गया था।
”दिल देके देखो इन पिंक पाजामा.......... हॅंसी का दौर पड़ गया था।
”हम आपके हैं कौन, इन पिंक पाजामा...........“
अजीब समाँ बॅंध गया था, कुछ अजीबोगरीब नामों के साथ जुड़कर पिंक पाजामा बेहद सेक्सी बन गया था। निकिता की बारी आते ही मौन छा गया था। राँबिन उसके पास आया -
”हाय निकिता बेबी, बोलती क्यों नहीं?“ निकिता जैसे और सिमट गई थी।
”हे! व्हाँट इज राँग? तुम खेल समझ गई न?“
निकिता ने ‘हाँ’ में सिर हिलाया था।
”फिर बोलती क्यों नहीं?“
निकिता फिर चुप रही।
निकिता के मौन पर सबको नाराज़गी थी। मम्मी की तो नाक ही कट गई। इस लड़की की वजह से उन्हें कितनी शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है! निकिता के कंधे जोर से दबा उन्होंने अपना गुस्सा उतारा था-
”यू सिली गर्ल, अगर दिमाग नहीं है तो गेम मे शामिल क्यों हुई? अब बोल भी दे..........“
फुसफसाहट में कहे गए मां के शब्द निकिता को आतंकित कर गए, घर पर रोज उनके निर्देश-डाँट सुनती निकिता, अब क्या चुप रह सकती थी।
”सैक्सी गर्ल इन पिंक पाजामा“
हॅंसी के फौव्वारे छूट गए थे। सबकी दृष्टि निकिता की पिंक सलवार पर पड़ गई थी। व्हाँट ए कोइंसीडेंस! डनकी हॅंसी पर हथेलियों में मुँह छिपा, निकिता अपने काँटेज की ओर दौड़ गई थी। दूर तक लोगों की हॅंसी उसका पीछा करती रही थी।
कमरे के पलंग पर औंधी पड़ी निकिता रोती जा रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी,
”मे आई कम इन..........“
निकिता घबरा उठी थी। जल्दी से आँसू पोंछ दरवाजा खोला था, सामने राँबिन खड़ा था।
”हे बेबी! व्हाँट इस दिस? आँसुओं में डूबी राजकुमारी, तुम्हें क्या तकलीफ़ है? क्या हुआ?“ राँबिन सचमुच कंसर्न दिख रहा था।
राँबिन की सहानुभूति पर निकिता के आँसू फिर बह चले थे। आश्चर्य से राँबिन ने उसकी ठोढ़ी उठा कर फिर पूछा था,
”कम आँन! क्या हुआ, निककी बेबी?“
”कुछ नहीं..........“
”फिर रोती क्यों हो?“
”हमें ये सब गंदी बातें अच्छी नहीं लगतीं।“
राँबिन ठठाकर हॅंस पड़ा था।
”ओह गाँड! तुम खेल को सीरियसली लेती हो?“
”खेल में क्या ऐसी बातें कही जाती हैं, हमारे बारे में सब क्या सोचते होंगे?“
”पागल......... सिम्पली मैड। अरे ये खेल है, कोई इन बातों को सीरियसली नहीं लेता। सच तो ये हैं तुम्हारी वहाँ से एबसेंस का भी किसी ने नोटिस नहीं लिया।“
”फिर तुम यहाँ कैसे आए?“
”क्योंकि मैंने तुम्हारी एबसेंस फील की थी, निक्की बेबी! तुम सबसे अलग लड़की जो हो.“ अपनी बात खत्म करते राँबिन ने प्यार से निक्की के माथे पर झूल आई लट संवार दी । निकिता सिहर उठी ।
”आर यू फ़ीलिंग कोल्ड?........“
निकिता ने नहीं में सिर हिलाया था।
”अच्छा तो आज से हम दोनों दोस्त हुए, बोलो मंजूर है?“ राँबिन ने अपनी हथेली खोल आगे बढ़ा दी थी। निकिता उस खुले हाथ पर अपना हाथ देती हिचक रही थी। राँबिन ने उसका हाथ पकड़, अपनी हथेली पर जोर से दबाया था।
”अब हम दोस्त हैं, नाउ नो मोर क्राइंग। चलो एक कप काँफ़ी हो जाए।“
”हम काँफ़ी नहीं पीते।“
”फिर क्या दूध पीती हो?“ राँबिन शरारत में मुस्करा रहा था।
”हाँ।“ कहते निकिता को शर्म आई थी।
”चलो आज मैं काँफ़ी बनाता हूँ, टेस्ट करके देखोगी तो दूसरे के हाथ की काँफ़ी कभी नही पियोगी।“
निकिता असमंजस में पड़ गई थी। राँबिन उसको लगभग खींचता-सा अपनी काँटेज में ले गया था। निकिता को एक कुर्सी पर बैठा उसने दो कप काँफ़ी तैयार की थी। विस्मित निकिता उसे देखती रह गई थी। काँफ़ी का मग निकिता को थमा, उसने म्यूजिक सिस्टम आँन किया था। पहला-पहला प्यार है........ निकिता रोमांचित हो उठी थी। जैसे वह सपनों में जाग रही थी।
”तुम्हें डांस आता है?“
”नहीं.........।“
”सीखोगी?“
”नहीं, हमें शर्म आती है.......“
”सिली गर्ल! किसी भी आर्ट को सीखने में शर्म क्यों? मैं डांस करता अच्छा नहीं लगता?“
निकिता चुप रह गई थी। रुबिन को डांस करते देख सब मुग्ध रह जाते थे. जिस दिन उसने जलती आग को डांस करते हुए पार किया था, सब विस्मय विमुग्ध रह गए थे.
“अच्छे लगते हो.”संकोच से निकिता कह सकी.
“तो आज से ही तुम्हें डांस सिखाता
हूँ,”निकिता
का हाथ पकड़ रॉबिन ने स्टेप्स सिखाने शुरू किए.
सपने जीती अभिभूत सी निकिता उसके साथ
स्टेप्स दोहराती गई.
“गुड, तुम जल्दी ही अच्छा डांस करने लग जाओगी. कल से इसी समय प्रैक्टिस के लिए आऊँगा.”
“गुड, तुम जल्दी ही अच्छा डांस करने लग जाओगी. कल से इसी समय प्रैक्टिस के लिए आऊँगा.”
“हम क्या सचमुच डांस कर पाएंगे?”भोली दृष्टि रॉबिन
पर निबद्ध थी
“सिर्फ डांस ही नहीं कर पाओगी बल्कि
मेरी डांस-पार्टनर भी बनोगी?”
“तुम्हारी डांस-पार्टनर?’निकिता
विस्मित थी.
“निक्की, तुम टैलेंटेड
लड़की हो, मुझे
पूरा यकीन है मेरी दोस्त अपनी परफ़ॉर्मेंस से सबको मुग्ध कर दोगी.”प्यार और विश्वास
से निकिता की हथेली पर किस करके रॉबिन ने कहा.
निकिता का शरीर जैसे अवश होगया था.
उस दिन से रोज़ रॉबिन निकिता को डांस
सिखाने आता था. निकिता भी जैसे डांस के पीछे पागल हो उठी थी, रॉबिन के
प्रति निकिता के मन में अनजाने ही चाहत का एक नन्हां सा अंकुर पनप आया था. रॉबिन
की मीठी बातें निकिता को रोमांचित कर जातीं. वह सपनों में जी रही थी, सपनों का
राजकुमार रॉबिन था. सोलह साल की निक्की सोचती, रॉबिन भी उसे चाहता है वरना वह उसके
लिए अपना कीमती वक्त क्यों व्यर्थ करता.
दस दिन बीत चुके थे. वो आखिरी दिन था, सबको अपने –अपने
घर वापिस लौटना था. निकिता बेहद उदास थी. अंतिम दिन डांस का प्रोग्राम था. अंतिम
डांस परफ़ॉरमेंस देखने को सब हॉल में जमा थे. म्यूजिक शुरू होते ही जोडियाँ डांस-
फ्लोर पर आ गईं. एक तरफ खडी निकिता का हाथ पकड़ रॉबिन डांसिंग- फ्लोर पर ले गया.
निकिता की बहिन नेहा चौंक गई, वह सोच भी नहीं सकती थी कि निकिता भी डांस कर सकती थी.
रॉबिन के कंधे पर हाथ धरे निकिता के पैरों में जैसे पंख लग गए थे. दोनों की जोड़ी
बेहद मोहक और दर्शनीय थी. मुस्कुराती नेहा परी सी लग रही थी.
गीत चल रहा था “-इट्स माई लाइफ़”
निकिता सपनों में जी रही थी कि अचानक रॉबिन ने कहा-
“मै अमरीका जारहा हूँ, निक्की बेबी, पर तुम अपनी डांसिंग
की प्रैक्टिस करती रहना. मैने देख लिया है, तुममें डांस का टैलेंट है, प्रैक्टिस से
तुम बहुत आगे जाओगी, इस
बात का मुझे पूरा यकीन है.”
“नहीं तुम हमें छोड़ कर नहीं जाओ, रॉबिन. तुमने
हमसे दोस्ती क्यों की, राँबिन?“ निकिता का स्वर भीग गया था. सुन्दर
आँखों में आंसू छलक आए थे.
”क्योंकि तुम एक अच्छी लड़की हो, दूसरी लड़कियों से बहुत अलग। तुम हमेशा याद रहोगी। नाऊ चियर अप निककी, मुझे अपने फ्यूचर के लिए जाना ही होगा, इट्स माई लाइफ़,“ निकिता का हाथ छोड़ रॉबिन दूसरी लड़की का हाथ पकड़ डांसिंग- फ्लोर पर आगया.
”क्योंकि तुम एक अच्छी लड़की हो, दूसरी लड़कियों से बहुत अलग। तुम हमेशा याद रहोगी। नाऊ चियर अप निककी, मुझे अपने फ्यूचर के लिए जाना ही होगा, इट्स माई लाइफ़,“ निकिता का हाथ छोड़ रॉबिन दूसरी लड़की का हाथ पकड़ डांसिंग- फ्लोर पर आगया.
नम आँखों के साथ बेहद उदास निकिता जब
कॉटेज पहुंची तो मम्मी को पापा से कहते सुना.
“रॉबिन ने निक्की को डांस सिखाने के
पैसे तो ज़रूर बहुत लिए, पर
लड़की को ढंग का डांस ज़रूर सिखा दिया. वो तो उसे सिखाना ही नहीं चाहता था, पर अमरीका
जाने के लिए उसे पैसे चाहिए थे, इसलिए पैसे ले कर मान गया.”
“नहीं-नहीं, ये झूठ है, वो हमारा
दोस्त है.” पलंग पर औंधी पड़ी निकिता सिसकियाँ ले कर रो पड़ी.
दोस्ती के नाम पर इतना बड़ा धोखा, क्यों रॉबिन क्यों
झूठे सपने दिखाए? कितने
ही दिन निकिता सामान्य नहीं हो सकी. दादी के अलावा उसकी उदासी पर किसी का ध्यान
नहीं गया. दादी प्यार से कारण पूछती रही, पर निकिता क्या उन्हें सच बता सकती
थी?
पापा- मम्मी की लन्दन वापिसी का समय
आ गया था. निकिता ने दृढ शब्दों में उनके साथ जाने से मना कर दिया. पापा के बहुत
समझाने पर भी निकिता नहीं मानी. अंतत; उन्हें निकिता को दादी के साथ छोड़कर
ही जाना पड़ा. जाते-जाते गौरी झुंझला रही थी.नाराजगी पति पर उतारी.
“देख लिया, इसे यहाँ छोड़ने का नतीजा? अब इसका न
जाने क्या फ्यूचर होगा?”
“परेशान मत हो,सब ठीक ही
होगा. हमें निक्की पर जोर नहीं डालना चाहिए.
मम्मी-पापा के लन्दन चले जाने के बाद अचानक एक दिन निकिता ने अपने
आंसूं पोंछ डाले .दृढ निश्चय के साथ दादी से कहा था-
“दादी, हम अपनी पढाई पूरी करने के साथ नृत्य
भी सीखना चाहते हैं.”
पढ़ाई के साथ नृत्य सीखने की इच्छा ने दादी को
विस्मित कर दिया था, पर
निकिता के बार-बार के अनुरोध पर दादी को स्वीकृति देनी ही पड़ी थी. सात वर्षों की
कठिन तपस्या के बाद आज निकिता का अपना “रॉनिक नृत्य कला- केंद्र” शहर का प्रसिद्ध
नृत्य कला- केंद्र है. निकिता और उसके स्टूडेंट्स के जगह-जगह कार्यक्रम होते रहते
हैं. निकिता की प्रसिद्धि दूर-दूर तक पहुँच चुकी है.
और आज सात वर्षों बाद रॉबिन वापिस आया है.
निकिता उससे क्यों नहीं मिली? जिसे चाह कर भी कभी नहीं भुला सकी, जो उसकी
प्रेरणा रहा है, उसे
बंद दरवाज़े से लौटा दिया. क्यों निक्की क्यों?
रात भर बेचैनी से करवटें बदलती
निकिता बहुत सवेरे पलंग से उठ गई. समझ नहीं पारही थी वह क्या करे. क्या रॉबिन अभी
भी उसके बंद द्वार पर खड़ा होगा? अभी सूर्योदय नहीं हुआ था,
अचानक अपनी इस सोच पर बंद दरवाज़े के कपाट खोल, निकिता उस
हलके अँधेरे में राहुल को देख पाने की कोशिश कर रही थी. नहीं राहुल वहां नहीं था.
निराशा ने निकिता का अवसाद बढ़ा दिया. कल शाम उसने ही तो रॉबिन को खाली लौटाया था, फिर क्यों
उसके लौटने का इंतज़ार कर रही थी? सोलह वर्ष की उम्र का उसका पहला और अंतिम प्यार वापिस आया, पर उसे वह खो
बैठी. पिछले सात वर्षों में मम्मी-पापा और दादी ने ना जाने कितने रिश्तों के लिए
उसकी हाँ पाने का प्रयास किया, पर निकिता ने हाँ नही की क्यों क्या वह जानती नहीं थी? क्या कहना
चाहता था, रॉबिन, उसने मौक़ा भी
नहीं दिया.
सूर्योदय का हल्का उजाला खिल रहा था.
निराश निकिता ने दरवाज़ा बंद करने का प्रयास किया तो अचानक गुलाब के फूल के साथ एक
बंद लिफ़ाफ़े पर उसकी दृष्टि पड़ी. लिफ़ाफ़ा उठा निकिता ने कमरे में रोशनी जला कर
लिफाफा खोला.दिल तेज़ी से धड़क रहा था. पत्र उसी के नाम था.
निकिता,
तुम्हें अपनी निक्की कहने का अधिकार
खो बैठा हूँ. दोस्त बना था, पर
दोस्ती की जगह सौदा किया था. अपनी मत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए तुम्हें धोखा
देने का अक्षम्य अपराध किया है. अपना अपराध जानते हुए भी तुमसे माफी की आशा कर रहा
था. तुम्हारी सफलता के लिए बहुत बधाई. यहाँ आकर पता लगा, आज से सात
वर्ष पहले की भोली निक्की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना के रूप में अपनी पहिचान बना चुकी
है. तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ, निकिता.
अमरीका बहुत बड़े-बड़े सपने ले कर गया
था. सफलता भी मिली. मेरा डांसिंग स्कूल प्रसिद्ध होरहा था. उन्हीं दिनों अमेरिकन
युवती नैनसी मेरी ज़िंदगी में आई. उसका सौन्दर्य और उसकी मादक अदाएं मुझे आकृष्ट
करने लगीं. मेरे नृत्य की साथिन बन कर वह मेरे जीवन में अपनी जगह बनाने लगी. उसके
साथ अपने को पूर्ण पाने लगा था. अब मेरे पास धन भी आने लगा था. एक बड़े कार्यक्रम
में परफार्मेंस के लिए हमें इनवाइट किया गया था. आयोजक फ्रांस का एक उद्योगपति था.
नैनसी के रूप-सौन्दर्य ने उसे नैनसी का दीवाना बना दिया. मेरी जानकारी के बिना
नैनसी उससे अक्सर मिलती थी. और एक दिन अप्रत्याशित घटा. एक छोटे से पत्र में नैनसी
ने लिखा था, वह उस
उद्योगपति के साथ हमेशा के लिए फ्रांस जारही थी. उसके धोखे से मै टूट गया. उस दिन
मुझे तुम बहुत याद आईं. तुम्हारा आंसुओं के साथ कहना- “मुझसे दोस्ती क्यों की थी, रॉबिन, मुझे छोड़ कर
मत जाओ.”
सच कहूं, उस दिन मैने
जाना किसी के धोखे से दिल टूटना कितनी पीड़ा देता है. कई दिनों तक सोचने के बाद लगा
दोस्त बन कर तुम्हें धोखा दे कर जो जो दुःख पहुंचाया है, उसकी माफी
मांग कर ही मुझे शान्ति मिलेगी. तुमने माफ़ नहीं किया, इसके लिए
तुमसे नाराज़ नहीं हूँ, यही
ठीक था.
क्षमा करना, एक बात पूछने
से अपने को नहीं रोक पारहा हूँ, तुमने नृत्य को क्यों अपने जीवन का लक्ष्य चुना? मन में एक
भ्रम है, कहीं
इसके पीछे मेरी प्रेरणा तो नहीं, लेकिन यह मेरा भ्रम ही है. जानता हूँ इतना सौभाग्यशाली नहीं
हूँ. काश तुम्हारे नृत्य कला- केन्द्र का “रॉनिक नृत्य कला-केंद्र” नाम रॉबिन और
निकिता के नाम का मिलन होता.
जीवन से निराश हो चुका हूँ. बस
तुम्हारी माफी से शान्ति पा सकूंगा.जब तक तुम माफ़ नहीं करोगी यही तुम्हारे शहर में
इंतज़ार करता रहूँगा.
कभी तुम्हारा दोस्त रहा रॉबिन.
निकिता के हाथो से पत्र छृट कर गिर
गया. आँखों से आंसू बह निकले. वह तो रॉबिन को कब का माफ़ कर चुकी है, चाह कर भी
क्या वह उससे नफरत कर सकी है? वह और उसके प्रेरक शब्द हमेशा उसकी यादों में रहे हैं.
तुमने ठीक पहिचाना रॉबिन मेरे केंद्र का नाम हम दोनों के नामों का संगम ही तो है.
निक्की अपने मन का सच जानती है, पर क्या ये सच नहीं, रॉबिन निकिता की माफी और प्यार से, अपने टूटे दिल
पर मरहम लगाना चाहता है. सोलह वर्ष की भोली निक्की अब एक समझदार युवती बन चुकी है.
उसका अपना जीवन शांत नदी सा बह रहा है, रॉबिन का उसके जीवन में प्रवेश क्या
उस शांत जल में तूफ़ान नहीं ला देगा? कब, कहाँ रॉबिन फिर किसी महत्वाकांक्षा
के पीछे उसे दोबारा अकेला ना छोड जाए, उसे अब किसी के सहारे की ज़रुरत नहीं
है,
नहीं निक्की, ये तेरी अपनी
ज़िंदगी है, इसे
अपनी तरह से जी “इट्स मई लाइफ”. निक्की
गुनगुना रही थी. सूर्य की रश्मियाँ कमरे को ज्योतिर्मय बना गई थीं.
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