2/28/21

सपने का वादा

कॉलेज का पहला दिन था. इस कॉलेज में आते ही शशि को यहाँ देख कर नेहा खुश हो गई थी.  दोनो इंटरमीडिट के बाद अलग होगई थीं. शशि भले ही नेहा की अभिन्न सहेली नहीं रही थी, पर नए कॉलेज में पुरानी परिचिता का मिल जाना अच्छा लगा था. बड़े स्नेह के साथ शशि पुरानी परिचिता नेहा को डिपार्टमेंट के साथियों से मिलाने ले गई थी. शशि, के साथ नेहा को आते देख कर सारे लड़के उसका परिचय जानने को नेहा के चारों ओर घिर आए थे, पर सफ़ेद कमीज़-पैन्ट वाला वह लड़का सारे शोरगुल से उदासीन कम्प्यूटर में आँखें गडाए बैठा था. हमेशा से नेहा ने अपनी सुन्दरता पर लड़कों को आहें भरते देखा था. कोई नेहा की उपस्थिति को यूं नकार दे, उसके लिए यह नया अनुभव था. उसकी उदासीनता नेहा को अपना अपमान लगा था. उस युवक के  पास जा कर उसने पूछा था-

क्या आपको मेरा परिचय नहीं चाहिए?”

जितना सुना, काफी है.कंप्यूटर से नज़र उठाए बिना उसका जवाब मिला था.

आपके यहाँ अगर कोई नया मेहमान आए तो क्या उसका ऐसे ही स्वागत करते हैं?”

यह तो मेहमान पर निर्भर करता है. क्लास में नए-पुराने सब साथी होते हैं, मेहमान नहीं. ज़रूरी काम पूरा करना हैकुछेक पलों को नेहा पर नज़र डाल फिर उसने कम्प्यूटर में सिर गड़ा लिया.
वैसे एक नए साथी पर नज़र डाले बिना उसे पहचानेंगे कैसे?” नेहा हार मानने वाली नहीं थी.

अपरिचय से मेरी मित्रता है. परिचय बढ़ाने की चाह नहीं, प्लीज़ मुझे डिस्टर्ब मत कीजिए.

कमाल है, आपकी नई साथिन हूँ, क्या मेरे लिए एक मिनट का समय भी नहीं दे सकते?” उसके रूखे व्यवहार से चिढ कर नेहा जिद पर उतर आई थी. अपमान से पागल सी हो गई थी.

आपसे कहा ना, एक ज़रूरी काम कर रहा हूं, आपके परिचय से ज़्यादा महत्वपूर्ण इस कार्य को पूरा करना है. वैसे भी बाहर बहुत से साथी आपका इंतज़ार कर रहे हैं, यहाँ खडी हो कर प्लीज़ मुझे डिस्टर्ब मत कीजिए.राम ने रुखाई से कहा.”

अपने उस अपमान अवज्ञा ने नेहा को तिलमिला दिया. मुख्य मंत्री के चीफ सेक्रेटरी की इकलौती सुन्दर बेटी से उसके माँ-पापा तक ने कभी ऊंची आवाज़ में बात नही की है, क्या समझता है ये अपने को, एक दिन इसका गर्व चूर-चूर ना किया तो मेरा नाम नेहा नहीं. मन ही मन में प्रतिज्ञा कर डाली थी. उसके जिद्दी स्वभाव को घर-बाहर सब जानते थे, हमेशा जो निश्चय किया पूरा कर के ही चैन लिया. राम को घमंडी कहने पर शशि ने समझाया भी था 

नेहा, राम घमंडी नहीं बल्कि उसकी परिस्थितियों ने उसे गंभीर बना दिया है. वह ज़रूर विभागाध्यक्ष  का कोई कोई महत्वपूर्ण काम कर रहा होगा, सारे प्रोफ़ेसर और सब साथी उसे प्यार करते हैं. उसने कभी किसी लड़की को लड़की की तरह देखा ही नहीं, उसके लिए हम सब बस उसके साथी हैं, वह ना किसी का घनिष्ठ मित्र है ना ही किसी का दुश्मन

अरे तू इन लड़कों को नहीं जानती. अपने को सबसे अलग दिखा कर हीरो बनना चाहते हैं. मैने न जाने कितने राम जैसे लड़कों को अपने पीछे दीवाना बनते देखा  है, एक दिन इसे अपने पीछे पागल ना बनाया तो मेरा नाम नेहा नहीं.क्रोध में नेहा ने प्रतिज्ञा कर डाली.

तू हार जाएगी, नेहा. मेरी बात मान, राम एक सच्चा, मेधावी, सरल ह्रदय वाला युवक है. सबकी सहायता करने में वह प्रसन्नता का अनुभव करता है, बदले में कोई चाह नहीं रखता. वह दूसरों से बहुत अलग है, इसीलिए सब उसे प्यार करते हैं. तू खुद देख लेगी, हेड उस पर कितना विश्वास रखते हैं. प्लीज राम को हराने की जिद मत कर वरना पछताएगी.

काश शशि की बात समझ पाती, पर नेहा पर तो अपने अपमान का बदला लेने का जुनून सवार था. कोई उसका ऐसे अपमान कर सकता था, इस बारे में तो सपने में भी नहीं सोच सकती थी. दो-तीन दिन बाद फिर राम के पास गई थी, क्लास में वह हमेशा अकेला ही बैठता था, उसके पास खाली जगह देख कर पूछा था,

आपके पास बैठ सकती हूँ?”

अगर कहीं और जगह नहीं है तो बैठ जाइए.इतना कह कर, अपना लैप टॉप उठा कर वह दूसरी बेंच पर चला गया.

अरे वाह, मेनका का जादू भी हमारे विश्वामित्र पर नहीं चला.सबकी हंसी ने नेहा को तिलमिला दिया.

लड़कों की हँसी से नेहा पागल हो उठी. ऐसा अपमान कैसे सह सकूंगी. नहीं उसे इस अपमान का बदला चुकाना ही होगा. उसे नीचा दिखाने की उसी दिन दूसरी बार फिर प्रतिज्ञा कर डाली. इस विश्वामित्र को अपने पैरों पर ना झुकाया तो मेरा नाम नेहा नहीं.

क्या राम के लिए नेहा की वो नफरत थी या प्यार की पहल? उसके पहले किसी ने नेहा की ऐसी अवहेलना नहीं की थी. अपने पहले के अनुभवों से वह जानती थी किसी भी पुरुष को अपने पैरों पर झुकाने के लिए बस उसके अहं को बढ़ावा देकर, उसके अन्दर के सोए पुरुष को जगाना होता है. एक दिन राम को अकेला देख कर भोलेपन से राम से क्षमा मागी थी-

 माफ़ कीजिएगा, आपको अनजाने ही डिस्टर्ब करती रही. असल में मै आपकी तरह कम्प्यूटर की प्रोजेक्ट और प्रेजेंटेशन में अच्छी नहीं हूँ सोचा आपकी हेल्प से काम जल्दी कर सकूंगी, आप जीनियस जो ठहरे,”

मै कोई जीनियस नहीं आपका साथी हूँ, आपको जब भी मेरी हेल्प चाहिए ज़रूर करूंगा, साथी होने की वजह से ये तो मेरा फ़र्ज़ है.गंभीरता से राम ने कहा था.

नेहा की बातों पर विश्वास कर, उदार राम नेहा को हिम्मत रखने और मेहनत करने को उत्साहित करता. नेहा जानती थी, उसकी कमजोरी से राम को सहानुभूति होती, उसका सुप्त पुरुष नेहा की मदद कर के संतुष्ट होता था. नेहा जानती थी, किसी लड़की द्वारा की गई प्रशंसा पुरुष के अहं को तुष्ट करती है. इसीलिए उसकी हर बात को मुग्ध भाव से सराहती.

एक बात बताऊँ राम, मुझे सफ़ेद रंग पसंद नहीं था, पर तुम्हारे व्यक्तित्व से इन सफ़ेद कपड़ों का मूल्य बढ़ जाता है.यह सच था राम का तेजस्वी व्यक्तित्व सफ़ेद वस्त्रों में और भी निखर आता था.

 ये तो बाद में शशि से पता चला था, पिता की आकस्मिक मृत्यु के बाद उसकी माँ ने बड़ी कठिनाइयों से उसे पाला है. उसके पास बस दो या तीन जोडी सफ़ेद कपडे ही थे, इस कारण उसके कपड़ों की गिनती नहीं की जा सकती थी. वैसे भी राम ने अपना कम्प्यूटर का ज्ञान बढाने के समक्ष कब अपने कपड़ों पर ध्यान दिया था?

सेमेस्टर के बाद कॉलेज के विद्यार्थी पिकनिक पर जाने को उत्साहित थे. सब नेहा के साथ को लालायित थे, पर उस दिन नेहा के एक अंकल बाहर के शहर से नेहा से मिलने आने वाले थे. उनकी प्रतीक्षा के कारण नेहा पिकनिक में नहीं गई, पर उसने अपनी इस बात का लाभ उठाया. नेहा को पता था, राम ऐसे कार्यक्रमों में नहीं जाता था. लाइब्रेरी में बैठे राम से मिल कर यही कहा था,

सब साथी पिकनिक के लिए गए हैं, अगर तुम जाते तो मै ज़रूर जाती, उस दिन पहली बार राम ने गंभीरता से कहा था-

 मै तुम्हारी मित्रता के योग्य नहीं हूँ, तुम्हारे साथ मित्रता के लिए दूसरे बहुत से लड़के उत्सुक हैं.

 ये बात क्या नेहा से छिपी थी, पर राम से यही कहा था,

जिन लड़कों से मेरी मित्रता की बात तुम कर रहे हो, उनके लिए लड़की से मित्रता और उससे लाभ उठाना बस खेल होता है. कोई भी समझदार लड़की एक ऐसा जीवन साथी चाहती है, जो सच्चा और गंभीर हो, अपनी मेधा के बल पर आकाशीय ऊंचाइयां छू सके. जिसके पास धन ना हो, पर प्यार की अगाध संपत्ति हो.

उस समय इतना बड़ा झूठ कैसे आसानी से बोल गई थी क्या जानती थी, उस दिन का बोला झूठ एक दिन उसके जीवन का सत्य बन जाएगा.

ऎसी बातें सिर्फ किताबों में या फिल्मों में होती हैं, वास्तविक जीवन में लडकियां ऊंचे पद वाला धनी जीवन साथी ही चाहती हैं.राम ने अपने अनुभव से कहा.

शायद तुम्हारा किसी ऎसी लड़की के साथ इस तरह का अनुभव रहा हो, पर मेरी सोच दूसरी है. एक बात कहना चाह रही हूँ, जब से तुमसे मिली हूँ मुझे ऐसा लगता है, मेरा स्वप्न-पुरुष भी कोई तुम जैसा विशिष्ट युवक ही हो सकता है. तुम सबसे कितने अलग हो.नेहा ने मीठी आवाज़ में कहा था.

 उस दिन के बाद से राम की नज़रें कुछ बोलने लगी थीं, राम नेहा के साथ सहज हो चला था. नेहा भी राम के सानिध्य में अपने को बहुत सुरक्षित महसूस करती थी. अभी तक उसे अपने आसपास मंडराने वाले युवकों का ही अनुभव था जो उसके सौन्दर्य के दीवाने होते. उसे खुश करने के तरीके अपनाते, पर राम उन सबसे कितना अलग था. नेहा की मदद करते समय उसकी मेधा नेहा को मुग्ध कर जाती, कितनी आसानी से वह बड़ी से बड़ी समस्या का कुछ क्षणों में समाधान कर जाता. सच्चे दिल से वह नेहा की सहायता करता. नेहा को एक सफल विद्यार्थी के रूप में आगे बढ़ने को उत्साहित करता.

नेहा राम के साथ वाली बेंच पर बैठने लगी थी. साथियों के व्यंग्य उन्हें परेशान नहीं करते. कोई भी समस्या आने पर राम की मदद से नेहा आसानी से समस्या का समाधान कर लेती. राम नेहा की सहायता करके साथी होने का फ़र्ज़ सच्चे दिल से निभाता था. राम के साथ समय व्यतीत करना नेहा को अच्छा लगने लगा था. भविष्य के चमकीले सपने देखने की जगह यथार्थ की कठोर भूमि पर जीते हुए, आत्मविश्वास से चमकता राम का चेहरा नेहा को मुग्ध कर जाता. उसकी मेधा नेहा को विस्मित करती .वह भूल गई इसी राम ने कभी उसकी अवज्ञा की थी, और नेहा ने उस अपमान का बदला लेने उसे अपने पैरों पर झुकाने की प्रतिज्ञा की थी.

राम का साथ नेहा को प्रिय लगता. वह जानती थी साथ के बहुत से युवक उसके साथ मित्रता करने के कई तरह के तरीके आजमाते,पर अब नेहा को जैसे किसी की ज़रुरत ही नहीं रह गई थी. राम के निश्छल स्वभाव के पारस ने जैसे नेहा को बदल दिया था. नेहा स्वयं अपने इस परिवर्तन को लक्ष्य कहाँ कर सकी थी? खाली समय में दोनों अपने अनुभव शेयर करते. कभी- कभी अपने बचपन की शैतानियाँ सुनाता राम जैसे बच्चा बन जाता. उसकी बातें नेहा को हंसा जातीं. राम का दुखद अतीत सुनती नेहा की आँखें भर आतीं. राम की वृद्धा माँ गाँव में अपने भाई के साथ रहती थी. अपनी माँ को सुखी बनाना राम का संकल्प था. नेहा सोचती, उतने कष्टों में राम कैसे इतना मेधावी बन सका.

 राम अगर तुम्हारी जगह मै होती तो परिस्थितियों के आगे हार मान जाती और कुछ नहीं कर पाती.

नहीं ऐसा कभी नहीं होता वरना हम दोनों कैसे मिल पाते?” राम ने पहली बार मज़ाक किया.

 अच्छा तो जनाब मज़ाक भी कर सकते हैं.नेहा हंस रही थी.

अब दोनों जैसे एक- दूसरे के पूरक जैसे बन गए थे. कॉलेज खत्म होने के बाद अक्सर पास के पार्क में कुछ देर के लिए रुक जाते. नेहा के आग्रह के बावजूद राम ने कभी रेस्तरा में जाने की उसकी कोई बात स्वीकार नहीं की. अपनी वास्तविकता से वह परिचित था. ट्यूशन और स्कॉलरशिप से मिलने वाले पैसे वह ऐसे शौक पर खर्च नहीं कर सकता था.

एक दिन अचानक पार्क से बाहर आते हुए नेहा का पैर एक पत्थर पर पड़ गया. नेहा का पैर मुड़  गया दर्द से नेहा की आँखों से आंसू बह निकले. राम व्याकुल हो उठा. नेहा को खडा हो पाना कठिन था बिना कुछ सोचे राम नेहा को गोद में उठा, उसे पास की डिस्पेंसरी में भागता सा ले गया.

नेहा के पैर को एक्जामिन कर डॉक्टर ने एक पेन- किलर टैबलेट और मरहम दे कर क्रेप बैंडेज पैर पर लपेट कर कहा-

घबराने की कोई बात नहीं है, मामूली मोच है, दो दिन में ठीक हो जाएगी.

. दूसरे दिन कॉलेज में नेहा की अनुपस्थिति का समय काट पाना राम को कठिन लग रहा था  वह समझ नहीं पा रहा था उसे क्यों ऎसी बेचैनी हो रही थी. बहुत सोचने के बाद जो समझ सका वह असंभव ही था. नहीं, नेहा को पा सकने का वह सपना भी नहीं देख सकता. उसे अपने मन पर नियंत्रण रखना होगा, पर क्यों उसकी अनुपस्थिति उसे व्याकुल कर रही थी?.

वापिस आई नेहा को देख राम खिल उठा, अपनी सोच का जवाब उसे नेहा से ही लेना होगा.

कैसी हो नेहा, अब दर्द तो नहीं है? ” राम की आवाज़ में कंसर्न था.

थैंक्स राम, तुम्हारी कृपा से लंगडी होने से बच गई वरना मेरी शादी भी नहीं हो पाती,” ऐसा क्यों कहती हो, अगर तुम्हें कोई सच्चा प्यार करने वाला इंसान मिले जिस के पास सिर्फ मेधा और योग्यता हो जिसे तुम्हारे अलावा और कुछ नहीं चाहिए तो?”राम ने सवाल किया.                                                           

तो उसे ही अपना जीवन साथी बनाना चाहूंगी. उसकी बात अधूरी काट कर जवाब दिया था.

 ठीक है, तुम्हारी इच्छा पूरी होने में कोई बाधा कहाँ है, जो चाहोगी मिलेगा.राम मुस्कुराया था..

 राम कम्प्यूटर विभाग से एम् एस कर के प्रोफ़ेसर बनना चाहता था. हेड उसे कम्प्यूटर का जीनियस कहते थे, पर नेहा  ने उसे प्रशासनिक सेवा में जाने की सलाह दी थी. उससे कहा था,

 असल में राम तुम जैसे इंटेलिजेंट और ईमानदार इंसान प्रशासनिक सेवा में जा कर समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों को समाप्त कर देश में सुधार ला सकते हैं,”अपने मन की बात नेहा ने कही थी.

तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो, नेहा? सच कहूं तो अब भी यकीन नहीं होता तुम जैसी लड़की मुझ जैसे साधारण इंसान को इतना महान बना सकती है. डरता हूँ कहीं ये सपना टूट ना जाए. अपनी ज़िन्दगी की सच्चाई जानता हू.राम गंभीर था.

तुम्हें नहीं पता तुम क्या हो, तुम किसी भी लड़की का सपना हो सकते हो.” सच्चाई से नेहा ने कहा.

मुझ पर इतना भरोसा है, नेहा. सच अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं होता. तुम्हारा सपना पूरा करना ही अब मेरे जीवन का लक्ष्य है.कभी मेरा साथ तो नहीं छोडोगी, नेहा?”प्यार भारी नज़र से राम ने पूछा.

कभी नहीं, तुम्हारे साथ अपने को पहिचान सकी हूँ, राम.नेहा ने दृढ़ता से कहा.

“मेरे बारे में जान कर क्या तुम्हारे पेरेंट्स मुझे स्वीकार कर सकेंगे, नेहा? हम दोनों के बीच ज़मीन आसमान का अंतर है,नेहा. कभी सोचता हूँ, तुम्हें इतना ना चाहा होता ---”

“ठीक कहते हो, हम दोनों में अंतर तो ज़रूर है. तुम इतने बुद्धिमान हो ,तुम्हारी मेधा के आगे मै तो शून्य हूँ. जानते हो मैने अपने मम्मी-पापा को हम दोनों के प्यार के बारे में सब कुछ बता दिया है. उनसे कह दिया है, तुम्हारे अलावा किसी और के साथ विवाह नहीं करूंगी, यह मेरा दृढ निश्चय है.”

“तुम ठीक कह रही हो, हम दोनों एक-दूसरे के इतने करीब आ चुके हैं कि अब हमें अपने विवाह का फैसला कर लेना चाहिए. मेरा वादा है, जब तक प्रशासनिक सेवा में सफल नहीं हो जाता हमारा विवाह स्थगित रहेगा. इस बार एक्जाम दे रहा हूँ, मुझे विश्वास है मै सफल रहूँगा. तुम मुझे इसी रूप में तो देखना चाहती थीं ना?.”बहुत प्यार और विश्वास से राम ने कहा था.

“मुझे भी उसी दिन का इंतज़ार है, राम.”

अगर ऐसा है तो कल ग्रैंड पार्टी की शाम है, वैसे तो मै ऎसी पार्टीज़ में नहीं जाता, पर कल स्पेशल दिन है, पार्टी में ज़रूर आऊँगा.  पार्टी के खुशनुमा माहौल में तुम्हें एक सरप्राइज़ देना है. प्यार से राम ने कहा.

सरप्राइज़ के लिए तो आज की रात काटनी कठिन होगी. कल पार्टी में आना ही पड़ेगा.मुस्कुराती नेहा ने कहा. 

.पिछले कुछ दिनों से राम उससे कुछ कहना चाहता था. वैसे दोनों ही आजीवन साथ निभाने की बातें करते थे. नेहा समझ गई आज राम उसे प्रोपोज करने वाला था. यही उसका सरप्राइज होगा.नेहा भूल चुकी थी, जिस राम को अपमानित करने का उसने निश्चय किया था, कब अनजाने ही वह उस राम की तीव्र मेधा, सादगी और सच्चाई के मोहपाश में बंध चुकी थी. अब वह जान चुकी थी कि राम से उसे सच्चा प्यार होगया था. राम जैसा मेधावी और सच्चा प्यार करने वाला जीवन साथी मिलना सौभाग्य ही था. राम के सिवा अब वह किसी और के विषय में सोच भी नहीं सकती.

नेहा से बात कर के राम अपने घर की तरफ जा रहा था कि कॉलेज के गार्ड ने आकर राम से कहा-

“राम भैया जी आपको सामने वाले होटल में बुलाया गया है. वहां आपसे मिलने के लिए कोई आए हैं.”

“तुमसे गलती होरही है, उस होटल में किसी और को बुलाया गया होगा.”

“नहीं भैया जी, ये देखिए कागज़ पर आपका ही तो नाम है.” राम ने देखा कागज़ पर उसका नाम और कॉलेज का नाम लिखा हुआ था. असमंजस की स्थिति में राम ने होटल की तरफ कदम बढाए थे.

राम को देखते ही होटल के मैनेजर ने उसके स्वागत में कहा-

“आप चीफ सेक्रेटरी साहब के परिचित हैं, हमें तो पता ही नहीं था, सामने वाले वी आई पी रूम में शर्मा जी और मिसेज शर्मा आपका इंतज़ार कर रहे हैं. वेटर, राम साहब को उनके कमरे तक पहुंचा आओ.”

कमरे में प्रविष्ट होते राम ने सोफे पर एक दबंग व्यक्तित्व वाले पुरुष और उनकी पत्नी को विस्मय से देखा. संस्कारवश राम उनके चरण-स्पर्श के लिए झुकने लगा तो शर्मा जी ने कठोर स्वर में कहा-

“इस एक्टिंग की ज़रुरत नहीं है.यही सब कर के जाल फैलाया है.”

“जी, मै समझा नहीं. आपका परिचय जान सकता हूँ?”

“तुम्हारी औकात ही कहाँ जो हमें जान सको, इतना समझ लो, अगर तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आए तो ज़िंदगी से हाथ धो बैठोगे. तुम जैसों का किसी अमीर लड़की को फंसा कर एक बार में अमीर बन जाने का सपना अच्छी तरह से समझता हूँ. मेरी भोली-भाली बेटी नेहा को अपनी बातों में बहका कर क्या सोचा था, तुम अपने षणयंत्र में जीत जाओगे.”

“नहीं सर, यह सच नहीं है. नेहा और मै, हम दोनों सच्चे ह्रदय से एक-दूसरे को चाहते हैं. आज ही नेहा ने मुझे बताया कि उसने आपसे कहा है ,वह मेरे अलावा किसी और के साथ विवाह नहीं करेगी.” शान्ति से राम ने अपनी बात कहानी चाही.

“होश में रहो, कहाँ गंवई गाँव का एक मामूली इंसान, कहाँ वह महलों में पली एक राजकुमारी. जानते हो दो सप्ताह बाद उसका विवाह लन्दन में पोस्टेड आई एफ़ एस के साथ होने जारहा है. अगर अपनी और अपनी माँ की सलामती चाहते हो तो खबरदार जो तुमने नेहा से हमारी इस मुलाक़ात के बारे में एक शब्द भी कहा.”

“‘आपको बताना चाहूंगा सर, भले ही मै गाँव से हूँ, पर कॉलेज में सब मेरी मेधा और चरित्र का आदर करते हैं. आपकी जानकारी के लिए भैने नेहा से वादा किया है, आई ए एस एक्जाम में क्वालीफाई करने के बाद ही नेहा से विवाह करूंगा. आपसे निवेदन है, हमें अलग मत कीजिए, बस कुछ समय प्रतीक्षा करनी है.”राम ने अनुरोध किया.

“वाह क्या बात है, ये मुंह और मसूर की दाल? तुम्हारा ये सपना पूरा हो या न हो, पर वादा करो, तुम नेहा से आज के बाद कभी नहीं मिलोगे. उससे न मिल पाने का कोई भी बहाना चलेगा. आखिर प्यार का नाटक करने के लिए भी तो बातें बनाई ही होंगी. खबरदार जो कल की पार्टी में दिखाई दिए. कल पार्टी के बाद हम नेहा को अपने साथ ले जाएंगे.”

“नहीं, सर ऐसा मत कीजिए. आप मेरे हेड से मेरे बारे में पूछ लीजिए, वह मेरी सच्चाई बता सकते हैं, मुझे यकीन है, हर परीक्षा की तरह इस वर्ष भी कम्प्यूटर सांइंस की परीक्षा में मै ही टॉप करूंगा. प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सफलता भी निश्चित है. नेहा को भी मुझ पर पूरा विश्वास है.”

“बस बहुत सुन लीं तुम्हारी बातें अब एक शब्द भी नहीं. इतना याद रखो, आज इसी वक्त तुम अपने गाँव जा रहे हो, तुम्हारी माँ सख्त बीमार है.यही बात तुम्हारे कॉलेज का गार्ड नेहा को बताएगा.हाँ तुम्हें गाँव तक टैक्सी से जाने का किराया भी टैक्सी ड्राइवर को दिया जा चुका है. साथ में एक पैकेट में राह-खर्च के लिए तुम्हारी उम्मीद से ज़्यादा पैसे है.”

“माफ़ कीजिए अब और अपमान सहन करने की शक्ति नहीं है. शायद एक दिन आप समझ सकें आप कितने गलत थे. पैसे या पोजीशन से इंसान बड़ा नहीं होता बल्कि उसका उदार चरित्र और स्नेही मन  जो सच्चे प्यार को समझने की क्षमता रखता हो, उसे बड़ा बनाता है.“

अपनी बात कहता राम तेज़ी से कमरे से बाहर चला गया.मन में झंझावात चल रहा था, यह क्या होगया? क्या नेहा यह सह पाएगी, पर नेहा से कुछ कहने , बात करने का भी अधिकार छीन लिया गया था. मिस्टर शर्मा की माँ को लेकर चेतावनी को वह सच नहीं होने दे सकता. काश वह जाने के पहले एक बार नेहा से मिल पाता. कल पार्टी में वह नेहा को सरप्राइज़ देने वाला था, पर आज का यह सरप्राइज़ क्या वह सह पाएगी? एक घंटे में उसे गाँव ले जाने के लिए टैक्सी आने वाली है.उसे न देख नेहा पर क्या बीतेगी?

होटल में माँ और पापा को देख नेहा विस्मित थी, पर माँ ने उसे बताया –

“तुम्हारे पापा को प्रिंसिपल साहब ने ख़ास तौर पर मुख्य अतिथि के रूप में कल की पार्टी के लिए बुलाया है. हमने भी सोचा, अपनी बेटी के कॉलेज का लास्ट प्रोग्राम अटेंड कर ही लें.”

“यह तो बहुत अच्छा हुआ मम्मी, कल तुम और  पापा राम से भी मिल लोगे, उससे मिल कर तुम्हें बहुत खुशी होगी.”नेहा के चेहरे पर खुशी की चमक थी.

दूसरी शाम इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी पार्टी के लिए हॉल में जमा थे .पूरा हॉल विद्युत् लड़ियों से सजाया गया था. म्यूजिक के साथ ड्रिंक्स और तरह-तरह के व्यंजन माहौल को खुशनुमा बना रहे थे. अब इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद सबके अलग-अलग इरादे थे, कुछ आगे मास्टर्स करने की सोच रहे थे तो कुछ कहीं नौकरी खोजने वाले थे.

रंगीन कपड़ों में सज्जित लडकियां लड़कों के आकर्षण का ख़ास कारण थीं. उन सबमें नेहा सबसे अलग चमक रही थी. सुन्दरता के साथ उसकी अदाएं भी बेहद मोहक होतीं. उसकी हर बात पर लड़के मुग्ध रह जाते. सच तो यह है जिस दिन उसने मुम्बई से आकर उनके साथ चतुर्थ वर्ष में प्रवेश लिया था तो लड़कों की जैसे दुनिया ही सुनहरी हो उठी थी. उसे ले कर सब सपने देखते. एक बस राम ही था जो शुरू में उनकी बातों से निर्लिप्त अपने में सिमटा रहता. उसका ना कोई दोस्त था ना कोई दुश्मन, हाँ हर परीक्षा में प्रथम स्थान उसके नाम ही होता.

अब पार्टी जोरों पर आ गई थी. गीतों की धुन पर डांस होना स्वाभाविक ही था नेहा बेचैनी से दरवाज़े को देख रही थी, अब तक राम क्यों नहीं आया? उसके सरप्राइज़ के लिए वह बेचैन थी.आज मम्मी –पापा भी राम से मिल लेंगे. तभी बाहर से आए अमर ने नेहा के पास आकर उसे बताया-

“राम की माँ बहुत बीमार है. खबर मिलते ही राम तुरंत गाँव चला गया है. तुमसे  नहीं मिल सका.”

“नहीं, ये नहीं हो सकता. जाने के पहले एक मिनट को ही मिल जाता.”नेहा का मूड खराब होगया.सारे उत्साह पर पानी फिर गया. अब वह राम से कब और कैसे मिल सकेगी. पापा ने कल ही बता दिया था नेहा उनके साथ घर वापिस जारही है, उनके साथ उसका टिकट भी फ्लाइट से बुक हो चुका है.राम कब लौटेगा , कुछ पता नहीं. भारी मन से नेहा को जाना ही होगा.                                                             

दो माह बाद गाँव से लौटा राम दूसरा ही राम था. गंभीर मुख पर शान्ति के साथ दृढ़ता थी. जैसा कि प्रत्याशित था, राम को परीक्षा में प्रथम स्थान मिला था. हेड ने राम को बधाई दे कर कहा था-

“उम्मीद करता हूँ तुम मास्टर्स में एडमीशन लोगे. टॉपर के रूप में स्कॉलरशिप भी मिलेगी.”

“धन्यवाद सर, पर इस वर्ष मै प्रशासनिक सेवा की तैयारी करना चाहता हूँ, अगर आप मेरी मदद करदें  तो फर्स्ट इयर के स्टूडेंट्स की कुछ क्लासेज़ दे दीजिए, उसके बदले में आप जो भी देंगे उससे माँ की देख-रेख कर सकूंगा.”गंभीरता से राम ने कहा.

“यह तो बहुत अच्छा सुझाव है, तुम्हारे ज्ञान से स्टूडेंट्स का भला होगा, पर तुम तो कम्प्यूटर जीनियस हो, फिर प्रशासनिक सेवा के लिए क्यों जाना चाहते हो?’  पिंसिपल विस्मित थे.

“मुझे विश्वास है, मेरा कम्प्यूटर- ज्ञान प्रशासनिक कार्यों में भी मेरा सहायक होगा, सर..”

“तुम्हारी योग्यता पर मझे गर्व है, तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी.”

गाँव पहुंचने के दो सप्ताह बाद राम के नाम नेहा के विवाह का निमंत्रण-पत्र मिला था. स्तब्ध राम के लिए जैसे सब कुछ समाप्त हो गया. न जाने क्यों मन में आशा का नन्हां सा अंकुर उभर आता, शायद नेहा ने विरोध कर विवाह न किया हो?कुछ देर बाद उसने अपने को समझाया था, नेहा और उसके मिलन में बाधा उसके पेरेंट्स थे, वह जानता है, नेहा जैसी कोमल लडकी अपने माँ-बाप के सामने कैसे विद्रोह कर सकती है. जो भी हो, नेहा ने राम से एक ही बात चाही थी कि वह प्रशासनिक सेवा में जाए और देश के लिए कार्य करे राम का दृढ़ निश्चय था नेहा का यह सपना ,उसे पूरा करना ही होगा. सवेरे फर्स्ट इयर के क्लासेज़ लेने के बाद राम अपनी पढाई करता था. नेहा जैसे उसकी प्रेरणा बन गई थी.

एक वर्ष का समय बीत गया. कई बार राम लन्दन में रह रही नेहा से बात करने की सोचता, पर अब वह पराई अमानत थी,राम की नेहा नहीं, अब उसके जीवन में दखलंदाजी करना अनुचित है. वह सच्चे मन से उसकी सुख-शान्ति की प्रार्थना करता. कभी मन में आता क्या उतने सुख ऐश्वर्य में नेहा अब भी उसे याद करती होगी? तुरंत ही अपने ख्यालों को झटक वह कुछ और करने लगता.

सवेरे का न्यूज़ पेपर देख मिस्टर शर्मा ने पत्नी को आवाज़ दी थी-

“रागिनी, आई ए एस एक्जाम्स  के रिज़ल्ट आगए हैं, तुम्हारे भाई के बेटे ने भी तो एक्जाम दिया है.” “हाँ- हाँ ज़रा देखिए, नरेश ने ज़रूर क्वालीफाई किया होगा.” मिसेज़ शर्मा उत्सुकता से भागी आईं. “

“देखें कहीं तुम्हारा नरेश आई एफ़ एस में तो नहीं सेलेक्ट हुआ है” मिस्टर शर्मा ने पत्नी से मज़ाक किया.

अचानक सफल  प्रत्याशितों की सूची देखते मिस्टर शर्मा के चेहरे का रंग उड़ गया.

“रागिनी, हम नेहा के साथी जिस राम से मिले थे, उसका पूरा नाम राम मिश्रा ही था न?”

“जी हाँ, पर इस समय आपको उसका नाम क्यों याद आगया?”

“क्योंकि वही राम आई एफ़ एस की सूची में पहले नंबर पर है., हमसे कितनी बड़ी गलती हो गई.”

“सच, हमने उसका कितना अपमान किया, नेहा कितना रोती रही,पर हमने उसकी एक भी नहीं सुनी. जानती हूँ, वह अपने को किसी तरह से ऐडजस्ट कर रही है. मैने उसे अपनी कसम दी है कि भूल कर भी राम का नाम न ले, पर जानती हूँ, वह राम को आसानी से नहीं नहीं भुला सकेगी.”

“हम राम के अपराधी हैं, उससे क्षमा तो मांगनी ही होगी.हमने हीरे को कांच समझा.”

कॉलेज के प्रिंसिपल के रूम में अपने लिए फोन सुन कर राम विस्मित था. दूसरी तरफ से मिस्टर शर्मा की क्षमा याचना का स्वर था’

“राम मिश्रा जी, मै नेहा का पापा, आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ. अनजाने में जो अपराध होगया,क्या आप अपने उदार ह्रदय से हमें क्षमा कर सकेंगे?”

“मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे पिता समान हैं, आप  क्षमा नहीं मांगें, आशीर्वाद दीजिए.”          

“एक बार यह भी नहीं पूछोगे, नेहा कैसी है?”

“अपने घर में वह सुखी रहे, यही कामना है और कुछ जानने का अधिकारी नहीं हूँ” शांत उत्तर था.

‘’तुम नंबर वन पोजीशन पर हो, किस कंट्री में पोस्टिंग लोगे?”

“ अपने देश भारत में ही पोस्टिंग लूंगा, विदेश तो पराया होगा.”अचानक राम चुप हो गया.”

“माना इंडिया तुम्हारा अपना देश है, पर क्या नए देश देखने की इच्छा न होने का कोई ख़ास कारण है?”

“ मेरी यही चाहत है.विदेश में यहाँ की यादें पीछा नहीं छोड़ेंगी, यहाँ उन्हीं यादों के साथ जीऊँगा.”

“एक बात जानना चाहता हूँ तुमने अपनी कम्प्यूटर की फील्ड छोड़ कर प्रशासन का क्षेत्र क्यों चुना?”

“बस यही एक बात तो उसने मुझसे चाही थी। उसके सपने के साथ किया वादा कैसे तोड़ सकता हूँ।जैसे राम अचानक कह गया.

“किसकी बात कह रहे हो, क्या नेहा ने ---“

उत्तर देने के पहले फोन काट दिया गया था.

 

 

 

 

 

 

8 comments:

  1. अच्छा लेख, धन्यवाद आपने अच्छी कहानी साझा की

    आप यहां सुरेश रैना की जीवनी पढ़ सकते हैं


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  2. गुड बहुत अच्छा लिखा है

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  3. आपने सच में सपनो के बारे मे अच्छे से समझाया है

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  4. आप ने साइट को अच्छी कर कस्टमाइज कर रहा है और आर्टिकल सुन्दर तरीके से लिखा हे

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