11/4/18

पहली उड़ान



समय अविराम गति से बीत रहा था, दस वर्ष वाली भीरु अनुपमा अब इक्कीस वर्ष की सुन्दर, मेधावी युवती बन चुकी थी.  सुन्दर मृदुभाषी अनुपमा अपनी मेधा और सरल स्वभाव के कारण सबकी प्रिय थी. साथ के युवक उसे हसरत भारी निगाहों से देखते, वह किसी की भी चाहत हो सकती थी. अनुपमा को बी- ए की परीक्षा में यूनीवर्सिटी में प्रथम स्थान मिला था. एम् ए में उसने अपना प्रिय विषय इतिहास लिया था. मुगले आज़म फिल्म ने उसे अभिभूत किया था. उसे आश्चर्य होता कैसे कुछ लोग इतिहास को नीरस और गड़े मुर्दे उखाड़ने वाला विषय कहते हैं. इतिहास तो रोमांस, रोमांच, रोचक तथ्यों, अनपेक्षित घटनाओं और विस्मयकारी परिवर्तनों से भरा पड़ा है. हाँ, इन तथ्यों को समझने के लिए बुद्धि चाहिए. प्रोफ़ेसर अनुपमा की ऎसी ही बुद्धि और खोज की प्रशंसा करते. ताज्जुब है ऎसी अनुपमा को उसके पीछे दीवाने बने किसी युवकसे प्रेम नहीं हुआ.
अन्नू के माता-पिता अब उसके विवाह के लिए उपयुक्त वर की तलाश कर रहे थे. कई लड़कों ने अनुपमा के साथ विवाह के लिए प्रस्ताव भी भेजे, पर उसके पापा अपनी अन्नू के लिए किसी ख़ास प्रस्ताव की प्रतीक्षा कर रहे थे, अमरीका से एक बड़ी कम्पनी का सीनियर मैनेजर राहुल पापा को ही नहीं अन्नू को भी भा गया. सुदर्शन व्यक्तित्व के साथ उसके पास वो सब कुछ था जो किसी लड़की का सपना हो सकता है. अमरीका से भारत में विवाह के लिए आने वालों के पास अधिक समय नहीं होता. राहुल और अन्नू का विवाह शीघ्र ही धूमधाम से संपन्न होगया. विदाई के तुरंत बाद अन्नू अमरीका जा रही थी. मम्मी-पापा को छोड़ने का दुःख अमरीका के सुनहरे सपनों ने कम कर दिया था.
 “इतने बड़े प्लेन में आप पहले तो कभी बैठी नहीं होंगी? सीट-बेल्ट बाँध लीजिए या मै हेल्प करूं” साथ बैठते राहुल की आवाज़ में कंसर्न था.
अन्नू को उसका कंसर्न अच्छा लगा था. शायद वो सच ही था. इसके पहले वह उतने बड़े विमान में कब बैठी थी. कुछ ही देर में विमान आकाश की ऊंचाइयां छू रहा था. एयर होस्टेस ने ड्रिंक्स सर्व करने शुरू कर दिए थे. कई वर्षों से विदेश में रहने वाले राहुल को सुरा- पान से ऐतराज़ नही था. और उसने अपनी मन पसंद ड्रिंक ली थी. अन्नू के सॉफ्ट ड्रिंक लेने पर राहुल ने उससे भी जब बियर या रेड वाइन लेने को कहा तो अन्नू ने मना कर दिया.
“क्षमा कीजिए, हम ड्रिंक नहीं करते. हम इसे ज़रूरी या अच्छी चीज़ नहीं समझते ”अन्नू  ने कहा.
“मेरे ऑफिस की पार्टीज़ में सबका साथ देना ज़रूरी होता है इसीलिए मुझे ऐतराज़ नहीं है. आपने फर्स्ट डिवीजन में मास्टर्स किया है, पर मुझे ताज्जुब है, आप ऐसे ख्याल रखती हैं. वैसे मैने तो सुना है, इंडिया की लडकियां ऐसे शौकों में अमरीकी लड़कियों से भी आगे निकल गई हैं, “राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा.
 “हमारे ख्याल में ये बात हर लड़की के लिए सच नहीं है.”अन्नू ने स्पष्ट शब्दों में अपने विचार दिए थे. 
“आपकी फ्रेंड्स तो बातों में काफी फ़ारवर्ड लग रही थीं. वैसे मुझे विश्वास है, आप बुद्धिमान और एज्युकेटेड हैं, जल्दी ही अमरीकी जीवन में अपने को ढाल लेंगी. मेरे फ्रेंड्स की इडियन पत्नियों ने अपने को अमरीकी शैली में पूरा बदल लिया है और अमरीकी जीवन एंज्वॉय करती हैं.”
“आपकी जानकारी के लिए, हमारी फ्रेंड्स हमारी ही तरह की सोच रखती हैं. हम सब सही रास्ते पर चलने वाली माडर्न लडकियां हैं, अपनी सीमा से कभी बाहर नहीं गए. अपने अस्तित्व को बदल लेना अपने को खो देने जैसा होता है. हमें अपनी भारतीय संस्कृति पर गर्व है.”अपनी बात कह कर अन्नू मौन होगई.
“आपकी बातें सुनने में अच्छी लगती हैं, पर अमरीका में रहने पर आप अपने विचार अवश्य बदल लेंगी. वहां की सुख-सुविधाएं सबको बदल देती हैं. सच कहूं तो अमरीका को स्वर्ग कहने में मुझे कोई दुविधा नहीं है. यहाँ रहते मै सोच भी नहीं सका था कि इतनी कम आयु में मेरे पास शानदार नौकरी, कार और इतना बड़ा घर होगा.”राहुल ने अपना सच खुशी से बताया.
“ये सब तो भौतिक सुख-सुविधाएं हैं, सुना है वहां से आत्मिक शान्ति के लिए लोग भारत आते हैं. हमें तो भारत में रहते हुए कभी कोई अभाव महसूस नहीं हुआ.”अन्नू ने सच ही कहा था.
“आप ऐसा सोचती हैं, पर जब मैने आपकी फ्रेंड्स को बताया कि मुझे अपने जाब में यू एस की कई स्टेट्स में प्लेन से बराबर आना-जाना होता है और अब शादी के बाद आप भी मेरे साथ प्लेन से पूरा यू एस घूमा करेंगी. यह सुन कर आपकी सहेली आशा बोली थी- ‘हाउ लकी’, क्या आप अपने को लकी नहीं समझतीं?, हर एक को किस्मत से ऐसा चांस नहीं मिलता.” राहुल की आवाज़ में कुछ गर्व का पुट था.
“ऎसी बात नहीं है, आपका साथ मेरा सौभाग्य है, पर आजकल विदेश का मोह पहले जैसा नहीं रह गया है. शादी के बाद शबनम यू के जा रही है और मीना कनाडा जाने वाली है. हमारे लिए हमारी फ्रेंड्स खुश हैं इसलिए ऐसा कहा होगा. हम भी सोचते थे हम कभी विदेश नहीं जाएंगे.”अन्नू का सच बोल उठा.
 “वो शायद इसलिए कि सुना है, आपको फ़्लाइट- फ़ोबिया था. शायद छोटे प्लेन्स की फ़्लाइट में डर लगता होगा, पर मुझे उसका कोई एक्सपीरिएंस ही नहीं है. अमरीका के लिए पहली फ़्लाइट ऐसे ही बड़े प्लेन में ली थी. क्या आपको इस प्लेन के खुशनुमा माहौल में डर लग सकता है?”राहुल ने पूछा था.
“नहीं, छोटे प्लेन की फ़्लाइट से ही हमारा डर हमेशा के लिए भाग गया था.” अचानक अन्नू बोल उठी.
“यह तो कमाल है. क्या कोई ऐसा साथी मिल गया था जिसने आपके डर को हमेशा के लिए भगा दिया? जस्ट जोकिंग, वैसे मुझे तो अब नींद आरही है, शादी की ढेरों रस्मों के कारण सो भी नहीं सका था. आप भी आराम कर लीजिए.” प्यार से राहुल ने कहा. आँखें मूँद कर राहुल सोगया.
राहुल के उस सवाल ने जैसे अन्नू को कई वर्ष पहले पहुंचा  दिया था.                 
अनुपमा  उर्फ़ अन्नू का घर इलाहाबाद के बमरौली हवाई अड्डे से करीब आठ मील दूरी पर था. दिन में न जाने कितने विमान घर के आँगन से आकाश में उड़ते दिखाई देते थे. उन विमानों को हवा में उड़ते देख दस वर्ष की अन्नू सोचती कैसे ये विमान चिड़ियों की तरह से पंख फैलाए आकाश में उड़ते हैं, अगर ये गिर जाएं तो? इस कल्पना मात्र से अन्नू डर जाती.
एक दिन वो हादसा हो ही गया. स्थानीय कॉलेज के एक समारोह में कुछ नया करने की सोची गई. विमान को नीचे लाकर मुख्य अतिथि के गले में में हार पहिनाने के प्रस्ताव ने सीनियर विद्यार्थियों को उत्साहित कर दिया. यह नई पहल सबको विस्मित और प्रशंसित ही करेगी. इस कार्य के लिए विमान उड़ाने की ट्रेनिंग लेने वाले दो सीनियर युवाओं ने यह साहसी कदम उठाने का निर्णय लिया था. अंतत: लड़कियों के सामने हीरो बनने का इससे अच्छा मौक़ा कब मिलेगा? उस दिन जब सबकी निगाहें नीचे आते हुए विमान पर निबद्ध थीं कि कब विमान से हार नीचे गिराया जाएगा और मुख्य अतिथि के गले की शोभा बढ़ाएगा. दुर्भाग्यवश गलत अनुमान के कारण विमान कुछ अधिक ही नीचे आगया और नियन्त्रण खो जाने के कारण कॉलेज की इमारत से टकरा गया. धू-धू जलते प्लेन के बीच दो दुस्साहसी युवाओं  का अनमोल जीवन लपटों की आहुति चढ़ गया.  समारोह की खुशी दुःख और हाहाकार में बदल चुकी थी. दृश्य देखती अन्नू माँ के आँचल में चेहरा छिपा भय से कांपती रो रही थी.
उस दिन के बाद से अन्नू को अक्सर सपनों में दुर्घटनाग्रस्त होते विमान दिखाई देते. रातों में उसकी नींद टूट जाती. बहुत समझाने पर भी अन्नू का यह भय उसकी बढती आयु के साथ भी कम नहीं हो रहा था. जब भी उसके पापा कहीं हवाई जहाज़ से जाते तो अन्नू उनके लौटने तक भगवान् से उनके सुरक्षित लौटने की प्रार्थना करती रहती. कुछ समय के लिए इलाहाबाद से दिल्ली के लिए फ़्लाइट शुरू की गई थी. अन्नू का भय दूर करने के लिए पापा ने कई बार दिल्ली जाने के लिए हवाई-यात्रा का प्रोग्राम बनाया, पर अन्नू ने जाने से साफ़ मना कर दिया. अंतत: उन्हें रेल-यात्रा ही करनी पडती.
 अन्नू की सहेलियां चिढातीं- मीनाक्षी कहती-
‘तू अमरीका के सपने देखती है, अगर तेरी शादी किसी अमरीकन से होगई तो क्या उसके साथ हवाई जहाज़ की जगह पानी के जहाज़ से अमरीका जाएगी?”
“सिर्फ सपने ही तो देखती हूँ, सच में क्यों जाऊंगी. मुझे अपना भारत बहुत प्यारा है यहाँ किस चीज़ की कमी है? अमरीका दूर से ही भला है. याद रख उस पार का सब कुछ हरा-ही हरा दिखता है, पर वास्तविकता कुछ और होती है.”
“देखेंगे अगर चांस मिला तो क्या करेगी. अमरीका का मोह छोड़ पाना आसान नहीं होगा.”
शबनम का तर्क होता-
“अगर तेरी शादी किसी पायलेट से हो गई तो क्या करेगी? मुझे तो पायलेट अपनी यूनीफ़ौर्म में बड़े ही स्मार्ट दीखते हैं. अपने साथ पूरी दुनिया की सैर कराएगा. ज़िंदगी इसी का तो नाम है.”
“रहने दे, उसकी यूनीफौर्म या उसकी स्मार्टनेस देख कर क्या करना है. जब तक सही सलामत घर वापिस ना आया तो जान सूखती रहेगी. तेरे होने वाले हमसफ़र डॉक्टर जावेद साहब का सफ़ेद कोट क्या कम शानदार है. उसे देखते ही लोग इज्ज़त से सर झुका लेते हैं. इस धरती पर डॉक्टर को फ़रिश्ता माना जाता है.”
“ज़रूर, पर जब हमेशा मरीजों और बीमारियों से बचने की हिदायतें सुनना पड़े तो सारा मज़ा ख़त्म.
डर है, कहीं खुशबू वाली परफ्यूम की जगह डिटौल की गंध ना आए.”शनम मज़ाक करती.
“चल , अगर ज़रुरत पड़ी तो हम दोनों अदला-बदली कर लेंगे.”अन्नू ने परिहास किया.
“अच्छा, अभी से तेरी नज़र मेरे होने वाले मियाँ पर है, मुझे उसे सम्हाल कर रखना होगा, वैसे मेरे जावेद तेरी बहुत तारीफ़ करते हैं.“ दोनों सहेलियों के बीच ऐसा ही हंसी मज़ाक चलता रहता.
अक्सर अवकाश में अन्नू और शबनम सिविल लाइंस में चाट खाने का प्रोग्राम बनाया करतीं. दोनों को किसी बड़े रेस्तरा में चाट खाने की जगह ठेले वाले की चाट ज्यादा अच्छी लगती.
“असली मज़ा तो चाट वाले के हाथों से एक-एक गोलगप्पा खाने में आता है. बाद में एक्स्ट्रा जलजीरा का मुफ्त पानी पीकर, तो पैसे वसूल हो जाते हैं.” शबनम का फ़ंडा क्लियर होता.
“हाँ चाट वाले से मनचाही फरमाइश करना भी तो कितना आसान होता है, भइया थोड़ी मीठी- खट्टी चटनी और डालो, मिर्ची इतनी कम क्यों डाली है? टिक्की खूब लाल और करारी चाहिए. शबनम की बातों में अन्नू की भी सहमति होती. दोनों मजे ले कर खूब मिर्चों वाली आलू टिक्की खा कर सीसी करती चाट का असली मज़ा लेतीं.
उस दिन अचानक उनसे कुछ दूरी पर एयरपोर्ट की बस आकर रुकी थी. छुट्टी के दिन युवा पायलेट ट्रेनीज को सिविल लाइंस आने के लिए बस उपलब्ध कराई जाती थी. हंसते शोर मचाते युवाओं के आने से जैसे सिविल लाइंस की रौनक बढ़ गई थी. उनमें से किसी ने आवाज़ लगाई थी-
“किस-किस को क्वालिटी जाना है और कौन पैलेस में मूवी देखने मेरे साथ आएगा?”
“अरे मुझे तो चटपटी चाट का मज़ा लेना है.सुना है यहाँ की चाट बहुत मजेदार होती है.”एक युवक ने जवाब दिया था.
“यार राज, तुझे यहाँ आए जुम्मा –जुम्मा चार दिन हुए हैं, पर चाट और चटपटी चीजों के बारे में पक्की जानकारी है. चल आज मै भी तेरा साथ देता हूँ.” दो युवक उसी चाट वाले की तरफ बढ़ आए जहां अन्नू और शबनम चाट खा रही थीं. शेष युवक अलग-अलग दिशाओं में चले गए.
उनको अपनी ओर बढ़ते देख अन्नू ने शबनम को जबरन खींच उसे वहां से दूर ले जाने में सफलता पाई थी वरना शबनम तो मुग्ध दृष्टि से उन्हें देख रही थी.
“हाय अन्नू कितने हैंडसम लड़के थे, उनके साथ चाट का मज़ा दुगना हो जाता.”
“लगता है जावेद भाई जान से कहना होगा अपनी मंगेतर को सम्हालें वरना हाथ मलते रह जाएंगे और एक दिन यह दिलफेंक लड़की किसी के साथ उड़ जाएगी.”अन्नू ने कहा.
“जो चाहे कह ले उनका मुझ पर पक्का यकीन है.”विश्वास और खुशी से शबनम बोली.
एक सप्ताह बाद दशहरे की छुट्टियों में पापा ने खुशी से माँ और अनुपमा को बताया था. उनके प्रिय मित्र राकेश शर्मा दिल्ली से आ रहे हैं. उनका बेटा रवि राज दो सप्ताह पहले बमरौली में फ़्लाइंग इंस्ट्रक्टर की तरह भेजा गया है.”
“अरे तो राज हमसे मिलने क्यों नहीं आया? वह तो हमें जानता है.”माँ विस्मित थीं.
“शायद उसे संकोच रहा हो. इतने वर्षों से उसके साथ कोई संपर्क जो नहीं रहा है.”पापा ने समझाया.
“राकेश भाई जी हमारे साथ ही तो रहेंगे. उनके लिए कमरा ठीक करा देती हूँ.”
“नहीं, वह अपने बेटे के गेस्ट हाउस में रहेंगे, पर संडे को दोनों को लंच के लिए इनवाइट कर लिया है.”
नियत दिन राकेश जी अपने बेटे राज के साथ आए थे. निसंदेह राज का व्यक्तित्व किसी को भी प्रभावित  कर सकता था. अनुपमा के लिए रवि राज अजनबी था, पर उस दिन सिविल लाइंस में उसका नाम ज़रूर सुना था, शायद यह वही राज हो, पर उसने उसकी शक्ल नहीं देखी थी. औपचारिक परिचय के बाद बातों का सिलसिला शुरू हो गया था.
“राज बेटा तुम्हें यहाँ का कैसा अनुभव हो रहा है? दिल्ली का एयरपोर्ट तो बहुत बड़ा है, उसकी तुलना में तो यह कहीं नहीं ठहरता. यहाँ से तो बाहर क्या इंडिया के दूसरे शहरों में भी फ्लाइट्स नहीं जातीं.”
“मुझे तो यहाँ का शांत वातावरण बहुत अच्छा लग रहा है. गंगा जिसके बारे में मम्मी-पापा से सुना करता था, अब छुट्टी के दिन उसमें स्नान का आनंद लेता हूँ. वैसे भी यहाँ तो मुझे कुछ समय के लिए ट्रेनिंग देने के लिए भेजा गया है. यहाँ कुछ अच्छे मित्र भी मिल गए हैं.”
“क्या हम तुम्हारे साथ यहाँ का हवाई अड्डा देख सकते हैं.”माँ की उत्सुकता स्वाभाविक थी.
“सिर्फ हवाई अड्डा ही क्यों, राज आप सबको अपने साथ हवा में उड़ाएगा भी. क्यों राज ठीक कह रहा हूँ ना?”मुस्कुराते हुए राकेश जी ने कहा.
‘बिलकुल, यह तो मेरा सौभाग्य होगा. जिस दिन मै फ्री होऊंगा, आपको इन्फौर्म कर दूंगा. हाँ हमारा ट्रेनिंग वाला प्लेन छोटा होगा. आप तीनों को बारी-बारी से फ़्लाई करना होगा.”
“अरे वाह, तब तो यह तय रहा. पर हमारी अन्नू बेटी को फ़्लाइट- फ़ोबिया है. यह तो इस अवसर का फ़ायदा नहीं उठा सकेगी, पर हम दोनों पति -पत्नी ज़रूर तुम्हारे साथ फ़्लाई करेंगे.”अन्नू के ना चाहते हुए भी पापा ने उसका सच बता दिया.
“क्या फ़्लाइट-फ़ोबिया ऐसा क्यों? आजकल तो इन उड़ानों की वजह से दुनिया कितनी छोटी होगई है. हज़ारों मीलों की दूरी कुछ घंटों में तय हो जाती है. आप अपने को इस सुविधा से वंचित कैसे रख सकती हैं, अनुपमा जी? मुझे तो उस दिन का इंतज़ार है, जब अपना यह टर्म पूरा कर के पक्के पायलेट के रूप में बड़े प्लेन्स ले कर देश-विदेश फ़्लाई किया करूंगा.”
“इसकी एक दुखद कहानी है.” पापा ने संक्षेप में पुरानी दुर्घटना सुना दी थी.
“ज़िंदगी में ऐसे हादसे होते रहते है, पर इसका अर्थ यह तो नहीं कि इंसान जीना ही छोड़ दे. सुना है आप टॉपर हैं, फिर अन्दर से इतनी कमज़ोर कैसे हो सकती हैं? कोई बात नहीं, आप फ़्लाई मत कीजिएगा, पर अपनी मम्मी-पापा को तो उड़ते देख सकती हैं. मेरी रिक्वेस्ट है आप ज़रूर आइएगा.”
हंसी-मज़ाक और पुरानी यादों की बातें दोहराते हुए लंच के बाद राज अपने पापा के साथ वापिस चला गया. अन्नू को यह सोच कर अच्छा नहीं लग रहा था कि राज ने उसकी कमजोरी पर व्यंग्य किया था. जो भी हो वह जाएगी ज़रूर, पर उसके साथ फ़्लाई किसी हालत में नहीं करेगी.हाँ मम्मी का प्लेन में उड़ान भरने का शौक ज़रूर पूरा हो जाएगा. उसकी वजह से मम्मी-पापा भी प्लेन से नहीं जा पाते.
चार दिन बाद ही पर राज का फोन आया था, उन्हें दस बजे पहुंचना था. मम्मी के उत्साह का अंत नहीं था. बहुत कहने पर अन्नू भी उनके साथ जाने को तैयार हुई थी. हलके जामुनी रंग के सलवार-सूट  के साथ उसी रंग के मोती की माला और कान में लंबे इयरिंग पहिने अन्नू सच में दर्शनीय लग रही थी. एयरपोर्ट पर अपने प्लेन के पास राज उनकी प्रतीक्षा कर रहा था. अपनी यूनीफौर्म में वह शबनम के शब्दों में सचमुच बहुत इम्प्रेसिव लग रहा था.
“अब पहले फ़्लाइट कौन लेगा, अंकल या आंटी?” राज के प्रश्न का पापा ने समस्या का समाधान कर दिया-
“भई लेडीज़ फर्स्ट, वैसे भी भै तो ऑफिस के कामों से प्लेन में ही जाता’आता रहता हूँ, पर इन्हें चांस नहीं मिल पाता.” गनीमत है पापा ने इसका दोष अन्नू पर नहीं डाला.
राज ने आदर सहित मम्मी को प्लेन में चढाया था. वापिस प्लेन से उतरी मम्मी का चेहरा खुशी से चमक रहा था.उत्साह के साथ अन्नू को बताया था -
“प्लेन से गंगा कितनी छोटी सी लग रही थी. राज ने तो तेरी यूनीवर्सिटी भी दिखाई थी. मै तो कहती हूँ, अपना डर छोड़ और उड़ान भर ले.”
“नहीं हमें नहीं जाना है.”संक्षिप्त उत्तर देकर अन्नू ने ओंठ भींच लिए.
पापा ने राज की पीठ थपथपा कर प्यार से कहा-
“आज राज के साथ फ़्लाइट का मज़ा ही दूसरा था. भगवान राज को खूब तरक्की दे.”
“अनुपमा जी, आप फ़्लाइट में मत आइए, पर प्लेन को अन्दर से तो देख सकती हैं या आपको डर है कहीं आपके बोर्ड करते ही प्लेन खुद ना उड़ जाए.”राज के परिहास पर सब हंस पड़े.
“मज़ाक के लिए थैंक्स. हम खुद प्लेन को अन्दर से देख सकते हैं.”
राज के परिहास से खिसियाई अन्नू तेज़ी से बढ़ कर ट्रेनिंग वाले छोटे प्लेन के भीतर प्रविष्ट हो गई. उसके पीछे से राज भी प्लेन में आगया.
“सॉरी, आपको नाराज़ करने का कोई इरादा नहीं था. अब आपको प्लेन के ख़ास पार्ट्स दिखलाता हूँ, पर पहले मेरे पास वाली सीट पर बैठना होगा. ये प्लेन टू सीटर है, एक सीट इंस्ट्रक्टर की और दूसरी ट्रेनी की है. अब समझ लीजिए आप प्लेन चलाना सीख रही हैं तो आपको समझाता हूँ.”
“माफ़ कीजिए इस ज़िंदगी में तो क्या अगली किसी भी ज़िंदगी में हमें प्लेन में ना उड़ना है ना ही उड़ाना है.”उत्तेजना से अन्नू का गोरा घेहरा लाल होगया.
“वाह आप तो अन्तर्यामी हैं, अगली ज़िंदगी तक के बारे में जानती हैं. वैसे प्लेन से तो आपकी दुश्मनी है, पर कार ड्राइविंग के बारे में आपका क्या ख्याल है? अंकल ने बताया,कार ड्राइविंग आपकी हॉबी है.”
“कार ड्राइविंग तो हमारी  फेवरिट हॉबी है, पापा के साथ स्पीड लिमिट रखनी पडती है वरना हमे तो खूब तेज़ स्पीड सौ से भी ऊपर में ड्राइविंग करने का मन चाहता है.” खुशी से अन्नू ने बताया.
“चलिए आज आपको तेज़ ड्राइविंग का मज़ा दिला ही दूं.” बात करते-करते कब राज ने प्लेन मूव करना शुरू कर दिया अन्नू को पता ही नहीं लगा. कुछ ही देर में प्लेन रन वे पर तेज़ रफ़्तार में दौड़ रहा था.
“अरे आप क्या कर रहे हैं, हमें डर लग रहा है.”
“मेरे साथ हैं तो कैसा डर, आँखें बंद कर लीजिए और तेज़ स्पीड का मज़ा लीजिए.”
अचानक अन्नू को महसूस हुआ प्लेन तो ऊपर उठता जा रहा है. भयभीत अन्नू ने आँखें बंद कर के राज का हाथ कस के पकड़ लिया. साफ़ समझ में आरहा था वह धरती से ऊपर उड़ रही थी, पर आँखें खोलने का साहस नहीं कर पा रही थी. राज का पकड़ा हाथ अभी भी नही छोड़ा था.
“रिलैक्स मिस अनुपमा. अब ज़रा आँखें खोल कर देखिए, हम हाईकोर्ट के ऊपर उड़ रहे हैं.”
डरते हुए अन्नू ने आँखें खोल कर पहली बार आसमान से उड़ते हुए वो नज़ारा देखा था. उतनी बड़ी हाईकोर्ट की बिल्डिंग कितनी छोटी नज़र आ रही थी. आज वह सच में हवा में उड़ रही थी.
“यकीन कीजिए मेरे साथ आपको कभी कोई डर छू भी नहीं सकता. वैसे अगर फिर भी डर रही हैं तो वापिस चलें या अपने शहर का चक्कर लगाना चाहेंगी.”
 “नहीं, इतना ही काफ़ी  है. आपने हमारे लिए अपना बहुत समय दिया है.”अन्नू इतना ही कह सकी थी.
“आपके लिए तो मेरी पूरी ज़िंदगी हाज़िर है, हुक्म तो कीजिए. आप सचमुच अनुपम हैं. माफ़ कीजिएगा,  आपसे पहले नहीं मिल सका इसका अपराधी हूँ. अब तो तमन्ना है, आप मेरे साथ ट्रेनी की सीट पर बैठी प्लेन उड़ाना सीख रही हैं.”शरारत चेहरे पर स्पष्ट थी.
राज की ऎसी बातों ने अन्नू को रोमांचित कर दिया. लाल पड़े चेहरे और धड़कते दिल के साथ वह पूर्णत: राज की बातों में बह गई थी. एक नया एहसास उसे रोमांचित कर रहा था. राज जैसे उसकी शक्ति बन गया था, उसका साथ उसे भय-मुक्त कर गया था. उसका मन अब जैसे आसमान बन गया था, जहां वह पंख पसारे उड़ रही थी. यह नया अनुभव तो बेहद मीठा था, जिसे जीने की चाह बढ़ गई थी.सपनों में जीती अन्नू ने जब धरती का स्पर्श किया तो वह दूसरी ही अन्नू थी.
“लीजिए अंकल, आपकी अन्नू सही-सलामत वापिस आ गई हैं. मुझे तो लगता है, अब अनुपमा को तेज़ स्पीड की कार चलाने की जगह प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग लेनी चाहिए. जब तक मै यहाँ हूँ, इन्हें अपनी ट्रेनिंग के लिए एप्लाई कर देना चाहिए.”राज के चहरे पर शैतान मुस्कान थी.
“वाह राज बेटा, तुमने तो हमारी अन्नू को एक दिन में ही बदल दिया. उम्मीद है अब इसका डर हमेशा के लिए भाग जाएगा.”पापा बहुत खुश थे.
घर लौटी अन्नू जैसे अपनी उस पहली उड़ान को दोहरा रही थी. क्या वह फिर राज के साथ फ़्लाई कर सकेगी? क्या उसका वर्षों का डर सिर्फ राज के साथ ने तिरोहित कर दिया था? पूरी बात सुनते ही शबनम चहक उठी –
“देखा, हमने कहा था ना, पायलेट कितने समार्ट होते हैं, तुझे एक दिन में ही बदल दिया. वैसे राज से अब फिर कब मिल रही है? काश, तेरे साथ हम भी होते तो राज की नज़र देख कर पहिचान लेते वह तुझ पर किस हद तक फ़िदा है. तू तो ज़रूर पहली नज़र में ही अपना दिल हार बैठी है.”
“छि: भला एक नज़र में किसी से प्यार हो सकता है? राज अच्छा लगा पर इसका मतलब यह नहीं कि हमे उसके साथ प्यार हो गया. हम तेरी तरह रोमांटिक नहीं हैं.” अन्नू ने नाराजगी जताई.
“जानते हैं, हमारी अन्नू बेहद प्रैक्टिकल हैं. वह प्यार भी देख-सुन कर नाप-तौल के करेंगी.”
अन्नू का दिल चाहता वह फ़्लाइंग की ट्रेनिंग के लिए एप्लाई कर दे, पर मन का संकोच रोक देता. क्या सब उस पर हंसेंगे नहीं, कहाँ तो फ़्लाई करने के नाम से डरती थी, कहाँ खुद प्लेन उड़ाने की बात कर रही है. क्या राज को उसके लिए अपना यह प्रस्ताव याद होगा? काश वह खुद उसे याद दिलाता. कहीं शबनम की बात सच तो नहीं, उसे पहली उड़ान में राज के साथ ने इस तरह से विमोहित कर दिया कि वह उसका साथ पाने को अधीर है. वह अपने मन को समझाती नहीं, पहली उड़ान का पहला प्यार सच नहीं हो सकता, पर दिल था कि उसकी बात मानने को तैयार ही नहीं था.
राकेश अंकल वापिस दिल्ली लौट गए थे. उनकी वापिसी के पहले उन्हें और राज को डिनर पर बुलाया गया था. अन्नू बेहद खुश थी. शायद उस दिन राज उसकी ट्रेनिंग की बात फिर दोहराए तो अन्नू ज़रूर एप्लाई कर देगी. राज की बातों और उसके साथ की उत्तेजित ऊष्मा को अन्नू भुला ही नहीं पारही थी. उसके अठारह वर्षों के जीवन में पहली बार किसी ने उससे ऎसी बातें की थीं. उस नए एहसास को भुला ही नहीं पा रही थी.अन्नू की आशा-निराशा में बदल गई. पन्द्रह अगस्त की तैयारी के लिए राज को वापिस दिल्ली बुला लिया गया था. फोन पर मिलने ना आ सकने के लिए क्षमा मांग कर राज दिल्ली चला गया था. अन्नू का मन जैसे चोट खा कर टूट गया था. अन्नू सोचती, काश राज ने अन्नू के साथ प्यार पगी वो बातें ना की होतीं. शबनम हंसती-
“अरे तू पागल है, राज बहुत स्मार्ट था, तेरा डर भगाने के लिए वैसी बातें की होंगी वरना वह तो रोज नई स्मार्ट एयर होस्टेस से मिलेगा, उनके सामने तू कहाँ ठहरेगी.”
अन्नू का वो भ्रम ही रहा हो, पर उसे भुला पाना आसान नहीं था.
समय हर घाव को भर देता है, अन्नू भी राज की यादों को भुला रही थी. दुर्भाग्यवश राकेश अंकल की अचानक मृत्यु के कारण राज के साथ कोई संपर्क भी संभव नहीं था. पापा ने इतना ही बताया था राज का सपना पूरा होगया था, अब वह बड़े विमान ले कर देश-विदेश जाता रहता है. अन्नू सोचती क्या राज उसे कभी याद करता होगा, जिसने अपनी बातों से उस जैसी एक भीरु लड़की का भय कुछ देर में ही तिरोहित कर दिया था. आज इतने समय के बाद राज के सवाल पर अनुपमा फिर उसी एहसास को पूरी शिद्दत से दोहरा रही थी. शायद उसकी वो पहली उड़ान का नशा था या पहले प्यार का स्पर्श जो उसके जीवन को एक अभिनव मोड़ दे गया था.
अनुपमा सोच में पड़ गई उस छोटे से दो सीट वाले विमान की छोटी सी उड़ान में जैसा रोमांच, खुशी, मीठे सपने थे, क्या यह खुशनुमा विशालकाय विमान उसकी प्रतिपूर्ति कर सकेगा? क्यों वो यादें आज तक उसके मानस में सजीव हैं. शबनम के शब्दों में पहली ही उड़ान में वह दिल हार बैठी थी. क्या उसके डर की तरह उसके मानस से पहली उड़ान का वो अविस्मरणीय रोमांचक एहसास भी मिट सकेगा? नहीं, शायद उस एहसास को अन्नू कभी नहीं भुलाना चाहेगी जो उसका भय भगाने में संजीवनी बूटी बना था. आँखें मूँद अन्नू अपनी सीट से सिर टिका भूले सपनों की उड़ान भर रही थी.
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