7/15/12

तुम्हारा साथ

तुम्हारा साथ

पिता की आकस्मिक मृत्यु ने निकिता को स्तब्ध कर दिया। माँ तो जन्म देते ही उसे पिता के हाथो सौप, यह दुनिया छोड़ गई थीं। पापा और दादी ने माँ की कमी कभी महसूस नहीं होने दी। दादी की मृत्यु का आघात भी बहुत गहरा था, पर पापा के प्यार का सहारा था। अब वह किसके सहारे जीएगी? एक चाचा हैं, पर वह लंदन मे बस गए हैं। दादी की मौत पर चाचा-चाची आए ज़रूर थे, पर भीड़भाड़ में उनसे ठीक से बात भी नहीं हो सकी। बच्चों को लंदन में ही छोड़ आए थे इसलिए तीसरे दिन, शान्ति -हवन के बाद दोनों वापस चले गए थे।
पापा के मन को दीन-दुखियों के दुख ने इस तरह छुआ कि अच्छी-भली सरकारी नौकरी छोड़, समाज-सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। छुट्टियों में निकिता भी अपने पापा के साथ गाँवों में जाकर पापा की सहायता करती। घर में दादी के साथ रामायण का पाठ सुनती निकिता, कॉलेज तक पहुँच गई। कॉलेज में लड़कियाँ निकिता काले लंबे बालों की कस कर बाँधी गई चोटियों और घर के सिले सादे सलवार-सूट पर व्यंग्य करतीं-
‘‘ऐ निकिता, तेरे इतने प्यारे लंबे बाल हैं, अगर खोल कर रखे तो लड़के मर-मर जाएँ।’’रमा कहती।
‘‘इतने सुन्दर चेहरे के साथ ज़रा ढंग के कपड़े पहन ले तो मॉडलिंग कर सकती है।’’शिल्पा उसे उसकी सुंदरता का अर्थ समझाती।
‘‘हम ऐसे ही ठीक हैं। दादी कहती है, असली सुन्दरता सादगी में होती है। तन की सुन्दरता की जगह मन सुन्दर होना चाहिए।’’ भोलेपन से निकिता जवाब देती।
वैसे दादी ने उसे सर्वगुण संपन्न बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। संगीत, नृत्य, पाक-कला सभी में निकिता दक्ष थी। कॉलेज में कविता-पाठ, डिबेट, संगीत और नृत्य प्रतियोगिताओं में निकिता सबसे आगे रहती। अपने इन्हीं गुणों और सरल स्वभाव के कारण निकिता सब की प्रिय पात्री थी।
भाई की मृत्यु की सूचना पाते ही लंदन से चाचा आ पहुँचे। दूर रहने के बावजूद दोनों भाइयों में बहुत प्यार था। चाचा के चेहरे में पिता की छवि देख, पत्थर बनी निकिता के आँसुओं का सैलाब उमड़ रहा। सीने से लिपटा, चाचा ने तसल्ली दी थी-‘‘रो मत, निक्की। पापा नहीं रहे तो क्या हुआ, तेरा चाचा तो है। तू अकेली नहीं है। अब तू हमारे साथ लंदन में रहेगी।’’

‘‘लंदन?’’ निकिता चौंक गई।
‘‘हाँ, बेटी। तू यू. के. की सिटीजन है। भाई साहब तो अपनी समाज-सेवा में लगे रहते। भाभी की डिलीवरी के समय माँ बहुत बीमार थीं। अच्छा हुआ मैं भाभी को लंदन ले गया। तेरा जन्म लंदन में हुआ, पर दुख है भाभी चली गईं।’’ चाचा का गला भर आया।
घर छोड़ने की बात ने निकिता का दुख और बढ़ा दिया। उस घर से जुड़ी दादी और पापा की न जाने कितनी मीठी यादें थीं, पर पुश्तैनी बड़े-से मकान में अकेली लड़की का रहना भी तो संभव नहीं था।
कुछ शुभचिंतकों की मदद से चाचा ने जल्दी ही घर को अच्छे दामों में बेच दिया। उदार चाचा ने घर की रकम निकिता के नाम जमा कर दी। अगर उसका विवाह भारत में हुआ तो वह रकम काम आएगी या निकिता उन पैसों को अपने ऊपर खर्च कर सकती थी। चाचा के साथ लंदन जाने के अलावा निकिता के पास और कोई विकल्प नहीं था। चाचा के सिवा उसका कोई अपना था ही कहाँ?
हवाई उड़ान निकिता को अपने घर, अपनी जन्मभूमि से दूर लिए जा रही थी, पर निकिता का मन पुरानी यादों में पीछे दौड़ रहा था। अनजान देश और एक बार मिली चाची में क्या वह अपनी दादी-माँ को पा सकेगी? चाचा ने बताया है, उसकी कजि़न मिनी और भाई राकेश उर्फ रॉकी, निकिता का इंतजार कर रहे है।
लंदन पहुँच, बड़ी-सी कार में बैठती निकिता का मन बैठा जा रहा था। कैसा होगा नया परिवे्श? महलनुमा घर में प्रवेश करते ही चाची से सामना हुआ था। पाँव छूने को झुकती निकिता ने जैसे चाची को डरा दिया-‘‘व्हाट इज़ दिस नॉनसेंस?
‘‘अरे निक्की तुम्हें सम्मान दे रही है। यही तो हमारे दे्श की परम्परा है? चाचा ने निक्की के विस्मित चेहरे को देख कर पत्नी को समझाना चाहा।
‘‘हलो, यह तुम्हारा इंडिया नहीं है। सुनो, यहाँ यह सब नहीं चलता। एनीहाउ, कम इन।’’ चाची के चेहरे की रूक्षता ने निकिता को सहमा दिया।
सामने इाडनिंग-टेबल पर आधुनिक परिधान में मिनी और रॉकी ब्रेकफास्ट ले रहे थे। निकिता को देखते ही दोनों के चेहरों पर व्यंग्यभरी मुस्कान आ गई।
‘‘हाय, डैडी! अपने साथ यह स्पेसिमेन कहाँ से उठा लाए?’’ मिनी ने शैतानी से पूछा।
‘‘शट अप। यह तुम्हारी कजिन निकिता है। तुम इसे निक्की पुकार सकती हो।’’
‘‘हमारी कजि़न? आर यू जोकिंग, डैडी?’’ अब रॉकी के हँसने की बारी थी।
‘‘लिलियन, तुमने इन्हें बताया नहीं, निकिता अब हमारे साथ ही रहेगी?’’
‘‘नहीं, मैंने सोचा तुम समझदारी से काम लोगे। इसके रहने का इंतजाम इन्डिया में ही करके आओगे। लुक ऐट हर, यह यहाँ लंदन में कैसे एडजस्ट करेगी?’’
‘‘तुम जानती हो, हमारे सिवा निक्की का और कोई नज़दीकी रिष्तेदार नहीं है। यह मेरे भाई की आखिरी निशानी है।’’
‘‘ओह माई गॉड! यू एंड योर सेंटीमेट्स। आयम फेड-अप।’’ चाची के चेहरे पर खिजलाहट स्पष्ट थी।
‘‘मिनी, तुम्हारी बहिन निक्की तुम्हारे साथ रूम -शेयर करेगी। रॉकी, निक्की का सूटकेस मिनी के रूम में पहुँचा दो।’’
‘‘ओ नो। इट्स इमपॉसिबिल। मैं अपना रूम किसी के साथ शेयर नहीं कर सकती, स्पे्शली इसके साथ।’’ मिनी का चेहरा तमतमा आया।

‘‘ठीक है, निक्की मेरी स्टडी के पास वाले रूम में रहेगी।’’ इस स्वागत से निक्की की आँखें भर आईं। चाचा ने प्यार से पुकारा-

‘‘निक्की बेटी, आओ ब्रेकफास्ट ले लो।’’

‘‘हमें भूख नहीं है, चाचा।’’
‘‘वाह! भूख कैसे नहीं है? अगर तू नहीं खाएगी तो मुझे भी भूखा रहना पड़ेगा।’’ सहास्य चाचा ने कहा।
जबरन निक्की एक कुर्सी पर बैठ गई। उसके बैठते ही रॉकी और मिनी ब्रेकफ़ास्ट छोड़कर उठ खड़े हुए। मानो निक्की की वेषभूषा उनके आधुनिक फ़ै्शनेबल परिधान को अपमानित कर देगी।
‘‘ओ.के. मॉम। वी आर डन। डैडी के सरप्राइज़ ने भूख ही खत्म कर दी।’’ मिनी व्यंग्य से बोली।
‘‘थैंक्स गॉड। मैं तो कल ही होस्टेल जा रहा हूँ वर्ना...।’’ अधूरा वाक्य छोड़कर भी रॉकी बहुत कुछ कह गया।

अपराधी भाव से निकिता ब्रेड गले से नीचे उतारने लगी।
ऑफिस जाने को तैयार चाचा ने स्नेह से निकिता को समझाया
‘‘तू अपने बहादुर पापा की बेटी है। हिम्मत से काम लेगी तो सारी कठिनाइयों पर विजय पा लेगी। तू हिम्मत तो नहीं हारेगी?’’
‘‘नहीं, चाचा।’’ रूंधे स्वर में निकिता इतना ही कह सकी। उसका दिल कितनी ज़ोरों से धड़क रहा था, चाचा कैसे जान पाते।
चाचा के जाने के कुछ देर बाद स्कर्ट-ब्लाउज पहने हेवी मेकअप के साथ आई चाची ने सपाट षब्दों में कहा-
‘‘मैं काम पर जा रही हूँ। फ्रिज में खाना होगा, खा लेना। यहाँ सबको अपने काम खुद करने होते हैं। हाँ, बाथ लेते वक्त बाथ- टब का करटेन खींच लेना। इन्डिया की तरह पूरा बाथरूम गीला मत कर देना, समझी।’’

‘‘जी...ई, चाची।’’
‘‘एक बात और यहाँ लंदन में चाचा-चाची नहीं चलता। मुझे सब लिलियन कहते हैं। तुम भी आदत डाल लो, एण्ड फ़ार गॉड् सेक मुझे कभी चाची मत पुकारना।’’
लिलियन के जाते ही पलंग पर औंधी पड़, निक्की जी भर कर रो ली। दादी और पापा कितने प्यार से उसे खिलाते थे। पहला निवाला उसके मुँह में देते पापा कहते-

‘‘यह निवाला हमारी रानी बिटिया के नाम।’’
आज निक्की के आँसू पोंछने वाला कौन था? आँसू पोंछ निक्की उठ खड़ी हुई। चाचा ने ठीक कहा है, उसे हिम्मत से काम लेना होगा। नहा-धोकर निकिता ने बडा़-सा फ्रिज खोला, पर खाना कहाँ था। दाल-रोटी खाने वाली निकिता को अंगे्रजी खाना समझ में ही नहीं आता। किसी तरह ब्रेड पर जैम लगाकर पेट भर लिया।
रात में चाचा ने कहा-‘‘निक्की बेटी, कल सुबह जल्दी तैयार हो जाना। तुम्हें कॉलेज में एडमीशन दिलाना है।’’
‘‘व्हाट पापा? यह कॉलेज में क्या करेगी? कॉलेज में पढ़ाई इंगलिश में होती है।’’ मिनी ने टेढ़ी दृष्टि से संकुचित निक्की को देखकर कहा।

‘‘तू नहीं जानती, निकिता इंगलिश लिटरेचर के साथ बी.ए. कर रही थी। निक्की हमेशा फ़र्स्ट आती है।’’
‘‘इन्डिया और यू. के. की पढ़ाई के स्टैंडर्ड में बहुत फर्क है, पापा। यहाँ की पढ़ाई करना आसान काम नहीं है।’’ गर्व से मिनी ने कहा।
‘‘यह तो वक्त ही बताएगा। वैसे तुझे पढ़ाई के बारे में खास जानकारी कहाँ होगी? तेरे लिए तो कॉलेज मौज-मस्ती की जगह है।’’रुखाई से चाचा ने कहा।
‘‘ओह, दैट्स टू मच, पापा।’’ तिनक कर मिनी चली गई।
‘‘दूसरों के सामने बेटी की इंसल्ट करना क्या ठीक है? मिनी को बेकार ही नाराज़ कर दिया।’’ लिलियन ने क्रुद्ध दृष्टि पति पर डाली। अपने कारण हो रहे घरेलू विवाद ने निक्की को सहमा दिया। इन बातों के बावजूद सुबह कॉलेज जाने की खुशी ने निक्की को सोने नहीं दिया। गुलाबी सलवार-सूट वह खास मौकों पर ही पहनती थी। दादी कहा करतीं-
‘‘इस सूट में तू गुलाब का फूल दिखती है, बिटिया। तेरी गोरी रंगत पर यह गुलाबी रंग खूब खिलता है।’’
सचमुच गुलाबी सूट में निक्की का चेहरा खिल उठा। घने बालों की लम्बी चोटियाँ पीठ पर झूल रही थीं। चाचा के साथ जाती निक्की के मन में अनजाना डर और खुशी दोनों शामिल थीं। कॉलेज की भव्य इमारत के सामने कार रूकी थी। निकिता की काबलियत उसकी रिजल्ट- शीट में स्पष्ट थी। बिना किसी समस्या के निकिता को एडमीशन मिल गया। एडमीशन की फ़ॉर्मेलिटीज़ पूरी करने के बाद चाचा असमंजस में थे, इतनी बड़ी कॉलेज की इमारत में क्या निकता आसानी से अपना डिपार्टमेंट खोज सकेगी? उनकी मुश्किल का हल नूरी के आ जाने से हो गया।
‘‘हलो, अंकल। आप यहाँ? क्या मिनी की कोई प्रॉबलेम है?’’ हँसती नूरी ने पूछा। अपनी हरकतों की वजह से मिनी की अक्सर शिकायत घर भेजी जाती थी।
‘‘थैंक्स गॉड। इस बार वह प्रॉबलेम नहीं है। आज मैं अपनी भतीजी निकिता का एडमीशन कराने आया हूँ। निकिता अभी इन्डिया से आई हैं। इसके लिए सब कुछ नया है। तू इसे इसके डिपार्टमेंट तक पहुँचा देगी। मुझे आफिस जाना है।’’
‘‘श्योर, अंकल। आप आराम चले जाइए। मैं निकिता को ले जाती हूँ।’’
‘‘थैंक्स, नूरी। मेरी पस्रेशानी दूर हो गई। मिनी को तो तू जानती ही है, उससे कोई उम्मीद रखना ही बेकार है।’’
‘‘अंकल, मैं जानती हूँ, मिनी अपनी हेल्प कर ले, उतना ही काफी है। बाय, अंकल।’’
चाचा के जाते ही नूरी ने प्यार से निकिता का हाथ थमाकर कहा-
‘‘हम दोनों को अपने नाम तो पता लग ही गए। मैं नूरजहाँ सबके लिए नूरी हूँ। पाकिस्तान से आई हूँ। मेरे अब्बू तेरे अंकल, मेरा मतलब तेरे चाचा के पक्के दोस्त हैं। हम पहले इंडिया में ही थे, अब अब्बू की पोस्टिंग पाकिस्तान में है। तू अपनी सुना।’’
‘‘मेरे पापा नहीं रहे, नूरी। अब चाचा के साथ रहना है।’’ निकिता का गला भर आया।
‘‘डोंट वरी। यही जिन्दगी है, निक्की। अब हम दोनों दोस्त हैं। मैं तुम्हें निक्की पुकार सकती हूँ, न?’’
‘‘हाँ, मुझे अच्छा लगेगा। पापा और घर में आने वाले निक्की ही पुकारते हैं।’’
‘‘अरे बातों में मैं भूल ही गई। तुझे किस डिपार्टमेंट में जाना हैं। क्या सबजेक्ट लिया है?’’
‘‘इंगलिश लिटरेचर लिया है। इंडिया में भी मेरा यही सबजेक्ट था। तुम्हारा क्या सबजेक्ट है?’’
‘‘फ़ाइन आर्टस। हम दोनों के डिपार्टमेंट पास-पास हैं। हम मिलते रहेंगे। तेरा फेवरिट कवि कौन है?’’
‘‘कीट्स.........। मैं कीट्स की फैन हूँ।’शर्माते हुए निकिता ने कहा।
‘‘भई, हमारा तो दूर-दूर तक कीट्स से कोई रिश्ता नहीं है, पर तुझसे दोस्ती का रिश्ता जरूर बन जाएगा। तुम्हारी क्या हॉबीज़ हैं?’’
‘‘संगीत और नृत्य मुझे प्रिय हैं। कुछ कुकिंग भी कर लेती हूँ।’’ कुछ झिझकते हुए निक्की ने बताया।
‘‘वाह! तब तो तेरे बनाए लजीज़ खाने के साथ गीतों का भी मज़ा मिलेगा। एक बात, शायद तेरी ड्रेस को लेकर कुछ रिमार्क्स दिए जाएँ, पर घबराना नहीं। कुछ दिनों बाद तुझे भी जीन्स और टॉप की आदत हो जाएगी। जानती है, पाकिस्तान में तो एक बार मुझे बुरका भी पहनना पड़ा था, पर यहाँ तो पूरी आज़ादी है, जो चाहे पहनो।’’ नूरी दिल खोलकर हँस पड़ी।
फ़ाउंटेन के पास लड़के-लड़कियों का जमघट था। एक-दूसरे का खुले  आम चुम्बन करते लड़के-लड़कियों को देख, निक्की ने दृष्टि नीची कर ली। ऐसा खुलापन उसकी कल्पना से परे था। अचानक शोर-सा मच गया। एक आवाज स्पष्ट उभरी-
‘‘हे ब्वॉयज। लुक, ए पोनी विद टू टेल्स।’’
सबकी दृष्टियों का केन्द्र-बिन्दु बनी निकिता का चेहरा लाल हो उठा। आगे बढ़कर एक लड़के ने कहा-
‘‘कमिंग स्ट्रेट फ्राम एन इंडियन बार्न।’’ हँसी का फौव्वारा छूट गया। तभी बाइसिकिल से उतरा एक युवक गिटार लटकाए सामने आ गया।

‘‘हाय गाईज। क्यों शोर मचा रखा है?’’
‘‘उधर देखो, रॉबिन, समझ जाओगे।’’ एक शरारती लड़के ने निकिता की ओर इशारा किया।
रॉबिन नाम पर निकिता ने झुकी नज़र उठाई, पर रॉबिन से दृष्टि मिलते ही नज़र झुका ली।
‘‘व्हाट इज़ राँग विद हर? आई थिंक शी इज़ ऐन इंडियन ब्यूटी। एम आई करेक्ट, मिज़?’’
‘‘ओह! लिव ऐस्ट फ़र्स्ट साइट। लेट्स हैव सम फन। मिस ब्यूटीफुल एक गीत गाइए, हमारा हीरो रॉबिन आपके लिए गिटार बजाएगा। आर यू रेडी रॉबिन।’’

‘‘ओह, श्योर, इट विल बी माई प्लेज़र्।''

सबकी तालियों ने निकिता को डरा दिया।

धीमी आवाज़ में नूरी ने कहा-
‘‘तू तो संगीत जानती है। कोई भी गीत सुना दे, वर्ना ये ऐसे छोड़ने वाले नहीं है।’’

‘‘हम इनके सामने नहीं गा पाएगे।’’ डरती निकिता ने कहा।
‘‘तब तू क्लास में जा चुकी। पहले दिन मुझे भी एक नज़्म सुनानी पड़ी थी।’’ नूरी ने हिम्मत बंधाई।
‘‘वी आर वेटिंग, मिस। डोंट वेस्ट अवर टाइम।’’
चारों ओर दृष्टि डाल निकिता ने अपना एक प्रिय भजन शुरू कर दिया। निकिता की सधी-मीठी आवाज़ ने सबको विस्मित कर दिया। रॉबिन के गिटार ने तो समा ही बाँध दिया। गीत समाप्त होते ही अचानक आगे बढ़ रॉबिन ने निकिता की हथेली चूम ली। निकिता का सर्वांग सिहर उठा। अनायास ही मुँह से ‘नो-नो’ निकल गया।

‘‘क्या मुझसे कोई गलती हो गई?’’ रॉबिन ने हिन्दी में सवाल पूछकर निकिता को चौंका दिया।
‘‘असल में निकिता अभी इंडिया से आई है। वहाँ का कल्चर अलग है। लड़की को किस करना गलत समझा जाता है।’’
‘‘मैंने लड़की को नहीं उसकी संगीत कला को किस किया है। ऐनीहाउ आई एम सॉरी, मिस निकिता।’’
‘‘रॉबिन, तुम्हारे सालाना जलसे के लिए एक और कलाकार मिल गया। मुझे थैंक्स तो दोगे?’’ गर्व से नूरी ने कहा।
‘‘ थैंक्यू,  नूरी। वैसे सच कहूँ, लगता है, मुझे एक म्यूजि़क टीचर भी मिल गई है। बहुत दिनों में इंडियन म्यूजिक सीखना चाहता था।’’ रॉबिन ने निकिता को सम्मान से देखा।
‘‘ओ.के. तो अब हमें क्लास में जाने की इजाज़त है, गाईज़?’’ नूरी ने मुस्करा कर पूछा।
‘‘कौन से डिपार्टमेंट में जाना है, नूरी?’’ रॉबिन ने जानना चाहा।
‘‘तुम्हारे ही डिपार्टमेंट के पास यानी इंगलिश-डिपार्टमेंट जा रहे हैं।’’
‘‘वाह! यह तो मेरी खुशकिस्मती है। चलो, मैं भी चलता हूँ।’’
‘‘रॉबिन तो गया काम से।’’ लड़कों ने तालियाँ बजाई। इंगलिश-डिपार्टमेंट के सामने पहुँच रॉबिन ने विदा मांगी-
‘‘एनुअल (वार्षिक) फंक्शन के लिए हेड के साथ कुछ डिसकस करना है। डिपार्टमेंट में मिलना होता ही रहेगा। मैं चलता हूँ, नाइस मीटिंग यू, मिस निकिता। बाय।’’ साइकिल तेज़ी से चलाता रॉबिन चला गया।

‘‘पुअर रॉबिन।’’ नूरी के मुँह से निकला।

‘‘क्यों क्या हुआ?’’
‘‘जानती है, रॉबिन एक ब्रोकेन फ़ैमिली से है। अंग्रेज माँ और हिन्दुस्तानी बाप में डाइवोर्स हो चुका है। म्यूजि़क परफ़ारमेंस देकर पढ़ाई की है। खु्शकिस्मती यही है, पढ़ाई में बेहद ज़हीन है। मास्टर्स के बाद अब रिसर्च-वर्क कर रहा है। अब तो उसे फलोशिप मिल रही है।’’
‘‘सच, जि़न्दगी में कब, किसे क्या दुख मिले, कोई नहीं जानता। अकेलापन सबसे बड़ा अभिषाप है, नूरी।’’ निकिता उदास हो गई।
‘‘रॉबिन को अकेलेपन ने तोड़ दिया है, निक्की। अक्सर टेम्स के किनारे बेंच पर बैठ, गिटार बजाता रहा है। सुना है, कभी-कभी लड़कियों के साथ रातें काटकर अकेलापन दूर करता है। अगर गिटार उसका साथी न होता तो पता नहीं क्या करता। अब डिपार्टमेंट के कल्चरल प्रोग्राम रॉबिन ही आर्गनाइज़ करता है। हैड इस रॉबिन को बहुत सपोर्ट करते हैं। एक ही डर है, यह ग़लत राह पर न भटक जाए। खुदा खैर करे। अच्छा अब तुम फ़र्स्ट फ़्लोर पर चली जाओ, तुम्हारी क्लासेज़ वही होंगी। मैं भी चलती हूँ।’’
‘‘थैंक्स। तुम न होतीं तो न जाने कहाँ भटकती।’’
‘‘ओह, कम ऑन। तुम इंटलिजेंट लड़की हो, अपनी मंजि़ल तक ज़रूर पहुँचेगी। बाय-बाय।’’
क्लास के पहले दिन ने ही निकिता का मुरझाया मन हरा कर दिया। प्रोफ़ेसर इतनी अच्छी तरह से पाठ की व्याख्या की कि निकिता अपने सारे दुख भूल गई। मिनी ने ठीक कहा है, यहाँ बहुत अच्छी पढ़ाई होती है। बुक-लिस्ट लेकर निकिता ने देखा, बहुत से लेखकों और कवियों की रचनाएँ वह पढ़ चुकी थी।
वापसी के समय नूरी उसके साथ थी। नूरी भी वापस बस से ही जाती थी। बातों-बातों में नूरी ने बताया।

‘‘डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी बहुत अच्छी है। ।  लाइब्रेरी से बहुत सहायता मिल जाएगी। कुछ किताबों के चैप्टरों की फ़ोटो कापी की जा सकती है।’’
‘‘मैं लाइब्रेरी का पूरा फ़ायदा उठाऊँगी, नूरी। मैं जानती हूँ, यहाँ पढ़ाई बहुत महंगी है। चाचा पर मैं ज्यादा बोझ नहीं डाल सकती।’’
‘‘तुम समझदार लड़की हो, निक्की। मैं हमे्शा तुम्हारे साथ हूँ।’’
घर पहुँचकर निकिता फिर उदास हो गई। कॉलेज का खुशनुमा माहौल घर से बिल्कुल अलग था। मिनी, लिलियन को उससे बातें करना नागवार गुजरता। एक चाचा ही थे जो उससे स्नेह से बात करते। चाचा से कुछ किताबों के लिए पैसे मांगने होंगे। देर रात तक जागी निकिता मोटरबाइक की आवाज़ से चौंक गई। खिड़की से झांकने पर नशे में धुत्त लड़खड़ाती मिनी, एक युवक के सहारे घर में प्रवेश कर रही थी। निकिता सोच में पड़ गई, क्या चाचा और लिलियन को मिनी के देर से आने पर आपत्ति नहीं होती?
दूसरी सुबह निकिता कॉलेज बस से जाने को तैयार हो गई। नूरी ने समझाया था-
‘‘आने-जाने के लिए बस लेना ठीक होगा। किसी की मदद रोज़-रोज़ नहीं ली जा सकती। यहाँ तो माँ-बाप भी बालिग बेटे-बेटियों की जि़म्मेदारी उन पर ही छोड़ देते हैं।’’
‘‘आर यू श्योर तू बस में जा सकती है?’’ चाचा ने उसे तैयार देख पूछा था।

‘‘जी, चाचा। आप चिंता न करें। मैं मैनेज कर लूँगी।’’

‘‘गुड। तू सचमुच होशियार लड़की है।’’
बस कॉलेज के सामने क्रासिंग पर रूकी थी। कॉलेज जाते हुए निकिता ने मिनी को रात वाले लड़के के साथ  बाइक पर जाते हुए देख कर सोचा, अभी उसे इस देश के बारे में समझना बाकी है। इंडिया और यू.के. के बीच कल्चरल गैप काफी है। नूरी से बात करने पर नूरी हँस पड़ी-
‘‘तू एक मिनी की बात कर रही है, यहाँ की जि़ंन्दगी में यह आम बात है। एक जवान लड़की का ब्वाय फ्रेंड न होना, उसके और परिवार के लिए अपमानजनक है। वैसे मिनी की जिस जेम्स के साथ दोस्ती है, वह एक ग़लत लड़का है।’’
‘‘तुम्हारा भी कोई ब्वाय फ्रेंड है ‘नूरी?’ भोलेपन से निकिता ने पूछा।
‘‘मेरे अब्बू ने मेरे लिए रास्ता ही नहीं छोड़ा। मेरी मंगनी जो कर दी।’’ नूरी के चेहरे पर खुशी छलक आई।

‘‘तू अपनी मंगनी से खुश है?’’

‘‘हाँ, लाखों में एक है मेरा रशीद। जल्द ही हमारा निकाह होने वाला है।’’

‘‘मुबारक हो। तुम चली जाओगी तो मैं अकेली रह जाऊँगी।’’

‘‘तू भी एक ब्वाय फ्रेंड बना ले।’’ नूरी ने मज़ाक किया।

‘‘न-न। हमसे यह कभी नहीं होगा।’’
‘‘अरे, पगली। मैंने तो मज़ाक किया, पर षायद कभी यह सच भी हो जाए।’’

अचानक एक दिन रॉबिन एक प्रस्ताव लेकर निकिता के पास आया-

‘कॉलेज के फंक्शन में आपको गीत गाना है।’’

‘‘नहीं, मेरे लिए यह पॉसिबिल नहीं है।’’

‘‘क्यों? ये मेरी ही रिक्वेस्ट नहीं है ,बहुतों की फ़र्माइश है।'
‘‘मुझे परमीशन नहीं मिलेगी और मेरी हिम्मत भी नहीं है। मैं नहीं गा सकती।’’
‘‘परमीशन की बात मुझ पर छोड़ दीजिए। यह कॉलेज आपका है, इसके प्रोग्राम में भाग लेना आपका फ़र्ज है। हिम्मत दिलाने के लिए मैं आपके साथ हूँ।’’ निकिता का जवाब सुने बिना रॉबिन चला गया।
उसी शाम रॉबिन को अपने घर आया देख, निकिता चौंक गई। थोड़े शब्दों में अपनी बात कहकर रॉबिन ने निकिता के लिए चाचा की परमी्शन पा ली।
‘‘यह तो बड़ी खुशी की बात है, हमारी निक्की इतनी अच्छी सिंगर है। इसी बहाने हमें भी इसका गीत सुनने को मिल जाएगा, क्यों निक्की बेटी?’’ चाचा के चेहरे पर सच्ची खुशी थी।
उस दिन देर रात तक निकिता सो नहीं सकी। क्या वह उतने लोगों के सामने गा सकेगी? कौन-सा गीत पसंद किया जाएगा। निकिता के सोच में मोटरबाइक रूकने के शोर ने बाधा डाल दी। हमेशा की तरह मिनी, जेम्स की बांहों के सहारे लड़खड़ाती घर की ओर आ रही थी। निकिता ने सोचा, बहन होने के नाते उसे मिनी को रोकना चाहिए। सुबह मिनी से बात करने का निश्चय कर निकिता सो गई।
चाचा और लिलियन के जाने के बाद निकिता मिनी के कमरे में गई। मिनी मेकअप कर रही थी। शीशे में निकिता का प्रतिबिंब देख, उसके माथे पर बल पड़ गए-

‘‘तुम मेरे कमरे में क्या कर रही हो?’’

‘‘मिनी, मैं तुमसे कहना चाहती हूँ, जेम्स का साथ छोड़ दो। वह अच्छा लड़का नहीं है।’’

‘‘हाउ डेयर यू एडवाइज मी? शायद तुम्हें मेरा ब्वॉय-फ्रेंड देखकर जलन हो रही है।
‘‘सुना है, जेम्स कई लड़कियों की जि़ंदगी बर्बाद कर चुका है। मैं तुम्हारी बहन हूँ इसीलिए_ _
‘‘तुम मेरी कोई नहीं हो। ख़बरदार, जो मेरी लाइफ़ में दखलअंदाजी की कोशिश भी  की। अपनी औक़ात में रहो। मेरे डैडी की मर्सी पर मज़े उड़ा रही हो। आई हेट यू। नाउ, गेटआउट।’’
अपमान से निकिता की आँखें छलछला आईं। उसी रात धीमी आवाज़ में चाचा से कहा-
‘‘चाचा, अपने इंडिया में जो पैसे मेरे नाम पर रखे हैं, आप ले लीजिए।’’

‘‘क्यों, बेटी?’’ चाचा चैंक गए।
‘‘मेरी पढ़ाई पर आपके बहुत पैसे खर्च हो रहे हैं३’’
‘‘किसी ने तुझसे कुछ कहा है निक्की।’’
‘‘नहीं, मैंने खुद सोचा है, चाचा।’’
‘‘एक बात समझ ले, तू मेरे लिए मिनी से कम नहीं है। भाई साहब ने मुझे बेटे की तरह प्यार दिया है। आज मैं जो भी हूँ, भाई साहब की देन हूँ। फिर कभी ऐसी बात सोचने की ग़लत मत करना, निक्की।
‘‘जी, चाचा। अब ऐसी गलती नहीं करूँगी।’’
‘‘तो इस ग़लती के बदले में मुझे अपने हाथ से बनाकर अपने घर वाला खाना खिलाएगी? घर की रोटी दाल खाए बहुत लंबा समय बीत गया है।’’ चाचा ने लम्बी सांस भरी।
‘‘आपको वो खाना अच्छा लगता है, चाचा? हम ज़रूर बनाएँगे। दादी ने हमें खाना बनाना सिखाया है।’’ खुषी से निकिता का चेहरा चमक उठा।
‘‘एक बात ध्यान में रखना। मेरे लिए खाना लिलियन की अनुपस्थिति में ही बनाना।’’
‘‘ठीक है, चाचा।’’ निकिता जानती थी, लिलियन को कोई भी हिन्दुस्तानी चीज़ पसंद नहीं आती।
लिलियन की ग़ैर हाजि़री में निकिता ने चाचा की मनपंसद डिषेज़ बनाकर चाचा को चमत्कृत कर दिया-
‘‘तू तो सचमुच इंडियन कुकिंग में एक्सपर्ट है, निक्की। काष मिनी तुझसे कुछ सीख पाती, पर उसकी तो ट्रेनिंग ही ग़लत है। कभी सोचता हूँ, इंग्लैंड आना मेरी ग़लती थी।’’
‘‘आप परेषान न हों, सब ठीक हो जाएगा।’’ निकिता ने तसल्ली-सी दी।
काॅलेज में पढ़ाई के साथ वाड्र्ढिकोत्सव की तैयारियाँ ज़ोर-षोर से चल रही थीं। राॅबिन के गिटार और आकेस्ट्रा के साथ निकिता को अपने गीत का रिहर्सल करना ज़रूरी था। कई बार राॅबिन की मुग्ध दृष्टि, निकिता की नज़रों से टकरा जाती। एक दिन राॅबिन पूछ बैठा, ‘‘निकिता मैं आपसे इंडियन म्यूजि़क सीखना चाहता हूँ। वादा करता हूँ, बहुत अच्छा स्टूडेंट साबित होऊँगा।’’
‘‘मैं अपने को इस लायक नहीं समझती। अपने लिए अच्छा गुरू ढूँढ़ लीजिए।’’
‘‘मेरे लिए आपसे अच्छा कोई और टीचर हो ही नहीं सकता। प्लीज मुझे अपना षिष्य बना लीजिए।’’
निकिता के मौन पर राॅबिन ने फिर अनुनय की-‘‘मैं जानता हूँ, मैं बदनाम स्टूडेंट हूँ, पर यकीन कीजिए मैं इतना खराब इंसान नहीं हूँ। क्या आप मुझे अपनी संगीत-कला से वंचित रखेंगी? यह मेरे लिए बहुत बड़ी सजा होगी, निकिता। षायद मैं इतनी बड़ी सज़ा लायक नहीं हूँ।’’
‘‘अभी मैं कुछ नहीं कह सकती। चाचा से बात करने के बाद ही निर्णय ले सकूँगी।’’
‘‘थैंक्स। मेरे लिए इतना ही काफ़ी है।’’
वाड्र्ढिकोत्सव में निकिता के गीत की सबसे प्रषंसा की। चाचा का मुख गर्व से चमक उठा। राॅबिन की पीठ थपथपा स्नेह से कहा-‘‘राॅबिन, तुम्हारी वजह से हम निकिता का यह गुण जान सके, वर्ना निकिता तो घर में गुनगुनाती भी नहीं है। थैंक्स।’’
‘‘तब तो मैं इनाम का हकदार हूँ।’’
‘‘ज़रूर। बोलो क्या चाहिए?’’
‘‘मैं निकिता से इंडियन म्यूजि़क सीखना चाहता हूँ, प्लीज आप उसे परमीषन दे दीजिए।’’
‘‘मुझे कोई आॅब्जेक्षन नहीं है। तुम निकिता को तैयार कर लो। वह थोड़ी संकोची लड़की है।’’

‘‘वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए।’’
राॅबिन की जि़द के आगे निकिता को हार माननी ही पड़ी। समस्या स्थान की थी। चाचा के घर संगीत सिखाने की बात ही असंभव थी। राॅबिन ने अपने घर संगीत सीखने का प्रस्ताव रख दिया निकिता के संकोच पर लिलियन ने कहा-
‘‘राॅबिन के घर में ही म्यूजि़क क्लास ठीक रहेगा। हमें अपने घर मंे इंडियन-म्यूजि़क झेलना कठिन है। वैसे भी तुम्हारी उम्र की लड़की का कोई ब्वाॅय-फ्रेंड न होना षर्मनाक स्थिति है। राॅबिन के साथ कम से कम यहाँ के तरीके़ तो सीख लोगी। हाँ म्यूजि़क-टीचिंग के लिए उसके साथ फ़ीस तय कर लेना।’’
संगीत-सिखाने के लिए फ़ीस लेना, निकिता को स्वीकार नहीं था। राॅबिन के प्रस्ताव पर उसने स्पष्ट कह दिया- ‘‘संगीत एक कला है। कला को बेचना मुझे स्वीकार नहीं है। अगर मुझे पैसे देना चाहोगे तो मैं तुम्हें संगीत नहीं सिखा सकती।’’
निकिता के उत्तर ने राॅबिन को फिर विस्मित कर दिया। निकिमा ड्राइव नहीं करती थी। उसे घर से ले जाने और पहुँचाने का दायित्व राॅबिन ने ले किया।
नियत दिन राॅबिन के स्टूडियोनुमा फ्लैट में पहुँच निकिता ने चारों ओर दृष्टि डाली थी। एक बेडरूम वाला स्टूडियो रूम काफ़ी सुव्यवस्थित था।
‘‘वाह! एक बेचलर का इतना साफ़-सजा रूम सोचा नहीं जा सकता।’’ निकिता मुस्करा रही थी।
‘‘इन फ़ैक्ट, आज मेरी टीचर आने वाले थी, इसीलिए ज़रा सफ़ाई कर डाली। अगर कोई अचानक आ जाए तब असलियत पता लगेगी।’’ राॅबिन ने सच्चाई से कहा।
‘‘अरे वाह! यहाँ तो तानपुरा भी है।’’ तानपुरा देख, निकिता खुष हो गई।
‘‘हाँ, पापा अच्छे गायक हैं। तानपुरे के तार जब बेसुरे हो गए, पापा ने तानपुरा मुझे दे दिया।’’ राॅबिन उदास हो गया।
‘‘बेसुरे तारों केा सुर में लाया जा सकता है, राॅबिन। कभी अपने पापा-मम्मी से नहीं मिलते?’’
मिलकर क्या करूँगा? दोनों ने अपनी-अपनी दुनिया बसा ली है। मेरे लिए कहीं जगह नहीं है।’’
‘‘साॅरी, राॅबिन।’’
‘‘मेरे लिए दुख करने की ज़रूरत नहीं है। यहाँ की जिंदगी के लिए यह कोई नई बात नहीं है। चलें आज का पाठ षुरू करें। एक ष्लोक की इजाज़त चाहूँगा। ष्लोक की ग़लतियों के लिए माफ़ी चाहूँगा, ठीक याद नहीं रहा है।’’
‘‘गुरू बह्माः, गुरूः विष्णु, गुरूर्देवो महेष्वरः
गुरूः साक्षात परमेष्वरः, तस्मै श्रीगुरूवे नमः।’’
निकिता को हाथ जोड़कर प्रणाम कर, राॅबिन ने सहास्य पूछा-
‘‘मेरे ष्लोक में ग़लतियाँ थीं, गुरूदेवी?’’
‘‘सच्चे मन से जो बात ही जाए, उसकी सारी ग़लतियाँ क्षमा होती हैं, राॅबिन। मैं टीचर नहीं, तुम्हारी मित्र बनी रहना चाहूँगी।’’
‘‘ओ.के.डन। तब हमारे बीच आपका रिष्ता नहीं रहेगा। हम एक-दूसरे को तुम कह सकते हैं?’’
‘‘ष्योर।’’ निक्की हँस पड़ी।
तानुपरे के तार सुर में मिलाकर निकिता ने सरगम षुरू की। राॅबिन सरगम दोहरता गया। कुछ ही देर में वातावरण संगीतमय हो गया। वह दिन निकिता का बहुत अच्छा बीता। पहली बार उस रात निकिता गुनगुना उठी। मिनी का रात देर से आने के टंेषन भी भूलकर, आराम से सो गई।
निकिता को राॅबिन के घर संगीत सिखाने जाने की उत्सुकता रहने लगी। राॅबिन और संगीत के साथ कुछ समय के लिए वह मिनी और लिलियन की अपमानजनक बातें भूल जाती। संगीत का पाठ समाप्त हो जाने के बाद राॅबिन दोनों के लिए चाय बनाता। पहले दिन उसने नाटकीय अंदाज़ में कहा था-‘‘टीचर को फ़ीस लेना मंजूर नहीं है, पर षिष्य की बनाई चाय तो स्वीकार की जाएगी?’’
राॅबिन की चाय का मज़ा ही दूसरा होता। चाय के रूप के साथ दोनों अपने-अपने सुख-दुख की बातें करते। दोनों के बीच की दूरियाँ कम हो चली थीं। राॅबिन ने स्पष्ट बताया था-‘‘पापा-मम्मी के अलग हो जाने के बाद मैं भटक गया था। कुछ लड़कियों ने मेरा फ़ायदा उठाया। दोस्ती का वास्ता देकर उन्होेंने मूर्ख बनाया। आज उन ग़लतियों के लिए बहुत पछतावा है।’’
निकिता को याद आया, नूरी ने उससे कहा था-‘‘राॅबिन से दूर ही रहना। वह ग़लत राह पर भटक रहा है।’’ निकिता को चुप देख राॅबिन जैसे डर गया-
‘‘मुझसे नाराज़ हो, निकिता। मुझसे नफ़रत तो नहीं करोगी? तुम्हारी नफ़रत नहीं रह सकूँगा।’’
‘‘नहीं, राॅबिन। हम दोस्त हैं। मैं जानती हूँ, ग़लती इंसान ही करता है। गलतियाँ मानकर उन्हें फिर न दोहराने से गलतियाँ अपराध नहीं बनतीं। वादा करो, अब कभी ग़लत राह पर नहीं भटकोगे।
‘‘मेरा वादा है, निक्की। तुम मेरी जिं़दगी में पहले क्यों नहीं आईं निक्की?’’
‘‘क्योंकि मैं पहले इंग्लैण्ड में नहीं, भारत में रहती थी।’’ निकिता ने हँसते हुए कहा।
‘‘सच, न जाने कहाँ-कहाँ भटकता रहा। कहीं षांति नहीं मिली, पर तुम्हारे साथ इतनी षांति और खुषी मिलती है, मैं षब्दों में बयान नहीं कर सकता। क्यों निक्की? तुम सबसे अलग क्यों हो? एक वादा तुम्हें भी करना होगा३
‘‘कैसा वादा, राॅबिन?’’
‘‘तुम कभी मेरी जिं़दगी से दूर नहीं जाओगी। हमेषा मेरा साथ दोगी, कभी भटकने को नहीं छोड़ोगी? वादा करो, निक्की........।’’
निकिता चुप रह गई। उस वादे का अर्थ वह समझ रही थी, पर वादा करने का साहस नहीं था उसमें। वह स्वतन्त्र निर्णय कैसे ले सकती थी? वह चाचा पर आश्रित है, यह सत्य कैसे भूल सकती थी। उसे चुप देख, राॅबिन ने कहा-‘‘अगर मैंने कुछ गलत कह दिया तो माफ़ कर देना। मैं अपने पर नियंत्रण नहीं रख सका...साॅरी।’’
न जाने कब और कैसे निकिता राॅबिन के लिए निक्की बन गई थी, दोनों ही नहीं जान सके।
‘‘इट्स ओ.के. राॅबिन। दोस्त की ग़लती को माफ़ी ज़रूर मिलनी चाहिए।’’
‘‘थैंक्स, निक्की, पर मैं इसे अपनी गलती नहीं मानता। यह मेरे दिल की आवाज़ है।’’
उस रात निकिता बहुत बेचैन रही। राॅबिन की बातें उसे परेषान कर रही थीं। नूरी अपने निकाह के लिए अपने वतन जा चुकी थी। ऐसा कोई नहीं था, जिसके साथ निकिता अपने मन की बात षेयर कर सकती। एक सच वह जान गई थी, राॅबिन के साथ वह खुष रहती, उसका साथ उसकी जरूरत बन गया था। क्या राॅबिन भी वैसा ही महसूस करता है, पर क्या उन दोनों का साथ संभव हो सकता है? उधेड़बुन में सोई निकिता की नींद चाचा की क्रोध भरी आवाज से टूटी थी-
‘‘देख लिया, तुम्हारी आज़ादी का क्या नतीजा निकला। न जाने किसका पाप पाल रही है तुम्हारी लाड़ली।’’
‘‘क्यों चिल्लाकर दुनिया भर में ढि़ंढोरा पीट रहे हो। ऐसा कौन सा पहाड़ टूट पड़ा। कल ही डाॅक्टर से मिलकर इस मुसीबत से छुटकारा दिला दूँगी।’’ लिलियन ने नाराज़गी से कहा।
‘‘कैसी माँ हो, बेटी की ग़लती पर सज़ा देने की जगह उसकी हिमायत कर रही हो?’’
‘‘इस उम्र में ऐसी गलती हो जाना नामुमकिन नहीं है। तुम चुप हो जाओ, मैं सम्हाल लूँगी। एक बात और, मिनी को डांटना नहीं वर्ना वह घर छोड़कर जा सकती है।’’
लिलियन की बातों ने निकिता को ताज्जुब में डाल दिया। भारत में ऐसी घटना पूरे परिवार के लिए अभिषाप बन जाती है। चाचा की बेबसी पर निकिता को तरस आ रहा था, पर वह उनकी सहायता नहीं कर सकती थी।
षाम की संगीत-कक्षा में निकिता के चेहरे पर उदासी स्पष्ट थी। राॅबिन पूछ बैठा-
‘‘आज तो तुम्हें खुष होना चाहिए, सेमेस्टर में तुम्हें इतने अच्छे नम्बर मिले हैं, पर तुम उदास दिख रही हो। क्या घर में कोई प्राॅब्लम है, निक्की?’’
‘‘नहीं, कोई खास बात नहीं है।’’ आज सेमेस्टर के रिज़ल्ट के बाद प्रोफे़सर ने क्लास में उसकी तारीफ़ की थी, पर घर में चाचा की परेषानी देख, उन्हें बताने की हिम्मत नहीं कर सकी।
‘‘इतने दिनों में तुम्हारा चेहरा देख, तुम्हारे मन की बात पढ़ सकता हूँ। सच कहो, क्या हुआ। दोस्त को तुम्हारी प्राॅबलेम जानने का हक़ है, न?’’
राॅबिन की आवाज़ में उसके लिए कंसर्न था। हल्की आवाज़ में मिनी के बारे में बता गई।
‘‘तुम्हारे लिए यह एक सीरियस बात है, निक्की, पर यहाँ के समाज में सिंगल मदर एक सामान्य बात है। उन्हें नीची दृष्टि से नहीं देखा जाता। कभी-कभी तो तेरह-चैदह साल की लडकी को माँ बनी देख सकती हो। तुम बहुत अलग तरह की लड़की हो। तुम्हारी इसी इनोसेंस ने मेरा मन जीत लिया है, निक्की।
राॅबिन के साथ बातें करके निक्की का मन हल्का हो गया। षायद कुछ समय बाद वह भी इन बातों पर ध्यान न दे। राॅबिन और नूरी उसे दो अच्छे मित्र मिले हैं, पता नहीं निकाह के बाद नूरी कब वापस आएगी। उसे नूरी को बताना है, राॅबिन अच्छा लड़का है। उसके बारे में नूरी की ग़लत धारणा है। निकाह के लिए जाने के पहले उसने निकिता को समझाया था-‘‘तुम राॅबिन के साथ ज़्यादा ही घुलमिल रही हो। मुझे डर है, तुम धोखा न खा बैठो।’’
‘‘यकीन करो, नूरी, ऐसा कुछ नहीं है। राॅबिन को संगीत से प्यार है। वह संगीत सीरियसली सीख रहा है।’’
‘‘ठीक है, मेरा काम तुम्हें समझाना था, आगे तुम्हारी मजऱ्ी। अपने भोलेपन का किसी को फ़ायदा मत उठाने देना, निक्की।’’
इतने दिनों में निकिता राॅबिन पर पूरा विष्वास करने लगी थी। चाह कर भी उससे दूर रहने की बात भी नहीं सोच पाती। एक वही तो है, जिससे वह दिल खोलकर बातें कर पाती है।
घर में डाॅक्टर की मदद से अपनी मुष्किल से छुटकारा पाकर मिनी खुष थी। चाचा ने चाहा, मिनी उस इंसान से षादी कर ले, जिसने उसे यह अनचाही सोगात दी थी। बात सुनते ही मिनी हाँस पड़ी।’’
‘‘उसके साथ षादी? व्हाॅट नाॅनसेंस, डैडी। वह तो मेरा पास टाइम था। मैं अभी आज़ादी की जि़ंदगी का मज़ा लेना चाहती हूँ।’’
लिलियन को लगता, मिनी कमज़ोर हो गई है। उसे एक-दो महीनों के लिए किसी षांत-खुली जगह में ले जाना चाहिए। लिलियन की जि़द पर चाचा ने एक महीने की छुट्टी ले ली। निकिता क्लासेज़ मिस नहीं करना चाहती थी। अगले सेमेस्टर में भी वह अच्छे नम्बर लेने को दृढ़ संकल्प थी। समस्या का हल लिलियन ने कर दिया-
‘‘निकिता बच्ची नहीं है। अपना ख़्याल रख सकती है। वैसे भी राॅबिन तो है ही। कोई ज़रूरत होने पर वह मैनेज कर सकता है।’’
राॅबिन ने खुषी-खुषी वो जि़म्मेदारी लेकर चाचा को चिंता-मुक्त कर दिया-‘‘डोंट वरी अंकल। लिलियन इज़ राइट, निकिता अब मेरी रिसपांसिबिलिटी है। आप आराम से जाइए।’’
‘‘थैंक्स, राॅबिन।’’
सबके जाने के बाद राॅबिन का अधिकांष समय निकिता के साथ बीतता। निकिता की बनाई इंडियन डिषेज उसे अपने पापा की याद दिला देते। पापा की हिन्दुस्तानी खाना बेहद पसंद था। अक्सर छुट्टी के दिन वह राॅबिन की मदद से हिन्दुस्तानी खाना बनाते।
‘‘तुम्हारे हाथ का खाना खाकर पापा बहुत खुष होते, निक्की।’’
‘‘उन्हें एक दिन लंच के लिए इन्वाइट कर लो, राॅबिन। मुझे खुषी होगी।’’
‘‘अब वह पाॅसिबिल नहीं है, हम दोनों बहुत दूर हो चुके हैं।’’
‘‘दूरियाँ पाटी भी तो जा सकती है, राॅबिन। किसी को बस पहल करनी होती है।’’
‘‘हम इस टाॅपिक पर बात नहीं करेंगे, निक्की।’’ रूखी आवाज़ में अपनी बात कहकर राॅबिन ने निक्की को चुप करा दिया।

निक्की सोच में पड़ गई, न जाने क्या बात रही होगी जिसने राॅबिन के मन में इतनी कड़वाहट भर दी। अपनी मम्मी-पापा को लेकर राॅबिन जितना ही रूखा था, निक्की के लिए उतना ही मीठा था। उसके चेहरे पर ज़रा-सी थकान दिखती तो अपने को अपराधी मान बैठता-
‘‘मेरी संगीत-साधना तुम्हंे थका देती है। काॅलेज की पढ़ाई ही कम नहीं है, उस पर हर सेमेस्टर में डिस्टींक्षन लाना तुम्हारी जि़द रहती है।’’
‘‘पढ़ाई तो तुम भी करते हो, राॅबिन।’’?
‘‘मेरा क्या? रिसर्च-वर्क एकाध साल ज़्यादा चल सकता है। थीसिस सबमिट कर ही लूँगा। हेड की कृपा से जाॅब मिलना भी पक्का है।’’ मज़ाकिया अंदाज़ में राॅबिन ने कहा।
‘‘तुम खुद इतने काबिल हो, हमेषा फ़स्र्ट पोजीषन रही है। तुम्हें किसी की कृपा की क्या ज़रूरत है।’’ं निकिता ने सच्चाई से कहा।
‘‘थैंक्स, निक्की। मुझे तुम्हारी फि़क्र रहती है।’’
‘‘तुम मेरी इतनी पर्वाह क्यों करते हो, राॅबिन?’’
‘‘तुम्हारी केयर लेने वाला दूसरा कौन है, निक्की?’’
राॅबिन की आवाज़ में प्यार ही प्यार छलक रहा था। घर खाली होने की वजह से राॅबिन की संगीत कक्षा निकिता के घर में ही चल रही थी। एक दिन मीरा का भजन गाती निकिता से राॅबिन एक अजीब अनुरोध कर बैठा-
‘‘निक्की प्लीज। आज एक बात माननी होगी।’’
‘‘कौन सी बात, राॅबिन।’’
‘‘पहले वादा करो, मानोगी।’’
‘‘अगर मानने लायक बात हुई तो ज़रूर मानूँगी।
‘‘आज मीरा बनकर नृत्य करना होगा।’’
‘‘क्या३ आ? नहीं, यह संभव नहीं है।’’
‘‘यह न मानने वाली बात तो नहीं है, निक्की। मैं जानता हूँ, तुम्हें नृत्य के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। प्लीज........।’’ राॅबिन की आवाज़ में न जाने क्या था, निकिता घुंघरू बाँध उठ खड़ी हुई.......... ‘‘पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे..........ं।’’
मंत्र-मुग्ध राॅबिन निकिता को एकटक निहारता रह गया।
‘‘तुमने मीरा को साकार कर दिया, निक्की।’’
‘‘तुम मीरा को जानते हो, राॅबिन?’’
‘‘हाँ, पापा बताया करते, कैसी वह प्रेम-दीवानी थी। काष मैं कृष्ण बन पाता।’’ राॅबिन की अनुराग भरी दृष्टि ने निकिता का गोरा चेहरा लाल कर दिया।
‘‘आज की मीरा हमेषा याद रहेगी। थैंक्स, निक्की।’’
काॅलेज की नोटिस-बोर्ड पर अपील लगी थी-
‘‘फ़ाइनल इअर का जाॅनसन सीरियस कंडीषन में हाॅस्पीटल में एडमिट है। उसे बी-नेटेटिव गु्रप का खून चाहिए। संपर्क करें३’’
‘‘राॅबिन, मेरा ब्लड ग्रुप बी नेगेटिव है। मुझे हाॅस्पीटल पहुँचा दो, प्लीज।’’
‘‘सोच लो, अंकल यहाँ नहीं है, क्या उनकी परमीषन के बिना ब्लड देना ठीक होगा?’’ राॅबिन ने सलाह दी।
‘‘यह किसी की जान का सवाल है, राॅबिन मैं जानती हूँ चाचा खुष होंगे। चलो, देर हो रही है।’’ निकिता उतावली थी।
हाॅस्पीटल में तीन लड़के खून देने पहुँचे हुए थे। निकिता के साथ उनके भी खून के नमूने जांच के लिए ले लिए गए। कुछ देर बाद एक-एक करके लड़कांे को ब्लड-डोनेट करने के लिए बुला लिया गया। निकिता को अपनी बारी का इंतजार था। नर्स ने आकर कहा-
‘‘आपको डाॅक्टर ने केबिन में बुलाया है।’’

‘‘अपने फ़ादर के साथ मुझसे मिलो।’’ डाॅक्टर गंभीर थे।
‘‘मेरे फ़ादर-मदर नहीं हैं। मैं अपने अंकल के साथ रहती हूँ।’’
‘‘तो अंकल को साथ लाकर मिलो।’’
‘‘क्यों, डाॅक्टर? मेरे अंकल ब्लड देने की परमीषन जरूर देंगे। प्लीज़ मेरा खून ले लीजिए।’’ निकिता ने अनुनय की।
‘‘साॅरी, तुम्हारा खून नहीं दिया जा सकता।’’
‘‘क्या बात है, डाॅक्टर? मुझसे कुछ छिपाइए नहीं।’’
‘‘तुम अकेली आई हो, अभी कुछ बताना ठीक नहीं होगा।’’
‘‘नहीं, डाॅक्टर। मैंने जिं़दगी में बहुत दुख देखे हैं। सच कहिए, आखिर बात क्या है। मैं कुछ भी सह सकती हूँ।’’
‘‘एक बात सच-सच बताना, क्या तुमने कभी किसी के साथ षारीरिक-सम्बन्ध बनाए हैं?’’
‘‘नहीं, नहीं, कभी नहीं। ऐसी बात तो सोचना भी पाप है। ऐसा सवाल क्यों पूछ रहे हैं, डाॅक्टर?’’ निकिता डर सी गई।
‘‘क्या कभी तुम्हें खून दिए जाने की ज़रूरत पड़ी थी?’’
‘‘जी, हाँ, डाॅक्टर। चार साल पहले दादी के साथ उनके गाँव गई थी। सीढ़ी से पथरीली ज़मीन पर गिरने की वजह से सिर से बहुत खून बह गया था। बड़ी मुष्किल से एक आदमी का खून मैच कर सका था। अगर उस वक्त खून न मिलता तो षायद मैं आज जीवित न होती।’’ निकिता ने सच-सच बताया।
‘‘ओह तो षायद उसी ब्लड ट्रांसफ़्यूजन के कारण यह हुआ।’’
‘‘क्या हुआ, डाॅक्टर, प्लीज बताइए।’’ निकिता अब चिंतित थी।
‘‘तुम्हारे खून में एच.आई.वी के विड्ढाणु मौजूद मिले हैं।’’
‘‘क्या.......आ? इसका मतलब है एड्स की षिकार हो जाऊँगी। नहीं, यह सच नहीं हो सकता। अब मैं क्या करूँगी, डाॅक्टर?’’ निकिता की स्थिति दयनीय हो आई।
‘‘घबराओं नहीं, मैंने पहले ही कहा था, यह सच तुम अकेले नहीं सह पाओगी। वैसे आजकल मेडिकल साइंस बहुत एडवांस हो गई है। हिम्मत रखो। दवाइयों के साथ तुम आसान जिं़दगी जी सकोगी। डाॅ. स्टीवेन्सन मेरे अच्छे दोस्त हैं। मैं लेटर दे दूँगा, वह तुम्हें गाइड कर देंगे।’’
‘‘थैंक्स, डाॅक्टर।’’ किसी तरह लड़खड़ाते कदमों से निकिता। बाहर आ गई।
‘‘क्या हुआ, निक्की? सब ठीक तो है, डाक्टर ने क्यों बुलाया था?’’ राॅबिन प्रतीक्षा में खड़ा था।
‘‘कुछ भी ठीक नहीं है, राॅबिन, मुझे घर ले चलो।’’
‘‘आखिर बात क्या है, तुम परेषान क्यों हो?’’
‘‘मैं एच आई वी पाॅज़ीटिव हूँ, राॅबिन। मेरे खून में एड्स के विड्ढाणु मिले हैं।’’ निकिता फूट-फूट कर रो पड़ी।
‘‘क्या कह रही हो? यह कैसे हो सकता है। तुम जैसी लड़की कोई ग़लती कर ही नहीं सकती।’’ राॅबिन परेषान सा दिखा।
‘‘तुम भी ऐसा ही सोच रहे हो? यह सच नहीं है, राॅबिन।’’
‘‘मैं तुम्हारे बारे में कभी ग़लत नहीं सोच सकता। तुम्हें तो अपने से ज़्यादा जानता हूँ, निक्की। इसीलिए३’’
‘‘डाॅक्टर ने बताया है ब्लड-ट्रांसफ़्यूजन की वजह से मेरे रक्त में एच.आई.वी.विड्ढाणु आ गए हैं।’’ आँसूभरी आँखों के साथ निकिता पूरी बात बता गई।
‘‘इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं है, निक्की। परेषान मत हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ, न।’’
‘‘नहीं, राॅबिन, मैं जानती हूँ, तुम भी मेरा साथ छोड़ दोगे। मैं कैसे जी सकूँगी।’’ निकिता फिर रो पड़ी।
‘‘यह क्या कह रही हो, निक्की? क्या मैं कभी तुमसे दूर हो सकता हूँ? तुम तो मेरा जीवन हो।’’ सच्चे मन से राॅबिन ने तसल्ली देनी चाही।’’
‘‘मैं सच्चाई जानती हूँ, राॅबिन। अब तो चाचा भी षायद अपने घर में जगह न दें। मेरे लिए कहीं जगह नहीं।’’
‘‘मेरे घर में हमेषा तुम्हारा स्वागत है, निक्की। चलो अभी वहीं चलते हैं।’’
घर पहुँच राॅबिन ने काफी बनाई थी। आज काफ़ी गले से नीचे उतारना निकिता को कठिन लग रहा था।
‘‘हैव करेज, निक्की। चलो, आज अपने हाथ से कोई स्पेषल डिष बनाकर खिलानी होगी। इतनी देर से भूखा-प्यासा तुम्हारी सेवा में लगा हुआ हूँ।’’ राॅबिन ने परिहास किया।
‘‘आज माफ़ करो, राॅबिन। कुछ नहीं कर पाऊँगी।’’ रूंधी आवाज़ में निकिता बोली।
‘‘ठीक है, तब मैं ही सैंडविचेज़ बनाता हूँ। रात होती जा रही है। अनजान इंसान के साथ देर रात तक रहना, इस इंडियन ब्यूटी के लिए ठीक नहीं है। कहीं मेरा दिल मचल गया तो मुष्किल होगी।’’
‘‘छिः राॅबिन, अब तो मैं किसी के स्पर्ष लायक भी नहीं बची हूँ। अपराधिन बन गई हूँ मैंै।’’
‘‘जिस बात के लिए तुम जि़म्मेदार नहीं हो, उसके लिए अपने को दोड्ढी ठहराना ग़लत है। फिर कभी ऐसी बात मत करना।’’
निकिता को घर छोड़, सुबह जल्दी आने का वादा कर राॅबिन चला गया। पूरी रात बेचैनी से करवटें बदलती निकिता सोचती रही, अगर राॅबिन सुबह नहीं आया तो?
षायद सुबह ही निकिता की आँख लगी थी कि डोर-बेल बज उठी-
‘‘राॅबिन, तुम?’’
‘‘क्यों, क्या जल्दी आ गया? मिज़ निकिता, सुबह के आठ बज रहे हैं। काॅलेज नहीं जाना है?’’
‘‘नहीं, मैं वापस इंडिया जा रही हूँ।’’
‘‘अरे वाह। दोस्त की परमीषन लिए बिना इंडिया जाने का प्रोग्राम बना डाला।’’
‘‘इसके सिवा कोई और रास्ता भी नहीं है, राॅबिन।’’
‘‘सच तो यह है, निक्की, मैं भी पूरी रात नहीं सो सका। हाँ। बहुत सोचने के बाद एक पक्का फैसला लिया है।’’
‘‘पक्का फ़ैसला?’’
‘‘हाँ, अभी तक हम दोस्त थे, अब मैं तुम्हें अपना जीवन-साथी बनाना चाहता हूँ। बोलो, तुम्हे मेरी पत्नी बनना मंजूर है या नहीं? एक बात, जवाब हाँ में होना चाहिए वर्ना भूख-हड़ताल के साथ धरना देकर जान दे डालूँगा।’’
‘‘सब कुछ जानकर भी यह क्या कह रहे हो। मुझे तुम्हारी दया नहीं, दोस्ती चाहिए।’’
‘‘यह दया नहीं, मेरी जि़ंदगी का सच है। तुमने मुझे एक नया इंसान बनाया है। मेरी जिं़दगी तुम्हारी देन है। तुम्हारे बिना मैं नहीं रह सकता। अब फिर भटकने की हिम्मत नहीं है, निक्की।’’
‘‘मुझसे षादी करने का मतलब जानते हो, राॅबिन?’’
‘‘अच्छी तरह से जानता हूँ, निक्की। पति-पत्नी का सम्बन्ध सिर्फ़ षरीर से नहीं, मन से होता है। मुझे यकीन है, मेरा प्यार तुम्हें जीने को मजबूर कर देगा। मैं तुम्हें दुनिया की हर खुषी दूँगा।
‘‘लेकिन मैं तुम्हें क्या दे पाऊँगी, राॅबिन?’’
‘‘प्यार-ढेर सा प्यार। मेरी जिं़दगी में बस इसी प्यार की कमी है। जितने दिन हम साथ रहेंगे, हर लमहा हम दोनों के प्यार से सराबोर होगा।’’
‘‘तुम्हारी जि़ंदगी कैसे बर्बाद होने दे सकती हूँ, राॅबिन?’’
‘‘मुझे छोड़कर गई तो मेरी जिं़दगी जरूर बर्बाद हो जाएगी। मैं फिर उन्हीं गलतियों का साथी बन जाऊँगा। फ़ैसला तुम्हें लेना है, मेरी बर्बादी या तुम्हारे साथ सुकून-भरी जिं़दगी।’’
‘‘ऐसे दोराहे पर मत खड़ा करो, राॅबिन।’’
‘‘मुझ पर विष्वास करती हो, निक्की?’’
‘‘अपने से भी ज़्यादा राॅबिन।’’
‘‘तो मेरी बताई राह चुन लो, निक्की।’’
‘‘तुम्हारे विष्वास पर विष्वास कर रही हूँ, राॅबिन। कभी अकेला तो नहीं छोड़ोग?’’ भीगे स्वर में निकिता ने पूछा।
आगे बढ़कर निकिता की भीगी आँखों को चूम, राॅबिन ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया।

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