आर्यसमाजी विचारधारा से प्रभावित
मास्टर रामनाथ जी
लड़कियों की शिक्षा
और उनकी स्वतन्त्रता
के समर्थक थे।
बड़ी बेटी गीता
उनकी आशा की केंद्र थी।
हर परीक्षा मे
प्रथम स्थान पाकर
गीता अब एम एस सी
फाइनल की परीक्षा
में भी प्रथम
आने को प्रयासरत
थी। गीता का भाई नीरज
अभी बी ए का विद्यार्थी
था। पिता द्वारा
गीता के साहस और उसके
हर निर्णय को
स्वीकार करने के कारण माँ
की दृष्टि में
गीता को बिगाड़ने
के लिए उसके पिता
ही जिम्मेदार थे।
अपने पापा की तरह ही
गीता न्यायपूर्ण निर्णय
लेते समय डरती
नहीं थी।
“आज
ज़रूर तेज़ वर्षा
होगी, साइकिल से
यूनीवर्सिटी जाने पर
भीग जाएगी। आज
रिक्शा में जाना
ठीक होगा।“
उस दिन
घने काले बादल
देख कर गीता की माँ
ने कहा था।
“घबराओ
नहीं माँ, ऐसे
काले कजरारे बादलों
के साथ साइकिल
से होड़ लगाने
में ही तो मज़ा है।“
“जो
चाहें कर, बीमार
होगी तो मुझे ही देखना
होगा।“
माँ ने हथियार
डाल दिए।
यूनीवर्सिटी में साइकिल
से जाने वाली
दो-चार ही लड़कियां होती थीं।
शैतान लड़कों के
रिमार्क्स और
शरारतें सहने की हिम्मत सब
में कहाँ होती
है। रीना उन साहसी लड़कियों
में से एक थी जो
साइकिल से जाती रही। पर
उस दिन माँ का कहा
सच हो गया। अचानक मूसलाधार
पानी के साथ रीना की
साइकिल का अगला पहिया पंकचर होगया. विवश रीना
साइकिल से उतर कर उसे
खींचती हुई किसी
शेड की तलाश कर रही
थी कि अचानक
एक कार रीना
के पास आकार
रुक गई। कार का शीशा
उतार कर ड्राइविंग
सीट पर बैठे युवक ने
नम्रता से अंग्रेजी
में पूछा था-
“कैन
आई हेल्प यू मिस? बहुत तेज़
बारिश हो रही है , आपको लिफ्ट
दे सकता हूँ।“
“नो थैंकस, हम मैनेज
कर लेंगे।“ रुखाई से
गीता ने जवाब दिया।
“इंसानियत
के नाते आपको
इस हाल में छोड़ कर
जाने पर मेरा कर्तव्य मुझे धिक्कारेगा
। विश्वास कीजिए
कोई ऐसा-वैसा
इंसान नहीं हूँ,
चाहिए तो मेरा आई डी
कार्ड देख लीजिए।“ अपनी बात खत्म
करता युवक कार
से बाहर आ गया।
“देखिए
आपसे कहा न, हमे आपकी मदद
नहीं चाहिए। क्यों
बेकार में पानी
में भीग रहे हैं?”
“इस
सूनसान सड़क पर आपको ऐसी
हालत में छोड़ कर नहीं
जा सकता। प्लीज़
अपनी ज़िद छोड़ कर मेरा
कहना मान लीजिए।“ कहते हुए युवक
ने गीता के हाथ से
साइकिल का हैंडल
छुड़ा कर साइकिल
को कार की पिछली सीट
पर किसी तरह
खड़ा कर के गीता को
कार की अगली सीट पर
बैठने को कहा था
“अब
शांति से कार में बैठ
जाइए, तमाशा करने
का मेरा कोई
इरादा नहीं है।
अपना पता बता दीजिए तो
आसानी होगी।“युवक ने
कार स्टार्ट की
थी।
“आपको
अपनी इस हरकत के लिए
परिणाम भुगतना होगा।
आप नही जानते
हम कौन हैं।
अगर हिम्मत है
तो पुलिस स्टेशन
चलिए।“
“कौन
से पुलिस स्टेशन
पर जाना पसंद
करेंगी?”
युवक के मुख पर शरारती
मुस्कान थी।
“जहां
आप जैसे इंसान
को सज़ा मिल सके। एक
बात बताइए, अगर
हमारी जगह कोई लड़का होता
तो क्या उसकी
भी ऐसे ही मदद करते?” गीता की आवाज़
में नाराजगी थी।
“बिलकुल
नहीं, क्योंकि आप
जिस हालत में
थीं अगर उसकी
जगह कोई लड़का
होता तो उसे कोई खतरा
नहीं होता। बाई
दी वे, आप परेशान ना
हों, मैं रजत कुमार हूँ,
अपना परिचय देना
चाहेंगी?”
“जी
नहीं, मेरा घर आ गया,
बस यहाँ कार
रोक दीजिए।“
“अरे,
आश्चर्य, यह कैसे
हो गया?, मुझे
तो आपके घर का पता
ही नहीं था,
पर मेरी कार
आपसे कैसे परिचित
थी?”
“आपकी
मदद के लिए थैंक्स, शायद आपको
याद नहीं आपसे
सीधी ही सड़क पर चलने
को कहा था, इसलिए अपनी
कार को मेरे घर का
पता बताने के
लिए झूठा श्रेय
मत दीजिए। एक
बार फिर धन्यवाद।“गीता ने शांति
से कहा।
“नो प्राबलेम, मेरे ख्याल
में आज हर लड़की को
आप जैसी साहसी
होना चाहिए। आपसे
मिल कर अच्छा
लगा। मेरा कार्ड
रख लीजिए, कभी
काम आ सकता है। “ अपना कार्ड
बढ़ाते रजत ने कहा।
“नहीं,
इसकी ज़रूरत नहीं
है, मुझे अनजान
लोगों से परिचय
बनाने का शौक नहीं है,
कृपया मेरी साइकिल
निकाल दीजिए।“ कार से
उतर गीता ने कहा.
कार से गीता की साइकिल निकाल, कर कार स्टार्ट कर के रजत चला गया। मन में आक्रोश था, ऐसी नकचढ़ी लड़की को तो पानी में भीगने ही देता। अपने को न जाने क्या
समझती है। काश मेरा कार्ड देख लेती तो
जानती मैं कोई ऐसा-वैसा लड़का नहीं हूँ, यहाँ के
अमेरिकन बैंक में सी ए हूँ। अब आगे से किसी लड़की की हेल्प नहीं करूंगा।
“देख लिया अपनी
मनमानी का नतीजा,
पूरी तरह भीग गई है।
मना किया था,
पर मेरी बात
तू क्यों सुनेगी।“ घर पहुंची गीता
को माँ की बातें सुननी
पड़ीं।
“सौरी
माँ, गलती हो गई। अब
अदरक की चाय बना दे
एकदम ठीक हो जाऊँगी। आगे से तेरा कहना
ज़रूर मानूँगी॥“
“ अरे
ये तेरी साइकिल
का पहिया पंकचर
हुआ दिखता है।
तू क्या इसे
ढो कर लाई है?’ माँ चिंतित
दिखी।
“नहीं
माँ एक इंसान
ने अपनी कार
से लिफ्ट दे
दी।“
“हे
भगवान कौन था वह इंसान,
भला हो उसका।
तेरी अक्ल क्या
मारी गई थी जो अंजान
इंसान की कार मे लिफ्ट ले
डाली। अगर कोई अनहोनी हो
जाती तो हम क्या करते?” माँ का चेहरा
भयभीत था।
“कुछ
हुआ तो नहीं,
और भूल गई, हम कराटे
चैंपियन हैं,” गर्व से
गीता बोली।
“रहने
दे, खराब समय
मे तेरे कराटे
क्या कर लेते?
भगवान को धन्यवाद
है तू सुरक्षित
घर आ गई । जाती
हूँ, तेरे लिए
चाय बनानी है
और ये भीगे कपड़े बदल
डाल वरना बुखार
हो जाएगा।“
चाय पीती गीता
सोच रही थी, शायद माँ
ठीक क़ह रही है, पर
उस, रजत कुमार
ने हाँ यही नाम बताया
था उसने, कैसे जबरन
उसे अपनी कार
में बैठने को
विवश किया था।
उसके कराटे कहाँ
काम आए थे? शायद उस
रजत कुमार को
समझने में गीता
से गलती हों
गई, पर अनजान
इंसान पर कैसे भरोसा किया
जा सकता है।
अपना कार्ड देना
चाहता था, पर उसे लेकर
गीता क्या करती,
उसके साथ कौन सा परिचय
बढ़ाना था। अपनी
सोच झटक गीता
ने अपनी किताब
खोल ली।
”ये क्या तू तो कार में गया था। फिर भीग कैसे गया?” रजत को भीगा देख उसकी माँ चौक गई।
“कुछ
नहीं मम्मी, बहुत
दिनों बाद बारिश
में नहाने का
मन हो आया था।“ अपनी बात
कहता रजत कपड़े
बदलने चला गया।
“तू
और तेरा मन,
घर तक आने का इंतज़ार
नहीं कर सका, ज़रूर कुछ
और बात है, पर बताएगा
कहाँ?”
अपने माँ- बाप
का एकलौता बेटा
रजत लाड़-प्यार
मे ज़रूर पला
था, पर उसके प्रसिद्ध वकील पिता
कमलेश कुमार घर
में अनुशासन और
सादगी में
विश्वास रखते थे।
कमलेश कुमार बेटे
को भी सफल वकील बना
देखना चाहते थे,
पर रजत की रुचि कंप्यूटर
और मैथ्स में
थी। अपनी तीव्र
मेधा के
कारण रजत परीक्षाओं
में सफलता की
सीढ़ियाँ लांघता चार्टर्ड
अकाउंटेंट बन कर
दिल्ली स्थित अमेरिकन
बैंक में कार्य
कर रहा था।
दो दिन बीत गए। आज रविवार के दिन बदली के बीच
रुक-रुक कर हल्की झीनी गिर रही बूंदों के कारण मौसम सुहाना हो गया था। रजत ने पूरे
दिन आराम करने की सोची थी। अचानक दो दिन पहले उस लड़की की याद आने से मन में आक्रोश
सा आ गया। अपने को क्या समझती थी वह लड़की, एक तो खुद भीग
कर उसे लिफ्ट दी, उस पर मेरा कार्ड तक देखना गवारा नहीं किया।
“आंटी,
आज के मौसम में आपके
हाथ की बनी मज़ेदार पकौड़ियाँ
खाने बरसते पानी
में भीगता आया
हूँ।“
अचानक आए रजत के घनिष्ठ
मित्र अनुराग ने
कहा ।“
“ये
क्यों नहीं कहता
घर में तेरी
कोई नहीं सुनता,
मेरी मम्मी को
मक्खन लगा कर मनचाहा करा
लेता है। तेरे
इंजीनियर पापा के
घर में क्या
नौकरों की कमी है, पर
पकौड़ियाँ खाने यहाँ
आया है।“ रजत ने
अनुराग को छेड़ा।
“अगर
घर में माँ होतीं तब
मेरी भी हर फ़रमाइश पूरी
होती। “अनुराग ने
उदासी से कहा।
“सॉरी
यार, मैं तो मज़ाक कर
रहा था, क्या
मेरी मम्मी तेरी
माँ नहीं हैं?’
रजत और
अनुराग बचपन के दोस्त थे,
रजत की माँ का अनुराग
बहुत सम्मान करता
था, रजत की माँ भी
बिन माँ के बेटे अनुराग
को बेटे की तरह प्यार
करती थीं। अपने
घर की अपेक्षा
अनुराग का अधिक समय रजत
के साथ बीतता
था। कॉलेज में
प्रोफेसर अनुराग को
रजत के बैंक के काम
के मुक़ाबले अधिक
छुट्टियाँ मिलती थीं
इसलिए रजत की माँ उसके
साथ अपने ज़रूरी
काम पूरे कर लिया करती
थी। वकील पति
की व्यस्तता तो
उन्हे घर के कामों से
दूर ही रखती थी।
‘देख
रही हैं, आंटी
आप मुझे प्यार
करती हैं इसलिए
आपका दुलारा मुझसे
जलता है।“अनुराग ने
शिकायत की। “उसकी बातें क्यों
सुनता है, अभी तेरी मनपसंद
पकौड़ियां बनाती हूँ।“माँ ने प्यार
से कहा।
“यूनीवर्सिटी
की लड़कियों ने
आज टाउन हॉल
में मेला, आयोजित
किया है। चल हम भी
मेले का आनंद लें।“ पकौड़ियों के साथ चाय का
मज़ा लेते अनुराग
ने कहा-
“मुझे
बेकार के मेलों
में समय नहीं
बर्बाद करना है।
आज भी कुछ ज़रूरी काम
पूरा करना है।
तेरे पास फ़ालतू
समय है, तू ही जा
और मेले का आनंद उठा।“
“तूने
ठीक सुना नहीं,
मेले में लड़कियां
होंगी शायद उनमे
से तुझे कोई
पसंद आ जाए।“
“हो
गई तेरी बकवास,
नहीं जाना है मुझे। ‘रजत ने
नाराजगी से कह
“प्लीज़
रजत, देख आज इतना सुहाना
मौसम है, मेरे
लिए आज चला चल। तू
जानता है ऐसे कार्यक्रमों में तेरे
बिना मैं अकेला
कहीं नहीं जाता
हूँ? मेरे लिए
अपना एक दिन कुर्बान नहीं कर सकता?अनुराग
ने अनुरोध किया।
“ठीक
है, आज चलता हूँ, पर
मुझे ब्लैक मेल
करने की आदत छोड़ दे।
“
मेले के लिए
बड़े से हॉल को फूलों
से सजाया गया
था। रंग-बिरंगी
विद्युत लड़ियों से
हॉल जगमगा रहा
था। छोटे -छोटे
स्टाल्स पर
सुंदर परिधानों में
लड़कियां तरह-तरह के विषयों
से लोगों को
आकृष्ट कर रही थीं। कहीं
गायन की
प्रतियोगिता हो रही
थी, कहीं, प्रश्नोत्तरों द्वारा
क्विज़ जैसे कार्यक्रमों
में लोग आनंद
ले रहे थे। कुछ स्टाल्
आधुनिक टेक्नोलौजी से
संबंधित थे। मेले
में विभिन्न विषयों
की उच्च स्तरीय
पुस्तकों का स्टाल
देख कर रजत ने सोचा,
यह मेला अवश्य
ही साधारण मेलों
से अलग है। वैसे चाय-
कॉफ़ी और चाट के स्टालों
पर भी लोग आनंद उठा
रहे थे। अचानक
माइक पर घोषणा
हुई थी---
“मेले
में आने वाले
सभी लोगों को
सूचित किया जाता
है, कुछ ही देर में
हमारा आज का खास कार्यक्रम
‘हमारे- परिधान’ विषय पर
एक अनोखा कार्यक्रम
प्रस्तुत किया जाने
वाला है। आप सबसे अनुरोध
है स्टाल नंबर
ग्यारह पर आकर कार्यक्रम देखिए और
प्रतिभागियों का उत्साह
बढ़ाइए ।“
घोषणा सुनते ही लोग स्टाल नंबर ग्यारह की तरफ बढ़
चले थे। हॉल में एक स्टेज को सुंदर रूप में सजाया गया था। हल्का संगीत चल रहा था।
कुछ ही देर में हाथ में माइक लिए जो युवती स्टेज पर आई उसे देख कर रजत चौंक गया, यह तो वही लड़की थी जिसे रजत ने बरसते पानी में अपनी कार में लिफ्ट
देने की गलती की थी। आज साड़ी में तो जैसे वह कोई दूसरी ही लड़की थी। शायद उस दिन
बारिश में भीगे बालों के कारण उसका सुंदर चेहरा छिप गया था। मीठी सधी आवाज़ में
लड़की ने अपना परिचय देते हुए अनाउंसमेंट शुरू किया-
“सभी उपस्थित लोगों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए
मैं गीता शर्मा आज का कार्यक्रम शुरू कर रही हूँ। आज पाश्चात्य सभ्यता की नकल में
अक्सर हमारी कुछ बहिनें भारतीय परिधान को पाश्चात्य परिधान की तुलना में कम आँकती
हैं। मेरा मानना है हमारी परम्पराओं और रीति-रिवाजों के साथ भारतीय परिधान का
सौंदर्य खिल उठता है। विवाह के समय लाल चूड़ियों और लाल मेहँदी से सजे हाथों के साथ
लाल साड़ी, या राजस्थानी कामदार लंहगे चुन्नी जैसे परिधानों
की तुलना मे क्या कोई विदेशी परिधान जीत सकता है। हमारा देश विविधता में एकता का
देश है हर राज्य का अपना सुंदर परिधान उनकी परम्पराओं का प्रतीक होता है। कुछ ही
देर में आप भारत के विभिन्न प्रान्तों के सुंदर परिधान देख कर मुग्ध हो जाएंगे।
हमने कोशिश की है परिधानों के साथ उस प्रांत विशेष का संगीत परिधान की शोभा बढ़ाए।
धन्यवाद”
लोगों की तालियों के साथ एक-एक कर के विभिन्न
परिधानों में अपने प्रांत का सौंदर्य बिखराती लड़कियां संगीत की धुन पर स्टेज पर आ
रही थीं। मंत्रमुग्ध लोग जैसे स्वप्न लोक में थे। अंत में कश्मीरी परिधान और वहीं
के संगीत के लिए जोरदार तालियों ने उस लड़की और उसके परिधान को सर्वश्रेष्ठ घोषित
कर दिया।
“तुझे
कौन सी लड़की पसंद आई,
रजत? मुझे तो कश्मीरी लड़की के बारे में
पता करना होगा।
आज तो यहाँ आना सफल
हो गया।“ अनुराग खुश
था।
“एक
भी नहीं, सब
बनावटी हैं।“ रुखाई से
रजत ने कहा।
“कमाल
है, तेरा कुछ
नहीँ हो सकता।
तेरे लिए आंटी
को कोई हूर की परी
खोजनी होगी। “
“मेरा
टाइम बर्बाद करने
के लिए शुक्रिया।
अभी तो सिर दर्द दूर
करने के लिए कॉफ़ी
की ज़रूरत है।
“
“जो
हुक्म मेरे सरकार,
सामने कॉफ़ी का स्टॉल तेरा ही
इंतज़ार कर रहा है। “अनुराग ने
कहा।
“सर,
आप यहाँ ,हमारा
प्रोग्राम आपको कैसा
लगा?”
अनुराग को देखते
ही स्टॉल पर
कॉफ़ी सर्व कर रही लड़की
कविता ने ख़ुशी से कहा।
“एक्सलेंट,
अब आपकी कॉफ़ी
को नंबर मिलना
है। “अनुराग ने
मज़ाक किया.
“सर,
हमारी कॉफ़ी आपका
सिर दर्द मिनटों
में दूर कर सकती है,
हर ग़म मिटा कर हंसा
सकती है । “
“उस
केस में तो अभी परीक्षा
हो जाएगी, मेरे
इस दोस्त का
सिर-दर्द कॉफ़ी
से दूर होता
है या नहीं।“अनुराग ने मज़ाक
किया। ‘
“हाय
गीता, आज तेरे प्रोग्राम ने तो कमाल कर
दिया, सब लोग तारीफ़ कर
रहे हैं।“ स्टॉल की एक
दूसरी लड़की ने चहक कर
स्टॉल पर आने वाली लड्की
से कहा।
इसमें ताज्जुब की क्या बात है।
गीता तो हमारे
डिपार्टमेन्ट की शान
है। पढ़ाई में
ही नहीं हर बात में
टॉप पर रहती है। क्यों
ठीक कह रही हूँ न
,गीता?”
कविता ने कहा।
“तुम
लोग बेकार में
मज़ाक उड़ाती हो,
मुझे एक कप कॉफी मिलेगी
या बस बातें
ही बनाएगी।“
नज़र उठाते रजत
के सामने वही
लड़की गीता थी,
जिसे एक दिन बारिश में
लिफ्ट देने की गलती कर
चुका था।
“बहुत
बधाई गीता जी,
हम भी अभी यही बात
कर रहे थे। “अनुराग ने खुशी
से कहा।.
“अच्छा,
अभी तो तू मेरा सिर
दर्द दूर करने
के लिए कॉफ़ी
की परीक्षा ले
रहा था।“ रजत ने
व्यंग्य किया।
“क्या
प्रोग्राम देख कर
आपके सिर में दर्द हो
गया? सॉरी शायद प्रोग्राम
लंबा हो गया था।“ गीता कंसर्न
दिखी।
“जी
नहीं, सच तो यह है
कि मेरा तो मन चाह
रहा था, शाम कभी समाप्त
ही न हो। ये मेरा
दोस्त अमेरिकन बैंक
में नीरस काम
करने के कारण अच्छे भारतीय
कलचरल प्रोग्रामों का
मज़ा ही नहीं ले पाता
है।‘
अनुराग ने कहा।
“अरे
माफ़ कीजिएगा, आपके
दोस्त को पहिचाना
नहीं । आपको याद है
आपने दो दिन पहले मुझे
लिफ्ट दी थी। उस दिन
की अपनी गलती
के लिए बहुत
शर्मिंदा हूँ।“ गीता ने
मीठी आवाज़ में
रजत से कहा।
“कोई
बात नहीं मैं
ने कोई बड़ा काम नहीं
किया था, जिसे
याद रखा जाए।“ रजत ने कहा।
“एक
बार फिर थैंक्स।
कविता, विश्वास है
तेरी कॉफ़ी से इनका सिर-
दर्द ज़रूर दूर
हो जाएगा । आप दोनों
के नाम जान सकती हूँ?” कॉफी का
कप थामती गीता
ने कहा।
“क्यों
नहीं, आपसे परिचय
तो हमारा सौभाग्य
होगा। मैं प्रोफेसर
अनुराग और यह चार्टर्ड अकाउंटेंट रजत
कुमार।“
“आप
दोनों से मिल कर खुशी
हुई, अब दूसरे
स्टाल पर जा रही हूँ,
बाय।“
कह कर गीता चली गई।
कॉफ़ी खत्म
कर धन्यवाद दे
कर दोनों मित्र
घर जाने के लिए हॉल
से बाहर आगए
। बाहर आते
ही अनुराग चालू
हो गया।
“ वाह
मेरे दोस्त तू
तो छिपा रुस्तम
निकला, इतनी बड़ी
बात मुझे बताई
भी नहीं। अब
लगता है, हमारी
दोस्ती के बीच दरार आ
रही है।“ अनुराग नाराज़
था।
“ऐसी
कोई बात नहीं
है। सच
तो यह है, अपने उस
दिन के अपमान
को भूल नहीं
पा रहा हूँ।“
“क्या
कह रहा है,कोई तेरा
अपमान करे, यह तो हो
नहीं सकता, अब
असली बात बता।“
“ तूने काम ही ऐसा किया था, जबरन लड़की को अपनी कार में बिठाना, क्या सभ्य इंसान का काम है। अगर गीता ने तुझे कोई गुंडा समझा तो क्या
गलत था? “
रजत से
पूरी कहानी सुन कर अनुराग ने हँसते हुए कहा।
“बकवास
बंद कर, उतनी
तेज़ बारिश
में एक अकेली
लड़की को सूनसान
सड़क पर छोड़ देना क्या
ठीक होता?” रजत ने
नाराजगी से कहा
“काश
तेरी जगह मैं होता, पर
मेरी ऐसी किस्मत
कहाँ।?”
अनुराग ने फिर मज़ाक किया।
“अब
बस कर, बहुत
मज़ाक हो गया। वैसे तुझसे
मिल कर उसे खुशी हुई
थी तो चांस ले ले।“
“आंटी,
अब जल्दी रजत
की शादी के लिए लड़की
देखिए वरना आपका
बेटा हाथ से निकल जाएगा।“
“अरे
कई अच्छी लड़कियों
के प्रोपोज़ल आए
हुए हैं, पर तेरा दोस्त
शादी के लिए तैयार ही
नहीं है। इसके
पापा और मुझे एक लड़की
तो इसके लिए
बहुत पसंद है।
देर हो जाने पर अच्छी
लड़की नहीं मिलती,
समझौता करना होता
है। अभी उसकी
फ़ोटो तुझे दिखाती
हूँ। तू ही इसे समझा
सकता है।“ माँ ने अनुराग
के हाथ में एक फ़ोटो
दी थी ।
“अरे,
यह तो राम मिलाई जोड़ी
है, अभी कुछ देर पहले
हम इसी गीता
नाम की लड़की से
मिले हैं और
रजत तो इससे पहले ही
मिल चुका है।“ फ़ोटो देखते
अनुराग के मुंह से निकल
गया।
“क्या,
इतनी बड़ी बात रजत ने
बताई भी नहीं।
“रजत की माँ
ने विस्मय से
कहा।
“नहीं
मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं
है, यह अनुराग
तो ऐसे ही बकता रहता
है।“ रजत
ने सफाई देनी
चाही।
“अच्छा
मै बकवास करता
हूँ, तो क्या आंटी को
बताया था, दो दिन पहले
तूने इसी लड़की
को अपनी कार
में लिफ्ट दी
थी।“
अनुराग ने रजत की माँ
को सच्चाई बताई।
“ठीक
है, आज ही इसके पापा
को बता देती
हूँ, रजत ने लड़की पसंद
कर ली है।“ माँ के चेहरे
पर खुशी थी।
“मम्मी
तुम इसके कहने
में मत आओ। ऐसी कोई
बात नहीं है।
मैं तो उसे जानता भी
नहीं , उस दिन तेज़
बारिश में
उसकी मदद कर
दी थी।“
“अच्छा
तो इसीलिए पानी
में भीगा हुआ
घर आया था। “माँ के
चेहरे पर मुस्कान
थी।
“अब
तो आंटी देर
करना ठीक नहीं
है। आप इन दोनों को
मिलवा दीजिए, बहुत
टैलेंटेड लड़की है।
तेरी किस्मत से
ईर्षा हो रही है,यार।
“अनुराग ने सच्चाई
से कहा।
“तुझे
वह इतनी ही पसंद है
तो तेरे लिए
उसका प्रस्ताव भिजवा
देता हूँ।“ रजत ने
चिढ़ कर कहा।
रात में पति के घर आने पर रजत की माँ ने अनुराग
से सुनी बातें जब बताईं तो रजत के पिता ने कहा-
“मैं मास्टर रामनाथ जी को जानता हूँ। वह बहुत ही
सज्जन इंसान हैं। कई गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे कर उनका जीवन सुधारा है। उनकी
बेटी में अवश्य ही पिता के संस्कार आए होंगे। पढ़ाई में भी वह बहुत तेज़ रही है, मेरे विचार में रजत के लिए वह अच्छी जीवन- संगिनी सिद्ध होगी।“
“मुझे
लगता है, हमे रामनाथ जी
के परिवार और
गीता से मिलना
चाहिए।‘
“नहीं,
आज के युग में हमसे
पहले रजत और गीता को
मिलना चाहिए , आखिर
जीवन तो उन दोनों को
साथ बिताना है।
“रजत के पापा
ने कह
माता-पिता के निर्णय
को सुनकर रजत सोच में पड़ गया। सच तो यह है वह स्वयं भी गीता के भोले सौंदर्य, साहस और उसकी प्रतिभा से प्रभावित हो गया था। मेले में उसके विचार
सुन कर वह समझ गया था गीता पाश्चात्य रंग से अप्रभावित भारतीयता की समर्थक है। अमेरिकन बैंक में कार्य करते हुए भी वह
अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ था। इसके मूल में उसके माता-पिता के संस्कार थे। रजत के मौन
को स्वीकृति मान रजत के पापा ने रामनाथ जी से फ़ोन पर कहा –
“मास्टर
जी, आपकी बेटी
बहुत योग्य और
प्रतिभाशाली है। मैं
चाहता हूँ,हमारे
मिलने के पहले रजत और
गीता बेटी आपस
में मिल कर अपने भविष्य
का निर्णय लें।“
“मैं
आपके निर्णय से
पूरी तरह से सहमत हूँ।
रजत जी जब चाहें हमारी
बेटी से मिल कर निर्णय
ले सकते हैं”‘ रामनाथ
जी ने कहा।
कॉफ़ी हाउस में
रजत के साथ पहुंची गीता
शांत थी। अचानक
पिता द्वारा रजत
के साथ विवाह
की संभावना ने
उसे विस्मित कर
दिया था। रजत के साथ
उसकी अपनी पहली
भेंट की स्मृति
उतनी सुखद तो नहीं थी।
यह सच है रजत उसकी
मदद करना चाहता
था, पर उसका तरीका तो
गलत था। मेले
में भी रजत ने उसके
माफी मांगने पर
भी कोई खुश करने वाली बात
नहीं की थी, फिर अचानक
उसके साथ विवाह
का प्रस्ताव क्यों?
विवाह के लिए तैयार न
होने पर पिता ने प्यार
से समझाया था
“देख
बेटी, रजत और उसका परिवार
हर दृष्टि से
तेरे योग्य है।
है। रजत के पिता कमलेश
कुमार शहर के नामी वकील
ही नहीं हैं,
वरन उदार और समाज के
सम्मानित व्यक्ति हैं। वे तेरी प्रतिभा
और तेरे गुणों
के कारण तुझे
अपने एकमात्र बेटे
के लिए अपने
घर की लक्ष्मी
बनाना चाहते हैं।“
“उन्हें
अपने बेटे के लिए भारी
दहेज और मुझसे
ज़्यादा अच्छी लड़कियां
मिल सकती हैं,
फिर मैं
ही क्यों?”
“अगर
सच कहती है,
उनके बेटे के लिए भारी
दहेज और अच्छी
लड़कियों की कमी नहीं है,
पर यह हमारा
सौभाग्य है कि उन्होने तुझे चुना
है। तू रजत के साथ
मिल कर अपने मन की
बात बता सकती
है।“
माँ ने भी पति के
कथन पर ज़ोर दिया।
“पापा अभी मुझे विवाह नहीं करना है, एम एस सी पूरी कर के रिसर्च के लिए अमेरिका जाना है। मेरे
विभागाध्यक्ष कहते हैं मेरे अच्छे रिज़ल्ट
के आधार पर मुझे आसानी से स्कॉलरशिप मिल जाएगी।“‘ गीता का यही सपना था, अमेरिका के विश्वविद्यालय से शोध
करके अमेरिकी यूनीवर्सिटी में पढ़ाए और अपने माता-पिता को गौरवान्वित कर सके।
“यह
तो और भी अच्छी बात
है, रजत की जल्दी ही
अमेरिका के बैंक में पोस्टिंग
होने वाली है।
उसके साथ विवाह
के बाद तू भी आसानी
से अमेरिका जाकर
अपने सपने पूरे
कर सकती है।“
रामनाथ जीने कहा।
“नहीं
पापा मुझे किसी
के सहारे अमेरिका
नहीं जाना है,
अपनी योग्यता के
बल पर जाना है।“ गीता ने
ज़ोर से कहा।
“ठीक
है, मुझे तेरी
योग्यता पर पूरा विश्वास है, तेरा
लक्ष्य अवश्य पूरा
होगा। रजत से मिल कर
अपने विचार स्पष्ट
कर देना, पर
वह एक मेधावी
और अच्छे संस्कारों
वाला युवक है,
मेरा कहना मान
तू उससे मिल
ले।“
“ठीक
है पापा, देखना
है,आपकी सोच
कितनी ठीक है।“ गीता को रजत
के साथ की पहली भेंट
याद हो
आई।
“क्या
मैं मिज गीता
शर्मा से बात कर रहा
हूँ?”
शाम को फोन पर रजत
था।
“जी
हाँ, आप कौन हैं?”
“अपना
परिचय तो पहले ही दिन
देना चाहा था,
पर आपने मंजूर
नहीं किया। शायद
मेले के दिन की यादों
में किसी रजत
नाम के इंसान
से आपका परिचय
हुआ था। “रजत के
स्वर में परिहास
का पुट था।“
“जी
हाँ, अच्छी तरह
से याद है, वैसे इतने
लंबे परिचय में
समय व्यर्थ करने
की आवश्यकता नहीं
थी। आप आने वाले हैं,
इसकी मुझे सूचना
थी। आपका स्वागत
है।“
“अगर
आपको मेरे साथ
कॉफ़ी हाउस
चलने में
ऐतराज ना हो तो हम
बाहर चल सकते हैं।“
“आप
अंदर आइए, पाँच
मिनट रुक सकें
तो माँ को बता कर
आती हूँ।“
“मैं
कार में ही आपका इंतज़ार
करता हूँ। मुझे
एक ज़रूरी फ़ोन
भी करना है।“
कॉफ़ी हाउस के एक कॉरनर में गीता के लिए चेयर बाहर
खींच उसे बैठने को कह, रजत गीता के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। मिलने का कारण जान दोनों ही संकोच
में थे। रजत सोच रहा था, काश अनुराग उसके साथ होता तो वह
स्थिति आसान कर देता, पर उसने साथ आने से साफ इंकार कर
दिया था। अंतत; रजत को अकेले ही आने का निर्णय लेना
पड़ा था।
“देख
यार, माना हम दोनों गहरे
दोस्त हैं, पर ये तेरी
निजी ज़िंदगी का
सवाल है, इसमें
किसी तीसरे का
कोई काम नहीं
हो सकता। हाँ
लौट कर ज़रूर अपनी बातें
बताना, मेरे
काम आएंगी।“अनुराग ने
मज़ाक किया था।
“गीता
जी, आशा करता
हूँ, आपके साथ
मेरा जो पहला परिचय हुआ,
उसके आधार पर आपने मेरे
बारे में कोई गलत धारणा
नहीं बनाई होगी।“ रजत के चेहरे
पर हल्की मुस्कान
थी।
“सच
कहूँ तो मुझे आपके व्यवहार
से ड़र लगा था। आजकल
अच्छाई पर विश्वास
करना कठिन लगता
है, पर बाद में आपके
प्रति कृतज्ञता ही
महसूस की थी और अपने
व्यवहार पर दुख हुआ था।
इसीलिए तो आपसे मेले के
दिन क्षमा
मांगी थी।“
“उस
समय आपसे कुछ
नहीं कह सका था, पर
उसके लिए बाद में मुझे
अपनी गलती महसूस
हुई थी।“
“रजत
जी,बीती बातें भुला
कर, हमे अपने भावी
जीवन के विषय में स्पष्ट
बात कर लेनी चाहिए। अपने
भविष्य के प्रति
मेरे कुछ सपने
हैं। आप बताइए
आप कैसी पत्नी
चाहते हैं, उससे
आपकी क्या अपेक्षाएँ
हैं?”
“मैं
अपनी पत्नी को
सही अर्थों में
अपनी जीवन संगिनी
के रूप में देखना चाहता
हूँ। उसके विचारों
और निर्णय को
सम्मान देना चाहूँगा।
पत्नी मेरी अनुगामिनी
नहीं, मेरे साथ
कदम मिला कर चले, पर
मेरी गलतियों का
विरोध करने का साहस रखे।
कठिन समय में वह मेरी
शक्ति बन कर साहस दे
और खुशी के समय जीवन
का पूरा आनंद
उठाएँ। खास बात समझने की
यह है कि हम अलग
परिवेश से आने वाले दो
भिन्न व्यक्तित्व
के स्वामी होंगे
इसलिए दो मित्रों
की तरह भिन्नता
में एकता तलाशना
श्रेयस्कर होगा।“ रजत बात
समाप्त कर के चुप हो
गया।
“वाह रजत जी, आप तो पूरी तैयारी के साथ आए हैं। आशा करती हूँ, वास्तविक जीवन में ये बातें केवल किताबी बातें ही न रह जाएँ। अधिकांश
पुरुष तो पति को परमेश्वर मानने वाली पत्नी चाहते है। मैं भी आपको अपने मन की बात
बताना चाहूंगी। आपने ठीक कहा है, पति और पत्नी रथ के दो पहियों के
समान होने चाहिए। दोनों को समान अधिकार और अवसर मिलने आवश्यक हैं। अक्सर देखा गया
है, पति की अपेक्षा पत्नी का प्रखर व्यक्तित्व और
उच्च पद पति-पत्नी के बीच गृह क्लेश की खाई पैदा कर देता है। क्या आपने अभी जो कुछ
कहा है, उसमें विश्वास रखते हैं?” अपनी बात समाप्त कर के गीता ने सवाल पूछा था।
“बनावटी या झूठी बातों में मुझे कतई विश्वास नहीं
है। यह ज़रूर सच है जहां मुझे अपनी ठीक बात का पक्का यकीन हो, वहाँ अपनी बात मनवाने की जिद ज़रूर कर सकता हूँ। शायद इसी वजह से
बरसते पानी में आपको जबरन कार में लिफ्ट दी थी। जानता हूँ मेरा वो व्यवहार ठीक
नहीं था, पर आपको उस सूनी जगह पर अकेली छोडना गलत होता।
भले ही आपने मुझे कोई गुंडा-मवाली समझा होगा, पर मुझे उसकी परवाह नहीं थी।“
“रजत
जी, मैने आपको जो
भी समझा हो
, पर आपको जान
कर खुशी होगी
कि मेरी माँ
ने अपनी बेटी
को सही-सलामत
पहुंचाने वाले को
दुआएं दी थीं“ हँसते हुए गीता
ने कहा।
“ वाह
तब तो मुझे उनके आशीर्वाद
का फल मिलना
ही चाहिए।मेरे विचार
में उनकी कराटे
में एक्सपर्ट बेटी
गीता शर्मा के
साथ विवाह की
अनुमति का अधिकार
तो मुझे मिल
सकता है?” रजत ने
परिहास किया।
“उसका
अधिकार तो सिर्फ
गीता ही दे सकती है।
एक बात और बताना चाहूंगी,अमेरिका से पीएच डी कर के
वहाँ की यूनीवर्सिटी
में पढ़ाना मेरा
सपना है। अमेरिका
मैं अपनी योग्यता
के बल पर जाऊंगी इसके
लिए आपके साथ
विवाह करना मेरा
लक्ष्य कतई नहीं
है।“
गीता के चेहरे
पर दृढ़ता स्पष्ट
थी ।“
“भला
मैं ऐसी गलती
कैसे कर सकता हू? आप
जैसी ब्रिलिएंट और
टैलेंटेड लड़की को
किसी सहारे की
क्या ज़रूरत है।
सच तो यह है कि
अमेरिकन यूनीवर्सिटीज़ आपका
हाथ फैला कर स्वागत करेंगी।“
“थैंक्स,
आपका यह कथन ज़रूरत
से ज़्यादा हो
रहा है।“गीता ने
हंस कर कहा।“
“ओके
, तो हम ये खुशखबरी अपने पेरेंट्स
को दे सकते हैं।, पर
अब दोबारा कब
मिलेंगे?”
“ मेरे
फाइनल एकजाम्स के बाद,
एक सप्ताह में
मेरे प्रैक्टिकल्स हैं।‘
“नौ प्रौबलेम, इत्तेफाक से एक बहुत ज़रूरी मीटिंग के लिए एक महीने के लिए मुझे
अमेरिका जाना है। मुझे बताया गया है, कुछ ही समय
बाद मेरी पोस्टिंग अमेरिका में होने वाली है। हमारे बीच दूरी होने पर फ़ोन करने की
तो इजाज़त होगी? वैसे जाने के पहले मैरिज की तारीख तय
करवानी होगी, मुझे डर है कहीं मेरे पीछे कोई और मेरा चांस न
छीन ले। वापिस आते ही शादी के मंडप में बैठना है।“
हँसते हुए दोनों ने विदा ली। दोनों के परिवारों
में खुशी के साथ तय हुआ कि रजत के वापिस आते ही विवाह संपन्न किया जाएगा। तब तक
गीता की परीक्षा भी समाप्त हो जाएगी। अमेरिका से रजत के नियमित फ़ोन आते, उसकी बातें गीता को गुदगुदा जातीं। जाने के पहले रजत ने अपनी वापसी
के दस दिनों पहले रजत ने उसके लिए कई यूनीवर्सिटीज़ के विवरण भी भेजे थे, साथ ही विश्वास दिलाया था-
“मेरी
नियुक्ति किसी भी
शहर में हो, तुम जिस
यूनीवर्सिटी में पढ़ना
चाहोगी, उसकी तुम्हें स्वतन्त्रता होगी।
तुम पर कोई बंधन नहीं
होगा। तुम्हारा विश्वास
कभी नहीं तोड़ूँगा।
“
रजत की उदारता
से गीता प्रभावित
हो सोचती, रजत
के साथ विवाह
का निर्णय ठीक
ही था। अंतत:
वह दिन आ ही गया
जब रजत वापिस
आ गया और उस बीच
गीता ने अपनी परीक्षा समाप्त कर
ली थी। हमेशा
की तरह गीता
को अपनी सफलता
का पूर्ण विश्वास
था। अब अमेरिका
जाने के लिए उसने यूनीवर्सिटीज़
में ऐप्लाई करना
भी शुरू कर दिया था।
अपनी योग्यता के
आधार पर अमेरिका
जाना उसका ध्येय
था। विवाह के
लिए केवल एक सप्ताह शेष
था। परिवारों में
रिशतेदारों के आ
जाने से दोनों
का मिलना संभव
नहीं था फोन पर बातें
काना ही संभव था।
विवाह की
तिथि आ पहुंची थी। शादी के गीतों और शहनाई की धुन से माहौल खुशनुमा हो गया था।
सुंदरता में दुलहिन के वेश में गीता और दूल्हे के रूप में
रजत एक-दूसरे से टककर ले रहे थे। विवाह संस्कार शुरू होने के कुछ देर बाद रजत को
खांसी आने लगी,
रुमाल से नाक पोंछते रजत को देख गीता चौंक गई।अचानक बिना संकोच किए रजत की कलाई छू
कर गीता ने कहा-
“पंडित
जी ज़रा ठहरिए।
रजत को खांसी-जुकाम के
साथ हल्का बुखार
भी है, ये तो कोरोना
के लक्षण हैं।
इस स्थिति में
विवाह संभव नहीं
है।“
“यह
क्या कह रही हो बेटी,
भला ऐसी अपशगुनी
बात इस शुभ मुहूर्त में कही जाती है?”रजत के पिता
ने कुछ नाराजगी
से कहा।“
“समधी
जी ठीक कह रहे हैं,
अभी अमरीका से
आया है। मौसम
बदला है, सर्दी-जुकाम होना
मामूली बात है।“मास्टर रामनाथ जी ने
कहा
“मुझे
लगता है, हमे यह विवाह
रोक देना चाहिए,
मुझे ऐसी मुँहफट
बहू नहीं चाहिए।
“रजत के पिता
ने कहा। .
“मुझे
क्षमा कीजिए ,आप
लोग आदर के पात्र हैं,
पर यह हमारे
जीवन का प्रश्न
है। रजत अभी अमेरिका से आए हैं, वहाँ
भी कोरोना का
कहर है। कितने
ही लोगों के
संपर्क में रहे होंगे ऐसी
हालत में कोरोना
संक्रमण का भय होना
स्वाभाविक है। सामने
ही हॉस्पिटल है,
डॉक्टर नेगी हमारे
परिचित हैं। वह रजत का
कोरोना का टेस्ट तुरंत
कर देंगे। कोरोना
का टेस्ट संक्रमण
है या नहीं,
स्पष्ट कर देगा।
उसके बाद ही विवाह संभव होगा।
“बस
बहुत हो गया, रजत उठो,
यह शादी नहीं
होगी।“रजत के
पिता गरजे।
“नहीं
पापा, यह शादी तो होगी।
गीता बहुत समझदार
और साहसी लड़की
है, वरना अपने
विवाह के समय कौन लड़की
ऐसी बात इतने
साहस के साथ कह सकती
है।“
रजत ने शांति
से कहा।‘
“तू पागल हो
गया है, इसकी
तारीफ कर रहा है। जो
पहले ही तेरा अमंगल कर
रही है।?”
“नहीं
पापा , यह मेरा अमंगल नहीं,
हमारे भविष्य की
सुरक्षा चाहती है।
खांसी-जुकाम होते
ही मैं ने अपना
कोरोना का टेस्ट
कराया था। मेरा
टेस्ट नेगटिव आया है।
गीता, यह देखो मेरा सर्टिफिकेट,
मैं कोरोना संक्रमित
नहीं हूँ। तुम
जैसी बुद्धिमान लड़की
से मुझे कुछ
ऐसी ही आशंका
थी, इसलिए यह
प्रमाण -पत्र साथ
लाया हूँ। अब तो हमारे
विवाह में कोई बाधा नहीं
है या अब भी डॉ
नेगी के पास जांच के
लिए जाना है?”रजत ने मज़ाक
किया।
‘मुझे क्षमा कीजिए, मेरा अपराध तो बड़ा है, पर सच यह है कि इस महामारी ने न
जाने कितनों के परिवारों में अपना कहर ढाया है, इसलिए कोई भी शंका होने पर इसका टेस्ट कराना ज़रूरी है। आप सब मेरे
आदरणीय हैं, रजत या आपको अपमानित करने का मेरा कोई इरादा
नहीं था। .”अश्रुपूर्ण आँखों से गीता ने हाथ जोड़
कर कहा।
“पंडित जी अब मंत्र शुरू कीजिए वरना मुझे सच में
टेंशन से कोरोना ना हो जाए।“रजत ने हंस कर कहा।
“अब बस भी
करो, मुझे माफ़
नहीं करोगे? कहा
न गलती हो गई। जानती
हूँ तुम कभी भूल कर
भी ऐसी कोई
गलती नहीं कर
सकते।“गीता ने
रजत से कहा।
.”शुभ-शुभ बोलो
बेटा, मेरी बेटी
की नादानी को
क्षमा करो।“ रामनाथ जी
ने विनय से कहा।
“नहीं
रामनाथ जी, नादानी
आपकी बेटी की नहीं हमारी
थी। अगर रजत सच में
कोरोना संक्रमित होता
तो शायद हमारा
परिवार समाप्त हो
सकता था । आपकी बेटी
की समझदारी और
साहस के लिए उसे पुरस्कार
मिलना चाहिए। मुझे
खुशी है, गीता
हमारी पुत्र वधू
बनने जारही है।
“ सत्य
वचन, यह लड़की तो गीता
का नाम ही सार्थक नहीं
करती बल्कि इसका
साहस इसे दुर्गा
का रूप देता
है। काश देश की हर
लड़की सत्य के सामने ऐसे
ही निर्भय हो
कर खड़ी हो सकती। मेरा
आशीर्वाद हमेशा तेरे
साथ रहेगा, गीता
बेटी.।“ पंडित जी
ने सच्चे मन
से गीता को आशीर्वाद दिया।
“पंडित
जी, गीता जी के साहस
ने ही तो मेरे दोस्त
को पराजित किया
है वरना यह तो किसी
अमरीकी लड़की से शादी करता।
क्यों ठीक कह रहा हूं
न रजत? ” बहुत देर
से चुप बैठे
अनुराग ने परिहास
किया। सबकी सम्मिलित
हंसी ने माहौल
खुशनुमा कर दिया।
पंडित जी द्वारा मंत्रोच्चार शुरू करते ही पास के मंदिर से आती शंख-ध्वनि ने वातावरण और अधिक पावन बना दिया।