‘हलो’—फ़ोन की घंटी सुनते ही नेहल ने फ़ोन कान से लगाया था।
“कहिए, थ्री ईडियट’ फ़िल्म कैसी लगी? फिल्म पुरानी हो गई है, पर आपका उसके प्रति आकर्षण खत्म नहीं हुआ. कितनी बार देख चुकी हैं?”हल्की हंसी के साथ दूसरी ओर से आवाज़ आई थी.
“हलो, आप कौन?” नेहल को आवाज़ अपरिचित लगी थी.
“समझ लीजिए एक ईडियट ही पूछ रहा है।‘फिर वही हंसी।
“देखिए या तो अपना नाम बताइए, वर्ना इस दुनिया मे ईडियट्स की कमी नहीं है, उनमें से आपको पहचान पाना कैसे पॉसिबिल होगा। मैं फ़ोन रखती हूं।“
“नहीं –नहीं ऐसा गज़ब मत कीजिएगा, वैसे मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला।“
“तुम्हारे सवाल का जवाब देने को मेरे पास फ़ालतू टाइम नही हैं। ईडियट कहीं का।“ नेहल फ़ोन पटकने ही वाली थी कि उधर से आवाज़ आई।
“सॉरी ग़लती कर रही हैं, जीनियस ईडियट कहिए । देखिए किस आसानी से आपका मोबाइल- नम्बर पता कर लिया।“
“इसमें कौन सी खास बात है, तुम जैसे बेकार लड़कों का और काम ही क्या होता है। दोस्तों पर रोब जमाने के लिए लड़कियों के नाम-पते जान कर उन्हें फ़ोन करके परेशान करते हो, पर एक बात जान लो अगर फिर फ़ोन किया तो पुलिस ऐक्शन लेगी, सारी मस्ती धरी रह जाएगी।“
गुस्से से नेहल ने फ़ोन लगभग पटक सा दिया।
एम ए फ़ाइनल की छात्रा, नेहल सौंदर्य और मेधा दोनों की धनी थी। ऐसा नहीं कि उसे देख लड़कों ने रिमार्क ना कसे हों या उसके घर तक उसका पीछा न किया हो, पर नेहल की गंभीरता का कवच उन्हें आगे बढने से रोक देता। उसे पाने और उसके साथ समय बिताने की आकांक्षा लिए न जाने कितने युवक आहें भरते थे, पर आज तक किसी ने उसे इस तरह का फ़ोन नहीं किया था। मां-बाप की एकलौती लाड़ली बेटी नेहल, अपने मन की बातें बस अपनी प्रिय सहेली पूजा के साथ ही बांटती थी। आज भी तमतमाए चेहरे के साथ जब वह यूनिवर्सिटी पहुंची तो पूजा देखते ही समझ गई आज नेहल का पारा बहुत हाई था। हंसते हुए पूछा-
“क्या बात है, नेहल आज तेरा गुलाबी चेहरा बीर-बहूटी क्यों बन रहा है?”
“मैं उसे ठीक कर दूंगी। अपने को हीरो समझता है। कहता है वो ‘जीनियस ईडियट,’है। सामने आ जाए तो दिमाग ठिकाने न लगा दूं तो मेरा नाम नेहल नहीं।“
“किसकी बात कर रही है, किसे ठीक करेगी?” पूजा कुछ समझी नहीं थी।
“था कोई, नाम बताने के लिए हिम्मत चाहिए। न जाने उसे कैसे पता लग गया, हम थ्री ईडियट्स देखने गए थे। पूछ रहा था फ़िल्म हमे कैसी लगी।“
“बस इतनी सी बात पर इतना गुस्सा? अरे बता देती तुझे फ़िल्म अच्छी लगी। रही बात उसे कैसे पता लगा, तो भई होगा कोई तेरा चाहने वाला। तुझे पिक्चर- हॉल में देखा होगा। इतना गुस्सा तेरी सेहत के लिए अच्छा नही, मेरी सखी। काश कोई मुझे भी फ़ोन करता,पर क्या करें भगवान ने सारी सुंदरता तुझे ही दे डाली।“ पूजा के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कराहट थी।
“अच्छी बात है, अगली बार कोई फ़ोन आया तो तेरा नम्बर दे दूंगी। अब क्लास मे चलना है या आज भी कॉफ़ी के लिए क्लास बंक करेगी?”
“मेरी ऐसी किस्मत कहां, तू भला उस नेक काम में साथ देगी, नेहल? फिर उसी बोरिंग लेक्चर को सहन करना होगा। यार, ये हिस्ट्री सब्जेक्ट क्यों लिया हमने। रोज़ गड़े मुर्दे उखाड़ते रहो।“ पूजा के चेहरे के भाव देख नेहल हंस पड़ी।
“तेरा सोच ही ग़लत है, पूजा। अगर रुचि ले तो इस विषय मे न जाने कितना रोमांस और थ्रिल है। चल नहीं तो हम लेट हो जाएंगे।“
बेमन से पूजा नेहल के साथ चल दी।
रात में मोबाइल की घंटी ने नेहल की नींद तोड़ दी। दिल में घबराहट सी हुई कहीं घर से तो कोई फ़ोन नहीं आया है। जब से नेहल पढने के लिए उस शहर में आई थी, उसका मन घर के लिए चिंतित रहता था। शुरू-शुरू मे हॉस्टेल में रहना उसे अच्छा नहीं लगा था, पर पूजा से मित्रता के बाद उसे घर की उतनी याद नहीं आती थी।
“ज़रा अपनी खिड़की का परदा उठा कर देखिए मान जाएंगी क्या नज़ारा है। प्लीज़ इसे मिस मत कीजिए, मेरी रिक्वेस्ट है।“फिर वही परिचित आवाज़।
“दिमाग़ खराब है क्या जो रात के दो बजे बाहर का नज़ारा देखूं? रात में जागना तुम जैसे उल्लू को ही संभव है। लगता है तुम अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आओगे, अब कोई ऐक्शन लेना ही होगा।“
फ़ोन तो नेहल ने बंद कर दिया, पर सोच मे पड़ गई, आखिर वह उसे ऐसा क्या दिखाना चाहता है जिसके लिए आधी रात को उसे जगाया है। बिस्तर से सिर उठाकर जाली वाले झीने परदे से बाहर के नज़ारे को देखने का लोभ, वह संवरण नहीं कर सकी। बाहर पूर्णिमा का चांद अपने पूरे वैभव में साकार था। सारे पेड़-पौधे चांदनी में नहाए खड़े थे। नेहल मुग्ध हो उठी। बिस्तर से उठ खिड्की के पास आ खड़ी हुई। उसके अंतर की कवयित्री जाग उठी। कविता की कुछ पंक्तियां मन मे आई ही थीं कि मोबाइल फिर बज
“मान गईं, क्या तिलिस्मी नज़ारा है। ज़रूर कोई कविता लिख डालेंगी, पर उसका क्रेडिट तो मुझे मिलेगा,न?” फिर वही हंसी।
“अब तक कितनों की नींद खराब कर चुके हो? तुम्हारा नम्बर मेरे मोबाइल पर आ गया है, अब अपनी खैर मनाओ।“
“कमाल करती हैं, मै ने बताया है न मै जीनियस हूं, अगर मुझे पकड़ सकीं तो जो सज़ा देंगी मंज़ूर है। वैसे कल आसमानी सलवार-सूट मे आपका चेहरा देख कर ऐसा लगा, नीले आकाश मे चांद चमक रहा है। बाई दि वे आपका फ़ेवरिट कलर कौन सा है? नही बताएंगी तो भी मै पता कर लूंगा। इतनी देर बर्दाश्त करने के लिए थैंक्स एंड गुड-नाइट्।“
फ़ोन काट दिया गया।
बिस्तर पर लेटी नेहल की आंखों से नींद उड़ गई । उससे ऐसी ग़लती कैसे हो गई, किसी अजनबी के फ़ोन को तुरंत ही काट क्यों नहीं दिया, क्यों उसकी बातें सुनती रही, जवाब देती रही। वह उसके कपड़ों का भी नोटिस लेता है। ज़रूर उसके हॉस्टेल के आसपास रहने वाला कोई आवारा है। कल उसके नम्बर से पता करना होगा। काफ़ी देर बाद ही वह सो सकी। सुबह-सुबह माँ के फ़ोन से नींद टूटी थी।
“क्या हुआ माँ, घर में सब ठीक तो है?” नेहल डर गई थी।
“सब ठीक है, तुझसे एक ज़रूरी बात करनी थी। देख कुछ दिनों में एक इंद्रनील नाम का लड़का तुझसे मिलने आएगा। तू उससे अच्छी तरह से बात करेगी। उसके बारे में जो जानना चाहे पूछ लेना। अपना रोब जमाने की कोशिश मत करना।“
“क्यों माँ, क्या मैं किसी से ठीक से बात नहीं करती? वैसे वो मुझसे मिलने क्यों आ रहा है, कहीं तुम ने फिर मेरी शादी का सपना देखना तो शुरू नहीं कर दिया? मुझे अभी शादी नहीं करनी है।“
“बस नेहल, बहुत हो गया। तूने कहा था, पढाई पूरी करने के बाद शादी करेगी। तेरा एम ए फ़ाइनल दो महीने बाद ख़त्म हो जाएगा। अब अगर तूने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुझसे कभी बात नहीं करूंगी।“
“ठीक है माँ, पर ये इंद्रनील हैं क्या चीज़?
“अरे वो तो हीरा है। ऐसा प्यारा लड़का है कि क्या बताऊं। हमसे ऐसे मिला मानो बरसों से परिचित है। सबको हंसाना ही जानता है। आस्ट्रेलिया की एक बड़ी कम्पनी मे सॉफ़्ट्वेयर इंजीनियर की नौकरी पर जा रहा है। जाने के पहले उसकी मां उसकी शादी कर देना चाहती हैं। जब तू उससे मिलेगी तब मेरी बातों की सच्चाई जान सकेगी,बेटी।“
“इसका मतलब है कि उसकी माँ को डर है कहीं वह आस्ट्रेलियन बहू ना ले आए।“
“फिर तूने अपनी बकवास शुरू कर दी। बस इतना जान ले अगर तूने मेरा कहा नहीं माना तो मै भी तेरी कोई बात नहीं सुनूंगी।“इस बार माँ का स्वर तीखा था।
“ओके माँ, मै तुम्हारे इंद्रनील जी से ज़रूर मिल लूंगी और कोई ग़लती भी नही करूंगी। अब तो खुश? हां इतने लंबे नाम की जगह उसे कोई छोटा नाम नहीं मिला?
“शादी के बाद तू उसे चाहें जिस नाम से पुकार, मुझे कोई लेना-देना नहीं है। अब तेरे कॉलेज का टाइम हो रहा है, बस मेरी बातें याद रखना।“
“भला तुम्हारी बातें कभी भूली हूं माँ, बाबा को प्रणाम कहना।“
फ़ोन रख, नेहल तैयार होने बाथ-रूम में घुस गई। कौन है ये इंद्रनील जिसने माँ को इस तरह मोह लिया है। वैसे नेहल को शादी की कोई जल्दी नहीं है, पर माँ की बातों ने मन में उत्सुकता जगा दी, ज़रा देखें तो कौन हैं ये इंद्रनील। पूजा से बातें करने का निर्णय ले नेहल चल दी। माँ के फ़ोन की वजह से वह पूजा से कैंटीन मे भी नहीं मिल सकी थी। पूजा नेहल का इंतज़ार कर रही थी।
“क्या हुआ, आज कैंटीन में नहीं आई। कहीं तेरे उस नए आशिक का फ़ोन तो नहीं आ गया था?” पूजा के चेहरे पर हंसी थी।
“आया था, रात के दो बजे, चांद का दीदार कराने, पर सच वो दृश्य बड़ा सुंदर था। नही देख पाती तो इतनी सुन्दर चांदनी में नहाई प्रकृति को मिस करती, शायद, जनाब को शायरी करने का शौक है। ऐसा लगता है उसे मेरे बारे में बहुत कुछ मालूम है, यहां तक कि मैं कविता लिखती हूं।
“तब तो वह तेरा सच्चा आशिक है, नेहल।“
“सच्चे आशिक को अपना नाम- पता छिपाने की ज़रूरत नहीं होती, पूजा। वैसे एक बात है वह बातें बड़े अंदाज़ से करता है। पता नहीं कहां से छिपकर मेरे बारे मे सारी बातें पता कर लेता है। यहां तक कि मेरे पहिने हुए कपड़ों के रंग भी याद रखता है।“
“सच कह, नेहल तू उसकी बातें एन्ज्वाय करती है या नहीं।“
“जब उसका फ़ोन आता है तब तो गुस्सा आता है, पर बाद में उसकी बातों पर हंसी आती है। वैसे आज तक कभी उसने कोई अश्लील बात नही कही है, जैसे कि अक्सर सड़क-छाप लड़के कहते हैं।“
“मुझे तो वो कोई सच्चा प्रेमी लगता है, नेहल। सम्हल के रहना।“
“अरे,क्या मुझे पागल समझती है? ये बातें छोड़, आज माँ का फ़ोन आया था, मेरी शादी के लिए मुझसे मिलने कोई आने वाला है। समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं? पता नहीं माँ-बाप को बेटियों की शादी की इतनी जल्दी क्यों होती है।“
“वाह यह तो गुड न्यूज़ है। कौन है वह खुश- किस्मत जो हमारी नेहल को ले जाएगा। काश, मेरी शादी यहां आने के पहले ही तय ना हो गई होती।“ पूजा ने आह भरी।
“क्यों क्या नितिन से कोई शिकायत है या किसी और पर दिल आ गया है?”नेहल ने पूजा को छेड़ा
“अरे नहीं, नितिन तो बहुत अच्छा है, बस कभी लगता है, मै प्रेम-विवाह करती। शादी के पहले के रोमांस का मज़ा ही और होता है।“
“प्रेम शादी के बाद कर लेना। हमारे देश मे कितनी लड़कियों को प्रेम-विवाह की अनुमति मिलती है। कोई ना कोई बात लेकर, अक्सर प्रेम का धागा तोड़ ही दिया जाता है। मेरी एक बात मानेगी, पूजा जब वह मुझसे मिलने आएगा, तब तू मेरे साथ रहेगी?”
“ना बाबा, मै क्यों कबIब मे हड्डी बनूं, और हर डिबेट में जीतने वाली नेहल किसी से डरे, असंभव। चल आज इस खुशी मे क्लास छोड़ ही दें, चाट चलेगी?”
“ठीक है, आज इन्द्रनील के नाम पर तेरी ही सही।“
शाम को लौटी नेहल कमरे में पहुंची ही थी कि मोबाइल बजा—
“क्लास बंक करना अच्छी बात नहीं है, ख़ासकर आप जैसी लड़की से तो कतई ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। क्या कोई ख़ास खुशी सेलीब्रेट की जा रही थी?”
“टु हेल विद यू। मै क्या करती हूं, कहां जाती हूं तुमसे मतलब? क्यों मुझे परेशान कर रहे हो, सामने क्यों नहीं आते?” नेहल नाराज़ हो उठी।
“सॉरी। आपको परेशान करना ,मेरा मक़सद नहीं था।“ कहते ही फ़ोन कट गया।
नेहल ने अपने मोबाइल पर आए नम्बरों से उस फ़ोन करने वाले का पता करना चाहा था, पर फ़ोन हर बार किसी नए पीसीओ से किया गया था। उसने ठीक कहा था उसे पकड़ पाना कठिन था। कभी नेहल को फ़िल्मों मे देखे गए कुछ पात्र याद आते जो पागल की तरह किसी लड़की के पीछे पड़, उस लड़की को परेशान कर देते थे। नेहल कभी सोचती कहीं वह भी वैसा ही इंसान तो नहीं, पर उसकी किसी भी बात से पागलपन नहीं झलकता था बल्कि बातों से वह पढा-लिखा व्यक्ति लगता था।
“आपसे कोई मिलने आए हैं। विज़िटर रूम में बैठे हैं।“ हॉस्टेल की दाई ने आकर नेहल को सूचित किया।
“ठीक है, मैं आती हूं।“ नेहल ने सरसरी नज़र अपने कपड़ों पर डाली। अब चेंज करने का सवाल नहीं था, निश्चय ही वह इंद्रनील ही होगा। बालों पर हाथ फेर वह विज़िटर्स-रूम की ओर चल दी।
विज़िटर्स-रूम मे एक सौम्य युवक उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। नेहल के प्रवेश करते ही वह खड़ा हो गया। एक नज़र मे ही नेहल समझ गई, उसके व्यक्तित्व से कोई भी प्रभावित हो जाएगा। स्लेटी सूट के साथ सफ़ेद शर्ट मे उसका व्यक्तित्व और भी निखर आया था। चेहरे की मुस्कान किसी को भी मोहित कर सकती थी।
“प्लीज़, बैठिए। मै नेहल और आप शायद इंद्रनील जी हैं।“ मीठी आवाज़ में नेहल बोली.
“ओह, तो आप मेरे बिग ब्रदर का इंतज़ार कर रही हैं, सॉरी उन्हें किसी ज़रूरी काम की वजह से शहर के बाहर जाना पड़ गया। आप उन्हें एक्स्पेक्ट करेंगी इसलिए उन्होंने आपको अप्रूव करने की ज़िम्मदारी मुझे दे दी है। हां, अपना परिचय देना तो भूल ही गया, मै नीलेश, इंद्रनील जी का छोटा भाई।“
“कमाल है आपके भाई ने अपनी जगह आपको भेजा है, कैसे हैं आपके सो कॉल्ड बिग ब्रदर?” नेहल के शब्दों मे व्यंग्य स्पष्ट था।
“अरे उनके गुणों के लिए तो शब्द कम पड़ जाएंगे। वह बेहद गंभीर, तेजस्वी, मेधावी, स्नेही, योग्य अधिकारी और न जाने क्या- क्या हैं। मुझ पर उन्हें अगाध विश्वास है। उनकी तुलना मे मै तो उनके पांवों की धूल भी नहीं हूं।“
“भले ही वह आपके शब्दों में गुणों की खान हों, पर जिसके साथ जीवन भर का साथ निभाना है, उससे मिलना भी ज़रूरी नहीं समझते। यह कैसा विश्वास है? शायद विवाह मे उनकी ज़्यादा रुचि नहीं है।“ नेहल ने स्पष्ट शब्दों में अपनी राय दे डाली.
“वह जानते हैं, आपकी हर तरह की परीक्षा लेने के बाद ही मै आपको अप्रूव करूंगा। वैसे मै दावे के साथ कह सकता हूं, आप उनके लिए बहुत उपयुक्त जीवन साथी हैं। बिग ब्रदर को भी यही बात समझाई है।“
“रुकिए, क्या कहा , आप मेरी परीक्षा लेंगे। आप मेरी परीक्षा लेने वाले होते कौन हैं?” नेहल का चेहरा तमतमा आया।
“परीक्षा तो हो चुकी, और आप उसमें पूरे अंक पा चुकी हैं।“ फिर वही हंसी।
उस हंसी ने नेहल को किसी और की हंसी और बात करने के तरीके की याद दिला दी। निश्चय ही यह वही था जो फ़ोन कर के उसे परेशान किया करता था। नेहल सोच मे पड़ गई, उस जैसी बुद्धिमान लड़की पहले ही उसे क्यों नहीं पहचान गई। अब शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी।
“तुम- -तुम वही हो ना जो मुझे फ़ोन करते थे? क्या यही सब करने को तुम्हारे धीर- गंभीर भाई ने इजाज़त दी थी। साफ़- साफ़ सुन लो मुझे तुम्हारे भाई या तुम्हारे साथ कोई भी रिश्ता मंज़ूर नहीं है।“ नेहल का चेहरा लाल हो उठा।
“भाई न सही, मेरे बारे में क्या राय है? आपकी कितनी डांट सुनी है। सच कहता हूं, ज़िंदग़ी भर आपका ग़ुलाम बन कर रहूंगा। अच्छी- भली नौकरी है, आपको ज़िंदग़ी की हर खुशी देने का वादा रहेगा।“
“अपने आदरणीय बिग ब्रदर को क्या जवाब दोगे? तुम पर उन्हें अगाध विश्वास है। उनका विश्वास तोड़ना क्या ठीक होगा। नहीं मिस्टर नीलेश, आप अपने भाई का दिल नहीं तोड़ सकते। सच कहूं तो मुझे उनसे हमदर्दी हो गई है। जो इंसान अपने भाई पर इतना विश्वास रखता है, वह अपनी पत्नी के तो सात खून भी माफ़ कर देगा। मुझे इंद्रनील जी के साथ अपना रिश्ता मंज़ूर है।
“शुक्रिया, आपने मेरी आंखें खोल दीं। मैं. सचमुच अपराध करने जा रहा था। अब
मेरा मक़सद पूरा हो गया। बिग ब्रदर तक आपकी स्वीकृति पहुंच जाएगी।“ फिर उसकी मीठी हंसी सुन नेहल जैसे चिढ गई।
“थैंक्स। मै इंद्रनील जी की प्रतीक्षा करूंगी और उनसे कहिएगा मै उनसे मिलने को उत्सुक हूं। नमस्ते।“ हाथ जोड़ नेहल ने अभिवादन किया।
नीलेश को और बात करने का अवसर न दे, नेहल तेजी से कमरे के बाहर चली गई। मुस्कराते चेहरे के साथ नेहल पूजा के कमरे मे जा पहुंची।
“हाय, नेहल कैसी रही तेरी मुलाकात? लगता है, बात जम गई।“पूजा ने उत्सुकता से पूछा।
“मुलाकात की छोड़, आज उस फ़ोन करने वाले का रहस्य खुल गया।“
“सच, कौन है वह्। उसे पुलिस के हवाले क्यों न कर दिया?”
“अरे वह तो मेरे लिए माँ द्वारा चुना गया उम्मीदवार इंद्रनील था। उसकी बातों से समझ गई थी, अपने भाई का नाम ले कर मेरी परीक्षा ले रहे थे, जनाब। मैने भी अच्छा जवाब दिया है। देखें अब उस दूसरे इंद्रनील को कहां से लाते हैं।
“वाह तेरी तो प्रेम-कहानी बन गई, नेहल। वैसे कैसा लगा अपना मजनूं?”
“मुझे तो यही खुशी है उसे करारा जवाब मिला है। वैसे देखने में ख़ासा हीरो दिखता है। बातें भी अच्छी कर लेता है, पर अब मज़ा आएगा, मुझे बनाने चले थे और खुद बन गए।“ नेहल के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी।
“मुझे तो यकीन है उसने तेरा दिल चुरा लिया।“ पूजा हंस रही थी।
“जी नहीं, मेरा दिल यूं आसानी से चोरी नहीं हो सकता। चलती हूं, शायद माँ का फ़ोन आए।“ नेहा अपने कमरे मे जाने को उठ गई।
किताब खोलने पर नेहल का मन नहीं लग रहा था। नीलेश का चेहरा आंखों के सामने आ रहा था। उसका क्या रिऐक्शन होगा। कहीं वह निराश तो नहीं हो गया। शायद वो हर दिन की तरह फ़ोन करे और कहे- ‘आज आपने मायूस कर दिया। इतना बुरा तो नहीं हूं मै।‘ देर रात तक कोई फ़ोन न आने से नेहल ही निराश हो गई।
कल रविवार है, देर तक सोने के निर्णय के साथ न जाने कब सोई थी कि मोबाइल की बेल सुनाई पड़ी। ज़रूर उसी का फ़ोन होगा, पर दूसरी ओर से एक गंभीर पुरुष-स्वर सुनाई दिया।
“हलो, नेहल जी। मै इंद्रनील जयपुर से बोल रहा हूं। माफ़ कीजिएगा मै आपसे मिलने ख़ुद नहीं पहुंच सका, बहुत ज़रूरी काम था, टाला नहीं जा सकता था। आपके बारे मे नीलेश ने इतनी विस्तृत जानकारी दी है, मानो मैं स्वयं आपसे मिला हूं। नीलेश ने आपका संदेश दिया है, जल्दी ही आपसे मिलने पहुंचूंगा। मेरे बारे मे नीलेश ने बताया ही होगा। और कुछ जानना चाहें तो बेहिचक पूछ सकती हैं।“
“जी नहीं। आपके भाई ने आपकी बहुत प्रशंसा की है। एक बात पूछना चाहती हूं, आप अपने भाई पर इतना विश्वास रखते हैं कि अपनी जगह उसे भेज दिया, पर क्या आप जानते हैं कि आपकी जगह वो खुद मेरे साथ अपनी शादी के लिए उत्सुक थे?”
“अरे आप उसकी बातों को सीरियसली ना लें, मज़ाक करना उसका स्वभाव है। हां, आपने मेरे साथ अपनी शादी की सहमति दी है, उसके लिए आभारी हूं। जल्द ही हम ज़रूर मिलेंगे। नीलेश ने जयपुर से आपके मनपसंद रंग की साड़ी लाने को कहा है, वो ला रहा हूं। यहां से और कुछ चाहिए तो बताइए।“
“थैंक्स, पर मुझे कुछ नहीं चाहिए, बाय।“
फ़ोन बंद करते-करते नेहल का मन रोने-रोने का हो आया। यह क्या हो गया। फ़ोन जयपुर से ही आया था। कौन है यह इंद्रनील, उससे बिना मिले ,बिना बात किए उसके साथ शादी के लिए स्वीकृति दे बैठी। तभी माँ का फ़ोन आ गया-
“आज मेरी चिंता दूर हो गई, बेटी। इंद्रनील जैसा दामाद और तेरे लिए वर, भाग्य से ही मिलता है। उसने तुझसे होली के बाद मिलने की इजाज़त मांगी है। तेरी परीक्षा के पहले वाली प्रिपरेशन लीव मे ही पहुंचेगा।“
“माँ, मुझसे ग़लती हो गई, मैं इन्द्रनील से शादी नहीं कर सकती।“
“पागल मत बन। तूने खुद सहमति दी है, किसी ने ज़बर्दस्ती तो नहीं की है।“
“तुम नहीं समझोगी माँ। मैं किसी और से- ---“
“मुझे कुछ समझना भी नहीं है। बहुत मनमानी कर ली। हम तेरे दुश्मन तो नहीं हैं ,नेहल। इंद्रनील हर तरह से तेरे लिए उपयुक्त है। अब हमे परेशान मत कर,बेटी।
बचपना छोड़, किसी को वचन दे कर वचन तोडना अक्षम्य अपराध है। मेरा यकीन कर इंद्रनील के साथ तू बहुत सुखी रहेगी।“
नेहल की समझ मे नहीं आ रहा था, वह क्या करे? यह तो अपने पांव खुद कुल्हाड़ी मारने वाली बात हो गई। पूजा भी परेशान थी, पर उसका एक ही सुझाव था, फ़ोन पर इंद्रनील को सच्चाई बता दे। जयपुर से इंद्रनील वापस जा चुका था, अब तो उसके आने का इंतज़ार करना था।
प्रिपरेशन वीक की छुट्टियां शुरू हो गईं। नेहल का मन बेचैन था .इन्द्रनील उससे मिलने कभी भी आ सकता है, क्या वह उससे कह सकेगी की वह उससे नहीं उसके छोटे भाई से विवाह करना चाहती है.छुट्टी के तीन दिन बाद सुबह-सुबह कलावती दाई ने आकर कहा
“कोई नील बाबू आपसे मिलने आए हैं। उनका पहला नाम याद नहीं रहा।“
धड़कते दिल के साथ नेहल इंद्रनील से मिलने की हिम्मत जुटा पहुंची थी।
सामने खड़े व्यक्ति को देख वह चौंक गई। अपनी उसी मोहक हंसी के साथ नीलेश खड़ा था। नेहल समझ नहीं सकी वह क्या कहे,पर खुद नीलेश आगे बढ आया-
“कैसी हैं? चाहता तो था होली पर आकर आपको रंगता, पर आ नहीं सका .अब तो बस कहना चाहूंगा ज़िंदगी की सारी खुशियां आपके जीवन में रंग भरती रहें.”
“इन्द्रनील जी की जगह क्या आज फिर उनकी ओर से कोई नया संदेश लाए हैं?”
“नहीं, उन्होंने अपनी जगह हमेशा-हमेशा के लिए मुझे दे दी, आखिर बिग ब्रदर को इतना तो करना ही चाहिए। वैसे भी वो जान गए थे कि आप मुझे चाहती हैं। आपका पीछा करने के लिए पूरे दस दिन होम किए हैं, नेहल जी । सच कहिए, क्या मेरा फ़ोन करना आपको खराब लगता था? मुझे तो लगता है, आपको मेरे फ़ोन का इंतज़ार रहता था।“
“यह तुम्हारा भ्रम है, वैसे भी किसी के विकल्प-रूप में तुम्हें क्यों स्वीकार करूंगी? मै ने तो इंद्रनील से मिलने आने का अनुरोध किया था उनके विकल्प का नहीं—“
“अगर ऐसा है तो मिस नेहल, मैं किसी का विकल्प नहीं, स्वयं इंद्रनील हूं , अपने माता-पिता का बड़ा बेटा। अब कहिए ,क्या इरादा है? सॉरी, मैं चाह कर भी आपके पास किसी दूसरे इंद्रनील को नही ला सकता। अब तो यही नील चलेगा, नेहल।“
“तुम इतने बड़े चीट हो, इंद्रनील? तुमसे तो शादी करने में भी खतरा है.”
“फिर वही ग़लती कर रही हैं। मैं धोखेबाज़ नहीं, जीनियस ईडियट हूं और मैने कहा था मुझे आप पकड़ नहीं सकेंगी।“
“पर मैंने तो तुम्हें पकड़ ही लिया। तुम्हें पहले दिन ही पहचान लिया था, मुझे फोन करने वाले तुम ही थे.”।
“पर यह तो नहीं समझ सकी थीं कि मै ही इन्द्रनील था, वरना माँ से उस इंद्रनील से शादी न करने को क्यों कह रही थीं। धोखा खा गई थीं न? माँ को मुझे ही सच्चाई समझानी पड़ी थी, वर्ना तुमने तो उन्हें भी डरा दिया था।“
“मानती हूँ, इस जगह तो मैं धोखा खा ही गई, पर इसे मेरी हार मत समझना। तुमने मेरी माँ को अपने मोह- जाल में बांध लिया वर्ना—“
“तुम किसी बेचारे इन्द्रनील का ही इंतज़ार करती रहतीं। अब तुम्हारी इस ग़लती के बदले तुम्हें सजा देने का अधिकार तो मुझे मिलना ही चाहिए.”इन्द्रनील शरारत से मुस्कुराया.
“क्या सज़ा दोगे, नील. इतने दिनों तक फोन करके परेशान करते रहे, सज़ा तो तुम्हे मिलनी चाहिए”´नेहल ने मान भरे स्वर में कहा.
“अच्छा जी जैसे मै जानता नहीं था, मोहतरमा को फोन का कितना इंतज़ार रहता था.”
“यह तुम्हारा भ्रम है, अगर पकड़ पाती तो तुम्हारे हाथों में हथकड़ी ज़रूर पहिनवाती” नेहल के चहरे पर परिहास की हंसी खिल आई.
“तो अब सज़ा दे दो, पर लोहे की हथकड़ी की जगह तुम्हारे प्यार का बंधन मंजूर है।”
बात ख़त्म करते इंद्रनील ने नेहल के माथे पर स्नेह चुम्बन अंकित कर दिया. नेहल के गुलाबी चेहरे पर सिंदूरी आभा बिखर गई.
बहुत ही सुन्दर कहानी | लड़कियों की भावनाओं और व्यव्हार को परखने का अनोखा रूप प्रस्तुत किया है आपने| शब्द ही कम पड़ जाते हैं प्रशंसा के लिए| धन्यवाद, ऐसे ही कहानियां लिखते रहे|
ReplyDeleteaapki har kahanai dil ko chune wali hoti hai...bas aapse ek hi shikayat hai...aap bhut dino baad koi story post kerte hai...
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